गुरुवार, 30 अक्तूबर 2014

मेष लग्न मे गुरु



मेष लग्न मे गुरु

सभी ग्रहो मे गुरु ग्रह को सबसे ज़्यादा सात्विक व शुभता प्रदान करने वाला कहाँ जाता हैं इसके प्रभावों से जातक विशेष को लाभ व शुभता ही मिलेगी ऐसा विश्वास किया जाता हैं परंतु अनुभव मे ऐसा भी देखने मे आता हैं की कहीं कहीं गुरु ग्रह के फलजातक विशेष को  अशुभता लिए हुये मिले यह भी पाया गया की जो ग्रह गुरु संग था अथवा गुरु से देखा जा रहा था उसने भी अपने शुभ फलो की जगह अशुभफल ही प्रदान किए | गुरु को शुभग्रहों की श्रेणी मे रखा गया हैं परंतु सभी लग्नों मे यह शुभता प्रदान करता नहीं देखा गया जब भी गुरु सूर्य,मंगल,शनि,राहू व केतू के प्रभाव मे होता हैं तो यह अपने कारकत्वों की कमी प्रदान करता हैं तथा साथ वाले पापी ग्रह के प्रभाव मे वृद्दि कर देता हैं |

मेष लग्न मे गुरु नवम व द्वादश भाव का स्वामी होता हैं इसकी सूर्य पंचमेश संग युति राजयोग का निर्माण करती हैं परंतु यदि यह युति 6,8,12 भावो मे होने से शुभता के जगह अशुभता ही देती हैं | यह युति यदि केंद्र मे हो बहुत शुभफल देती हैं जातक अपने क्षेत्र मे काफी नाम कमाता हैं |

मंगल लग्नेश व अष्टमेश स्वामी होकर जब गुरु से युति करता हैं तब यह युति बड़े ही विचित्र फल प्रदान करती हैं एक तरफ तो यह राजयोग देती हैं वही दूसरी तरफ यह दो बुरे भावो के फल भी प्रदान करती हैं जातक भ्रमित सा रहता हैं और यदि इस युति पर शनि या बुध ग्रह का प्रभाव पड़ रहा होतो और भी अशुभफलों की वृद्दि हो जाती हैं |

गुरु की बुध संग युति मेष लग्न मे 3,6,9,12 भावो के स्वामियों की युति बनती हैं जो ना सिर्फ विपरीत भावो की युति हैं बल्कि दो शत्रु ग्रहो की भी युति हैं जिस कारण अशुभफलों की ही प्राप्ति होती हैं परंतु यह युति अगर बुध की नीच राशि मे बने तो कुछ शुभफल भी मिलते देखे गए हैं |
गुरु संग शुक्र की युति जातक विशेष को जहां एक तरफ सांसारिक वस्तुओ की और खींचती हैं वही दूसरी और आध्यात्मिक व धार्मिक जीवन की और जाने को प्ररित भी करती हैं क्यूंकी यहाँ इस लग्न मे शुक्र दो भोग स्थानो का स्वामी बनता हैं वही गुरु धर्म और मोक्षता जैसे भावो को बताता हैं ऐसे मे जातक दो पाटो मे झूलता रहता हैं उसकी सांसरिक चाह के चलते  गुरु अपने शुभफल कम ही दे पाता हैं |

गुरु की शनि संग युति जहां एक तरफ राजयोग का निर्माण करती हैं वही दूसरी तरफ यह कुंडली के अंतिम चार भावो का फल भी प्रदान करती हैं गुरु यहाँ शनि संग होने से शनि की विशेषताओ को ज़्यादा दर्शाता हैं जातक विशेष कुछ करना पसंद नहीं करता परंतु बातें बड़ी बड़ी करता हैं उसका आध्यात्मिक रुझान ज़्यादा होता जाता है जिससे वह जीवन मे सांसारिक रूप से असफल ही रहता हैं 

गुरु की राहू केतू से युति इस बात पर निर्भर करती हैं की राहू केतू किस राशि पर हैं (चूंकि राहू केतू अपनी स्वामित्व वाली राशि के अनुसार ही फल प्रदान करते हैं ) यदि इनके राशि स्वामी गुरु ग्रह के मित्र हुये तो शुभफल प्राप्त होते हैं और यदि शत्रु हुये तो अशुभफल की प्राप्ति होती हैं |

