मंगलवार, 21 मार्च 2017

विशोन्तरी दशा के वर्ष निर्धारण



सूर्य की दशा 6 वर्ष पृथ्वी को ध्यान मे रखकर ली गयी होगी महादशा का प्रचलन पृथ्वी पर जीवन मे होने वाले बदलाव पर आधारित हैं कालीदास अपने ग्रंथ मेघदूतम मे ऐसा लिखते हैं |

कौन सा ऐसा मुख्य बदलाव हैं जो इस गृह पृथ्वी पर सबको प्रभावित करता हैं वह हैं ऋतु परिवर्तन जिसके बदलने से पृथ्वी पर बदलाव जान पड़ता हैं चूंकि ऋतुए संख्या मे 6 होती हैं जिनके नाम क्रमश: बसंत,ग्रीष्म,वर्षा,शरत,हेमंत व शिशिर हैं जो धरती पर बदलाव दर्शाती हैं और इस बदलाव मे सूर्य का अहम योगदान एवं प्रभाव रहता हैं इसी कारण सूर्य को 6 वर्ष की महादशा हमारे विद्वानो ने प्रदान की होगी |

आदिकाल से ही चन्द्र धरती पर मापने का कारक रहा हैं जिसकी पुष्टि महीने अथवा माह करते हैं जबसे शून्य का आविष्कार हुआ हैं जिसकी पूर्ण चन्द्र से काफी समानता रहती हैं 10 का अंक प्रचलन मे आया जो चन्द्र के कार्यो को काफी अच्छी तरह से बताता हैं | प्राचीन समय मे पालि भाषा के भित्ति चित्रो मे उल्लेख मिलता हैं की उस समय के लोग चन्द्र की 10 पूर्णता से माँ के गर्भ मे पालने वाले शिशु का जन्मसमय का निर्धारण करते थे संभवत; इसी कारण चन्द्र का एक नाम संस्कृत मे माँ भी रखा गया हैं आधुनिक विज्ञान भी यह कहता हैं शिशु गर्भ मे 10 माह ही रहता हैं इसी कारण चन्द्र को 10 वर्ष की महादशा दी गयी होगी |

पृथ्वी व गुरु सूर्य का भ्रमण एक वर्ष मे करते हैं पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह होने के कारण चन्द्र भी पृथ्वी का भ्रमण करता हैं इसी कारण गुरु को सूर्य व चन्द्र दोनों की दशा वर्षो का योग 10+6=16 वर्ष प्रदान किए गए |

यह ध्यान रखे की ग्रह पृथ्वी के दोनों तरफ हैं जिन्हे आंतरिक व बाहरी ग्रह कहा जाता हैं आंतरिक ग्रहो मे बुध व शुक्र ग्रह आते हैं जबकि बाहरी ग्रहो मे मंगल,गुरु व शनि ग्रह आते हैं | चन्द्र जिन दो कटान बिन्दुओ पर पृथ्वी को काटता हैं उन्हे राहू-केतू की संज्ञा दी गयी हैं जिनका ग्रह ना होने पर भी अपना ही गणितीय महत्व होता हैं जिनमे राहू, मंगल व गुरु के तथा केतू, शुक्र व बुध के मध्य माने गए हैं |

अब ऐसे मे हमारी पृथ्वी से देखने पर आंतरिक ग्रह समूह बुध,केतू,शुक्र,सूर्य व चन्द्र का बनता हैं जबकि बाहरी ग्रह समूह मंगल,राहू,गुरु व शनि का बनता हैं यदि हमारी पृथ्वी पर मानव का जीवन 120 वर्ष माना जाये तो आंतरिक व बाहरी ग्रहो का प्रभाव 60-60 वर्ष बराबर होना चाहिए (यदि हम महादशा क्रम देखे तो वास्तव मे ऐसा ही हैं आंतरिक ग्रहो सूर्य,चन्द्र,केतू,शुक्र,व बुध के महादशा के वर्षो का योग 6+10+7+20+17=60 वर्ष ही बनता हैं | इसी प्रकार बाहरी ग्रहो का महादशा वर्षो का योग भी 60 वर्ष ही आता हैं ) जो हमारे कथन की पुष्टि करता हैं |

