बुधवार, 30 जनवरी 2013

ग्रह एवं आहार



ग्रह एवं आहार

फलित ज्योतिष मे ग्रहो कि प्रतिकूलता से बचने के लिए बहुत से उपाय बताए गए हैं जिनमे मंत्र जाप,दान,ग्रह शांति से लेकर रत्न धारण करने संबंधी उपाय प्रमुखता से बताए जाते हैं ग्रहो की प्रकृति के अनुरूप भोजन (आहार ) करना भी एक प्रकार का उपाय ही हैं जिसके प्रभाव से अशुभ ग्रह अपने अशुभ प्रभाव को छोड़कर शुभ प्रभाव देने लगते हैं| प्रस्तुत लेख मे यहाँ हम आहार द्वारा अथवा खानपान द्वारा सभी नौ ग्रहो के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने का उपाय बता रहे हैं |

सूर्य ग्रह हमारे शरीर मे आरोग्यता,आत्मा,आत्मविश्वास,आँखें व हड्डियों का कारक होता हैं | कुंडली मे सूर्य प्रथम,नवम व दशम भाव का कारक माना जाता हैं सूर्य गुलाबी व सुनहरा रंग लिए हुये अग्नि के रूप मे कटु रस लिए हुये हैं | जिसकी शुभता के लिए गेहूं,दलिया,आम,गुड,केसर,तेजपत्ता,खुमानी,खजूर,छुहारा,किशमिश तथा घी आदि का सेवन करना चाहिए |

चन्द्र ग्रह सफ़ेद रंग का ये गृह हमारे शरीर मे हमारे मन व जल का प्रतिनिधित्व करता हैं |कुंडली मे चतुर्थ भाव का कारक होता हैं इसकी अनुकूलता के लिए सभी प्रकार के दूध व दूग्ध पदार्थ,चावल,सफ़ेद तिल,अखरोट,मिश्री आइसक्रीम,दही,मिठाईया आदि का प्रयोग अधिक से अधिक करना चाहिए|

मंगल लाल रंग का यह ग्रह अग्नि तत्व तथा तीखे व चटपटे रस का स्वामी हैं जो शरीर मे ऊर्जा,रक्त,पराक्रम एवं उत्साह प्रदान करता है इसे कुंडली के तीसरे व छठे भाव का कारक माना गया हैं  इसकी अनुकूलता के लिए मसूर की दाल,अनार,गाजर,चौलाई,चुकंदर,टमाटर  चाय,गुड,अनार,कॉफी,लाल सरसो आदि का प्रयोग करना चाहिए |

बुध  हरे रंग का यह ग्रह पृथ्वी तत्व व मिश्रित रस प्रधान हैं यह हमारी बुद्धि का प्रतीक होने से हमे बुद्धिमत्ता प्रदान करता हैं कुंडली मे इसे चतुर्थ व दशम  भाव का कारक माना गया हैं |इसकी अनुकूलता के लिए इलायची,हरी मूंग की दाल,बथुआ,लौकी,हरा पेठा,मेथी,मटर,मोठ,अमरूद,हरी सब्जिया आदि का सेवन करना चाहिए|

गुरु पीले रंग का यह ग्रह आकाश तत्व व मीठे रस का कारक हैं जो  हमारे शरीर मे गुर्दो व लीवर का प्रतिनिधित्व करता हैं कुंडली मे इसे दूसरे,पांचवे,नवे,तथा एकादश भाव भाव का कारक माना जाता हैं |इस ग्रह की अनुकूलता के लिए पपीता,मेथी दाना,शकरकंद,अदरक,चना,चने की दाल,सीताफल,संतरा,बेसन,मक्का,हल्दी,केला,सेंधा नमक तथा पीले फलो का सेवन करना चाहिए |