गुरु का चन्द्र संग होना ही एक ऐसी युति हैं जो इस मेष लग्न मे शुभ कही जा सकती हैं परंतु यहाँ भी चन्द्र को नीच,निर्बल व कमजोर नहीं होना चाहिए और नाही यह युति 6,8,12 मे होनी चाहिए संभवत: इसी कारण हमारे विद्वान इस युति को गजकेसरी योग कहते हैं जो बहुत ही शुभ युति कहलाती हैं |

संक्षेप मे यह कहाँ जा सकता हैं की मेष लग्न के लिए गुरु अलग अलग प्रभाव प्रदान करता हैं जिसे हम पूर्णरूप से शुभाशुभ नहीं कह सकते यह गुरु ग्रह की स्थिति व विभिन्न ग्रहो संग उसकी युति द्वारा ही जाना जा सकता हैं की वह कौन सा व कैसा फल प्रदान करेगा |

शनिवार, 25 अक्तूबर 2014

शनि का वृश्चिक राशि मे गोचर

शनि का वृश्चिक राशि मे गोचर

2/11/2014 को शाम 4 बजकर 8 मिनट पर शनि “वृश्चिक” राशि मे प्रवेश कर रहे हैं जहां वह 26/1/2017 तक रहेंगे इस दौरान 14/3/2015 से 2/8/2015 तक तथा 25/3/2016 से 13/8/2016 तक 2 बार शनि वक्री होंगे तथा 31/10/2014 से 6/12/2014 तक,12/11/2015 से 17/12/2015 तक तथा 22/11/2016 से 28/12/2016 तक 3 बार शनि इसी वृश्चिक राशि मे अस्त भी होंगे |

अपनी अति धीमी गति से संचार करने के कारण शनि के किसी भी राशि मे संचार करने से धरती पर पड़ने वाले व्यापक प्रभाव का अंदाज़ा लगाया जा सकता हैं | शनि अब तक अपनी ऊंच राशि “तुला” मे भ्रमण कर रहे थे जिसके व्यापक प्रभाव भारत सहित कई देशो मे विद्रोह व देशो की सरकारो का बदलना रहा हैं | अब चूंकि शनि वृश्चिक राशि अथवा अपनी शत्रु राशि से संचार करेंगे जो की काल पुरुष की आठ्वी राशि हैं यह देखना काफी असरकारक होगा की यह शनि धरती पर,भारत वर्ष मे तथा धरती के सभी राशिवाले प्राणियों मे क्या प्रभाव डालेंगे | इस राशि मे संचार करते हुये शनि मकर,वृष तथा सिंह राशियो पर दृस्टी तथा तुला,वृश्चिक व धनु पर साडेसाती का प्रभाव रखेंगे | पाप ग्रहो का 3,6,व 11वे भावो से गोचर लाभकारी माना जाता हैं चूंकि शनि की गिनती भी पापी ग्रह मे होती हैं अत: जिन राशि के शनि 3,6 व 11वे गोचर करेंगे उन्हे शुभफलों की प्राप्ति होगी तथा अन्य राशि वालो को मिलेजुले फल प्राप्त होंगे |

शनि के लिए कहाँ जाता हैं की शनि जिस भाव मे आते हैं उस भाव की वृद्दि करते हैं तथा जिस भाव को देखते हैं उस भाव की हानी करते हैं इस वृश्चिक राशि पर भ्रमण करते हुये शनि की अधिकतर दृस्टी उत्तर दिशा की और रहेगी जिससे उत्तर की और के देश व प्रांत प्रभावित होंगे जिनमे अस्थिरता,प्राकृतिक आपदाए,भूकंप,बाढ़,तथा सत्ता परिवर्तन जैसे हालात बनेंगे |

आइए जानते हैं की विभिन्न राशियों पर शनि के इस वृश्चिक राशि गोचर का क्या प्रभाव पड़ेगा |

