बुधवार, 26 अप्रैल 2023

कुंडली से जानें वाहन सुख कब और कैसा

 


जातक के कर्म एवं उसकी शुभाशुभ फल प्राप्ति हेतु अनेक प्रकार की विधाएं प्रचलित हैं । इन्हीं के अन्तर्गत ज्योतिष में जन्मकालीन ग्रह स्थिति से जातक के जीवन का दर्शन किया जाता है । जन्म कुंडली के बारह खानों को बारह भाव भी कहते हैं जिनसे अलग- अलग कारकों के बारे में फलकथन किया जाता है । 

जीवन में वाहन सुख प्राप्ति हेतु चतुर्थ भाव, चतुर्थ भाव कारक शुक्र व चतुर्थेश का विचार कर निर्णय लिया जाता है । भाव मंजरी में चतुर्थ भाव के कारकत्व के विषय में लिखा है |

चौथे भाव से सुख, माता, भवन, वाहन, यात्राएं, भाई बन्धु, खेत, उपवन, चित्त, गुणों एवं राजा का विचार किया जाता है । चतुर्थ भाव के कारक चंद्र व शुक्र है । चंद्र माता का कारक एवं शुक्र सुगंधित वस्तुओं, गहनों एवं वाहन का कारक है । अतः वाहन सुख हेतु शुक्र की स्थिति का विचार भी ग्रहित है ।

पाराशर होरा शास्त्र खंड 1 में कहा है की उत्तम वाहन, आराम, सुख का विचार शुक्र से करना चाहिए ।

भावात् भावम् के सिद्धान्तानुसार चतुर्थ से चतुर्थ अर्थात् सप्तम व शुक्र अधिष्ठित राशि से चतुर्थ भाव का भी विचार करना चाहिए |

भावार्थ रत्नाकर के अनुसार: यदि भाग्येश और चतुर्थेश लग्न में स्थित हों तो जातक को वाहन और भाग्य की प्राप्ति होती है । यहां पर चतुर्थेश वाहन द्योतक होकर भाग्येश व लग्न से सम्बंध भाग्य द्वारा वाहन प्राप्त होना बताया गया हैं |

यदि चतुर्थेश शुक के साथ चतुर्थ में स्थित हो तो सामान्य वाहन की प्राप्ति होती है । यहां शुक्र की स्थिति या भाव स्वामी के बारे में कोई जानकारी नहीं है अर्थात् वह त्रिकेश होकर वाहन कमी करवा सकता है । नीच नवांश अस्तगत, शत्रुराशि में स्थित होना, पापग्रहों का अधिक प्रभाव भी एक कारण हो सकता है । शुक्र यदि स्वयं चर्तुथेश होकर स्थित हो तो भी अपने भाव की हानि अवश्य करेगा यदि अन्य कोई शुभ ग्रह युति न करे ।

भावकारक की भाव में उपस्थिति कारको भाव नाशाय को इंगित करती है पर यदि चतुर्थेश और शुक्र यदि नवम दशम, एकादश भाव में स्थित हों तो विशेष वाहन की प्राप्ति होगी कारण यहां शुक्र चतुर्थेश का अन्य शुभ भाव स्वामी ग्रह से सम्बंध बन रहा है फलतः वाहन प्राप्ति भी युति कारक ग्रहों के बल पर निर्भर करेगी ।

यदि चतुर्थेश का युति अथवा दृष्टि द्वारा चंद्र से सम्बंध हो तो जातक को घोड़ागाड़ी रथ की प्राप्ति होगी वहीं बृहस्पति से सम्बंध होने पर घोड़े की प्राप्ति होगी । यहां पर चंद्र स्त्रीलिंग होने से घोड़ी व बृहस्पति पुल्लिंग वाचक होने से घोड़े की प्राप्ति करवाएगा ।

चतुर्थेश किस राशि मे स्थित हैं और किस ग्रह के साथ स्थित है उसका भी वाहन प्राप्ति से घनिष्ट सम्बंध है । चतुर्थेश चर राशि में होने पर वाहन कारक, द्विस्वभाव राशि में होने पर वाहन व शौक सामान, सजावटी वस्तुओं की प्राप्ति करवाता है । द्विस्वभाव में 15 डिग्री के भीतर रहने पर स्थिर की तरह होने से केवल सुखदायी साजो सामान सोफा आदि की व 15 डिग्री से आगे चरवत होने से वाहन की प्राप्ति करवाएगा । इस प्रकार की स्थिति में चतुर्थेश किसी अन्य ग्रह से युति दृष्टि सम्बंध न बनाए,युति दृष्टि सम्बंध होने पर स्थिर राशि में भी वाहन की प्राप्ति होती है ।

वाहन प्रकार निर्णय हेतु चतुर्थेश की युति दृष्टि ग्रह व राशि का भी अध्ययन आवश्यक है । 

