बुधवार, 22 सितंबर 2010

कॉमनवेल्थ खेल 2

कॉमनवेल्थ खेल का ज्योतिषीय आंकलन -भारत की कुंडली कर्क राशी व वृष लग्न की हैं राशी द्वारा देखने पर कुंडली के तीसरे भाव तथा लग्नानुसार देखने पर पंचम भाव में कन्या राशी आती हैं | चन्द्र कुंडली को प्रधान मानते हुए यदि देखे तो तीसरा भाव खेल का पता बताता हैं जहाँ वर्तमान समय (खेलो के दौरान ) सूर्य,बुध व शनि की युति होगी | चौथे भाव में शुक्र, मंगल, छठे भाव में राहू, नवे में गुरु, १२वे में केतु तथा लग्न में चंद्रमा स्वराशी का होगा यहाँ एक संयोग भी मिल रहा हैं जन्मकालीन चन्द्र राशी व नक्षत्र दोनों ही सामान हैं (कर्क राशी व पुष्य नक्षत्र)

खेलो के दौरान चन्द्र धनु राशी तक भ्रमण करेगा तथा शुक्र व गुरु वक्री रहेंगे | जन्मस्थ चन्द्र से यदि गोचरस्थ ग्रहों का भ्रमण देखे तो सूर्य तीसरे भाव से "धनलाभ" चन्द्र लग्न से "भोगो का उदय" मंगल चतुर्थ "क्लेश" बुध तृतीय "शत्रुभय" गुरु नवम "धनलाभ" शुक्र चतुर्थ "मित्रो से लाभ" शनि तृतीय "स्थान लाभ" तथा राहू केतु ६,१२ से "सुख" " धन लाभ" व "शत्रु पीड़ा" दर्शा रहे हैं इस प्रकार ६ ग्रहों का भ्रमण भारत हेतु अति शुभ प्रतीत हो रहा हैं | शनि का तीसरे भाव में गुरु से द्रस्ट होकर बैठना खेल भाव को बलि बना रहा हैं वही भारत का लग्नेश शुक्र मंगल संग चतुर्थ भाव में स्वराशी का बैठकर (चन्द्र से) तथा लग्न से छठे बैठकर उर्जा वान महसूस कर रहा हैं ,वही दोनों समय की कुंडली मिलान करने पर २८ गुण मिल रहे हैं जो की भविष्य में मिलने वाले लाभ को ही दर्शा रहे हैं |

भारत का प्रदर्शन -पिछले २००६ के खेलो में भारत ने कुल ५० पदक जीते थे, उस समय भारत पर शुक्र महादशा का प्रभाव था जो की भारत का लग्नेश हैं | अब वर्तमान समय भारत पर सूर्य महादशा चल रही हैं सूर्य सुखेश होकर तीसरे भाव में ही स्थित हैं जिससे इन दोनों भावो के फल मिलने निश्चित हैं वही चन्द्र गोचर से भी सूर्य शुभ भाव से ही निकलेगा, लग्न से छठे मंगल का होना हमारी स्थिति अच्छी ही बता रहा हैं हमारे अनुमान से भारत लगभग ६४ पदक जीत सकता हैं |

अंकशास्त्र द्वारा अनुमान लगाने पर ज्ञात होता हैं की इन खेलो पर ३ व ७ अंको अर्थात गुरु व केतु का प्रभाव रहेगा | ३ का अंक गुरु जो की वर्तमान समय में मीन राशी में भारत की लग्न कुंडली से एकादश भाव तथा चन्द्र से नवम भाव से गुजरकर तीसरे भाव पर ही नज़र ड़ाल रहे हैं |

यह खेल २०१० कुल अंक ३ तथा १२ दिनों तक (३)दिल्ली का पोस्टल कोड लोधी रोड (३) इंडिया का अंक (३) राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का भाग्यांक (३)तथा उनका १२ वि राष्ट्रपति होना (३) की अधिकता ही दर्शा रहे हैं |
 अंक ७ संचार व खेलो का अंक हैं इन खेलो का कुल अंक ७ जवाहरलाल नेहरु स्टेडियम का अंक ७ तथा लोधी रोड का अंक  भी ७ ही आता हैं

इस प्रकार यह कहा जा सकता हैं की यह खेल न सिर्फ जबरदस्त कामयाब होंगे बल्कि भारत को इनसे लाभ भी मिलेगा कही कही कमियां उजागर होंगी परन्तु इतने बड़े भव्य आयोजन में यह गलतिया तो होती ही हैं |