बाहरी ग्रहो के समूह के महादशा वर्षो 60 मे चन्द्र के 10 वर्ष जोड़ने पर 70 आता हैं जिसे चन्द्र के मापक वर्षो 10 से भाग देने पर 7 आता हैं जो की बाहरी ग्रहो के समूह के पहले ग्रह मंगल का महादशा वर्ष बनता हैं,इसी प्रकार 60 वर्षो मे चन्द्र व सूर्य के 10+6 वर्ष जोड़ने पर योग 76 आता हैं जिसका चौथाई करने पर 19 प्राप्त होता हैं जो बाहरी ग्रह समूह के चौथे ग्रह शनि की महादशा वर्ष बनता हैं | अब मंगल के 7 वर्ष गुरु के 16 वर्ष तथा शनि के 19 वर्षो का योग 42 बनता हैं जो की कुल योग से 18 वर्ष कम हैं यही वह 18 वर्ष हैं जो की इस समूह के अंतिम ग्रह अथवा राहू को प्रदान किए गए हैं |

आंतरिक ग्रह समूह के 60 वर्षो मे सूर्य चन्द्र के 16 वर्ष के आधे जोड़ने पर हमें 60+8=68 वर्ष प्राप्त होते हैं जिसका चौथाई करने पर 17 प्राप्त होता हैं जो की आंतरिक ग्रह समूह के पहले ग्रह बुध के महादशा वर्ष हैं | शुक्र सूर्य चन्द्र के बाद सबसे ज़्यादा चमकने वाला ग्रह हैं जिसकी आकृति पृथ्वी से देखने पर चन्द्र के समान प्रतीत होती हैं यह कुछ महीने प्रात: सूर्योदय के समय तथा कुछ समय सूर्यास्त के समय दिखाई पड़ता हैं जिससे दिन रात के होने का पता चलता हैं इसी दोहरेपन व चन्द्र के सम्मान दिखने के कारण इसे चंन्द्र से दुगुने  अथवा 20 वर्ष के महादशा वर्ष प्रदान किए | अब इन सभी आंतरिक ग्रहो का जोड़ 53 वर्ष हो जाता हैं जो की 60 से घटाने पर 7 वर्ष बनता हैं यही वह 7 वर्ष हैं जो की केतू ग्रह को प्रदान किए गए |

इस प्रकार देखे तो विशोतरी दशा वर्षो का निर्धारण ग्रहो की प्रकृति व उनके द्वारा धरती पर पड़ने वाले प्रभावों के आधार पर किया गया प्रतीत होता हैं |

   

फलित के कुछ अनुभवीय सूत्र



किसी भी कुंडली की मजबूती के लिए लग्न स्वामी अथवा लग्नेश का मजबूत होना ज़रूरी होता हैं लग्नेश का 3,6,8,12 भावो मे होना अशुभ माना जाता हैं क्यूंकी यह भाव हमेशा अशुभता प्रदान करते हैं लग्नेश भले ही पाप ग्रह हो उसका इन अशुभ भावो मे होना अशुभ ही होता हैं जबकि पाप ग्रहो का इन भावो मे होना शुभ माना जाता हैं लग्नेश का किसी भी प्रकार से 3,6,8,12 भावो से अथवा उनके स्वामियों से संबंध अशुभ ही होता हैं |

यदि कुंडली मे सूर्य बली होतो जातक सामान्य कद काठी वाला,प्रभावी,सात्विक,सम्मानित परंतु चिड़चिड़े स्वभाव का होता हैं |

यदि चन्द्र बली होतो जातक मीठा बोलने वाला,वात स्वभाव का रजोगुणी होता हैं |

मंगल बली होतो साहसी,लड़ाकू,अस्थिर मानसिकता वाला,लाल आँखों वाला तमोगुणी होता हैं |