यदि चतुर्थेश शनि से सम्बंध बनाए तो श्रमकारक वाहन यथा साइकिल की प्राप्ति करवाएगा । चंद्र शनि से होने पर डीजल या पैट्रोल वाहन की प्राप्ति करवाएगा क्योंकि चंद्र जलीय पदार्थ तरल पदार्थ व शीन अधोमुखी ग्रह होने से डीजल-पैट्रोल चलित वाहन दिलवा रहा है । 

वाहन की स्थिति ज्ञात करने हेतु राशि तत्व एवं राशि पाद दृष्टिकोण को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए अर्थात् जब चतुर्थेश व शुक्र की युति नवम, दशम व एकादश में से किसी स्वामी से हो और युति वायु तत्व की राशि में हो अर्थात् मिथुन, तुला, कुंभ में हो तो जातक को अवश्य ही वायुयान की प्राप्ति करवाएगा अर्थात् वायुयान चालक पायलट बनाएगा । 

यदि यह युति चतुरपद पशु जैसी आकृति वाली राशियों में हो तो कार, जीप व बस की प्राप्ति करवाएगा,चतुष्पद राशियों से तात्पर्य मेष, वृषभ, सिंह, धनु उत्तरार्द्ध व मकर पूर्वार्द्ध से है । मिथुन, कन्या, तुला, धनु का पूर्वार्द्ध व कुंभ ये द्विपद राशियां हैं । इन राशियों में चतुर्थेश व शुक्र की युति हो तो मोटर साइकिल, लुना की प्राप्ति होगी । 

जलचर राशियों कर्क, मकर उत्तरार्द्ध व मीन राशि व कीट राशि वृश्चिक में होने पर जलीययान अर्थात् मोटर, पनडुब्बी समुद्री जहाज की प्राप्ति अर्थात् चालक होता है । उपरोक्त यानों की प्राप्ति ग्रहों के बलाबल एवं षड़वर्ग पर निर्भर करती है ।

चतुर्थेश व लग्नेश में राशि परिवर्तन या लग्नेश चतुर्थ व चतुर्थेश लग्न में हो तो भी वाहन की प्राप्ति होती है ।

कुछ अन्य योग -

1. पंचमेश और एकादशेश में राशि परिवर्तन योग ।

2. चतुर्थेश और पंचमेश में व्यत्ययय योग हो |

3. भाग्येश और लग्नेश अपने-अपने भाव में शुभ स्थिति में हो

4. नवमेश और पंचमेश में व्यत्यय अर्थात् राशि परिवर्तन योग ।

वाहन सुख कब मिलेगा - 

इस हेतु वृहत पाराशर होराशास्त्र खंड 1 में उल्लेख है कि लग्न में शुभ ग्रह की राशि हो, चतुर्थेश नीच राशि में हो एकादशस्थ हो व चंद्र शुक्र व्यय भाव में हों तो बारहवे वर्ष में वाहन प्राप्ति होती है ।

चतुर्थ में सूर्य चतुर्थेश स्वोच्च में शुक्र से हो बतीसवें वर्ष में वाहन की युक्त प्राप्ति होती है ।

कर्मेश व चतुर्थेश किसी भी राशि में युति करते हों व चतुर्थेश उच्च नवांश में हो तो 42वें वर्ष में वाहन प्राप्ति होती है ।

तुर्थेश व एकादशेश में व्यत्यय हो तो 12वें वर्ष में एवं शुभ प्रभाव इन भावों पर एवं पाप प्रभाव से वाहन प्राप्ति का फल मिलता है ।

वाहन प्राप्ति हेतु भाव व भावेश की स्थिति भी मजबूत होनी ज़रूरी हैं | जब चतुर्थेश त्रिकोण, सर्वोच्च, मित्र या स्वराशि में एवं चतुर्थेश की अधिष्ठित राशि का स्वामी भी शुभ ग्रहों से युत या दृष्ट हो एवं चतुर्थ भाव किसी प्रकार से पाप कर्तरी प्रभाव में न हो एवं चतुर्थ भाव चतुर्थेश व शुक्र पर शुभ प्रभाव की अधिकता होने पर वाहन सुख भी उत्तम मिलता है । 

चतुर्थ भाव चतुर्थेश व शुक में से जो बलवान हो वह लग्न, आकान्त राशि, नवांश एवं त्रिकोण भावों में जब जब गोचरवश आएगा तब वाहन प्राप्ति कराएगा अर्थात् जिस भाव में होगा उस तुल्य वर्ष में या 12 की आवृत्ति योग वाले वर्ष में वाहन की प्राप्ति होगी । इसके अलावा भी किसी शुभ ग्रह की दशान्तर्दशा में जब प्रबल भाग्योदय राजयोग एवं लाभ की सृष्टि हो उस समय स्वतः ही वाहन की प्राप्ति हो जाती है ।

 

