बुधवार, 30 अगस्त 2023

आयुर्वेद और शरीर की सफाई

1)लिवर की सफाई के लिए

20 ग्राम काली किशमिस और 1 ग्लास पानी लेकर मिक्सर मे ज्युस बनाकर सुबह खाली पेट 15 दिनों तक सेवन करने से लिवर की सफाई होती है |

2)किडनी की सफाई के लिए

हरा धनिया 40 ग्राम +1 ग्लास पानी मिक्स करके मिक्सर मे पिस करके सुबह खाली पेट लिजिए यह 10 दिनों तक करने से किडनी की सफ़ाई होती है और ऐसा हर माह करने से हमारी किडनी हमेशा स्वस्थ रहती है ।

3)हार्ट की सफाई के लिए

60 ग्राम अलसी को मिक्सर मे पीस लिजिए फिर सुबह शाम खालीपेट 10-10 ग्राम की मात्रा मे सेवन से हमारा हार्ट (हृदय) स्वस्थ रहता है यह उपाय 1 महिने तक करना है ।

4)दिमाग की सफाई के लिए

बादाम 8 और अखरोट 2 नग लेकर रात को 1 ग्लास पानी मे भिगोकर सुबह खाली पेट सेवन करें । यह पूरे 2 महिनों तक करने से दिमाग को पूरी तरह से जहर मुक्त किया जा सकता है ।

5)फेंफडो की सफाई के लिए

2 चम्मच शहद + 1 चम्मच नींबू का रस + 1 चम्मच अदरक का रस सभी चीजो को मिक्स करके सुबह खाली पेट सेवन करने से बिड़ी,सिगरेट,गुटखा या तंबाकु से जो नुकसान हमारे फेंफडो को हुआ है उनमे सुधार होगा और हमारे फेंफडे पुरी तरह से स्वस्थ हो जाते है । यह प्रयोग करीब 20 दिनों तक करना है ।

 

शुक्रवार, 25 अगस्त 2023

ग्रह संबंधी बुरी आदतें

बैठे-बैठे पैर हिलाना

कुछ लोगों को बैठे बैठे पैर हिलाने की आदत होती हैं या जैसे ही व्यक्ति बैठता हैं उसके पैर हिलने लगते है । ऐसे में अनायास ही हम कह उठते है कि पैर हिलाना बंद करो । इस विषय में ज्योतिष शास्त्र कहता हैं कि जो व्यक्ति ऐसा करता हैं उस व्यक्ति की कुंडली में बुध और शनि दोनों ही अशुभ रुप में स्थित होते हैं । इस प्रकार की समस्या के समाधान के रुप में शनि के उपाय करने लाभकारी रहता हैं ।

शरीर को खुजलाने की आदत

कुछ लोग सामान्य से अधिक शरीर में खुजली करते रहते हैं । कभी बालों में कभी शरीर में खुजली करते रहते हैं । इस स्थिति में समझना चाहिए कि जातक का केतु अशुभ प्रभाव में हैं और व्यक्ति को केतु के उपाय करने से लाभ होगा । उपाय न करने की स्थिति में केतु की अशुभता बढ़ती जाती हैं ।

फिजूल की बातें करना

व्यर्थ की बातों को समय देना कुछ लोगों की यह आदत होती हैं कि वे बेवजह दूसरों की बातों में अपनी राय देने लगते हैं । ऐसे में लोग अपने लिए और दूसरों के लिए परेशानियां खड़ी करते हैं । सामाजिक स्तर पर इस वजह से उन्हें अपमानित भी होना पड़ता हैं । दूसरों के लिए परेशानी खड़ी करने की उनकी मंशा नहीं होती परन्तु आदतन वह ऐसा करते हैं । ऐसे लोगों की कुंडली का अध्ययन करने पर यह देखा गया है कि ऐसे व्यक्ति का गुरु अशुभ ग्रहों के प्रभाव में होता है |

स्मरण शक्ति का कमजोर होना

कई बार ऐसा होता हैं कि बहुत सोचने पर भी हमें कोई बात याद नहीं आती है । बार-बार प्रयास करने पर भी किसी का नाम,वस्तु का नाम या ऐसे ही कोई परेशानी बनी रहती हैं । ऐसा लगता हैं कि अभी तो याद था, अब याद नहीं हैं या फिर कुछ शब्दों के उच्चारण में दिक्कतें आती हैं । बोलने में अटकना या तुतलाना भी कुछ इसी तरह की समस्या है । ऐसा बुध ग्रह के अशुभ प्रभाव के कारण होता हैं | इस तरह की किसी भी दिक्कते से गुजर रहे व्यक्तियों को अपनी कुंडली किसी योग्य ज्योतिषी से दिखानी चाहिए ।

