गुरुवार, 29 फ़रवरी 2024

मार्च 2024 भारतीय बाज़ार का रुख कुछ इस प्रकार से रहेगा |


मासारम्भ में पहली तारीख को बुध पू.भा. नक्षत्र में आएगा | अकेला बुध यद्यपि यहाँ मन्दीकारक होता है, परन्तु बुध इस समय सूर्य एवं शनि के साथ है जो कि तेजी कारक मालूम होता है । इस दिन शुक्र धनिष्ठा नक्षत्र में आने से चावल, मूंग, मोठ, उड़द, ज्वार, बाजरा, चाँदी, सोना, रूई, कपास में तेजी बनेगी ।

4 मार्च को सूर्य पू.भा. में आएगा । इसी समय राहु रेव.(2) व केतु हस्त (4) में आने से भी रेशम, सोना, चाँदी, गेहूँ, चना, उड़द, चावल, ज्वार, बाजरा, घी, सरसों, तिल, तेल, गुड़, खाण्ड, गुग्गुल, पीपलामूल, रूई आदि में तेजी बनेगी ।

6 मार्च को मंगल धनिष्ठा में आने से राई, जौं, पीपल, सोना, चांदी, तांबा, पीपल, जस्त, लोहा, स्टोल तथा धातुओं, गुड़, शक्कर, गेहूँ आदि में तेजी, घी, खाण्ड, रुई में मन्दी बनेगी

7 मार्च को (अस्त) बुध मीन राशि में आकर राहु के साथ तथा इसीदिन शुक्र कुम्भ राशि में आकर सूर्य-शनि के साथ मेल करेगा । बुध-शुक्र दोनों ग्रहों का क्रूर ग्रहों के साथ मेल बाज़ार को धीरे-धीरे तेजी की तरफ धकेल देगा । रुई. कपास, सोना, चाँदी, कॉपर, चीनी, घी, चावल, शक्कर, शेयर बाजार, चना, जौं, मूँग, गुड़ में मन्दी दिखने के बावजूद तेजी का बोलबाला रहेगा । आगे तेजी ही चलेगी |

11 मार्च, सोमवार को मीन राशिगत चन्द्र दर्शन होने से रुई, चाँदी, गेहूँ में मन्दी, परन्तु सोना, कॉपर में कुछ तेजी बने ।

12 मार्च को शुक्र शतभिषा में आने से पुनः गेहूँ, गुड़, खाण्ड, चावल, घी, सरसों, रुई, सोना, चाँदी में कुछ तेजी बनेगी ।

13 मार्च को बुध पश्चिम में उदय होने से 1-2 दिन में ही शेयर बाज़ार (विशेषकर बैंकिंग शेयर्ज) में विशेष तेजी का झटका लगेगा ।

14 मार्च को सूर्य मीन राशि में आकर बुध एवं राहु के साथ मेल करेगा । तिल, तेल, अलसी, सरसों, खाण्ड, गुड़, शक्कर, रुई, सोना, तिलहन में तेजी बनेगी । चाँदी, रुई में कुछ मन्दी बनेगी ।

15 मार्च को मंगल कुम्भ राशि में आकर शुक्र एवं शनि के साथ मेल करेगा । रूई व चाँदी में विशेष घटाबढ़ी होगी । गेहूँ आदि सब अनाजों, गुड़, खाण्ड, सोना, मिर्च, काली मिर्च, लौंग, जीरा में अच्छी तेजी बनेगी ।

16 मार्च को बुध रेवती तथा गुरु भरणी (3) में आने से केसर, मजीठ, लाल चन्दन, गेहूँ, लाल मिर्च आदि लाल वस्तुओं में तेजी और गुड़, खाण्ड, तिल, तेल, सरसों, चाँदी, उड़द, चना में मन्दी बन सकती है ।

17 मार्च को सूर्य उ.भा. में आएगा । इसी दिन कुम्भ राशिगत शनि उदय होने से भी शेयर- बाजार में विशेष तेजी रहे, गेहूँ, चना, चावल, गुड़, खाण्ड, शक्कर, तैल, जाँ आदि अनाज, लोहे, क्रूड ऑयल में तेजी होगी ।

(ता. 14 से 18 ता. तक शेयर बाज़ार तथा धातुओं में विशेष तेजी बनेगी।)

23 मार्च को शुक्र पू.भा. में आने से रूई में तेजी, अनाजों में मन्दी बने । ध्यान रहे इस समय मंगल शुक्र शनि के साथ हैं रुई, सोना, चाँदी, कपास के भाव पहले गिरकर शीघ्र ही अच्छी तेजी की तरफ बढ़ेंगे |