सोमवार, 24 अप्रैल 2023

अंर्तरजातीय विवाह के योग

 

1) लग्न मे राहू अथवा शनि का होना |

(2) सप्तम भाव व सप्तमेश पर शनि, राहु, केतु का प्रभाव होना ।

(3) शुक्र का राहु-केतु अक्ष में होना ।

(4) अष्टम भाव का पीड़ित होना तथा सप्तमेश या सप्तम भाव पर राहु का प्रभाव होना ।

(5) पंचम, नवम भावों पर तथा गुरू पर पापी ग्रहों का प्रभाव होना ।

(6) गुरू एवं नवम भाव पर पाप ग्रहों का प्रभाव होना ।

(7) लग्नेश, तृतीयेश,दशमेश,लाभेश का 5वें, 7वें, 8वें या 9वें भाव से सम्बंध हो तथा इन स्थानों पर पाप प्रभाव हो ।

(8) गुरू एवं नवम स्थान पर शनि, राहु-केतु का प्रभाव हो ।

(9) लग्न में केतु तथा सप्तम भाव में शुरा की युति होना ।

(10) सप्तम भाव पर शनि का प्रभाव तथा गुरू या शुक्र का पाप प्रभाव अथवा राहु-केतु अक्ष पर होना ।

प्रेम विवाह के योग :



कुंडली के आधार पर जातक के विवाह के संदर्भ में जानकारी हमारे प्राचीन ज्योतिषीय ग्रन्थों में दी गई है परन्तु आधुनिक परिपेक्ष में कई और दृष्टिकोण भी पाये गये हैं जो विवाह जैसी पवित्र संस्था व उससे सम्बंधित शुभाशुभ जानकारियां प्रदान करते है ऐसे ही कुछ जानकारियां एवं तथ्य निम्न है ।

(1) सप्तमेश का लग्न में होना ।

(2) चंद्र लग्न अथवा लग्न से सप्तमेश व पंचमेश का युत होना ।

(3) लग्न सप्तम का राहु-केतु अक्ष में होना ।

(4) पंचमेश का सप्तम भाव में होना ।

(5) पंचमेश या सप्तमेश का राहु-केतु संग अथवा दृष्ट होना ।

(6) चंद्रमा, लग्नेश, सप्तमेश का लग्न या सप्तम भाव में होना ।

(7) लग्न व लग्नेश का स्थिर राशि में होना ।

(8) मंगल ग्रह सप्तमेश संग लग्न अथवा सप्तम भाव में हो ।

(9) शुक्र लग्न में लग्नेश संग अथवा सप्तमेश संग सप्तम मे हो |

(10) लग्नेश व पंचमेश अथवा लग्नेश व भाग्येश की युति, दृष्टि व राशि परिवर्तन हो।

(11) पंचमेश सप्तमेश का राशि परिवर्तन होना अथवा समसप्तक होना ।

(12) शुक्र का मंगल संग होना अथवा पंचमेश, सप्तमेश संग होना ।

(13) सप्तमेश तथा शुक्र संग शनि की युति होना।

(14) लग्नेश की पूर्ण दृष्टि लग्न पर हो, सप्तमेश बलवान होकर लग्न एवं लग्नेश को देखें तथा शुक्र शुभ प्रभाव मे हो |

(15) मंगल, पंचम या नवम में हो तथा सप्तमेश, एकादशेश में राशि परिवर्तन हो ।

(16) कुंडली अथवा नवांश कुंडली में सप्तमेश नवमेश की युति हो

(17) चंद्र कुंडली से शुक्र पंचम भाव में हो।

(18) शुक्र नवम भाव में होकर पंचमेश से सम्बंध बना रहा हो।

(19) सप्तम भाव में शनि-केतु का होना।

(20) द्वादशेश तथा पंचमेश राशि परिवर्तन होना।

(21) पंचमेश व नवमेश की सप्तम भाव में युति होना ।

(22) सप्तमेश स्वग्रही हो तथा एकादश भाव पाप प्रभाव में ना हो।

(23) सप्तम भाव में सप्तमेश व मंगल की युति हो ।

(24) लग्नेश की चंद्र संग लग्न में युति हो अथवा सप्तमेश संग चंद्र सप्तम भाव में हो।

(25) सप्तमेश तथा एकादशेश में परिवर्तन हो ।

बुधवार, 19 अप्रैल 2023

महिलाओं की जन्मपत्रिका में सप्तम भावस्थ गुरु अशुभ फल ही प्रदान करता है ?