पाचन और गैस की समस्या से पीड़ित

यह देखने में आता है कि कुछ लोगों को कोई ना कोई पेट से जुड़ी परेशानी लगी रहती है भोजन का ना पचना,गैस,एसिडिटी और लीवर से संबंधित कष्ट सिर उठाते ही रहते हैं जो भी व्यक्ति कुछ इसी तरह की दिक्कतों का सामना कर रहा है उस व्यक्ति को अपनी कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति अवश्य दिखा लेनी चाहिए इन समस्याओं का इलाज किसी चिकित्सक से कराने के साथ-साथ गुरु ग्रह के उपाय भी करने चाहिए ज्योतिषीय उपाय करने से गुरु ग्रह को बल प्राप्त होता है |

जल्दी भूख लगना

कुछ व्यक्तियों को बार बार भूख लगती है ऐसे व्यक्ति के कुंडलियों का अध्ययन यह कहता है कि व्यक्ति का शनि एवं बुध दोनों खराब है शनि की दृष्टि बुध पर होने पर भी व्यक्ति को जल्द भूख लगती है |

दांपत्य जीवन में सुख की कमी

परिवारिक जीवन में किसी भी प्रकार की समस्या बार-बार आना आज के आधुनिक समय में प्रमुख समस्या बन गई है ऐसे दंपतियों की कुंडली में गुरु और शुक्र दोनों पीड़ित होते हैं इन दोनों ग्रहों के उपाय करने से स्थिति तनाव से बाहर आती है गुरु ग्रह को प्रसन्न करने के लिए गुरु यंत्र मंत्र दान करने चाहिए |

कंधे झुका कर रहना या हर समय हिलते रहना 

देखा गया है कि कुछ लोग कंधे झुका कर रखना और व्यर्थ में हिलते रहने वाले होते हैं ऐसे व्यक्ति स्वभाव से शंकालु होते हैं जल्द प्रसन्न नहीं होते इस तरह के लोग एक स्थान पर टिक कर काम करना पसंद नहीं करते उनकी स्मरण शक्ति कमजोर होती है लेकिन इनको पसीना बहुत आता है | ऐसी समस्याओं से घिरे व्यक्तियों का गुरु और बुध दोनों खराब होते हैं |

जन्म कुंडली में यदि लग्न का स्वामी कमजोर हो तो व्यक्ति सदा बीमारी और विपत्ति का शिकार रहता है ऐसी स्थिति में लग्न संबंधित रत्न व्रत पूजा पाठ करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है यदि कोई ग्रह बलवान होकर रोग दे रहा हो तो उसका रत्न कभी भी धारण नहीं करना चाहिए

गुरुवार, 24 अगस्त 2023

लाल किताब अनुसार ऋण के ग्रह व उपाय



कभी कभी ऐसा देखने में आता है कि कुण्डली में ग्रह ठीक पड़े है यदि एक आध कोई नीच हुआ तो उसका उपाय कर दिया गया फिर भी जातक के जीवन के हालात ठीक नहीं होते । इसके पीछे मुख्य कारण कई हो सकते हैं परंतु एक प्रमुख कारण ऋण का ग्रह” होना अवश्य होता हैं |

क्या होता ये ऋण का ग्रह

जन्म कुण्डली में जब ग्रहों के पक्के घरों में उन ग्रहों के शत्रु ग्रह आकर बैठ जायें तो वे ग्रह ऋण के ग्रह बन जाते हैं । इससे देखने मे आता हैं की जब तक उन ग्रह के उपाय नहीं किए जाते जब तक जातक विशेष की परेशानी बनी रहती हैं व्यवहारिक जीवन में भी देखने में आता है कि जब हमने किसी का कोई ऋण चुकाना होता है जब तक वह चुकता नहीं हो जाता तब तक वह व्यक्ति जातक का पीछा करता ही रहता है ।

ग्रहों की भी बिलकुल ऐसी ही स्थिति है, जब तक इन का ऋण न चुकाया जाये तब तक जातक को जीवन में कोई विशेष सफलता नही मिलती उसके जीवन में उदासीनता बनी रहती है।