1)मेष राशि– इस पहली राशि से शनि का अष्टम गोचर होगा जो की आजीविका मे परिवर्तन अथवा ऊठा पटक जैसे हालात बनाएगा,धन की पूर्ति बाधक होगी व खर्चे बढ़ेंगे,संतान होने की अथवा संतान से संबंधी कोई समस्या होने की समभावनाए बनेंगी,कमर पैर से संबन्धित कोई चोट इत्यादि लग सकती हैं | जीवन साथी के लिए अच्छे समाचार प्राप्त होंगे | किसी बड़े निवेश से बचना लाभदायक रहेगा |

उपाय-दशरथ शनि श्रोत का पाठ करे तथा प्रत्येक शनिवार किसी गरीब को सरसों का तेल दान करे |

2)वृष राशि- इस राशि से शनि का सप्तम गोचर होगा जिससे भाग्योदय कारक समय बनेगा कामकाज बढ़ने लगेंगे,नई संपत्ति,वाहन इत्यादि खरीदने के योग बनेंगे तथा पुरानी संपत्ति बिकेगी,यात्राए व भागदौड़ बढेगी,जीवनसाथी व पिता हेतु शुभ समाचार प्राप्त होंगे,कोई भागीधारी का प्रस्ताव भी आ सकता हैं,दाम्पत्य सुख मे कमी हो सकती हैं |

उपाय-शनि श्लोक “नीलांजन सभामासम का जाप रोजाना शाम के समय करे तथा किसी को भी शराब व सेन्ट (परफ्यूम ) उपहार मे ना दे |

3)मिथुन राशि- इस राशि से शनि का यह छठा गोचर होगा जो की ज़्यादातर शुभ होगा जिसके प्रभाव से जो भी चाहेंगे वह होगा,सभी दिशाओ से शुभ समाचार मिलेंगे,उधार लेने व देने की समभावनाए बनेगी,सहोदरो को कष्ट मिलेंगे,अचानक चोट लगने की,धन प्राप्ति की तथा किसी गुप्त विद्या जानने की इच्छा बढेगी,धार्मिक कार्य,लंबी यात्राए व योजनाए बन सकती हैं जिनसे लाभ होगा|

उपाय-कनकधारा श्रोत का पाठ रोजाना करे तथा हर शनिवार एक मुट्ठी साबुत बादाम जलप्रवाह करे |

4)कर्क राशि- शनि का इस राशि से पांचवा गोचर विवाह व संतान प्राप्ति के अतिरिक्त किसी बड़े पद की प्राप्ति भी करवाएगा,कोई बड़ी ज़िम्मेदारी अथवा सम्मान मिल सकता हैं,भाग्य से अब काम बनने लगेंगे,परिवार मे किसी की विवाह होने की संभावना बनेगी,धन प्रवाह मे थोड़ा विलंब रहेगा |

उपाय-शाकाहारी रहे तथा एक मुट्ठी साबुत बादाम मंदिर मे हर शनिवार रखकर आए |

5)सिंह राशि – इस राशि से शनि का चतुर्थ गोचर कार्यक्षेत्र मे ऊठा पटक मचा कर बदलाव अथवा पदोन्नति करवा सकता हैं,मकान व भूमि का सुख बढ़ेगा,शारीरिक कष्ट,दुर्घटना व स्वस्थ्य हानी भी होगी परंतु आपकी लोकप्रियता बढ़ती रहेगी,किसी को उधार देना पड सकता हैं शत्रु भी सिर उठाएंगे परंतु कुछ बिगाड़ नहीं पाएंगे |

उपाय-हनुमान चालीसा का पाठ नित्य करे तथा शिवलिंग पर प्रत्येक सोमवार दूध का अभिषेक करे |

6)कन्या राशि – राशि से तीसरा गोचर होने की वजह से शनि का यह गोचर आपको बहुत शुभता प्रदान करेगा आपकी पद प्रतिष्ठा बढ़ेगी,संतान प्राप्ति हो सकती हैं,धार्मिक व विदेश यात्राए होंगी,खर्चे बढ़ेगे,विवादो मे आपकी विजय होगी व शनि की साडेसाती से मुक्ति होने से तनावमय जीवन से छुटकारा मिल जाएगा |