शुक्र सफ़ेद रंग का यह ग्रह जल तत्व खट्टा रस तथा सुगंधप्रिय होने से हमारे शरीर मे काम जीवन का नियंत्रण करता हैं यह कुंडली मे सप्तम भाव का कारक माना गया हैं इसकी अनुकूलता के लिए खीर,त्रिफला,कमलगट्टे,मुली,मखाने दालचीनी,भीगे बादाम,सफ़ेद मिर्च,सिंघाड़ा  अचार व खट्टे फल का सेवन करना चाहिए |

शनि काले व नीले रंग का यह ग्रह वायु तत्व व कसैले रस का अधिपति हैं जो हमारे शरीर मे कमर,पैर व स्नायु मण्डल का प्रतिनिधित्व करता हैं कुंडली मे इसे छठे,आठवे व बारहवे भाव का कारक माना जाता हैं|इसकी अनुकूलता के लिए काली उड़द,कुलथी,सरसों या तिल का तेल,काली मिर्च,जामुन,मंडवे का आटा,काले अंगूर,मुनक्का,गुलकंद,अलसी,लौंग,काले नमक आदि का सेवन करना चाहिए |

राहू की अनुकूलता के लिए शनि ग्रह की तथा केतु की अनुकूलता के लिए मंगल ग्रह की वस्तुओ का ही खानपान करना चाहिए |

शुक्रवार, 25 जनवरी 2013

आयु प्रदाता शनि



आयु प्रदाता शनि

सौरमंडल मे स्थित ग्रहो मे सबसे ज़्यादा विवादित ग्रह शनि माने जाते हैं | सर्वाधिक अशुभ प्रभाव के लिए ज़्यादातर इसी शनि ग्रह को ही जिम्मेदार माना जाता हैं | शास्त्र जहां एक तरफ इस ग्रह को स्थान की वृद्धि करने वाला मानते हैं वही इसकी दृस्टी को महा विनाशकरी बताते हैं | आज 25 दिसंबर को जब सारा देश पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपई जी का जन्म दिवस माना रहा हैं उनकी कुंडली देखने पर यह लेख लिखने की प्रेरणा मिली की क्या शनि ग्रह किसी व्यक्ति विशेष की आयु भी बढा सकता हैं हमने लगभग 250 कुंडलिओ का अध्ययन कर यह निष्कर्श प्राप्त किया की शनि जब भी किसी की कुंडली मे लग्न या लग्नेश से किसी भी प्रकार से संबंध बनाता हैं तो उस व्यक्ति की आयु को बड़ा देता हैं यदि प्रचलित मान्यता के अनुसार देखे तो शनि जब आयु स्थान (अष्टम भाव) मे हो तभी आयु को बढ़ना चाहिए जबकि ऐसा हमने कुछ ही पत्रिकाओ मे पाया चूंकि शनि जिस स्थान मे स्थित होते हैं उसकी वृद्धि करते हैं इसलिए इनको स्थान वृद्धि करने वाला कहाँ जाता हैं जिसके अनुसार देखे तो शनि यदि लग्न मे होंगे तो शरीर की वृद्धि करेंगे ना की आयु की इसी प्रकार जब शनि एकादश भाव मे होंगे तो लाभ की,बड़े भाइयो आदि की वृद्धि करेंगे | हमने यह भी पाया की शनि जब लग्न,चतुर्थ,सप्तम व एकादश भाव मे स्थित होता हैं (जिससे उसकी दृस्टी लग्न पर पड़ती हैं ) या लग्नेश संग होता हैं,लग्नेश को दृस्टी दे रहा होता हैं तब ही व्यक्ति की आयु बढती हैं अन्य किसी भी अवस्था मे नहीं,कुछ एक कुंडलिओ मे यह भी पाया की शनि का अप्रत्यक्ष प्रभाव जब लग्न या लग्नेश पर रहा तब भी व्यक्ति की आयु अधिक रही हैं (मोरारजी देसाई,महात्मा गांधी,नरसिंहा राव)