यह लेख आ़प का भविष्य ज्योतिषीय पत्रिका में अक्तूबर २०१० माह के अंक में छपा हैं |

मंगलवार, 21 सितंबर 2010

कॉमनवेल्थ खेल

आगामी ३ अक्तूबर से १४ अक्तूबर तक भारत की राजधानी दिल्ली में कॉमनवेल्थ खेलो का आयोजन हो रहा हैं जिस कारण सम्पूर्ण विश्व की नज़र भारत पर लगी हुई हैं तथा भारत के खेल प्रेमी भी इस आयोजन का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं |पिछले कुछ वर्षो से इन खेलो की तैयारिया जबदस्त तरीके से चल रही हैं |जिस कारण नए नए दावे व घोटाले समय समय पर आयोजन कमेटी पर लगते रहे हैं | क्या ऐसे में भारत इन खेलो का सफल आयोजन कर अपनी साख बचा पायेगा ?क्या भविष्य में भारत को किसी और खेलो का आयोजन करने के लिए प्रस्ताव मिल पायेगा ? ऐसे ही कुछ सवालों का जवाब आइये ज्योतिषीय दृष्टी व भारतवर्ष की कुंडली से जानने का प्रयास करते हैं|

खेलो की प्रष्ठभूमि:-१९७८ में इन खेलो का नामकरण हुआ पहले इन्हें ब्रिटिश एम्पायर खेलो के नाम से जाना जाता था | इन खेलो का मुख्यालय "लन्दन" में हैं | छह देश ऐसे हैं जिन्होंने अब तक सभी कॉमन वेल्थ खेलो में हिस्सा लिया हैं | यह १९वे कॉमनवेल्थ खेल हैं | इस १९वे कॉमनवेल्थ खेल में १७ खेल ७३ देश तथा २८५ स्पर्धाये होगी | इन खेलो का उदघाटन व समापन जवाहर लाल नेहरु स्टेडियम में होगा| पिछले खेल मेलबोर्न (ओस्ट्रेलिया ) में हुए थे जिसमे भारत  ने कुल ५० पदक जीते थे| जबकि अगले खेल ग्लासगो (स्कोटलेण्ड) में होंगे यह खेल अन्य खेलो की तरह चार वर्ष में आयोजित किये जाते हैं |
इन खेलो का शुभंकर "शेरा" हैं तथा यह कौंग्रेस सरकार में तीसरे बड़े खेल हैं जो आयोजित हो रहे हैं |.......................शेष कल       

सोमवार, 6 सितंबर 2010

विवाह में गोधूलि मुहूर्त

विवाह में गोधूलि मुहूर्त का अपना महत्व है। धार्मिक मान्यताओं में यह पूजनीय है। ज्योतिष के अनुसार इसे शुक्र का प्रतीक भी माना गया है। जो दाम्पत्य सुख का कारक ग्रह है। संध्यासमय चारा चरकर लौटती गायों के खुरों से उड़ती धूल प्रदूषित वायु मंडल को स्वच्छ करती है इसे गोधूल कहते हैं। इस समय की सायंकाल वेला को गोधूलिकाल कहते हैं। एवं इसे गोरज भी कहते हैं। ज्योतिषशास्त्र में गोरज या गोधूलिक लग्न को परिभाषित करते हुए कहा है।
÷अर्धास्तात्यपरपूर्षतोऽर्धघरितं गोधूलिकम्'
सूर्यास्त के पूर्व १५ पल (६ मिनट) से सूर्यास्त होने के बाद ३० पल (१२ मिनट) कुल २४ मिनट का गोधूलिक काल है।
÷मुहूर्तघंटिकादयम्' दो घंटों अर्थात ४८ मिनट का मुहूर्त होता है। गोधूलिक मुहूर्त भी ४८ मिनट का ही होता है अर्थात २४ मिनट सूर्यास्त के पूर्व तथा २४ मिनट सूर्यास्त के बाद कुल ४८ मिनट का गोधूलिक मुहूर्त माना जाता है।
गोधूलिक समय के विषय में मत-मतांतर प्रचलित है। इसके अतिरिक्त कुछ वार विशेष में भी गोधूलिक समय के संबंध में विशेष नियम है।
अस्तं याते गुरु दिवसे सौर सार्के, लग्नान्मृतौ
रिपुयवने लग्ने चेन्दौ।
कन्या नाशस्तनुमद मृत्युस्थे भौमे, के दुर्लाभे धन सहजे चन्द्रे सौख्यम॥
गुरुवार में सूर्यास्त होने पर और शनिवार में सूर्य रहते गोधूलि शुभ है। लग्न से अष्टम, षष्ठम या लग्न में ही चंद्रमा हो तो कन्या का नाश होता है।
लग्न अथक सप्तम या अष्टम में मंगल हो तो वर का नाश होता है। २रे, ३रे अथवा ११वें चंद्रमा हो तो सुखदायक होता है।