उपाय

ऋण के ग्रहों का उपाय करने के लिए अपने खून के सभी सम्बधियों माता, पिता, भाई, बहन, पत्नी, भरजाई, बुआ, दादा, परदादा, दादी, भतीजा, भतीजी, भांजा, भानजी से बराबर का धन लेकर उस धन से ऋण उतारने का उपाय करें । यदि किसी से नहीं लेना तो उसका भाग जातक स्वयं डाल दे परंतु अपने भाग से 10 गुणा अधिक ।

सूर्य का ऋण -

हम जानते हैं की कुंडली मे सूर्य का पक्का घर भाव 5 है जब भाव 5 में सूर्य के शत्रु राहु, शुक्र या शनि आ जाये तब सूर्य ऋण का ग्रह बन जाता है । जिससे जातक को दिल की बीमारी हो जाती हैं ये इसकी पहचान है ।

उपाय

एकत्रित धन से जातक की 22 वर्ष आयु से पहले घर पर सूर्य यज्ञ करे और मकान की छत्त में रोशन दान ना  खोलें ।

चन्द्र का ऋण

कुंडली मे चन्द्र का पक्का घर 4 है, यदि भाव 4 में चन्द्र का शत्रु ग्रह केतु बैठा हो तो चन्द्र ऋण का ग्रह बन जाता है । इस की पहचान पूजा स्थान के समीप से गंदा पानी बहना तथा जातक विशेष मे शक्ति हीनता का होना है |

उपाय

एकत्रित धन से चान्दी खरीद कर सोमवार के दिन तेज चलते पानी में बहावें ।

मंगल का ऋण

भाव 1 या 8 मंगल के घर हैं उनमें यदि मंगल के शत्रु ग्रह बुध या केतु बैठे हो तो मंगल ऋण ग्रह बन जाता है । इस की पहचान रिश्तेदारों से मिलने से घृणा, उत्सव के अवसर पर भी अलग बैठे रहना, उन्नति के बाद सब कुछ नष्ट हो जाना होता हैं

उपाय

एकत्रित धन से दवा खरीद कर अपने नगर या गांव के बाहर के डाक्टर को देकर आये |

बुध का ऋण

बुध के पक्के घर 3 या 6 में बुध का शत्रु चन्द्र बैठा हो तो बुध ऋण ग्रह बन गया है । इसकी पहचान के रूप मे व्यापार ना चलना तथा बहन बुआ बेटी को तकलीफ़े रहना होता हैं |

उपाय

एकत्रित धन से 101 कन्याओं को हलवा पूरी देकर दक्षिणा देवें और कौड़िया (पीली) खरीदकर उसकी राख बनाकर समुद्र में बहा दें ।

बृहस्पति का ऋण

बृहस्पति के पक्के घर हैं 2, 5, 9, 12 में बृहस्पति के शत्रु ग्रह शुक्र, बुध, राहु बैठे हो तो बृहस्पति ऋण का ग्रह बन जाता है । इसकी पहचान के रूप मे संतान संबंधी परेशानियाँ लगी रहती हैं |

उपाय

एकत्रित धन से ताम्बे के पात्र में दाल-चना, सोना व केसर आदि वीरवार के दिन धर्म स्थान में दान देवें |

शुक्र का ऋण

शुक्र के पक्के घर हैं 2 या 7 यदि इनमें शुक्र के शत्रु ग्रह सूर्य, राहु या केतु बैठे हो तो शुक्र ऋण का ग्रह बन जाता है । स्त्री संबंधी प्रसन्नता के साथ अप्रसन्नता बनी रहना इस की पहचान होती है ।

उपाय

एकत्रित धन से 100 गायों (जो अंगहीन न हो) को चारा डालें या रोटी खिलायें ।

शनि का ऋण

शनि के पक्के घर भाव 10 या 11 है यदि इन घरों में शनि का शत्रु ग्रह सूर्य या चन्द्र बैठा हो तो शनि ऋण का ग्रह बन जाता है । इस की पहचान मकान का द्वार दक्षिण दिशा में होना, हर बात का सिरे चढ कर टूट जाना है ।

उपाय

एकत्रित धन से उड़द की पकौड़िया तेल में तल कर सौ मछियों को खिलायें/100 मजदूरों को खाना खिलायें ।

राहू का ऋण  

राहु का पक्का घर भाव 12 में राह के शत्रु ग्रह शुक्र, मंगल या सूर्य स्थित हो तो राहु ऋण का ग्रह बन जाता है । इस की पहचान सोचा हुआ कार्य न होना, दहलीज के नीचे से गन्दा पानी बहना तथा धन-हानि होना होता है ।

