मंगलवार, 25 जुलाई 2023

ग्रहों की शान्ति हेतु सप्तवार व्रत

ग्रहों की शान्ति हेतु सप्तवार व्रत विधि यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में अशुभ ग्रह की स्थिति हो अथवा अशुभ ग्रह की दशा अन्तर्दशा चल रही हो तो निम्नलिखित विधि अनुसार अनिष्ट ग्रह की शान्ति हेतु व्रत रखने से कल्याण होगा ।

रविवार के व्रत की विधि समस्त कामनाओं की सिद्धि नेत्र रोग और कुष्ठादि चर्म व्याधियों के नाश एवं आयु व सौभाग्य की वृद्धि के लिए रविवार का व्रत किया जाता है । यह व्रत शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार से प्रारम्भ करके एक वर्ष पर्यन्त अथवा कम से कम बारह व्रत करें । व्रत के दिन केवल गेहूं की रोटी अथवा गुड़ से बना दलिया घी शक्कर के साथ भोजन करें । भोजन से पूर्व स्नानान्तर शुद्ध वस्त्र धारण करके "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः" बीज मन्त्र का पाठ पांच माला करें । फिर रविवार की कथा पढ़ें । तत्पश्चात् सूर्य को गन्धाक्षत, लाल फूल, दूर्वायुक्त जल से निम्न मंत्र पढ़ते हुए अर्ध्य दें ।

नमः सहस्रकिरण सर्वव्याधि विनाशन ।

गृहाणार्घ्य मया दत्तं संज्ञया सहितो रवे ॥

फिर प्रदक्षिणा करके लाल चन्दन का तिलक लगाएं अन्तिम रविवार को हवन के पश्चात् ब्राह्मण दम्पत्ति को भोजन कराकर यथाशक्ति लाल वस्त्र फल पुष्पादि एवं दक्षिणा से प्रसन्न करें ।

सोमवार के व्रत की विधि - यह व्रत श्रावण, चैत्र, बैशाख, कार्तिक या मार्गशीर्ष के महीनों के शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार से प्रारम्भ करें । इस व्रत को पांच वर्ष, चौदह वर्ष अथवा सोलह सोमवार पर्यन्त श्रद्धा के साथ विधिपूर्वक करें । इस व्रत को चैत्र शुक्लाष्टमी तिथि आर्द्रा नक्षत्र सोमवार को अथवा श्रावण मास के प्रथम सोमवार को प्रारम्भ करने का विशेष महात्म्य है । व्रतारम्भ करने वाले स्त्री पुरुष को चाहिए कि प्रात:काल जल में कुछ काले तिल डालकर स्नान करें । स्नानान्तर "ॐ नमः शिवायआदि शिव मन्त्रों द्वारा तथा श्वेत फूलों, सफेद चन्दन, पंचामृत, अक्षत, सुपारी, फल, गंगाजल, बिल्व पत्रादि से शिव-पार्वती का पूजन करें और पूजनोपरान्त ब्राह्मण को दान दक्षिणा देकर स्वयं भोजन करें । भोजन एक समय नमक रहित होना चाहिये । व्रत का उद्यापन भी इन्ही उपरोक्त महीनों में करना श्रेयस्कर होता है । उद्यापन में दशमांश जप का हवन करके सफेद पदार्थ, दूध, दही, क्षीर, चांदी सफेद फलों का दान करना चाहिए । इस व्रत को करने से मानसिक शान्ति, धन पुत्रादि सुखों की प्राप्ति होती है तथा सर्व प्रकार के कष्टों की निवृत्ति होती है ।

 

मंगलवार के व्रत की विधि - सर्वप्रकार के सुख, रक्तविकार, शत्रुदमन, स्वास्थ्य रक्षा, पुत्र प्राप्ति के लिए मंगलवार का व्रत उत्तम हैं । यह व्रत शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार से प्रारम्भ प्रारम करके 21 सप्ताह तक अथवा यथा शक्ति जीवन पर्यन्त रखें । इस दिन व्रत में गेहूं और गुड़ सहित भोजन करें । भोजन नमक रहित एक समय ही करना चाहिए । इस व्रत से मंगल ग्रह के अरिष्ट दोष भी शान्त हो जाते हैं । व्रत में श्री हनुमान जी की लाल पुष्पों, फलों, लिए ताम्र वर्तन व नारियल द्वारा पूजा व दान करना चाहिए तथा हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए । भौम ग्रह की शान्ति के लिए' ॐ क्रां क्रीं, क्रौं सः भौमाय नमः' की 5 मालाएं करनी चाहिए और गुड़, पीले लड्डुओं व लाल वस्त्र दान करना चाहिए ।