बुध बली होतो जातक मनोहर रंग रूप वाला,बातुनी,बुद्दिमान,अच्छी याददाश्त वाला,पढ़ा लिखा ज्योतिष से प्रेम करने वाला किन्तु तमोगुणी होता हैं |

गुरु बली होतो जातक धार्मिक विचारो वाला,सदाचारी,वेदपाठी,पढ़ा लिखा व अच्छे चरित्रवाला सदगुणी होता हैं |

शुक्र बली होतो जातक सांसारिक वस्तुओ व सांसारिक कलाओ की चाह रखने वाला,शौकीन मिजाज व रजोगुणी होता हैं |

नि बली होने पर जातक पतला,आलसी,क्रूर,खराब दाँतो वाला,रूखा,जिद्दी,निष्ठुर,तमोगुणी होता हैं |

सूर्य व मंगल के प्रभाव मे होने पर जातक बात करते समय ऊपर की और देखता हैं |

शुक्र व बुध के प्रभाव मे जातक बात करते समय इधर उधर देखता हैं |

गुरु व चन्द्र के प्रभाव मे होने पर जातक साधारण दृस्टी से देखने वाला होता हैं |

शनि राहू केतू की प्रभाव मे होने पर जातक आधी आँखें खोलकर अपनी बाते करते हैं |

ग्रहो को अपनी मजबूती हेतु सही भावो मे होना चाहिए | लग्नेश का 12वे भाव मे होना व द्वादशेश का 10वे भाव मे होना जातक का जीवन गरीबी,अशांति व उपद्रव से भरा बताता हैं |

ग्रहो को लग्न से व अपने नियत भावो से 6,8,12 भावो मे नहीं होना चाहिए | ऊंच और नीच के ग्रह जब संग होतो ज्यादा शक्तिशाली होते हैं जैसे शुक्र व बुध मीन राशि मे होतो बुध का नीचभंग हो जाएगा जो बुध व शुक्र दोनों के भावो के लिए शुभता प्रदान करेगा इसी प्रकार नीच ग्रह जिस राशि मे हो उसका स्वामी यदि ऊंच राशि मे होतो यह नीच ग्रह भी ताकतवर हो शुभ फल प्रदान करेगा | 

शुभ ग्रहो को समान्यत: त्रिकोण भाव का स्वामी होकर केन्द्रीय भावो मे होना चाहिए जबकि अशुभ ग्रहो को केंद्र का स्वामी होकर त्रिकोण मे होना चाहिए | 3,6,8,12 भावो के स्वामी कमजोर होने चाहिए और 2,4,5,7,9,10,11 भावो के स्वामी बली होने चाहिए | चन्द्र गुरु व शुक्र केंद्र स्वामी होकर शुभ फल नहीं देते | लग्न जो पूर्व का प्रतिनिधित्व करता हैं उसमे बुध व गुरु दिग्बली होते हैं चतुर्थ भाव (उत्तर) मे शुक्र व चन्द्र,सप्तम भाव (पश्चिम) मे शनि तथा दसम भाव (दक्षिण) मे सूर्य व मंगल बली होते हैं |

जो जातक रात मे जन्म लेते हैं उनके लिए चंद्र,मंगल व शनि तथा जो दिन मे जन्म लेते हैं उनके लिए सूर्य,गुरु व शुक्र बली होते हैं जबकि बुध दोनों हेतु बली होता हैं |

स्वग्रही ग्रह शुभता देते हैं मुलत्रिकोण मे स्थित ग्रह भी ऊंच ग्रह की तरह ही शुभ फल देते हैं केंद्र मे स्थित ग्रह लग्नानुसार शुभाशुभ फल देते हैं 2,5,8,11 मे ग्रह अपना कम प्रभाव तथा 3,6,9,12 मे बहुत कम प्रभाव देते हैं |