उपाय-रोजाना “ॐ नमः शिवाय” का 108 बार जाप करे तथा 3 कुत्तो को रोजाना कुछ खिलाये |

7)तुला राशि – इस राशि से दूसरा गोचर होने से धन लाभ बढ़ेगा,भूमि वाहन व मकान खरीदने की समभावनाए बढ़ेगी,आपकी माता को व आपको कोई सम्मान प्राप्त होगा,उतरती हुयी साडेसाती खूब यात्राए कराएगी,नियम के विरुद्ध कार्य करने व बिना जाने पहचाने उधार देने दिलवाने से परेशानियाँ होंगी |

उपाय-प्रतिदिन धर्मस्थान मे ज़रूर जाये |

8)वृश्चिक राशि – इस राशि से शनि का गोचर कार्यक्षेत्र व बदलाव व पिता के लिए कष्ट लाएगा,जीवन साथी से संबन्धित कोई नया कार्य कर सकते हैं सहोदरो से संबन्धित कोई खबर मिल सकती हैं | शनि साडेसाती की दूसरी ढैया किसी बुजुर्ग की मृत्यु कारण अन्त्येष्टि कर्म मे सम्मिलित करवा सकती हैं स्वयं हेतु विष इत्यादि से भय हो सकता हैं अत; बाहर के खाने से परहेज करे |

उपाय- नित्य शनि चालीसा,हनुमान चालीसा का पाठ करे तथा हर शनिवार बंदरो को केला खिलाये |

9)धनु राशि- इस राशि से द्वादश भाव मे शनि का गोचर शनि की साडेसाती की शुरुआत करेगा जिसके प्रभाव से स्थान परिवर्तन व धननाश होकर रहेगा,धन आने मे दिक्कते होंगी,आपके खिलाफ कोई इलज़ाम अथवा कारवाई की जा सकती हैं जिनसे स्वयं स्वास्थ्य संबंधी परेशानिया शुरू होंने के कारण अस्पताल जाना पड़ सकता हैं,मामा पक्ष मे परेशानियाँ आएंगी परंतु विदेश अथवा दूर की यात्रा से लाभ भी मिलेगा |

उपाय-विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ नित्य करे तथा चींटियों को चावल के आटे का चुरा डाले |

10)मकर राशि- इस राशि से एकादश भाव मे शनि का गोचर होने से शनि व गुरु दोनों ग्रहो की इस राशि पर दृस्टी होगी जिससे ज़बरदस्त सफलता व धन लाभ की समभावनाए बनेगी जिस कारण आपके आत्मविश्वास मे बढोतरी होगी,जीवन मे बहुत से बदलाव आएंगे,व्यापार विस्तार हेतु नई योजनाए बनेगी जिनसे लाभ होगा,आप धन को कहीं ना कहीं किसी भी रूप मे निवेश करेंगे,संतान के लिए थोड़ा कष्टकारक समय रहेगा |

उपाय-सोमवार को शिवजी की तथा शनिवार को शनिदेव की पुजा करे,किसी सेवार्थ अस्पताल मे गरीबो के लिए मदर टिंचर नामक दवा दान करे |

11)कुम्भ राशि- इस राशि से दशम गोचर कार्य की अधिकता,नौकरी का छूटना व सम्मान की हानी कराएगा आपको अपने खर्चे निकालने मे दिक्कते प्राप्त होंगी,उधार व किश्ते चुकाना मुश्किल होगा,इन सब कारणो से सेहत प्रभावी हो सकती हैं,पिता या किसी पार्टनर से लाभ होगा,लंबी यात्राओ मे धन खर्च होगा,आपका विदेश अथवा अस्पताल से संबंध जुड़ सकता हैं,पत्नी से संबन्धित सुखो मे कमी तथा भूमि व मकान संबंधी योजनाओ मे परेशानियाँ बनेगी |

उपाय-प्रतिदिन किसी धर्मस्थान मे अवश्य जाए तथा शनिवार शाम को शनि सहस्त्रनाम का पाठ करे|

12)मीन राशि- राशि से नवम गोचर धर्म,धन व भाग्य वृद्दि करेंगे,भाई बहनो को लाभ देंगे,शत्रुओ को नुकसान मिलेगा अर्थात आपकी विजय होगी,दुस्साहसी प्रवृति बढ़ेगी,कानूनी मामलो मे मदद व लाभ मिलेंगी,पिता के स्वास्थ्य मे सुधार होगा,धर्म गुरुओ से मिलना अथवा विदेश मे तबादला हो सकता हैं|