ज्योतिष के पराशरीय नियमो के अनुसार सभी मानवो की आयु को विशोन्तरी दशा से 120 वर्ष माना गया हैं जो की अब प्रशांगिक प्रतीत नहीं होती हैं इसलिए हमने 90 वर्ष की आयु को अपने अध्ययन का आधार बनाकर कुंडलिओ का अध्ययन किया और पाया की सभी ने लगभग 70 वर्ष या उससे अधिक ही आयु पायी जो की 90 का 80% के करीब हुआ यह भी संभव हैं की इन सबकी पत्रिकाओ मे आयु वृद्धि के अन्य योग भी उपस्थित हो परंतु उनमे यह शनि संबन्धित योग तो साधारणतया व समान्यत;पाया ही गया हैं |

आइए अब कुछ पत्रिकाओ मे इस योग को देखते हैं |

1)सबसे पहले हमने हमारे भगवान श्री-राम व कृष्ण की पत्रिकाओ मे शनि की लग्न पर दृस्टी पायी और यह सभी जानते व मानते हैं की इन दोनों भगवानों की आयु कितनी थी परंतु यह दोनों पत्रिकाए कितनी सही हैं यह एक विवादास्पद विषय रहा हैं इसलिए हम अब इस युग व जमाने की कुंडलिओ के उदाहरण देखते हैं |

2)पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपई(25-12-1924 तुला लग्न),पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम(15-10-1931 धनु लग्न),काँग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी(9-12-1946 कर्क लग्न),बापू जगजीवन राम(5-4-1908 मीन लग्न),पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी(19-11-1917 कर्क लग्न),पूर्व अभिनेता अशोक कुमार(13-10-1911 मेष लग्न),गीतकार नीरज(4-1-1924 तुला लग्न),पूर्वचुनाव आयुक्त टी एन शेषन(15-12-1932 मकर लग्न),मो॰ अली जिन्नाह(25-12-1876 कुम्भ लग्न),पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश(6-7-1946 कर्क लग्न) इन सबके लग्न मे विभिन्न राशियो के शनि स्थित हैं और यह सब ही अपनी आयु के 70 वर्ष के आस पास हैं या उससे अधिक गुज़ार चुके हैं |

3) महानायक अमिताभ बच्चन(11-10-1942 कुम्भ लग्न),राज गोपालाचारी(10-12-1878 धनु लग्न),पूर्वमंत्री श्री बंसीलाल(26-8-1927 सिंह लग्न),मदर टेरेसा(27-8-1910 मकर लग्न),पूर्वराष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद(3-12-1884 धनु लग्न),पूर्व मंत्री श्री अर्जुन सिंह(5-11-1930 मिथुन लग्न),पूर्व राष्ट्रपति राधा-कृष्णन(5-9-1888 कन्या लग्न),पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन(19-8-1946 कन्या लग्न),उधोगपति रामनाथ गोयनका (3-4-1904 तुला लग्न),पूर्व अभिनेत्री आशा पारेख(2-10-1942 वृश्चिक लग्न),ब्रिटिश महारानी एलीज़ाबेथ(द्वितीय)(21-4-1926 मकर लग्न),उद्योगपति हेनरी फोर्ड(28-7-1863 वृश्चिक लग्न),सांसद करुणानिधि(3-6-1924 कर्क लग्न),मुसोलिनी(29-7-1883 वृश्चिक लग्न),विंस्टीन चर्चिल(30-11-1874 तुला लग्न),रानी विक्टोरिया(24-5-1819 वृष लग्न),पूर्व सांसद मारग्रेट अल्वा(14-4-1942 कुम्भ लग्न),उद्योगपति राहुल बजाज(10-6-1938 वृष लग्न),पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन(5-9-1888 कन्या लग्न)इन सबकी पत्रिकाओ मे शनि चतुर्थ,सप्तम या एकादश भाव से लग्न को देख रहा हैं ओर इन सबकी आयु भी काफी कही जा सकती हैं |