एक महिला की जन्मपत्रिका में सप्तम भाव में गुरु यदि स्वस्थ, शुभ भाव का स्वामी और पाप प्रभाव रहित हो, तो निश्चय ही वैवाहिक सुख, गुणी, धार्मिक रुचि रखने वाला पति और साझेदारी से लाभ प्रदान करता है । गुरु का शुभ भाव का स्वामी होना जरूरी है, किन्तु यदि गुरु अशुभ भाव का स्वामी पाप प्रभाव में अथवा पीड़ित हो, तो वैवाहिक सुख का नाश होता है । जातिका पति से अलग अथवा विधवा होती है । इस सन्दर्भ में हम मृदुला द्विवेदी का यह कथन पाठकों के सामने रखना चाहेंगे, "गुरु की सप्तमस्थ स्थिति को कम से कम शुभ नहीं मानती । हमने गुरु के सप्तम भाव में रहने पर वैवाहिक जीवन में अनेक विसंगतियाँ, विघटनकारी स्थितियाँ आदि देखी हैं । कितनी ही स्त्रियाँ वेदनापूर्ण एकाकी जीवन जी रही हैं । कुछ विशेष परिस्थितियों को छोड़कर सप्तम भावस्थ गुरु जीवन के आगे एक प्रश्नचिह्न खड़ा कर देता है ।

हम आगे इस बिन्दु पर विषय को स्पष्ट करने के लिए ग्यारह जन्म पत्रिकाओं को विश्लेषण सहित प्रस्तुत करना चाहेंगे । इसमें मीन लग्न को छोड़कर सभी लग्न की जन्मपत्रिकाओं के उदाहरण हैं ।

1)जन्म दिनांक : 13 जून, 1982 जन्म समय : 03:45 बजे : जन्म स्थान खेतड़ी (राज.) मेष लग्न मे जन्मी इस जातिका का विवाह गुरु मे शुक्र अंतर्दशा मे सन 2009 मे हुआ था | एक पुत्र के जन्म के बाद ये खाड़ी देशों में कार्यरत अपने पति के पास चली गईं, लेकिन पिता की बीमारी की खबर पाकर पुनः भारत आयीं । बाद में गुरु में राहु की अन्तर्दशा में पिता की मृत्यु हो गई । वक्री गुरु के बारे में कहा गया है कि वह जिस भाव का स्वामी होता है और जिस भाव में स्थित होता है, उसे कुछ न कुछ हानि अवश्य करता है । जन्मपत्रिका में गुरु सप्तम भाव में वक्री होकर स्थित है । गुरु राहु के नक्षत्र में है । पिता के कारक सूर्य से गुरु षष्ठ और राहु द्वितीय में स्थित होना पिता की मृत्यु का कारक बना । गुरु ने पति का साथ भी छुड़वा दिया ।

2)सुनीता मिश्रा जन्म दिनां21 अप्रैल, 1971 जन्म समय : 08:10 बजे जन्म स्थान : बस्ती (उ.प्र.) वृष लग्न मे जन्मी इस महिला जातक का विवाह 1996 में गुरु में चन्द्रमा की अन्तर्दशा में सम्पन्न हुआ था । पुत्र के जन्म के बाद इनकी मानसिकता में बदलाव आना प्रारम्भ हो गया था । 04 सितम्बर, 2001 को शनि की महादशा में शनि की अन्तर्दशा में इन्होंने विषाक्त पदार्थ का सेवन कर लिया और संघर्ष करते हुए इनकी मृत्यु हो गई । जन्मपत्रिका में शनि के नक्षत्र में स्थित गुरु सप्तम भाव में वक्री है और अष्टमेश होकर सप्तमेश मंगल से भाव परिवर्तन कर मारक बन गया है । गुरु का शनि के नक्षत्र में स्थित होना शनि की दशा के प्रभाव मे मृत्यु का कारण बना |

3)सुनीता टाक जन्म दिनांक : 16 अक्टू., 1972 जन्म समय: 21:50 बजे जन्म स्थान : अजमेर (राज.)

इस महिला जातिका का विवाह 01 जुलाई, 2007 को गुरु में गुरु की अन्तर्दशा में सम्पन्न हुआ था । पाँच वर्ष बाद ही सन् 2012 में गुरु की महादशा में बुध की अन्तर्दशा में हृदयाघात से इनके पति का देहान्त हो गया । जन्मपत्रिका में गुरु सप्तम भाव में स्वगृही है, किन्तु केतु के नक्षत्र में स्थित है । मिथुन लग्न की जन्मपत्रिका में गुरु एक बाधक ग्रह होता है, अतः गुरु ने विवाह कराया भी और खण्डित भी कर दिया । नवांश कुण्डली में भी गुरु अष्टम भाव में मंगल और केतु से युक्त है

तमिलनाडु की मुख्यमन्त्री जयललिता को इस सप्तम भावस्थ गुरु ने अविवाहित ही रखा

4)29/3/1985 15;10 अजमेर कर्क लग्न मे जन्मी इस महिला जातिका का विवाह गुरु की महादशा मे सम्पन्न हुआ  दो पुत्रियों के जन्म के बाद मन में एक सूनापन एवं उदासी रहती है । जन्मपत्रिका में सप्तम भाव में नीच का गुरु चन्द्रमा के नक्षत्र में स्थित है । गुरु की इस स्थिति के कारण विवाह तो हुआ, किन्तु पुत्र सुख नहीं मिला ।