उपाय-शनि चालीसा का पाठ रोजाना करे तथा हल्दी का तिलक माथे पर नित्य लगाए |


डॉ,किशोर घिल्डियाल (ज्योतिषाचार्य)                     

शनिवार, 18 अक्तूबर 2014

दिवाली मे ऐसे करे लक्ष्मी को प्रसन्न



दिवाली मे ऐसे करे लक्ष्मी को प्रसन्न

बहुत से लोग अपने दैनिक जीवन की जरूरतों को पूरा करने के लिए दिन रात मेहनत करते रहते हैं फिर भी उनको अपेक्षित धन प्राप्त नहीं हो पाता हैं कुछ दिनो मे दिवाली का त्योहार आ रहा हैं प्रस्तुत लेख मे हम हमारे पाठको के लिए लक्ष्मी प्राप्ति के कुछ प्रयोग व उपाए बता रहे हैं जिनसे उन्हे माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होगा तथा माँ लक्ष्मी की उन पर विशेष कृपा होगी ऐसा हमारा विश्वास हैं | आप सभी को हमारी और से दिवाली की शुभकामनाए |

मेष राशि वाले किसी मंदिर मे जाकर गणेश जी को बूंदी का लड्डू चढाये तथा गरीब व्यक्ति को एक कंबल दान करे |

वृष राशि वाले इस दिन मंदिर मे गुड चढ़ाकर गरीबो मे रेवड़ी बांटे |

मिथुन राशि वाले नारियल व बादाम मंदिर मे चढ़ाकर किसी गरीब को जूता दान करे |

कर्क राशि वाले मंदिर मे बूंदी चढ़ाकर किसी गरीब को साबुत उड़द की दाल दान करे |

सिंह राशि वाले मंदिर मे सतनाजा चढ़ाकर किसी गरीब को तिल की मिठाई दान करे |

कन्या राशि वाले किसी मंदिर मे जाकर सरसों के तेल का दिया जलाए तथा किसी गरीब व्यक्ति को जुराब दान करे |

तुला राशि वाले इस दिन किसी मंदिर मे दुर्गा चालीसा का जाप कर किसी गरीब को आटा दान करे |

वृश्चिक राशि वाले मंदिर केले चढ़ाकर किसी गरीब को किनारी वाली धोती दान करे |

धनु राशि वाले मंदिर मे लड्डू चढ़ाकर किसी गरीब को कलम दान करे |

मकर राशि वाले मंदिर मे साबुत मसूर की दाल चढ़ाकर किसी गरीब को रेवड़िया दान करे |

कुम्भ राशि वाले किसी दुर्गा मंदिर मे 4 नारियल चढ़ाकर किसी गरीब को दूध की मिठाई दान करे |

मीन राशि वाले शनि मंदिर मे साबुत उड़द चढ़ाकर किसी गरीब को तेल का दान करे |

1)दिवाली की रात मध्य रात्री (सिंह लग्न ) मे लाल वस्त्र धारण कर विष्णु लक्ष्मी की तस्वीर के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाकर 11 बार श्रीसूक्त का पाठ करे ऐसा करने से वर्ष भर लक्ष्मी की कृपा बनी रहती हैं |

2)माँ लक्ष्मी के स्थायी निवास चाहने के लिए लक्ष्मी गणेश के साथ साथ भगवान विष्णु की भी पुजा अर्चना करे |

3)दिवाली की सुबह लक्ष्मी विष्णु के मंदिर मे भगवान के वस्त्र अथवा पोशाक दान करे तथा माँ लक्ष्मी के चरणो मे खुशबूदार अगरबत्ती जलाकर तुलसी के पत्तों की माला अर्पण करे |

4)दिवाली के दिन अपनी पत्नी से किसी गरीब की पत्नी को सुहाग सामग्री दिलवाए जिसमे इत्र अथवा परफ्यूम अवस्य हो |

5)दिवाली की शाम को तांबे के सिक्के मे एक सुपारी रखकर पीपल वृक्ष के नीचे रख दे तथा अगले दिन उस वृक्ष के पत्ते को अपने कार्यस्थल मे गद्दी के नीचे रखने से ग्राहक हमेशा बने रहते हैं |