बुधवार के व्रत की विधि - बुधवार का व्रत बुध ग्रह की शान्ति तथा धन, बुद्धि, विद्या और व्यापार में वृद्धि हेतु किया को प्रारम्भ का जाता है । यह व्रत विशाखा नक्षत्र कालीन बुधवार करके सात अथवा हर बुधवार का करें । व्रत के दिन स्नानोपरान्त हरे वस्त्र पहिनकर श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ तथा ग्रह शान्ति के लिए बीजमंत्र 'ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः' का पाठ करना चाहिए । इस दिन एक समय नमक रहित भोजन, घी, मूंग अथवा मूंग की दाल से बने मिष्ठान्न का दान करें तथा स्वयं भी इन्हीं वस्तुओं का बना भोजन करें,अन्तिम बुधवार मधुसर्पी, दधि और घृत के साथ हवन करें और हरे वस्त्र, दो फल और मूंग का दान करें । गाय को हरा घास डालें ।

वृहस्पतिवार के व्रत की विधि - यह व्रत गुरु ग्रह की शान्ति तथा वैवाहिक सुखों, विद्या, पुत्र संतान एवं धन प्राप्ति के लिए श्रेष्ठ है । यह व्रत शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार को अनुराधा नक्षत्र हो उस दिन से प्रारम्भ करें । यह व्रत 13 मास अथवा सात मास तक रख सकते हैं । व्रत के दिन स्नानोपरान्त पीले वस्त्र, पीला यज्ञोपवीत धारण करके बृहस्पति की पूजा स्वयं अथवा श्रेष्ठ ब्राह्मण द्वारा करवानी चाहिए । पादुका, उपानह, छाता, कमण्डलु रखें, पीले रंग के पुष्प, चने की दाल, पीले कपड़े, पीला चन्दन, हल्दी व पीले चावल, लड्डू आदि का भोग लगाना चाहिए । दान करके ही स्वयं एक समय भोजन करें । नमक का प्रयोग न करें,इस दिन केले के वृक्ष का पूजन शुभ होता है । गुरु गुरवे नमः' मंत्र की 5 माला शान्ति के लिए 'ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः का जाप करें । उद्यापन में दशमांश भाग का 28 समिधा व मधु सर्पी, घृत, दधि के साथ हवन करना चाहिए ।

शुक्रवार के व्रत की विधि - यह व्रत धन, विवाह, संतानादि भौतिक सुखों को देने वाला है । श्रावण मास के प्रथम शुक्रवार को प्रारम्भ करने से विशेष रूप से लक्ष्मी की कृपा रहती है । व्रत के दिन स्नानोपरान्त सफेद वस्त्र धारण करके श्री लक्ष्मी देवी की धूप, दीप, श्वेत चन्दन, चावल, श्वेत पुष्प, चीनी, सुपारी से पूजा करके बच्चों में श्वेत मिठाई, क्षीर, फलादि बांट दें । ग्रह शान्ति के लिए 'ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः' की तीन माला का पाठ करें । स्वयं भी एक समय क्षीरादि श्वेत वस्तुओं का सेवन करें । नमक का प्रयोग ना करें । उद्यापनोपरान्त हवनादि के पश्चात् ब्राह्मण बालकों को क्षीर चावलादि से युक्त भोजन कराने तथा श्वेत वस्त्र, खाण्ड, चावल, चाँदी, फलादि फेद पदार्थों का दान करें ।

शनिवार के व्रत की विधि - यह व्रत शनि ग्रह की अरिष्ट शान्ति तथा जीर्ण रोग, शत्रुभय, आर्थिक संकट, मानसिक संताप का निवारण करता है, धन धान्य और व्यापार में वृद्धि करता है । यह व्रत शुक्ल पक्ष के शनिवार विशेषकर श्रावण मास लौह निर्मित शनि की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराकर धूप गंध,नीले पुष्प, फल और नैवेद्य आदि से पूजन करें और 'ॐ शं वा शनैश्चराय नमः' मंत्र की तीन माला का जाप करें, व्रत के दिन नीले वस्त्र धारण करें । एक वर्तन में शुद्ध जल, काले तिल, नीले उत पुष्प, लौंग, तेल, गंगाजल, दूध डालकर पश्चिम दिशा की ओर अभिमुख होकर पीपल वृक्ष की जड़ में डाल दें । तत्पश्चात् शिवोपासना करें । १९ शनिवार करने के बाद उद्यापन के समय की शनि स्त्रोत का पाठ जूते, जुराब, नीले रंग का वस्त्र, के चाकू और तेल से निर्मित वस्तुओं का दान किसी वृद्ध ब्राह्मण को दें और स्वयं भी उड़दादि तथा तैल निर्मित पदार्थों का सेवन करें ।

राहु की शान्ति के लिए भी शनिवार का व्रत उपरोक्त विधि अनुसार करें और दान में नारियल, भूरा कम्बल या वस्त्र दें तथा थवा पक्षियों को बाजरा डालना चाहिए । राहु के बीज मंत्र का पाठ करना श्रेयकर होता है ।

केतु ग्रह की शान्ति हेतु - केतु के बीज मंत्र 'ॐ स्त्रां स्त्रीं ना त्रौं सः केतवे नमः' की पांच माला का जाप तथा पूजा मंगलवार का के व्रत जैसे करनी चाहिए ।

सप्तधान्य (सतनाजा) - काले मा(उड़द), मूंग,गेहूं, चने, जौ, चावल, कंगनी ।

अष्टगंध - अगर, तगर, कस्तूरी, कुंकुम, कपूर, चन्दन,लौंग और गोरोचन ।

 

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