अंतर्दशा नाथ जब शानाथ से 2,4,5,9,10,11 भाव मे होतो शुभफल,यदि 3,6,8,12 भाव मे होतो अशुभफल तथा 1-7 होने पर साधारण फल और एक दूसरे से 6/8 होने पर बहुत बुरा फल देते हैं |

शनि सूर्य से 6,शुक्र चन्द्र से 5,बुध मंगल से 12,गुरु बुध से 4,मंगल गुरु से 6,सूर्य गुरु से 12 वे भावो मे होतो शत्रुता रखते हैं | शुक्र से शनि 4 तथा गुरु 12 होतो शत्रुता रखते हैं जबकि गुरु शनि से 6 होने पर शत्रुता रखता हैं |

त्रिकोण व केंद्र स्वामियों की युति राजयोग बनती हैं दसवा भाव मजबूत केंद्र व नवा भाव मजबूत त्रिकोण होता हैं यदि नवमेश व दसमेश मे किसी भी प्रकार का संबंध हो,परिवर्तन तो यह एक बड़ा राजयोग होता हैं और यदि यह युति नवम या दसम भाव मे होतो बहुत ही शुभ फल मिलता हैं |

चन्द्र से 6,7,8, भावो मे शुभ ग्रह का होना भी राजयोग प्रदान करता हैं और यदि यह तीनों ग्रह लग्नेश के मित्र भी होतो जातक को ऊंच सफलता मिलती हैं |

लग्नेश का पंचम मे होना पंचमेश का नवम मे होना तथा नवमेश का लग्न मे होना एक बहुत ही बड़ा राजयोग देता हैं | यदि पाप प्रभाव ना होतो 3,6,8,12 भावो के स्वामियो की युति भी राजयोग देती हैं |

गुरु शुक्र युति राजाओ से मान सम्मान,अच्छी शिक्षा व बुद्दि तथा समाज मे बड़ा रुतबा देती हैं |

लग्न मे चन्द्र,गुरु छठे भाव मे,शुक्र दसवे भाव मे हो,शनि ऊंच अथवा स्वग्रही होतो जातक निर्विवाद रूप से राजा होता हैं |

          


    

बुधवार, 15 मार्च 2017

ज्योतिष व प्रसन्नता


प्रसन्नता पूर्वक जीवन जीने का सबसे बड़ा कारण अच्छे स्वास्थ्य का होना होता हैं कहावत भी हैं की स्वास्थ्य ही धन हैं अच्छी सेहत हेतु लग्न,लग्नेश,चन्द्र,चंद्रेश,व सूर्य को सभी पाप प्रभावों से मुक्त होना चाहिए या शुभ प्रभावों मे होना चाहिए | दूसरी अवस्था प्रसन्न होने की संतोष का होना हैं व्यक्ति के पास सभी सुख सुविधाए हो परंतु वह और भी चाहने की इच्छा रखता होतो तो वह व्यक्ति कभी भी प्रसन्न नहीं रह सकता इसके विपरीत एक गरीब व्यक्ति जिसके पास भले ही सुख सुविधाए कम हो परंतु वह संतुष्ट होतो प्रसन्न हो सकता हैं |

आज के युग मे प्रत्येक व्यक्ति ज़्यादा से ज़्यादा कमाई कर धन कमाना चाहता हैं जिससे वह सुखी व प्रसन्न रह सके परंतु अच्छे स्वास्थ्य से बड़ा कोई धन नहीं होता संभवत:इसी कारण हमारे प्राचीन शास्त्र पहला सुख निरोगी काया बताते हैं |


आइए ज्योतिषीय दृस्टी से जानने का प्रयास करते हैं की ऐसे कौन कौन से कारण हैं जिनसे व्यक्ति प्रसन्न अथवा सुखी रह सकता हैं |