6)किन्नरो से दिवाली की रात कुछ धन देकर उनके हाथ से एक सिक्का ले ले और इस सिक्के को अपने गल्ले अथवा कैश बॉक्स मे रखे |

7)दिवाली मे लक्ष्मी पूजन के समय लक्ष्मी आकर्षित करने वाली वस्तुए जैसे शंख,गोमती चक्र,सोने या चांदी का सिक्का,हकीक पत्थर,विभिन्न रत्न,लक्ष्मी की चरण पादुकाए,सुहाग सामग्री,श्री यंत्र,कुबेर यंत्र,कनकधारा यंत्र,कौड़ियाँ,कमलगट्टा,इत्यादि भी रखे |

8)हल्दी रंगे कपड़े मे एक मुट्ठी नागकेसर,हल्दी की गांठ,तांबे का सिक्का,साबुत नमक की एक डली बांधकर घर की रसोई मे रखे |

9)पूजन के बाद माँ लक्ष्मी को घर के बने व्यंजन से भोग लगाए विशेषकर खीर से याद रखे बाहर की बनी मिठाई से भोग कदापि ना लगाए |

10)दिवाली की रात घर के बाहर लाल रंग का प्रकाश लड़िया इत्यादि रखे किसी और रंग का नहीं |

11)दिवाली की रात श्री सूक्त,लक्ष्मी श्रोत,पुरुष श्रोत,कनकधारा श्रोत इत्यादि का पाठ अवस्य करे परंतु माँ लक्ष्मी की आरती कदापि ना करे क्यूंकी इस दिन माँ लक्ष्मी का आहवाहन किया जाता हैं विसर्जन नहीं आरती करना विसर्जन होता हैं |

     

बुधवार, 15 अक्तूबर 2014

शनिश्चरि कुंडलियाँ



शनिश्चरि कुंडलियाँ

ज्योतिष शास्त्र का अध्ययन करते हुये ऐसी बहुत सी कुंडलियाँ प्राप्त होती हैं जो अपने आप मे कुछ खास व अलग विशेषता रखती हैं जैसे एक ही भाव पर कई ग्रहो का होना,सभी ग्रहो का चुनिन्दा भावो मे होना,ग्रहो का लगातार भावो मे होना,तथा ग्रहो का परस्पर एक दूसरे की राशि मे होना इत्यादि | प्रस्तुत लेख मे हम कुछ ऐसी ही कुंडलियों के विषय मे जानकारी देने का प्रयास कर रहे हैं जो शनि ग्रह के पूर्णत; प्रभाव वाली कुंडलियाँ हैं | आइए देखते हैं की शनि प्रभावित इन कुंडलियो मे क्या क्या विशेषता व प्रभाव दिखाई पड रहे हैं |

1)8/2/1925 11:35 इलाहाबाद,मेष लग्न की इस कुंडली मे शनि अपनी ऊंच राशि मे सप्तम भाव पर स्थित होकर गुरु,मंगल,गुरु,राहू सब पर दृस्टी डाल रहे हैं तथा अन्य सभी ग्रह शनि की मकर राशि मे ही हैं अर्थात पूर्ण कुंडली पर शनि का प्रभुत्व हैं | जातक अपनी छोटी अवस्था से ही संत व वैरागी प्रवृति कारण किसी से भी कोई लगाव,मोह नहीं रखता था,युवावस्था मे जातक ऊञ्च कोटी का लेखक बना परंतु धनाभाव के चलते तथा अपनी दार्शनिक सोच के कारण मात्र 28 वर्ष की आयु मे नागा सन्यासी बनने के लिए घर से निकल गया तथा इनका भावी जीवन कैसा रहा आज तक कोई नहीं जानता,पत्रिका मे शनि ने अपना पूर्ण प्रभाव दर्शाकर जातक को संत बनने मे पूर्णतया उसकी मदद की हैं |

