फेंग शुई में बहुत सारी अवधारणाएं प्रचलित हैं जिनमें से एक है एट मैन्सन | एट मैन्सन की अवधारणा के अनुसार हममें से प्रत्येक व्यक्ति का एक अति महत्वपूर्ण नंबर होता है जिससे हमारे जीवन की दशा-दिशा निर्धारित होती है । इस नंबर को फेंग शुई में कुआ नम्बर की संज्ञा दी गई है ।
कुआ नम्बर का
निर्धारण हमारी जन्म तिथि के आधार पर होता है । कुआ नम्बर की गणना करने के उपरांत
हमें पता चलता है कि कौन सी दिशाएं एवं रंग हमारे लिए सौभाग्यशाली हैं तथा अगर हम
उन दिशाओं एवं रंगों को महत्व प्रदान कर अपनी जीवन शैली को उसी के अनुरूप ढालें तो
ऐसा करना हमारे जीवन में असीम सफलता का मार्ग प्रशस्त कर सकता है । इसी प्रकार कुआ
नम्बर के अनुसार हमारे लिए कुछ नकारात्मक दिशाएं होंगी जिनका त्याग करना हमारे
सुखी जीवन के लिए अति आवश्यक है ।
कुआँ नंबर की गणना जन्म तिथि के आधार पर की जाती
है, हालांकि पुरूषों एवं महिलाओं के लिए गणना की
विधि में थोड़ी भिन्नता है । मान लीजिए कि आप एक पुरुष हैं तथा आपकी जन्मतिथि 15
फरवरी 1967 है । आपके कुआ नम्बर की गणना निम्न प्रकार से
होगी :
चरण 1 : अपने
जन्मवर्ष के अंतिम दो अंकों को जोड़ें तथा यदि पुनः दो अंक बने तो उसे जोड़कर एकल
अंक में परिवर्तित करें ।
उदाहरण: यहां
जन्मवर्ष 1967 है । अतः अंतिम दो अंक अर्थात् 6+7 =
13, इसे एकल अंक में परिवर्तित करने पर बना अंक 1+3=4
चरण 2 : चरण
1 में जो अंक प्राप्त हुआ है उसे 10 में से घटा दें
। जो अंक प्राप्त होगा वही आपका कुआ नम्बर है । इस उदाहरण मे कुआँ नंबर होगा 10-4=6
अब प्रश्न ये उठता हैं की जब जन्म वर्ष की अंतिम दो अंको से गणना
हो जाती हैं तो पूरी जन्मतिथि के क्या आवश्यकता है । हा इसकी आवश्यकता है । यदि जन्म किसी भी वर्ष के फरवरी या उसके
उपरांत हुआ है तो यह नियम हूबहू लागू होगा किंतु यदि जन्म 4
फरवरी के पूर्व हुआ है तो गणना के पश्चात इसमें 1 और जोड़ना होगा
।
मान लीजिए कि
इसी उदाहरण में जन्म तिथि 5 जनवरी 1967
होता तो ऐसी स्थिति में कुआ अंक की में गणना करने के उपरांत 1 और जोड़ना पड़ता । अतः यदि जन्म 4
फरवरी के पूर्व का होगा तो कुआ अंक
की गणना के बाद उसमे एक जोड़ना होगा |
अब मान लीजिए कि
आप एक महिला है तथा आपकी भी जन्म तिथि 15 फरवरी 1967 ही है महिला होने के कारण आप
का कुआं नंबर की गणना निम्न प्रकार से की जाएगी |
चरण 1- अपने जन्म वर्ष के अंतिम 2 अंकों को
जोड़कर उसे एकल अंक में परिवर्तित करें उदाहरण है 6+7=13 तथा 1+3 = 4
चरण 2 : जो
अंक चरण 1 में प्राप्त हुआ उसमें 5 और
जोड़ दें । उदाहरण 4+5 = 9। इस प्रकार - प्राप्त अंक 9
आपका कुआ नम्बर हुआ ।
ध्यातव्य :
महिलाओं के लिए भी नियम वही है । यदि आपका जन्म 4 फरवरी से पहले
हुआ हो तो गणना में प्राप्त हुए कुआ नम्बर में 1 और जोड़ दें ।