5) 26/6/1962 10:30 हैदराबाद सिंह लग्न मे जन्मी इस महिला का विवाह मई, 1991 में शुक्र में बुध की अन्तर्दशा में सम्पन्न हुआ था । इसी अन्तर्दशा में अक्टूबर, 1991 में इनके पति ने इन्हें त्याग दिया था । जन्मपत्रिका में सप्तम भाव में गुरु राहु के नक्षत्र में है । यह गुरु विवाह को सुरक्षित नहीं रख पाया । शुक्र राहु के साथ कर्क राशि में द्वादश भाव में स्थित है । नवांश में शुक्र - मंगल की युति है ।

6)श्रीमाओ भण्डारनायके जन्म दिनांक : 17 अप्रैल, 1916 जन्म समय : 16:05 बजे जन्म स्थान : रत्नापुरा (श्रीलंका)

कन्या लग्न मे जन्मी श्रीमती भंडारनायके का विवाह सन 1940 मे हुआ था जब इनकी गुरु मे गुरु की अंतर्दशा चल रही थी | इनके पति एस.डब्ल्यू. आर.डी. भण्डारनायके बाद में श्रीलंका के प्रधानमन्त्री बने । गुरु की महादशा में एक पुत्री हुई, लेकिन भण्डारनायके को मारने के षड्यन्त्र भी चलते रहे । सन् 1959 में शनि की महादशा में शनि की अन्तर्दशा में इनके पति की हत्या कर दी गई । इसके बाद सन् 1960 में ये देश ही नहीं विश्व की पहली महिला प्रधानमन्त्री बनीं । 19 वर्ष शासन करने के बाद अक्टूबर, 2000 को शुक्र में शुक्र की अन्तर्दशा में इनकी हृदय रोग से मृत्यु हो गई । जन्मपत्रिका में सप्तम भाव में गुरु स्वगृही है, किन्तु इस पर केतु और नीच गुरु शनि की दृष्टि है । नवांश में मंगल के साथ स्थित है । गुरु बुध के नक्षत्र में स्थित है, जो कि अष्टम भावस्थ है ।

7)जन्म दिनांक : 30 अगस्त, 1975 जन्म समय: 11:40 बजे जन्म स्थान : अजमेर (राज.) इस महिला का विवाह सन् 2000 में राहु में शुक्र की अन्तर्दशा में सम्पन्न हुआ था । दो पुत्रों के जन्म के बाद 24 सितम्बर, 2007 को गुरु में गुरु की अन्तर्दशा में ये विधवा हो गई थीं । पति के कर्ज में डूबने के कारण उन्होंने आत्महत्या कर ली थी । जन्मपत्रिका में गुरु सप्तम भाव में वक्री होकर स्थित हैं | गुरु केतू के नक्षत्र मे हैं जो अष्टम भाव मे मंगल के साथ हैं | नवांश मे भी मंगल लग्न मे स्थित होकर केतू से दृस्ट हैं |

8)जैकलिन केनेडी 28/7/1929 15:00 साओथम्प्टोन अमरीका मे वृश्चिक लग्न मे जन्मी जैकलिन का विवाह जॉन.एफ. में शुक्र कैनेडी के साथ सन् 1953 में बुध की अन्तर्दशा में सम्पन्न हुआ था । सन् 1961 में चन्द्रमा की महादशा में चन्द्रमा की अन्तर्दशा में कैनेडी राष्ट्रपति बने । सन् 1963 में चन्द्रमा में गुरु की अन्तर्दशा में उनकी हत्या हो गई । फिर जैकलिन ने महाधनी एरिस्टोटल ओनोसिस से विवाह किया । पुनः सन् 1975 में मंगल में केतु की अन्तर्दशा में ये विधवा हो गईं । जन्मपत्रिका में गुरु और शुक्र सप्तम भाव में स्थित हैं । गुरु रोहिणी नक्षत्र में है, अतः चन्द्रमा में गुरु की अन्तर्दशा में ये पहली बार विधवा हुईं । चन्द्रमा ने गुरु का फल प्रदान किया ।

9)23 नवम्बर, 1989 जन्म समय: 10:20 बजे जन्म स्थान जयपुर (राज.) धनु लग्न मे जन्मी इस जातिका का विवाह 2014 मे राहू मे बुध की अंतर्दशा मे हुआ था | सप्तम भाव मे स्थित वक्री गुरु राहू के नक्षत्र मे हैं जिसने विवाह करवाया बुध सप्तमेश हैं गुरु की महादशा 2024 मे शुरू होगी |  

 

 

 

 