सर्वाधिक शुभ ग्रह गुरु को प्रकृतिनुसार सात्विक माना जाता हैं क्यूंकी यह राजयोग धनयोग व ज्ञान योग तीनों प्रदान करने वाला होता हैं इसके अतिरिक्त यह गुरु ज्ञान,संतोष व विवेक का कारक भी हैं इस गुरु की स्थिति जातक के लिए उसके जीवन का स्तर तय करती हैं इसलिए विद्वान कहते हैं किसी भी कुंडली मे गुरु को निर्बल अथवा अशुभ नहीं होना चाहिए चाहे उसका स्वामित्व पत्रिका मे 3,6,8,11 या 12 भाव का ही क्यू ना हो | अष्टम भाव का गुरु 50 वर्ष की आयु देता हैं परंतु यह जातक के परिवार के लिए शुभ नहीं होता हालांकि यह गुरु अपनी दशा मे जातक को शुभ परिणाम ही देता हैं चाहे वह 3रे,12वे का स्वामी होकर अष्टम भाव मे हो या 3रे,6थे का स्वामी होकर बैठा हो (मकर व तुला लग्न)परंतु अष्टम गुरु जातक को छोटी व संकुचित मानसिकता वाला बनाता हैं |

चन्द्र चूंकि हमारी मानसिकता,सोच,मन व सुख का कारक माना जाता हैं इसलिए इस चन्द्र का बलवान होना तथा किसी भी पाप प्रभाव मे ना होना किसी भी जातक के लिए खुश रहने के लिए बहुत ही ज़रूरी होता हैं | इस चन्द्र का किसी भी प्रकार से पीड़ित या अशुभ होना जातक को किसी ना किसी रूप से परेशानी अथवा तनाव प्रदान करता ही हैं जिससे जातक के स्वभाव मे भी बहुत असर पड़ता हैं |  

इसी प्रकार बुध व शुक्र का भी शुभ अवस्था मे होना जातक की प्रसन्नता के लिए अवश्यंभावी हैं क्यूंकी जिसके पास अच्छी बुद्दि,विद्वता,कलाक्षमता व सभी सुख-सुविधाए,भोग ऐश्वर्या हो वो जातक अवश्य ही खुश अथवा प्रसन्न रह सकता हैं तथा औरों को भी प्रसन्नता प्रदान कर सकता हैं |

प्रसन्नता के लिए कुंडली के कुछ भावो को भी मजबूत होना चाहिए जिनमे लग्न चतुर्थ,पंचम सप्तम,अष्टम,दसम व एकादश भाव प्रमुख हैं अन्यथा सबकुछ होते हुये भी जातक सुखी नहीं रह सकता हैं | इनमे से कोई भी एक भाव यदि अशुभ अवस्था मे हुआ तो जातक को कोई ना कोई दुख लगा रहेगा जिससे जातक नाखुश ही रहेगा चाहे वो दुख पत्नी संबन्धित हो,चाहे संतान संबन्धित हो अथवा धन व लाभ से संबन्धित हो जातक दुखी ही रहेगा और उसे प्रसन्नता नहीं रहेगी |

जातक हेतु पंचमेश का 1,4,10 भाव मे तथा जातिका हेतु पंचमेश का 5,9,11 भावो मे होना शुभ रहता हैं परंतु लग्नेश का पंचमेश से 6/8व 2/12 मे होना अशुभता देता हैं | यहाँ यह तथ्य ध्यान मे रखे कि संतान के लिए गुरु का पंचम भाव मे होना भाव नाशक सिद्धान्त अनुसार शुभ नहीं होता हैं |


मंगल चन्द्र केतू .....आत्महत्या ....9



1)5/2/2016 को पुणे मे एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी व दो बच्चियो को मारकर फांसी लगाली इस दिन मंगल व केतू गुरु के नक्षत्र मे हैं तथा चन्द्र गुरु की राशि मे ही हैं |

2)11/12/2016 को दिल्ली के बेगमपुर इलाके मे एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी व बच्चो को मारकर फांसी लगाली इस दिन मंगल की दृस्टी चन्द्र पर हैं जो राहू के नक्षत्र मे हैं राहू केतू आमने सामने हैं |
3)15/12/2016 के दिन फौज की एक महिला मेजर ने आत्महत्या करी इस दिन मंगल केतू संग हैं व चन्द्र राहू नक्षत्र मे हैं राहू केतू आमने सामने हैं |