25 मार्च को बुध मेष राशि तथा अश्विनी नक्षत्र में आकर गुरु के साथ एक राशि का सम्बन्ध बनाएगा । इन पर शनि की विशेष नीच दृष्टि पड़ रही है । मुँग, पोनी, तथा सोना, चाँदी, कॉपर आदि धातुओं, गेहूँ, चना, जी आदि अनाज और तिल,तेल,सारसो, रूई, कपास, घी, गुड़, खाण्ड में अच्छी मन्दी का झटका लगकर तुरंत सुधर भी सकता हैं |

सावधान होकर धीरे-धीरे कार्य करें । क्योंकि 1-2 दिन मंडी होकर शीघ्र ही तेजी बन जाएगी ।

31 मार्च को सूर्य रेवती नक्षत्र में आएगा । इसी दिन शुक्र मीन राशि में आकर सूर्य राहू के साथ मेल करेगा । अनाज, सरसों, तेल, तिलहन, अलमी, एरण्डी, गुड़, खाण्ड, रुई,चना में तेजी बनेगी । चाँदी में अचानक तेजी का झटका लगेगा ।

विशेष- ता. 15 से 18 के मध्य शेयर बाजार में तेजी का रुख रहेगा |

मंगलवार, 27 फ़रवरी 2024

अलविदा पंकज तुम कर गए सबको उदास

 


1986 मे आई महेश भट्ट निर्देशित फिल्म 'नाम' के गीत 'चिट्ठी आई हैं आई हैं से प्रत्येक भारतीय के दिल मे  जगह बना लेने वाले ग़ज़ल गायक पंकज उधास हमेशा के लिए शांत हो गए | उनका गाया यह गीत आज भी नियमित रूप से कई एनआरआई लोगो को रोने पर मजबूर कर देता है कहते हैं उस समय इस गीत को सुनकर बहुत से लोग अपने अपने वतन लौट आए थे |

लंबी बीमारी के बाद मुंबई में पंकज उधास की इस मृत्यु से 80 और 90 के दशक में भारत में ध्वनि तरंगों पर राज करने वाले गजल गायकों की तिकड़ी जगजीत सिंह, भूपिंदर सिंह और पंकज उधास का समयकाल पूरा हो गया और एक रिक्त स्थान पैदा हो गया

पंकज उधास जी को ग़ज़ल गायकों की युवा पीढ़ी को बढ़ावा देने के लिए भी जाना जाता था । अपने दोस्तों, तलत अज़ीज़ और अनुप जलोटा के साथ, उन्होंने 2002 में वार्षिक ख़ज़ाना नामक उत्सव शुरू किया था जिसमें अनुभवी कलाकारों और उभरती प्रतिभाओं दोनों के लिए एक मंच प्रदान किया गया था । उधास के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यक्रम ने कैंसर और थैलेसीमिया रोगियों के लिए धन जुटाया था |

17 मई 1951 को गुजरात के राजकोट जिले के जेतपुर में जन्मे पंकज उधास गायक मनहर और निर्मल उधास के सबसे छोटे भाई थे । उनके पिता, केशुभाई, एक सरकारी कर्मचारी थे जो तार वाला वाद्ययंत्र दिलरुबा बजाते थे । युवा पंकज ने अपने संगीत करियर की शुरुआत तबला सीखकर की, लेकिन बाद में उन्होंने गायन को अपनाया, पहले गुलाम कादिर खान के अधीन और बाद में, मुंबई चले जाने के बाद, नवरंग नागपुरकर के अधीन उन्होने संगीत गायन की बारीकियाँ सीखी अपनी बातचीत में, वह अक्सर शास्त्रीय गायक उस्ताद अब्दुल करीम खान, पार्श्व गायक तलत महमूद के साथ-साथ डीप पर्पल और लेड जेपेलिन के प्रति अपने प्यार की बाते किया करते थे

1970 के दशक के अंत में जगजीत और चित्रा सिंह, और राजेंद्र और नीना मेहता जैसे गायकों के साथ ग़ज़ल के बाज़ार ने भारत में तूफान ला दिया था तब पंकज उधास के लिए इस शैली में कदम रखना स्वाभाविक था । उनका पहला एल्बम आहट 1980 में रिलीज़ हुआ था और उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा ।

1981 के एल्बम म्यूकारार में क़ैसल-उल-जाफरी द्वारा लिखित हिट 'दीवारों से मिलकार रोना' और मुमताज़ रशीद द्वारा लिखित 'झील में चांद', एक कवि, जिनके साथ उन्होंने नियमित रूप से काम किया था, शामिल थे ।