10)21/12/1919 8:48 बरेली मकर लग्न मे जन्मी यह जातिका शुक्र की महादशा में एक विधायक की पत्नी बनी थी । सभी ने उसके जीवन के बाह्य रूप को देखकर एक उज्ज्वल और सुखी जीवन की कल्पना की थी । पति महाशय का बाहरी जीवन गौरवपूर्ण था, किन्तु अन्य स्त्रियों में उनकी लिप्सा के साथ-साथ अन्य अनेक कमियों से जातिका का जीवन एक दासी के समान रह गया था । तब एक पृथक् भवन में रहकर पीड़ापूर्ण जीवन जीना पड़ा । एक पुत्री विधवा हो गई । पुत्र ने भी अनेक आपदाएँ खड़ी कर दीं । जातिका के मन में जीने की इच्छा शून्य रह गई । जन्मपत्रिका में सप्तम भाव में उच्च का वक्री गुरु स्थित है । गुरु तृतीय एवं द्वादश भाव का स्वामी होकर पापी ग्रह बनता है ।

11)फिल्म अभिनेत्री मधुबाला जन्म दिनांक 14 फरवरी, 1933 जन्म समय : 07:00 बजे जन्म स्थान : दिल्ली सन् 1960 में रिलीज हुई 'मुगल-ए-आजम' फिल्म मधुबाला को सफलता के शिखर पर पहुँचा पहुँचा दिया था । सन् 1963 से इनके जीवन में गुरु की महादशा प्रारम्भ हुई थी । उसके बाद इनकी जिन्दगी ढलान पर तेजी से गिरने लगी । इनके जीवन में कमाल अमरोही, प्रेमनाथ, दिलीप कुमार,भारत भूषण, प्रदीप कुमार आदि कई फिल्मी हस्तियाँ आयीं, किन्तु किसी से भी विवाह नहीं हो पाया । अन्त में अन्तिम समय में इन्होंने किशोर कुमार से विवाह किया । अन्त में गुरु की महादशा में शनि की अन्तर्दशा में 23 फरवरी, 1969 को इनका देहान्त हो गया । इन्होंने मात्र 36 वर्ष की आयु पायी । जन्मपत्रिका में सप्तम भाव में गुरु वक्री होकर मंगल एवं केतु के साथ स्थित है ।

12)क्रिस्टीना एक्यूलीरा अमेरिकी अदाकारा एवं गायिका जिसका जन्म 18 दिसंबर 1980 को अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में मीन लग्न में हुआ था इनका विवाह 2005 में हुआ तथा तलाक 2010 में हो गया इसके अलावा इन के विवाह से पहले एवं विवाह के बाद बहुत से लोगों से संबंध रहे हैं |

13)कोर्टनी लव 9/7/1964 को अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में तुला लग्न में जन्मी कोर्टनी लव एक बेहतरीन गायिका होने के साथ-साथ अदाकारा भी रही है जिन्होंने अपने जीवन में 2 विवाह किए परंतु उनका वैवाहिक जीवन ज्यादा अच्छा नहीं रहा पहला विवाह 1 वर्ष तथा दूसरा विवाह केवल 2 वर्ष तक ही चला इनके दूसरे पति की बहुत जल्द ही मृत्यु हो गई |

14)17 जुलाई 1954 को जर्मनी के हैंबर्ग शहर में धनु लग्न में जन्मी श्रीमती एंजेला मार्कल के सप्तम स्थान में बृहस्पति है तथा इन्होंने दो विवाह किए हैं हम सभी जानते हैं कि यह पहले कि जर्मनी की राजनीति के होने के साथ-साथ विज्ञानिक भी रही है |

15)अमेरिकी अदाकारा जेनिफर गार्नर का जन्म अमेरिका के ह्यूस्टन नामक शहर में मिथुन लग्न में हुआ है इनकी पत्रिका में गुरु सप्तम भाव में धनु राशि का वक्री अवस्था में है जिस कारण इनके दो विवाह हुए परंतु दोनों विवाहों में तलाक का सामना करना पड़ा |

16)अमेरिकी अदाकारा जूलियन मूर का जन्म 3/12/1960 को अमेरिका के कैरोलिना नामक राज्य में मिथुन लग्न में हुआ इन्होंने भी अपने जीवन में 2 विवाह किए हैं |

17)अंग्रेजी अदाकारा केट विंसलेट का जन्म बर्कशायर इंग्लैंड में 5 अक्टूबर 1975 के दिन में कन्या लग्न में हुआ है इनके सप्तम भाव में वक्री गुरु होने से इनको विवाह का सुख कम मिला जबकि इन्होंने तीन विवाह किए हैं टाइटेनिक से सफलता के झंडे गाड़ थे|