4) गायिका लता मंगेशकर(28-9-1931 वृष लग्न),आध्यात्मिक गुरु माँ आनंदमई (1-5-1896 मीन लग्न),पूर्वप्रधानमंत्री श्री चन्द्रशेखर(17-4-1927 मेष लग्न),पूर्वराष्ट्रपति श्री गुलज़ारी लाल नन्दा(4-7-1898 मेष लग्न),राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी व पी चिदम्बरम(16-9-1945 वृश्चिक लग्न)आदि की पत्रिकाओ मे शनि आयु स्थान(अष्टम भाव) मे ही हैं जो शनि के स्थान वृद्धि वाले सिद्धांत को बल प्रदान कर इन सबको अधिक आयु प्रदान कर रहा हैं |

5)पूर्व अभिनेता देवानन्द(26-9-1923 तुला लग्न),पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह(23-12-1902 धनु लग्न),नृत्यांगना रुक्मिणी अरुंडेल(29-2-1904 वृष लग्न),विख्यात इंजीनियर विश्वेशरिया(15-9-1861 धनु लग्न),श्री हरिवंश राय बच्चन(27-11-1907 तुला लग्न),व्यंगकार काका हाथरसी(18-9-1906 मिथुन लग्न),पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत(23-10-1923 वृष लग्न),गायिका आशा भोसले(8-9-1933 मेष लग्न),स्वतन्त्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक(23-7-1856 कर्क लग्न),वैज्ञानिक आइन्सटाइन(14-3-1879 मिथुन लग्न),पूर्वसांसद विजयलक्ष्मी पंडित(18-8-1900 वृश्चिक लग्न),अभिनेता व पूर्व मुख्यमंत्री एन टी रामाराव(28-5-1923 मेष लग्न),पूर्व राष्ट्रपति श्री ज़ाकिर हुसैन(8-2-1897 मिथुन लग्न),उद्योगपति रामकृष्ण डालमिया(7-4-1893 वृष लग्न),पूर्व हौकी खिलाड़ी ध्यान चंद(29-8-1905 मिथुन लग्न),बल्लभ भाई पटेल (31-10-1875 मेष लग्न),अभिनेता व निर्देशक मनोज कुमार(24-7-1937 धनु लग्न),इन सबका लग्नेश शनि के साथ हैं या लग्नेश को देख रहा हैं और इनकी भी आयु काफी रही हैं |

निष्कर्ष वस्तुत; इस प्रकार कहाँ जा सकता हैं की शनि ग्रह का लग्न,लग्नेश व अष्टम भाव से संबंध जातक विशेष को आयु प्रदान करने मे सहायक होता हैं और यह जातक साधारणतया 70 वर्षया उससे अधिक की आयु प्राप्त करते हैं |

रविवार, 20 जनवरी 2013

2013 मे राशि अनुसार लाल किताब के उपाय



2013 मे राशि अनुसार लाल किताब के उपाय –

 मेष राशि-

1) बाएँ हाथ मे चांदी का बेजोड़ छल्ला पहने |
2) रात को सिरहाने पानी रखकर सवेरे किसी पौधे मे डाल दे |

 वृष राशि-

1) इत्र या परफ्यूम रोजाना प्रयोग करे |
2) मूंग साबुत (दाल) मंदिर मे दान करे |

 मिथुन राशि-

1) फिटकरी के पानी से रोजाना कुल्ला किया करे |
2) हरे रंग की काँच की बोतल मे गंगाजल भरकर खेती की ज़मीन मे दबाये |

 कर्क राशि-

1) पलंग पर तांबे की कील लगाए |
2) चांदी के गिलास मे दूध/पानी पिये |

 सिंह राशि-

1) तांबे का सिक्का खाकी धागे मे गले पर पहने |
2) 10 अन्धो को भोजन कराये |

 कन्या राशि-

1) मिट्टी का घड़ा ढक्कन समेत बहाये |
2) बेटी को नाक मे चांदी धारण कराये |

 तुला राशि-

1)घी,आलू,मक्खन मंदिर मे दान करे |
2) मकान की नींव मे चाँदी मे शहद दबाये |

 वृश्चिक राशि-

1) मिट्टी के बर्तन मे शहद व सिंदूर अलग अलग भरकर रखे |
2) तंदूर मे लगी मीठी रोटी दान करे |