उपाय

कत्रित धन से सबके हिस्से का एक एक नारियल लेकर एक ही देन तेज चलते पानी में बहावें ।

केतु का ऋण

केतु का पक्का घर भाव 6 है यदि भाव 6 में केतु के शत्रु चंद्र या मगंल स्थित हो तो केतु ऋण का ग्रह हो जाता है । इस की पहचान पेशाब या केतू संबंधी रोग जैसा की बहरापन होना होता हैं |

उपाय

तब एकत्रित धन से 100 कुत्तों को रोटी डाले या 100 चूहों को या गधों को बेसन के लडडु खिलायें ।

विशेष :- ऋण उतारने के साथ साथ जातक उन ग्रहों का उपाय भी अवश्य करे जो उस घर में लिखे गये हैं । ऋण का ग्रह केवल जन्म कुण्डली के आधार पर ही बनता है वर्ष फल के अनुसार नहीं ।

 

 

सोमवार, 14 अगस्त 2023

रक्षा बंधन का त्योहार 2023


इस वर्ष रक्षा बंधन का त्योहार 30 अगस्त 2023 दिन सोमवार को श्रावण पूर्णिमा पर मनाया जायेगा !

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि हिन्दू महीनो का नामकरण नक्षत्रो के नाम के आधार पर किया गया है ! किसी माह की पूर्णिमा तिथि जिस नक्षत्र में पड़ती है उसी को इसके लिए मापदण्ड माना गया है कभी कभार यह नक्षत्र थोड़ा आगे पीछे भी खिसक जाते हैं ! इस प्रकार श्रावण मास का नामकरण श्रवण नक्षत्र के अनुसार रखा गया है ! यह नक्षत्र मकर राशि में पड़ता है अर्थात हर वर्ष श्रावण पूर्णिमा श्रवण नक्षत्र मकर राशि में ही पड़ती है !

अब हम स्पष्ट करना चाहेंगे कि पूर्णिमा तिथि पर हर मास भद्रा पड़ती है परन्तु श्रावण मास श्रवण नक्षत्र मकर राशि में चन्द्रमा के स्थित होने पर पड़ता है लेकिन इस वर्ष मलमास के कारण श्रावण माह की पूर्णिमा कुम्भ राशि में शतभिषा नक्षत्र में पड़ रही है ! अतः भद्रा पृथ्वी लोक व्यापिनी होगी फिर भी यदि यह भद्रा वर्जित न रहती तब यह श्लोक विशेष बल देकर श्रावणी व फाल्गुनी, भद्रा में वर्जित क्यों कही जाती ? अर्थात शास्त्रकारों को यह भली भाँति ज्ञात था कि श्रावणी मकर राशि में चन्द्रमा के श्रवण नक्षत्र में रहते ही पड़ती है ! क्योंकि महीनो का नामकरण ही नक्षत्रों के नाम पर ही किया गया है ! जैसे चित्रा से चैत्र, विशाखा से बैशाख, ज्येष्ठा से जेठ, उसी तरह से श्रवण से श्रावण मास का नामकरण हुआ है अर्थात उस माह की पूर्णिमा जिस नक्षत्र में पड़ती है वही नाम उस मास का होता है ! मलमास के कारण यह आगे पीछे भी हो जाता है !

रक्षा बंधन का पवित्र पर्व भद्रा रहित काल अर्थात जब भद्रा ना हो में ही मनाना चाहिए ऐसा शास्त्रो मे कहा गया  है – 

"भद्रायां द्वे न कर्त्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी वा

श्रावणी नृपं हन्ति ग्रामो दहति फाल्गुनी !!"

इस श्लोक से स्पष्ट होता है कि अन्य कार्य भले ही वर्जित न हों परन्तु दो कार्य श्रावणी व फाल्गुनी किसी भी दशा में भद्रा में आयोजित करना या मनाना वर्जित ही रहेगा ! फिर भी यदि इसका उलंघन कर कोई राखी बाँधता है, या श्रावणी मनाता है, तब ऐसा करने पर राजा के समान भाई या जिसे राखी बाँधी जायेगी या श्रावणी मनाने वाले की मृत्यु या मृत्यु सदृश्य प्राणघातक घटना घटित हो सकती है, और फाल्गुनी (होलिका दहन) करने पर पूरे ग्राम या नगरवासी को आग से क्षति होने का खतरा हो सकता है !