महिलाओं की जन्मपत्रिका में गुरु को पति का कारक माना गया है, किन्तु यही गुरु जब अशुभ भाव का स्वामी, पाप प्रभाव में, वक्री आदि हो, तो सप्तम भावस्थ होकर भी वैवाहिक सुख का नाश करता है । निश्चय ही गुरु मेष लग्न में भाग्येश और और धनु, मीन लग्न की जन्मपत्रिका में लग्नेश होकर शुभ फलदायक होता है, लेकिन वक्री होकर पति से दूर रहने पर मजबूर कर देता है ।

वृषभ लग्न में यह अष्टमेश और मिथुन, कन्या में बाधक ग्रह होकर पापी बनता है ।

कर्क लग्न में षष्ठेश और सिंह लग्न में अष्टमेश होकर आंशिक शुभ फलदायक बनता है ।

तुला लग्न के लिए गुरु षष्ठेश होता है । निश्चय ही वृश्चिक लग्न के लिए गुरु सर्वाधिक श्रेष्ठ और योगकारक होता है, किन्तु सप्तम भाव में इसे आंशिक अशुभ ही पाया गया है ।

मकर लग्न के लिए गुरु तृतीयेश और द्वादशेश होकर अशुभ और विच्छेदात्मक ग्रह बनता है ।

कुम्भ लग्न में द्वितीयेश और एकादशेश होकर मारक बनता है, अतः गुरु की सप्तम भाव में स्थिति एक महिला के लिए अधिकतर मामलों में अशुभ ही पाई गई है, अतः सप्तम भावस्थ गुरु पति सुख की सुनिश्चितता नहीं दे सकता है ।

 

 

 

गुरुवार, 13 अप्रैल 2023

क्या शुक्र सच मे अपने से 12वे भाव की वृद्दि करता हैं (भाग 2 )

प्रस्तुत लेख को आप विडियो के रूप मे भी देख सकते हैं इसके लिए नीचे लिंक पर क्लिक करे |

https://youtu.be/w_EGmhNPFxs

प्रस्तुत लेख में हम यहां शुक्र जिस भाव और ग्रह से बारहवें स्थान में स्थित होता है वह उस भाव एवं ग्रह की विशेष वृद्दि कर उस भाव और उस भाव में स्थित ग्रह को विशेष प्रबल व वृद्दि कर भाग्यशाली बना देता है और उससे संबंधित विशेष सुख जातक को जीवन में प्राप्त होते हैं यह बताने का प्रयास कर रहे हैं 

कुछ विद्वान ज्योतिषी इसे शुक्र जिस भाव में होता है उससे अगले भाव की वृद्धि करता है इस सिद्धांत से भी जोड़कर देखते हैं,परंतु हमारा ऐसा मानना है क्योंकि शुक्र काल पुरुष की कुंडली में बारहवें भाव में का होता है इस आधार से देखें तो जिस भी भाव से शुक्र बारहवें भाव में स्थित होता है उस भाव की वृद्धि करता है ऐसा बहुत ही कुंडलियों का अध्ययन करने के बाद पाया गया है तथा हमने ऐसे बहुत से उदाहरण अपने पिछले पोस्ट में बताने की कोशिश भी की है आज इस पोस्ट में हम अन्य उदाहरण के साथ साथ कुछ नई बातें भी बताने की कोशिश करेंगे|

यदि इस सिद्धांत को देखें तो शुक्र जब पांचवे,सातवें और ग्यारहवें भाव में होगा तो वह अपने अशुभ फल अधिक प्रदान करेगा क्योंकि ऐसे में वह छठे भाव,आठवें भाव तथा 12वे भाव से बारहवा होगा जो हमारे इस सूत्र की गणना के अनुसार जातक विशेष के लिए अत्याधिक अशुभता लिए हुए होगा |

इसी सिद्धांत को एक अन्य दृष्टिकोण से देखने पर हम यह भी कह सकते हैं कि शुक्र यदि छठे आठवें और बारहवें भाव में होगा तो यह सातवें,नवें तथा लग्न भाव की वृद्धि करेगा ऐसा अनुभव तो सटीकता से घटित होता हुआ मालूम होता है |

आइए अब कुछ अन्य उदाहरण भी देखते हैं |

1) स्वामी प्रभुपाद 1/9/1896 15:45 कलकत्ता की मकर लग्न की पत्रिका में देखे तो शुक्र नीच राशि का होकर नवे भाव बुध संग स्थित है तथा दशम भाव में स्थित शनि से 12वीं भाव में है हम सब जानते हैं कि दशम भाव हमारे कार्य क्षेत्र का होता है स्वामी प्रभुपाद की पत्रिका में दसवें भाव में लग्नेश शनि उच्च राशि का होकर स्थित है तथा शुक्र द्वारा कर्मधर्माधिपति योग बनाकर तथा दसवें भाव से 12वे होने पर उसने इनको जबरदस्त सफलता प्रदान की है तथा इन्होंने इस्कॉन नामक संस्था बनाई थी जो पूरे विश्व में श्रीकृष्ण की भक्ति के लिए जानी जाती है |