4)27/1/2017 को मुंबई की एक प्रसिद्द तैराक महिला ने फांसी लगाकर अपनी जान दी इस दिन मंगल शनि नक्षत्र मे हैं जबकि चन्द्र केतू शनि की राशि मे ही हैं |

5)2/2/2017 को पुणे मे एक इंजीनियर ने अवसाद के कारण अपनी जान दे दी इस दिन चन्द्र मंगल संग शनि के नक्षत्र मे हैं तथा शनि की केतू पर दृस्टी हैं |

6)7/2/2017 को गाज़ियाबाद मे एक व्यक्ति ने प्रेम प्रसंग के चलते पहले लड़की को गोली मारी फिर खुद भी आत्महत्या कर ली इस दिन मंगल शनि के नक्षत्रे मे हैं शनि की केतू पर दृस्टी हैं वही मंगल स्वयं चन्द्र को देख रहा हैं |

7)8/2/2017 को दिल्ली के वसंत कुंज मे एक दुकानदार ने असफल प्रेम के चलते स्वयं को आग लगाकर अपनी जान दे दी तथा मंगलुरु मे एक 17 वर्षीय छात्र ने परीक्षा मे असफल होने के डर से फांसी लगाकर अपनी जान दे दी इस पूरे दिन मंगल की चन्द्र पर दृस्टी हैं तथा चन्द्र राहू के नक्षत्र मे हैं जिसके सामने केतू हैं |

8)9/2/2017 के दिन केन्द्रीय पुलिस फोर्स के जवान ने गोली मारकर अपनी जान दी इस दिन चन्द्र व मंगल शनि नक्षत्र मे हैं तथा शनि की केतू पर दृस्टी हैं |

9)14/2/2017 को फौज के एक जवान ने स्वयं को गोली मार अपनी जान दी इस दिन मंगल चन्द्र को देख रहा हैं जो सूर्य के नक्षत्र मे और सूर्य केतू संग हैं |

10)25/2/2017 को जम्मू मे सीमा सुरक्षा बल के जवान ने स्वयं को गोली मार आत्महत्या करी तथा ग्रेटर नोएडा मे 18 वर्षीय इंजीनियरिंग के छात्र ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी इस पूरे दिन चन्द्र मंगल के नक्षत्र मे हैं,मंगल बुध के नक्षत्र मे हैं तथा बुध केतू के संग हैं |

11)26/2/2017 दिल्ली के जनकपुरी इलाके मे दस्वी के छात्र ने ऊंची इमारत के कूद कर अपनी जान दे दी इस दिन मंगल बुध के नक्षत्र मे हैं तथा बुध चन्द्र केतू संग हैं |


गुरुवार, 9 मार्च 2017

हिन्दू नववर्ष 2017-2018



चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिन्दू नववर्ष श्री संवत 2074 का शुभारंभ इस बार 28 मार्च 2017 प्रात:8:27 मेष लग्न व वृश्चिक नवांश से हो रहा हैं जिसमे लग्न मे मंगल बुध,पंचम भाव मे राहू,छठे भाव मे वक्री गुरु,नवम भाव मे शनि,एकादश भाव मे केतू तथा द्वादश भाव मे सूर्य,चन्द्र व वक्री शुक्र स्थित हैं |