अतः इस वर्ष सनातन हिन्दू शास्त्र के अनुसार यह त्यौहार 30/31 अगस्त 2023 को भद्रा रहित काल में ही मनाया जाना उचित होगा क्योकि यदि सावधानी बरती जाय तो शुभ मुहूर्त का पर्याप्त समय उपलब्ध है ! अतः भद्राकाल व राहुकाल का विचार करते हुए ही रक्षाबंधन का कार्यक्रम करना शास्त्र सम्मत होगा !

संस्कृत ग्रन्थ पीयूष धारा में कहा गया है :

स्वर्गे भद्रा शुभं कुर्यात पाताले च धनागम 

मृत्युलोक स्थिता भद्रा सर्व कार्य विनाशनी !!

मुहूर्त मार्तण्ड में भी कहा गया है :

स्थिताभूर्लोख़्या भद्रा सदात्याज्या भवेति  

स्वर्गपातालगा  भद्रा  सर्वथा  शुभं भवेति !!

रक्षाबंधन का मुहूर्त कब हैं - 

इस वर्ष 2023 मे राखी बांधने का शुभ मुहूर्त भद्रा के कारण 30 अगस्त को सुबह 10:58 बजे प्रातः से रात्री 21:01 बजे रात तक नहीं रहेगा  ! इसके बाद से 30 अगस्त की रात्री 21:01 मिनट से 31 अगस्त प्रातः 07:05 बजे तक राखी बाँधी जा सकेगी !

चूँकि यह भद्रा कुम्भ राशि में चन्द्रमा के स्थित होने के कारण पृथ्वी लोक में रहेगी जो हर प्रकार से हानि करने वाली अशुभ भद्रा मानी जाती है अतः भद्राकाल के समाप्त होने पर ही बहनो या पुरोहितों को राखी बाँधनी चाहिए ! अतः भद्राकाल के अशुभ काल को छोड़कर शेष समय में बहनो को अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधकर रक्षा बंन्धन का पर्व मनाना चाहिए !

रक्षाबंधन कितने बजे मनाई जाएगी - इसके लिए पूर्णिमा को देखा जाता हैं |  

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ व समाप्ती

30 अगस्त 2023 दिन सोमवार को 10 बजकर 58 मिनट से पूर्णिमा प्रारम्भ होगी तथा 31 अगस्त 2023 दिन मंगलवार को 07 बजकर 5 मिनट पर श्रावण शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि समाप्त होगी |

2023 को राखी का समय क्या हैं 

इस प्रकार इस वर्ष रक्षाबंधन के पर्व पर दिनांक 30.08.2023 को रात्री 21.01 बजे से दिनांक 31.08.2023 को 07.05 बजे तक बहने अपने भाइयों की कलाई पर राखी बाँध सकती हैं !

हम सभी जानते हैं की इस पर्व के दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है और भाई उन्हे उपहार देते हैं !

रक्षाबंधन पूजा विधि

रक्षा बंधन के दिन सुबह स्नान करने के पश्चात पूजा की थाल सजाएं, थाल में राखी के साथ रोली, चंदन, अक्षत, मिष्ठान और पुष्प रखें, घी का दीपक जलाएं, पूजा स्थान पर इस थाल को रखकर सभी देवी देवताओं का स्मरण करते हुए पूजा करें धूप जलाएं, भगवान का आर्शीवाद प्राप्त करें इसके बाद अपने भाई की कलाई पर राखी बांधे  !

राखी बांधते समय बहनों को यह रक्षा सूत्र मंत्र पढ़ना चाहिए, ऐसा करना शुभ माना गया है इस रक्षा सूत्र का वर्णन महाभारत में भी आता है !

रक्षा सूत्र मंत्र :

"ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:!

तेन त्वामपि बध्नामि रक्षति मा चल माचलः !!

ग्रहण के सूतक में राखी बांधना चाहिए या नहीं इसके सम्बन्ध में "निर्णय सिंधु" के परिच्छेद 2 पेज नम्बर 180 में साफ लिखा हुआ है कि

"इदं रक्षाबंधनं नियतकालत्वात भद्रावर्ज्य ग्रहणदिनेपि कार्यं होलिकावत् |

ग्रहणसंक्रांत्यादौ रक्षानिषेधाभावात् !!