2) लता मंगेशकर जी की वृषभ लग्न की पत्रिका में देखें तो शुक्र लग्नेश होकर चौथे भाव में स्थित है जो कि पंचम भाव से 12वीं भाव में है तथा पंचम भाव में स्थित सूर्य बुध तथा पंचम भाव के कारकत्वों की वृद्धि कर उन्हें एक विश्व प्रसिद्ध कलाकार बनाया है हम सभी जानते हैं कि लता मंगेशकर विश्व प्रसिद्ध गायिका रही हैं जिनके नाम दुनिया में सबसे अधिक गायन का विश्व रिकॉर्ड रहा है पंचम भाव हम सभी जानते हैं मनोरंजन अथवा फिल्म जगत का होता है जहां उसके बुध ने वाणी भाव का स्वामी बनकर उन्हें जबरदस्त आवाज प्रदान करी तथा चतुर्थेश सूर्य के साथ होने से उन्हें आलीशान संपत्ति का मालिक भी बनाया | इस प्रकार देखें तो शुक्र ने पंचम भाव से द्वादश होने पर पंचम भाव को बहुत ही बली बनाकर महान सफलता प्रदान की है |

3) प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू जी की कर्क लग्न की पत्रिका में देखे तो शुक्र चतुर्थ भाव में है जिसने पंचम भाव से द्वादश होकर पंचम भाव तथा उसमें स्थित सूर्य को बली बनाया है, हम सभी जानते हैं कि उनकी संतान श्रीमती इंदिरा गांधी विश्व प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ एवं हमारे देश की प्रधानमंत्री रही है, सूर्य के धनेश होने से नेहरू जी कितने धनवान थे यह सभी जानते ही हैं |

4) नरसिम्हा राव जी की कन्या लग्न की पत्रिका में देखे तो शुक्र नवमेश होकर अष्टम भाव में स्थित है जिसने नवे भाव से द्वादश होने पर नवे भाव को बहुत बली बनाया है तथा यह भारतवर्ष के प्रधानमंत्री भी बने थे हम सभी जानते हैं जबकि प्रथम दृष्टया शुक्र नवमेश होकर अपने से द्वादश भाव में स्थित है जो भाग्य का व्यय होना ही बता रहा है |

5) अभिनेत्री नरगिस दत्त की वृषभ लग्न की पत्रिका में शुक्र लग्नेश होकर द्वादश भाव में स्थित है जिसने लग्न में स्थित सूर्य बुध और बृहस्पति को बलि बनाया है हम सब जानते हैं की नरगिस दत्त बहुत ही गजब की अभिनेत्री रही है तथा इस शुक्र ने द्वादश भाव में होकर उन्हें गजब की सुंदरता प्रदान करी | जबकि सामान्य तौर पर लग्नेश का द्वादश भाव में होना अच्छा नहीं समझा जाता है |

6) इसी प्रकार विश्व प्रसिद्ध गायिका मैडोना की सिंह लग्न की पत्रिका में भी शुक्र 12वे भाव में लग्नेश सूर्य संग स्थित हैं जिसने लग्न तथा लग्न में स्थित चंद्र बुध को मजबूती प्रदान की है हम सभी जानते हैं कि मैडोना गजब की सुंदरता लिए हुए बेहतरीन आवाज की मालिक रही है तथा पूरी दुनिया उन्हें एक बेहतरीन संगीतज्ञ के रूप में जानती है |

7) अभिनेत्री ऐश्वर्या राय की कन्या लग्न की पत्रिका में शुक्र दूसरे व नवे भाव का स्वामी होकर चतुर्थ भाव में चंद्रमा और राहु के साथ है जिससे उनका पंचम भाव तथा उसमें स्थित बृहस्पति(सप्तमेश)बली हुआ है जिस कारण से उन्हें मनोरंजन जगत में अच्छी कामयाबी मिली तथा ऊंच घराने से संबंधित पति भी मिला|

8) रामकृष्ण डालमिया की मिथुन लग्न की पत्रिका में देखें तो शुक्र बुध एवं सूर्य के साथ दसवें भाव में अपनी उच्च राशि में स्थित है जिसने एकादश भाव में स्थित बृहस्पति और राहु को बलि बनाया है हम सभी जानते हैं कि जगमोहन डालमिया विश्व प्रसिद्ध उद्योगपति रहे हैं |

9) पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन रूजवेल्ट की सिंह लग्न की पत्रिका में शुक्र छठे भाव में सूर्य के साथ स्थित है जिसने सप्तम भाव में स्थित बुध को तथा सप्तम भाव को बलि बनाया है सभी जानते हैं कि उनकी पत्नी एक प्रभावशाली व्यक्तित्व की बहुत ही धनवान एवं ऐश्वर्यावान महिला थी |