लग्नेश मंगल का लग्न मे होना देश के लिए बहुत शुभता दर्शा रहा हैं जो देशवासियो के साहस व पुरुषार्थ द्वारा देश को आगे ले जाने के लिए प्रेरित कर रहा हैं संभव हैं की इस वर्ष भारत सरकार देश की रक्षा से संबन्धित कई बड़े सौदे व फैसले कठोरता से लागू करे | इस मंगल की दृस्टी चतुर्थ भाव व सप्तम भाव पर पड़ रही हैं जो देश के सुख व विदेश व्यापार भाव बनते हैं चूंकि इन दोनों भावो के स्वामी चन्द्र व शुक्र द्वादश भाव मे हैं जो स्पष्ट रूप से देश को विदेशो से बहुत लाभ होना बता रहे हैं | शुक्र चन्द्र दोनों चूंकि,कला,ग्लेमर,संगीत   मनोरंजन के कारक भी होते हैं जो भारतीय फिल्मों व संगीत का पूरे विश्व मे इस वर्ष डंका बजना तय कर रहे हैं संभव हैं की भारतीय कला जगत के किसी व्यक्ति को कोई बड़ा पुरस्कार इस वर्ष विश्वस्तर पर मिल जाए जिससे भारत की कला व फिल्मजगत की ख्याति और बढे |

इस वर्ष का लग्न भारत की वृष लग्न की पत्रिका का द्वादश भाव भी हैं जो इस वर्ष अर्थात 2017-2018 मे भारत को विदेशो से अच्छे समाचार,व्यापार,संधिया,लाभ व धन की प्राप्ति बता रहा हैं द्वादश भाव का स्वामी गुरु अपने भाव द्वादश के अतिरिक्त दसम भाव व धन भाव को भी दृस्ट कर स्पष्ट संकेत दे रहा हैं की सरकार द्वारा इस वर्ष विदेश नीति मे कोई बड़ा बदलाव किया जाएगा जिससे विदेशो से बहुत सा लाभ किसी ना किसी रूप मे देश को मिलेगा जो बड़े पैमाने मे धन के निवेश के रूप मे हो सकता हैं ( विदेश व्यापार का स्वामी व धन भाव का स्वामी शुक्र ऊंच अवस्था मे द्वादश भाव मे हैं )

28/3/2017 को सूर्योदय के समय तिथि अमावस्या पड़ रही हैं और दिन मंगल वार पड़ रहा हैं क्यूंकी नववर्ष प्रात: 8:27 पर आरंभ होगा जिससे शुक्ल प्रतिपदा तिथि अगले दिन सूर्योदय के समय मानी जाएगी जो बुधवार का दिन बनेगा इस कारण इस वर्ष का राजा बुध बनेगा | बुध नव वर्ष कुंडली मे तीसरे व छठे भाव का स्वामी होकर लग्न मे लग्नेश मंगल संग ही स्थित हैं और सप्तम भाव को देख रहा हैं जिसका स्वामी द्वादश भाव मे ऊंच का होकर बैठा हैं तथा नवांश मे भी यह बुध छठे भाव से द्वादश भाव को देख रहा हैं जो विदेशो से लाभ,विदेशो से कर्ज़ के अतिरिक्त कर्जमाफ़ी के साथ साथ पड़ोसियो विशेषकर चीन व पाकिस्तान से विवाद,घुसपैठ,अनावश्यक तनाव अथवा युद्ध आदि की पुष्टि भी करा रहा हैं ऐसा विशेषकर 15 मई से 15 अक्तूबर के बीच होना संभव जान पड़ता हैं |

पंचमेश सूर्य का द्वादश भाव मे होना देश की जनता का रुझान विदेशो के प्रति बढ़ने की तरफ इशारा कर रहा हैं वही द्वादश तथा नवम भाव के स्वामी गुरु के छठे भाव मे वक्री अवस्था मे होना विदेशी पर्यटको से संबन्धित कोई बड़ा विवाद होने के साथ साथ विदेशो मे रह रहे भारतीयो से संबन्धित कोई ना कोई परेशानी भी बता रहा हैं |

दसम व एकादश भाव का स्वामी शनि नवम भाव मे होने से देश के राजा की विदेशी दौरो की पुष्टि कर रहा हैं स्पष्ट हैं की प्रधानमंत्री मोदी इस वर्ष भी कई बड़े देशो के अतिरिक्त पड़ोसी मुल्को की यात्रा भी करेंगे जिनसे देश को अवश्य ही बड़े पैमाने मे लाभ होगा |