"निर्णय सिंधु के पेज सं० 180 पंक्ति नं 11 को पढ़े जिसमे लिखा हुआ है कि रक्षाबंधन नियत काल मे होने की वजह से भद्राकाल को छोड़ कर ग्रहण के दिन भी होलिका पर्व के समान ही पर्व मनाना चाहिए |

आगे पढ़ें उसमें लिखा हुआ है कि ग्रहण का सूतक अनियतकाल के कर्मो में लगता है जबकि राखी श्रावण पूर्णिमा को ही मनाया जाता है ! रक्षा बंधन को ना पहले दिन ना दूसरे दिन मनाया जा सकता है,पूर्णिमा के दिन ही मनाया जाता है ! इसलिए नियत कर्म होने के कारण इस पर ग्रहण का दोष प्रभावी नहीं होता है परन्तु भद्रा काल में मनाना वर्जित है |

रविवार, 6 अगस्त 2023

द्वादशांश द्वारा अनिष्ट निर्धारण का सटीक समय

 


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द्वादशांश द्वारा अनिष्ट निर्धारण का सटीक समय  

जन्म कुंडली का अष्टम भाव स्वामी अर्थात अष्टमेश देखें |

इस अष्टमेश को द्वादशांश कुंडली में देखें |

जब भी द्वादशांश कुंडली मे इस अष्टमेश को गोचर मे राहु प्रभावित करेगा अर्थात इस अष्टमेश से राहू 1,3,7,10 भाव पर गोचर करेगा तब जातक विशेष को भयंकर कष्ट मिलेगा अथवा उसकी मृत्यु हो जाएगी |

1)अमिताभ बच्चन की पत्रिका में अष्टमेश बुध द्वादशांश में मिथुन राशि में है 26/7/1982 को दुर्घटना वाले दिन गोचर में राहु मिथुन राशि में ही था |

2)राजीव गांधी जी 20/8/1944 8:11 मुंबई सिंह लग्न की पत्रिका में अष्टमेश गुरु द्वादशांश में धनु राशि का है मृत्यु के दिन 21 मई 1991 को राहु धनु राशि में ही था |

3)22/11/1975 1:10 बरेली में जन्मी इस जातिका की पत्रिका में कुंडली का अष्टमेष गुरु द्वादशांश में वृश्चिक राशि में है इन्हें 27/8/2012 को हार्ट अटैक आया उस समय राहु वृश्चिक राशि में ही गोचर कर रहा था |

4)बीवी रमन जी की पत्रिका में अष्टमेश बुध द्वादशांश में मकर राशि में हैं,मृत्यु के दिन 20/12/1998 को राहु कर्क राशि में ही गोचर कर रहा था |

5)गांधी जी की पत्रिका में अष्टमेश शुक्र द्वादशांश में कर्क राशि में है मृत्यु के समय राहु उससे दसवें भाव अर्थात मेष राशि में था |

6)संजय गांधी जी का अष्टमेष सूर्य द्वादशांश में तुला राशि में है मृत्यु के समय राहु इससे दसवें अर्थात कर्क राशि में था |

7)चंद्रशेखर जी का अष्टमेश मंगल द्वादशांश में सिंह राशि में है मृत्यु के समय राहु इससे सप्तम भाव अर्थात कुंभ राशि में था |

यदि कुंडली का अष्टमेष शनि हो तब द्वादशांश में शनि जहां हो वहां से राहु का गोचर तीसरे,7वे या 10वे होगा तब कष्ट मिलेंगे |

आइए अब कुछ उदाहरण देखते हैं |

1)इंदिरा गांधी जी की पत्रिका में कुंडली का अष्टमेश शनि है जो दवादशांश में ग्यारहवें भाव में मीन राशि में है मृत्यु के दिन 31-10-1984 को राहू वहां से तीसरे भाव वृषभ राशि में था |

2)मुरारजी देसाई की पत्रिका में भी कुंडली का अष्टमेष शनि द्वादशांश में सिंह राशि का है मृत्यु समय राहु तुला राशि में था |

3)स्टीव जॉब्स 24/2/1955 16:15 सेन फ्रांसिस्को कर्क लग्न की पत्रिका में जन्मकुंडली का अष्टमेश शनि द्वादशांश में कन्या राशि में है मृत्यु के दिन 5/10/2011 को राहु वृश्चिक राशि में गोचर कर रहा था |

4)नेहरू जी का अष्टमेष शनि द्वादशांश मे धनु राशि में है मृत्यु समय राहू उससे सातवें भाव में था |

5)सद्दाम हुसैन का अष्टमेश शनि द्वादशांश मे वृषभ राशि में है मृत्यु के समय राहु उससे दसवें भाव में था |

6)डायना की पत्रिका में अष्टमेष द्वादशांश में कुंभ राशि में है मृत्यु के समय राहु इससे सप्तम भाव सिंह राशि में था |