उन्होंने मिर्ज़ा ग़ालिब, मीर तकी मीर और फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की उर्दू शायरी की सराहना करना शुरू किया | उनकी गायी गजलों मे लोग चांदी जैसा रंग है तेरा या घुंघरू टूट गए के भावनात्मक प्रभाव को हर गजल प्रेमी हमेशा महसूस करता हैं ।

उनके अन्य निजी एलबम तरन्नुम, नायाब और आफरीन भी बेहद सफल रहे, लेकिन चिट्ठी आई है, जिसमें वह संजय दत्त के साथ स्क्रीन पर नजर आए, ने उनकी लोकप्रियता को पूरे विश्व मे कई पायदान ऊपर पहुंचा दिया । नाम की सफलता ने उन्हें अन्य फिल्मों के लिए गाने के लिए प्रेरित किया । उनकी हिट फिल्मों में “जीये तो जीयें कैसे (फिल्म साजन के दो संस्करणों में से एक), छुपाना भी नहीं आता (बाजीगर) और ना कजरे की धार (मोहरा में साधना सरगम के साथ) शामिल हैं ।

एक ग़ज़ल गायक के रूप में, पंकज उधास विभिन्न श्रोताओं मे थोड़ी थोड़ी पिया करो, सबको मालूम है, मैं नशे में हूं और एक तरफ उसका घर जैसे गाने पार्टी में जाने वालों और शराब पीने वालों के लिए जाने जाते थे । दूसरी ओर, उन्होंने 1998 में रुबाई एल्बम जारी किया, जो उमर खय्याम द्वारा शुरू की गई 'रूबाई' या चार-पंक्ति छंद की अवधारणा पर आधारित थी, जिनकी कविता में नशे को खुशी के रूपक के रूप में इस्तेमाल किया गया था ।

कविता के प्रति गायक के प्रेम के कारण एल्बम फॉरएवर ग़ालिब में मिर्ज़ा ग़ालिब, इन सर्च ऑफ़ मीर में मीर तकी मीर और दस्तखत पर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ को श्रद्धांजलि दी गई । उन्होंने 1998 के एल्बम स्टोलेन मोमेंट्स पर समकालीन कवि जफर गोरखपुरी के साथ और 2018 की रिलीज नायाब लम्हे पर गुलज़ार के साथ भी काम किया । अगस्त 2023 में, उन्होंने मुंबई के टाटा थिएटर में ग़ालिब से गुलज़ार तक कॉन्सर्ट किया, जिसमें इन शायरों के योगदान पर प्रकाश डाला गया । वह कहते थे, ''उर्दू और हिंदी दोनों में कविता की एक समृद्ध परंपरा रही है । गायक के रूप में, कला को जीवित रखना हमारा कर्तव्य है ।''

उनके मित्र और प्रशंसक पंकज उधास को उनकी मित्रता और तत्पर मुस्कान के अलावा ग़ज़ल शैली के प्रति दिखाए गए जुनून के लिए याद करते हैं करते रहेंगे । नूर नारवी की एक पंक्ति उद्धृत करने के लिए, जिसे उन्होंने एक बार गाया था, "आप जिनके करीब होते हैं, वो बड़े खुशनसीब होते हैं" । पंकज उधास ने जो गर्मजोशी दिखाई, वह हमेशा याद आती रहेगी |

शनिवार, 24 फ़रवरी 2024

हाई बीपी को ऐसे ठीक करे


हाई ब्लडप्रेशर (उच्च रक्तचाप) एक ऐसी बीमारी हैं जो धीरे-धीरे हमारे शरीर को गंभीर नुकसान पहुंचाती है । इससे लकवा, ब्रेन हेमरेज और दिल का दौरा पड़ सकता है । इसी कारण इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता हैं |

उच्च रक्तचाप के रोगी को अपने दिन की शुरुआत सुबह की सैर से करनी चाहिए और प्राकृतिक जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए ।

उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में योग का विशेष महत्व है । साँस लेने के व्यायाम का अभ्यास करने के लिए सुखासन और वज्रासन जैसे आसन का उपयोग करें । थकान की स्थिति में शवासन का अभ्यास करें ।

चंद्रभेदी प्राणायाम उच्च रक्तचाप को कम करने में लाभकारी है । इसके अतिरिक्त शरीर शोधन प्रक्रियाएं और जलनेति भी फायदेमंद हैं ।

योग निद्रा के नियमित अभ्यास से बढ़े हुए रक्तचाप के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है । ध्यान के नियमित अभ्यास से उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो जाता है ।