2)30/1/1896 20:00 बनारस,सिंह लग्न की इस पत्रिका मे केतू को छोड़कर सभी ग्रहो पर शनि का प्रभाव हैं यह जातक विवाह के कुछ वर्ष बाद पत्नी के गुजर जाने के पश्चात अपने मरणकाल तक ब्रह्मचारी अवस्था मे रहा तथा धार्मिक व आध्यात्मिक जीवन जीता रहा यह पत्रिका स्वामी पूर्णानन्द जी की हैं धर्म व आध्यात्म से जुड़े लोग इनके विषय मे भली भांति जानते हैं |

3)14/3/1945 23:10 हाथरस,वृश्चिक लग्न की इस पत्रिका मे शुक्र को छोड़ सभी ग्रहो पर शनि का प्रभाव हैं यह जातिका ऊंच दर्जे की पढ़ी लिखी विद्वान व कई विषयो की ज्ञाता रही हैं इन्होने प्रेम विवाह किया था जो 22 वर्ष बाद असफल हो गया उसके बाद इनके किसी अन्य व्यक्ति से संबंध बने जिसके साथ यह कुछ वर्षो तक लिव इन रिलेशन मे रही (मंगल शुक्र संबंध) परंतु शनि के प्रभाव कारण इन्हे क़ैसर रोग हुआ जिससे इन्हे ईश्वर भक्ति की प्रेरणा मिली आजकल यह इस्कॉन समुदाय मे लोगो को कृष्ण भक्ति की प्रेरणा देती हैं तथा आध्यात्मिक जीवन बीता रही हैं |

4)18/8/1944 21:35 कानपुर,मेष लग्न मे जन्मे इस जातक की पत्रिका मे शनि की लगभग सभी ग्रहो पर दृस्टी हैं जातक उत्तर भारत के बहुत बड़े बिल्डर हैं जिन्होने ईसाई मिशनरी के लिए बहुत से विद्यालयो का निर्माण किया हैं शनि के प्रभाव के कारण जातक ने विवाह नही किया | यह स्वयं ऊंच दर्जे के आध्यात्मिक व धार्मिक विद्वान हैं तथा ज्योतिष जानने के साथ साथ ज्योतिष पर पूर्ण श्रद्धा व विश्वास भी रखते हैं |

5)11/12/1931 17:13 कुचवाड़ा,वृष लग्न की इस पत्रिका मे 6 ग्रहो पर शनि का प्रभाव हैं | जातक ने अपनी शिक्षा घर से दूर रहकर प्राप्त करी दर्शन शास्त्र मे मास्टर डिग्री लेकर शिक्षण को अपना व्यवसाय बनाया 4 वर्ष तक शिक्षण करने के बाद अपने दर्शन व अलग सोच के चलते इन्होने उपदेश देना प्रारम्भ किया जो की एक विवादित धर्मशास्त्र के रूप मे जाना जाने लगा इनके अनुयाई पूरे विश्व मे बनते चले गए इन्होने रूढ़िवादी धार्मिकता को छोड़ स्वछन्द जीवन जीने की प्रेरणा पूरे विश्व को दी | यह पत्रिका चंद्रमोहन जैन अर्थात रजनीश ओशो की हैं | शनि के प्रभाव ने इन्हे जहां विवादित संत बनाया वही इनसे एक अलग दर्शन का आरंभ भी करवाकर इन्हे विश्वभर मे प्रसिद्दता भी प्रदान करी |

इन सभी कुंडलियों के अतिरिक्त शनि से प्रभावित कुछ अन्य कुण्डलिया इस प्रकार से हैं गौतम बुद्द,एडगर केसी व पुततापरथी साईबाबा (सभी अध्यात्म),चंगेज़ खान व हिटलर (तानाशाह),अमृता प्रीतम (लेखिका),अल्बर्ट आइंस्टीन (वैज्ञानिक) इन सभी पत्रिकाओ के अध्ययन से यह स्पष्ट होता हैं की शनि से जब भी कुंडली प्रभावित होती हैं जातक जातिका को वैवाहिक व सांसरिक सुखो मे कमी तो मिलती हैं परंतु धर्म,अध्यात्म व शोध संबंधी गूढ़ता भी प्राप्त होती हैं जिनसे जातक एक अलग सोच का प्रतीक बनता  हैं तथा अपना एक नया विचार विश्व को देता हैं संभवत; ऐसा शनि ग्रह की दिव्यता व गूढ़ता के कारण ही संभव हो पाता हैं |