 धनु राशि-

1)गंगाजल का सेवन नित्य करे |
2) हरिवंश पुराण का पाठ करे |

 मकर राशि-

1) बंदरो को गुड चना व केले खिलाये |
2) कुएं मे दूध डाले |

 कुम्भ राशि-

1) भैरव मंदिर मे शराब चढ़ाये |
2) चाँदी का चकोर टुकड़ा गले मे डाले |

 मीन राशि-

1) बनियान मे लाल रंग के धागे से स्वास्तिक बनाकर पहने |
2) मंदिर का प्रसाद ना खाये |

सोमवार, 14 जनवरी 2013

लाल किताब व पीड़ित भाव


लाल किताब व  पीड़ित भाव
आपकी जन्मपत्रिका मे स्थित 12 भाव आपके भावी जीवन मे संबंधो,रिश्तेदारों का आपसे कैसा संबंध रहेगा यह बताते हैं किस प्रकार से किस भाव का संबन्धित प्राणी आप से कैसा संबंध रखेगा या आप उस संबंधी के प्रति कैसे रहेंगे यह सब पत्रिका के 12 भावो मे छुपा हुआ होता हैं | यदि आपका अपनी माँ से बहुत अच्छा संबंध हैं आप अपनी हर बात अपनी माँ से कह लेते हैं तो यह इस बात का प्रमाण हैं की आपका चौथा भाव बहुत अच्छा हैं | इसके विपरीत यदि आपके अपने ससुराल वालो से संबंध अच्छे नहीं हैं तो आपका आठवाँ घर पीड़ित अवस्था मे होगा |

इस प्रकार यदि किसी भाव से संबन्धित परेशानिया लगी रहती हो तो लाल किताब के अनुसार जातक विशेष को उस पीड़ित भाव से संबन्धित रिश्ते को ठीक कर लेना चाहिए जिससे उसे उस पीड़ित भाव के शुभ फलो की  प्राप्ति होने लगती हैं | 
आइये जानते हैं की किस प्रकार से रिश्तो के द्वारा आप अपने पीड़ित भाव को शुभ कर सकते हैं |

प्रथम भाव-यदि यह भाव पीड़ित हैं (स्वास्थ्य खराब रहता हैं )तो इसका सीधा सा अर्थ हैं की जातक स्वयम  का मित्र नहीं हैं | जानबूझकर गलतिया करता रहता हैं स्वयम की देखभाल ठीक से नहीं करता हैं |
उपाय-जातक खुद का दोस्त बन यह आत्म निरीक्षण करे की उसकी कौन सी आदते उसे आगे बढने से रोकती हैं | उसके शरीर को नुकसान पहुचाहती हैं उन्हे जान कर सुधार करे |

दूसरा भाव-इस भाव के पीड़ित होने से परिवार व कुटुंब मे विवाद बने रहते हैं बात बात पर क्लेश तथा झगड़ा
होता रहता है |
उपाय- नित्य अपनी आँख को शीतल जल से धोये तथा अपना अहंकार त्याग कर पूरे परिवार से विनम्रता पूर्वक व्यवहार करे छोटों से प्यार,साथ वालो से मित्रता तथा बड़ो का सम्मान करे |

तीसरा भाव-इस भाव के पीड़ित होने से भाई बहनों का सूख नहीं मिलता या भाई बहनों की स्थिति ठीक नहीं होती हैं उनका स्वस्थ भी खराब रहता हैं |
उपाय-अपने से कम उम्र के लोगो को भाई /बहन मान उनसे राखी बँधवाए या बांधे |

चतुर्थ भाव-इस भाव के खराब होने से माता का सुख नहीं मिलता हैं माँ की तबीयत हमेशा खराब रहती हैं ससुर से संबंध ठीक नहीं होते तथा मन मे हमेशा अशांति बनी रहती हैं |
उपाय-अपनी माता का सम्मान करे उनकी सुख सुविधाओ का ध्यान रख सेवा करे |यदि माँ बीमार रहती हो तो 7 वृद्ध स्त्रियो के लगातार 41 दिन चरण स्पर्श करे और विधवा आश्रम मे दान करे |

