बुधवार, 7 फ़रवरी 2024

मुहूर्त के अशुभ योग


किसी भी काम को करते समय जहां कुछ शुभ और लाभदायक योग, जैसे सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि आदि, को भारतीय ज्योतिष शास्त्रो मे मुहूर्त के अंतर्गत बताया गया है, वहीं कुछ ऐसे योग भी बताए गए हैं जिनमे प्रारम्भ किया गया कोई भी कार्य कभी सफल नहीं हो पाता हैं, अच्छे ज्योतिषशास्त्री आपको इन योगों के दौरान अपना कोई शुभ कार्य प्रारम्भ करने या किसी जरूरी कार्य के लिए प्रस्थान करने से हमेशा मना करते हैं !

ऐसे अशुभ योगो मे यदि आप किसी भी काम की शुरुआत करते हैं तब उसमें आपको हानि उठानी पड़ सकती है   संकटों का सामना करना पड़ सकता है, अनेकों कष्ट उठाने पड़ सकते हैं कई बार जातक की मृत्यु तक हो जाती है या उसे मृत्यु तुल्य कष्टों से गुजरना पड़ता है |

इस लेख के माध्यम से आज हम कुछ ऐसे ही अशुभ योगों के विषय में जानकारी प्रदान कर रहे हैं |

1. कालदण्ड योग - रविवार के दिन भरणी, सोमवार को आर्द्रा, मंगलवार के दिन मघा, बुधवार के दिन चित्रा, गुरुवार को ज्येष्ठा, शुक्रवार को अभिजित और शनिवार को पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र पड़ जाए तो कालदण्ड नाम का अशुभ योग बनता हैं !  इस योग के दौरान प्रारम्भ किया काम मृत्यु तुल्य कष्ट देता हैं |

2. वज्र योग - रविवार के दिन आश्लेषा, सोमवार को हस्त, मंगलवार के दिन अनुराधा, बुद्धवार को उत्तराषाढ़ा, गुरुवार को शतभिषा, शुक्रवार को अश्विनी और शनिवार को मृगशिरा नक्षत्र पड़ रहा होतो यह वज्र योग बनता है, इस दौरान प्रारम्भ किए गए कार्यों में हमेशा हानि उठानी पड़ती है |

3. लुम्बक योग - रविवार को स्वाति, सोमवार को मूल, मंगलवार को श्रवण, बुधवार को उत्तराभाद्रपद, गुरुवार को कृतिका, शुक्रवार को पुनर्वसु और शनिवार को पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र हो तो लुम्बक योग का निर्माण होता है ! इस योग में शुभ कार्य प्रारम्भ करने से जातक को धन हानि की सम्भावना रहती है |

4. उत्पात योग - रविवार के दिन विशाखा, सोमवार को पूर्वाषाढ़ा, मंगलवार को धनिष्ठा, बुधवार को रेवती, गुरुवार को रोहिणी, शुक्रवार को पुष्य और शनिवार को उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र हों तब यह योग उत्पात कहलाता है ! इस योग में सभी शुभ कार्य वर्जित हैं क्योंकि यह योग प्राणों के लिए घातक होता है |

5. मृत्यु योग - रविवार के दिन अनुराधा, सोमवार को उत्तराषाढ़ा, मंगलवार को शतभिषा, बुधवार को अश्विनी, गुरुवार को मृगशिरा, शुक्रवार को आश्लेषा और शनिवार को हस्त नक्षत्र का संयोग हो तो मृत्यु योग बनता है ! इस योग के दौरान कोई शुभ कार्य प्रारम्भ करने पर मृत्यु होने की सम्भावना रहती है | 

6. काण योग - रविवार को ज्येष्ठा, सोमवार को अभिजित, मंगलवार को पूर्वाभाद्रपद, बुधवार को भरणी, गुरुवार को आर्द्रा, शुक्रवार को मघा और शनिवार को चित्रा नक्षत्र हो तब यह योग बनता है । इस योग में कोई भी कार्य करने से घर-परिवार में क्लेश होने की सम्भावना रहती है |

7. मूसल योग - रविवार के दिन यदि अभिजित, सोमवार को पूर्वाभाद्रपद, मंगलवार को भरणी, बुधवार को आर्द्रा, गुरुवार को मघा, शुक्रवार को चित्रा और शनिवार को ज्येष्ठा नक्षत्र पड़ रहा हो तब यह योग मूसल योग माना जाता है, इस योग में कोई कार्य प्रारम्भ करने पर धनहानि की सम्भावना रहती है |

8. गदा योग - रविवार के दिन श्रवण, सोमवार को उत्तराभाद्रपद, मंगलवार को कृतिका, बुद्धवार को पुनर्वसु, गुरुवार को पूर्वाफाल्गुनी, शुक्रवार को स्वाति और शनिवार को मूल नक्षत्र हो तब इस योग का निर्माण होता है ! इस योग में कोई कार्य करना रोग का कारण बन सकता है |

9. रक्ष योग - रविवार के दिन शतभिषा, सोमवार को अश्विनी, मंगलवार को मृगशिरा, बुधवार को अश्लेषा, गुरुवार को हस्त, शुक्रवार को अनुराधा और शनिवार को उत्तराषाढ़ा नक्षत्र हो तो यह योग बनता है ! यह योग बड़ा कष्ट देकर जा सकता है !

10. यमदंष्ट्र योग - रविवार के दिन मघा या धनिष्ठा, सोमवार को विशाखा या मूल, मंगलवार को भरणी या कृतिका बुधवार को पुनर्वसु या रेवती, गुरुवार को अश्विनी या उत्तराषाढ़ा, शुक्रवार को रोहिणी या अनुराधा और शनिवार को श्रवण या शतभिषा नक्षत्र का संयोग हो तब यह यमदंष्ट्र योग बनता है ! इसमे किए हर कार्य में असफलता ही मिलती है |

11. यमघण्ट योग - रविवार के दिन मघा, सोमवार को विशाखा, मंगलवार को आर्द्रा, बुधवार को मूल, गुरुवार को कृतिका, शुक्रवार को रोहिणी और शनिवार को हस्त नक्षत्र का योग हो तब यह यमघण्ट कहलाता है ! इस योग के दौरान यात्रा करना पूरी तरह निषेध माना गया है !

12. ज्वालामुखी योग - प्रतिपदा तिथि को मूल, पंचमी को भरणी, षष्ठी को कृतिका, नवमी को रोहिणी और दशमी को आश्लेषा नक्षत्र हो तो यह योग निर्मित होता है ! इस योग में सभी शुभ कार्य वर्जित होते हैं क्यूंकी यह ज़बरदस्त घात प्रदान कर सकता हैं |

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