सूर्य के मेष राशि मे प्रवेश वाले दिन के स्वामी को वर्ष का मंत्री माना जाता हैं इस वर्ष सूर्य 14/4/2017 को रात्रि 2:04 बजे मेष राशि मे प्रवेश करेगा क्यूंकी हिन्दू तिथि सूर्योदय से बदलती हैं इसलिए इस वर्ष का मंत्री गुरु बनेगा | गुरु नवमेश व द्वादशेश होकर वक्री अवस्था मे छठे भाव मे बैठा हैं जो दसम भाव व द्वादश भाव के अतिरिक्त दूसरे भाव को व उसके स्वामी शुक्र को भी देख रहा हैं जिससे सरकार द्वारा फाइनेंस व बैंकिंग सेक्टर मे किसी बड़े बदलाव का होना निश्चित होता दिख रहा हैं संभव हैं की वर्ष 2017-2018 मे सरकार टैक्स दरो मे बड़ी राहत प्रदान करने के साथ साथ कुछ नए बैंक भी खोले अथवा कुछ का राष्ट्रीयकरण करे जिससे बैंकिंग क्षेत्र मे उछाल आने से विस्तार होगा तथा नई नौकरिया पैदा होंगी जो बैंको को ब्याजदारों मे कमी करने पर मजबूर करेगा जिससे देश के आदमी को बहुत राहत प्राप्त होगी तथा निर्माण क्षेत्र मे भी विस्तार होगा |

गुरु मंत्री के रूप मे नवमेश व द्वादशेश होकर इस वर्ष सम भाव व द्वादश भाव को दृस्टी दे रहा हैं सम भाव जो की देश के राजा का होता हैं उसका स्वामी शनि नवम भाव से राजयोग निर्मित कर गुरु को दृस्टी देकर देश के राजा अर्थात प्रधानमंत्री मोदी को किसी बड़े अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार की प्राप्ति बता रहा हैं ऐसा जून-जुलाई अथवा सितंबर–अक्तूबर मे हो सकता हैं वही नवांश मे भी यह गुरु दम भाव मे ही स्थित हैं जो सरकार का न्याय व्यवस्था अथवा सर्वोच्च न्यायालय से धर्म अथवा तीर्थ आदि से संबन्धित किसी प्रकार का विरोध व तनाव करवाना निश्चित कर रहा हैं |

स्वतंत्र भारत की कुंडली से देखे तो इस पूरे वर्ष भारत चन्द्र मे राहू की अंतर्दशा मे रहेगा चन्द्र भारत की पत्रिका मे तीसरे भाव मे स्वराशी का होकर संचार व खेल जगत मे भारत के लिए सुखद भविष्य बता रहा हैं वही राहू लग्न मे स्थित होकर राजनीतिक व संचार जगत मे भारत का लोहा पूरे विश्व मे मनवाने की पुष्टि कर रहा हैं राहू क्यूंकी शुक्र की राशि मे हैं तथा शुक्र देश का लग्नेश होने के साथ साथ महिलाओ का प्रतिनिधित्व भी करता हैं स्पष्ट हैं की देश की आधी आबादी अर्थात महिलाओ के लिए यह वर्ष कुछ खास उपलब्धियों वाला रहेगा | चन्द्र व राहू मे 3/11 का संबंध हैं जो ज्योतिषीय दृस्टी शुभ संबंध कहा जाता हैं |

संक्षेप मे कहें तो क्यूंकी इस वर्ष के राजा बुध व मंत्री गुरु बन रहे हैं जो की ज्योतिषीय दृस्टी से शुभ ग्रह माने व समझे जाते हैं अत: यह वर्ष भारत के लिए अच्छी वर्षा व फसलों की भारी पैदावार होने से विशेषकर लाभदायक साबित होगा तथा देश इस वर्ष कई मामलो मे तेजी से तरक्की की और अग्रसर होगा |