पांचवा भाव-इस भाव के पीड़ित होने प्रेम संबंधो मे असफलता,शिक्षा-बाधा व संतान सुख मे कमी जैसी समस्याए होती हैं |
उपाय-इन सबके के लिए 7 गुरुवार गरीब बच्चो को गुब्बारे खेलने को दे तथा प्रत्येक वर्ष 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चो को कपड़ा दान करे |

छठा भाव –इस भाव के पीड़ित होने से मामा का सुख नहीं मिलता,रोग,ऋण व शत्रु आपका पीछा नहीं छोड़ते |
उपाय-मामा से संबंध मधुर बनाए तथा पूर्व दिशा की और सिरहाना करके सोये,गुस्सा ना करे |

सातवा भाव –इस भाव के पीड़ित होने से विवाह विलंब व वैवाहिक जीवन कष्टमय होता हैं साझेदारी मे कोई ना कोई परेशनीया लगी रहती हैं |
उपाय-अपनी स्त्री/पुरुष का सम्मान करे एक दूसरे की भावनाओ का ख्याल/सम्मान करे |

आठवा भाव –इस भाव के पीड़ित होने ससुराल पक्ष से तनाव बना रहता हैं | हर काम मे अडचन होती हैं आयु पर खतरा बना रहता हैं |
उपाय-ससुराल से मधुर संबंध बनाए सास ससुर का ख्याल रखे |

नवम भाव-इस भाव के अशुभ प्रभाव मे होने से पौत्र व साले का सुख नहीं मिलता या इनसे संबंध अच्छे नहीं होते,धार्मिक कार्यो मे रुचि नहीं रहती तथा भाग्य रूठा रहता हैं |

दसवा भाव –यदि पिता का जीवन कष्टमय हो,रोजगार की समस्या लगी रहती हो,किसी भी कार्य मे सफलता नहीं मिलती हो,काम बदलते रहते हो तो समझ लेना चाहिए की दसवा भाव पीड़ित हैं |
उपाय-नित्य पिता की पूर्ण श्रद्धा से सेवा कर आशीर्वाद लिया करे तथा वृद्ध आश्रम मे दान किया करे |

एकादश भाव –इस भाव के पीड़ित होने से  बड़े भाई का सुख नहीं मिलता,लाभ की प्राप्ति नहीं होती तथा पुत्र का वैवाहिक जीवन अच्छा नहीं रहता |
उपाय-अपने से उम्र मे बड़े लोगो का सम्मान करे तथा उनसे सलाह मशवरा किया करे |

द्वादश भाव-इस भाव के खराब होने से खर्च मे अधिकता,चाचा से संबंधो मे खराबी,नेत्र दोष व शयन सुख मे कमी रहती हैं |
उपाय-सप्ताह मे एक दिन जानवरो को हरा चारा खिलाये तथा जीवनसाथी के नाम से धन जमा करे,चाचा का मान सम्मान करे |





शुक्रवार, 4 जनवरी 2013

आपकी राशि और मकर सक्रांति


आपकी राशि और मकर सक्रांति

मेष राशि-पदोन्नति के अवसर मिलेंगे,राज्य अधिकारियों व सम्मानित व्यक्तियों से मित्रता बढ़ेगी,प्रत्येक कार्य मे सफलता तथा मान व गौरव बढ़ेगा |

वृष राशि-बड़ो से,मित्रो से तथा भाइयो से विरोध होता हैं,अपमान होने का भय रहता हैं बिना कारण धन की हानी,आय की कमी,रोग व अशांति होती हैं |

मिथुन राशि-शत्रुओ से झगड़ा,शरीर मे पीड़ा,बवासीर आदि रोग होने की संभावना होती हैं स्त्री को कष्ट एवं खर्च मे अधिकता होती हैं |