उच्च रक्तचाप के प्राकृतिक इलाज में पेट और माथे पर गीली पट्टियाँ रखना, एनीमा, गर्म पानी से स्नान और रीढ़ की हड्डी में स्नान शामिल हैं । ठंडे पानी से स्नान करना भी फायदेमंद होता है । रीढ़ की हड्डी पर ठंडी पट्टी लगाना भी उतना ही प्रभावी है ।

आहार

किसी भी बीमारी में भोजन का महत्वपूर्ण स्थान होता है,इस बीमारी मे हमे भोजन मे निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए |

सुबह सुबह प्रात: एक गिलास गुनगुने नींबू पानी में दो चम्मच शहद मिलाकर पियें ।

खाना खाते समय खाने पर ध्यान दें और उसे अच्छे से चबाकर खाएं ।

गर्म, मसालेदार, बासी, भारी भोजन और बेसन, चीनी या मांस से बनी चीजें ना कहये तथा धूम्रपान और शराब पीने से बचे |

नमक का सेवन कम करें. दिन में कम से कम तीन से चार बार मौसमी फल खाएं ।

खाना खाते समय दिमाग मे कोई नकारात्मक विचार ना रखे,नकारात्मक सोच से भोजन के पाचन पर बुरा प्रभाव पड़ता है ।

नाश्ते में पपीता, अमरूद या अंकुरित अनाज और मेथी जैसे मौसमी फल खाएं या फलों का जूस लें । साबुत गेहूं के आटे से बनी चपाती, एक या दो उबली हरी सब्जियां, सलाद और दही खाएं । शाम को कोई भी मौसमी फल या फलों का रस या नींबू पानी में शहद मिलाकर लें ।

रात में सलाद के साथ एक या दो साबुत गेहूं के आटे की रोटी या मोटा भोजन और उबली हुई सब्जियां लें ।

घरेलू उपचार

प्याज का रस और शुद्ध शहद बराबर मात्रा में मिलाकर 2 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन एक बार सेवन करने से उच्च रक्तचाप ठीक हो जाता है ।

प्याज का रस रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है और रक्त शिराओं की कठोरता को नियंत्रित करता है । शहद दिल को मजबूत और स्वस्थ बनाता है । इस उपाय को पांच से सात दिनों तक इस्तेमाल करें और फर्क नोट करें । फायदा होने पर इसे कुछ दिनों तक जारी रखें ।

उच्च रक्तचाप को कम करने के लिए तीन ग्राम सूखी मेथी का चूर्ण दिन में दो बार खाली पेट पानी के साथ 10-15 दिनों तक लें ।

भोजन के बाद लहसुन की एक या दो छिली हुई कलियाँ पानी के साथ चबायें । वैकल्पिक रूप से, लहसुन की फलियों को सूखे खजूर (बीज रहित) में लपेटकर खाएं ।

रात को तांबे के बर्तन में पानी भरकर रखें और सुबह उसे पी लें ।

चार तुलसी की पत्तियां और दो नीम की पत्तियों को पानी के साथ पीसकर खाली पेट पांच से सात दिन तक लेने से उच्च रक्तचाप नियंत्रित होता है ।

नियमित रूप से सुबह खाली पेट पका हुआ पपीता खाएं और इसके 2 घंटे बाद तक कुछ भी न खाएं ।

निम्न और उच्च रक्तचाप की स्थिति में पतला दही बहुत फायदेमंद होता है । निम्न रक्तचाप के रोगियों को पतले दही के साथ दो दाने हींग का सेवन करना चाहिए ।

हानिकारक भोजन

दूध, मक्खन, तैलीय भोजन, घी, नमक, बैंगन, आलू, आधा पका केला, कच्चा कटहल, दालें, मैदा, मिठाई, गुड़, तेल, अमचूर पाउडर, मसाले, पॉलिश किए हुए चावल, चीनी से बना भारी भोजन,कॉफी और चाय का सेवन कम करना चाहिए या उससे बचना चाहिए । एक ही स्थिति में बैठना या लंबे समय तक खड़े रहना, सीढ़ियाँ चढ़ना, और अधिक और बार-बार खाना, ये सभी हानिकारक हैं ।

उपयुक्त भोजन

मौसमी, सेब, तरबूज, नींबू और पपीता उपयुक्त हैं । हरी सब्जियाँ, पालक, लौकी, प्याज, टमाटर, गाजर, सलाद, और गाजर का रस, सभी फायदेमंद हैं ।

खाना खाते समय पानी न पियें।

आधे कप पानी में आधे नींबू का रस मिलाकर दिन मे दो-तीन बार पियें ।

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