कर्क राशि-दाम्पत्य जीवन मे तनाव उत्पन्न होता हैं,व्यवसाय बाधा होती हैं कष्टकारी यात्रा होती हैं उदर व सिर पीड़ा कारण व्यक्ति विशेष के मन मे क्लेश रहता हैं |

सिंह राशि-कार्य सिद्दी व सुख प्राप्ति,शत्रुओ पर विजय प्राप्त होती हैं,रोग का नाश होने से स्वयं के पराक्रम मे वृद्दि होती हैं शोक का अंत होने से शरीर प्रसन्न व स्वस्थ रहता हैं |

कन्या राशि-शारीरिक व मानसिक शक्ति की कमी होती हैं मति भ्रम होता हैं संतान को रोग स्वयं को धन हानी होती हैं वाद विवाद कारण अपनी छवि को नुकसान मिलता हैं |

तुला राशि-घरेलू झगड़ो के कारण सुखो मे कमी होती हैं ज़मीन जायदाद की परेशानिया उत्पन्न होती हैं यात्रा मे असुविधा होती हैं मान हानी की संभावना बनती हैं |

वृश्चिक राशि-रोगो से मुक्ति, सुख चैन व शुभफलों की प्राप्ति होती हैं,पुत्रो व मित्रो से लाभ होता हैं किसी बड़े पद की प्राप्ति भी हो सकती हैं |

धनु राशि-दूष्ट व बुरा कर्म करने वालों से मुलाकात होती हैं सिर व आँखों मे तकलीफ हो सकती हैं धन संपत्ती  की हानी,मित्र व रिश्तेदारों से झगड़े होते हैं |

मकर राशि-धन का नाश व मान सम्मान मे कमी,हृदय व उदर रोग उत्पन्न हो सकते हैं प्रत्येक कार्य मे देरी तथा समय पर भोजन नहीं मिलता,परिवार से अलग रहना भी पड  सकता  हैं |

कुम्भ राशि-दूर देश का भ्रमण हो सकता हैं कार्य व पद की हानी हो सकती हैं राज्य की और से अपमान व विरोध हो सकता हैं खर्चो की अधिकता के कारण मन मे संताप रहता हैं |

मीन राशि-सभी प्रकार से लाभ,पद प्राप्ति,शुभ समाचार, उत्तम भोजन,व बड़ो की तथा राज्य की कृपा प्राप्त होती हैं,घर मे आध्यात्मिक एवं मांगलिक कार्य होते हैं |

सूर्य के शुभ फलो की प्राप्ति व शनि के अशुभ फलो को कम करने के लिए मकर सक्रांति के दिन प्रात;स्नान आदि कर सूर्य को नमस्कार कर तांबे के लोटे मे कुमकुम व लाल पुष्प डालकर सूर्य भगवान को अर्घ्य अर्पित करे, जल अर्पित करते समय अपने दोनों हाथों को ऊपर उठाकर ताम्र पात्र से धीरे धीरे जल गिराए सूर्य की ओर देखते हुए “ॐ घृणि सूर्याय नमः”मंत्र का जाप करते रहे तथा अंत मे सूर्य भगवान से निम्न प्रार्थना करे :हे सूर्य देव आप सिंदूर वर्णीय,तेजस्वी मुख मण्डल,कमल नेत्र स्वरूप वाले ब्रह्मा विष्णु तथा रुद्र सहित सृष्टि के मूल कारक हैं आपको इस साधक का प्रणाम |आप मेरे द्वारा अर्पित कुमकुम पुष्प सिंदूर एवं रक्त चन्दन युक्त जल को स्वीकार करे |

यदि संभव हो तो मकर सक्रांति के दिन निम्न 6 कार्य अवश्य करने चाहिए |

1) तिल के तेल की शरीर पर मालिश

2) तिल का उपटन

3) तिलयुक्त जल से स्नान

4) तिल युक्त भोजन

5) तिल का हवन

6) तिल मिश्रित जल का पान