शुभ अथवा अशुभ
दिशाएं
कुआ अंकों को दो
विभागों में विभाजित किया गया है । वे हैं पूर्वी समूह एवं पश्चिमी समूह ।
पूर्वी समूह :
पूर्वी समूह के अंतर्गत अंक 1, 3, 4, एवं 9 को
रखा गया है । जिन व्यक्तियों के कुआ नम्बर पूर्वी समूह के अंतर्गत उपर्युक्त अंकों
में से एक है, उनके कुआ नम्बरों के लिए शुभ एवं अशुभ दिशाएं
निम्न प्रकार से होंगी जिनका सही तरह से अनुपालन करने पर जीवन में इच्छित फल की
प्राप्ति हो सकती है तथा सफलता कदम चूम सकती है ।
कुआँ नंबर 1 (शुभ दिशाए)
दक्षिण पूर्व – सर्वश्रेष्ठ
पूर्व – उत्तम
दक्षिण – मध्यम
उत्तर – सामान्य
अशुभ दिशाए
दक्षिण – पश्चिम – अत्यंत शुभ
उत्तर पूर्व – अशुभ
उत्तर-पश्चिम – अशुभ
पश्चिम – अशुभ
सौभाग्यशाली रंग – काला एवं गहरा नीला
कुआँ नंबर 3 (शुभ दिशाएं)
दक्षिण - सर्वश्रेष्ठ
उत्तर – उत्तम
दक्षिण पूर्व – मध्यम
पूर्व - सामान्य
अशुभ दिशाएं
पश्चिम - अत्यंत
अशुभ
उत्तर पश्चिम - अशुभ
उत्तर पूर्व – अशुभ
दक्षिण-पश्चिम –
अशुभ
सौभाग्यशाली रंग
- हरा
कुआं नंबर 4 (शुभ
दिशाए)
उत्तर - सर्वश्रेष्ठ
दक्षिण - उत्तम
पूर्व – मध्यम
दक्षिण पूर्व - सामान्य
अशुभ दिशाएं
उत्तर पूर्व - अत्यंत
अशुभ
दक्षिण पश्चिम –
अशुभ
पश्चिम – अशुभ
उत्तर – अशुभ
सौभाग्यशाली रंग
- गहरा हरा
कुआँ नंबर 9 (शुभ दिशाएं)
पूर्व - सर्वश्रेष्ठ
दक्षिण पूर्व – उत्तम
उत्तर - मध्यम
दक्षिण – सामान्य
अशुभ दिशाएं
उत्तर पश्चिम - अत्यंत
अशुभ
पश्चिम – अशुभ
दक्षिण पश्चिम –
अशुभ
उत्तर पूर्व – अशुभ
सौभाग्यशाली रंग
- लाल एवं बैंगनी |
पश्चिमी समूह के
अंतर्गत अंक 2,5,6 एवं 8 को रखा
गया है | पश्चिमी
समूह के अंतर्गत हुआ नंबरों के लिए शुभ एवं अशुभ दिशाएं तथा सौभाग्यशाली रंग निम्न
प्रकार से हैं |
कुआं नंबर दो (शुभ
दिशाएं)
उत्तर-पूर्व – सर्वश्रेष्ठ
पश्चिम - उत्तम
उत्तर पश्चिम - मध्यम
दक्षिण पश्चिम –
सामान्य
अशुभ दिशाए
दक्षिण पूर्व अत्यंत अशुभ
दक्षिण-पूर्व/दक्षिण/पूर्व –अशुभ
सौभाग्यशाली रंग
- भूरा पीला एवं पीला भूरा |
कुआँ नंबर 5 के शुभ तथा अशुभ दिशाओं का कारकत्व पुरुष एवं महिला
के अलग-अलग होता है |
पुरुष के लिए
शुभ दिशाएं
उत्तर पूर्व - सर्वश्रेष्ठ
पश्चिम – उत्तम
उत्तर पश्चिम - मध्यम
दक्षिण पश्चिम –
सामान्य
पुरुष के लिए
अशुभ दिशाएं
उत्तर - अत्यंत अशुभ
दक्षिण पूर्व/दक्षिण/पूर्व अशुभ
सौभाग्यशाली रंग
- हल्का पीला एवं बिस्कूटी
पीला
महिलाओं के लिए
शुभ दिशाएं
दक्षिण पश्चिम –
सर्वश्रेष्ठ
उत्तर पश्चिम – उत्तम
पश्चिम - मध्यम
उत्तर पूर्व - सामान्य
महिला के लिए
अशुभ दिशाएं
दक्षिण पूर्व - अत्यंत
अशुभ
उत्तर – अशुभ
पूर्व – अशुभ
दक्षिण पश्चिम –
अशुभ
सौभाग्यशाली रंग
- हल्का पीला बिस्कुटी एवं
पीला |
कुआँ नंबर 6 (शुभ दिशाएं)
पश्चिम - सर्वश्रेष्ठ
उत्तर पूर्व -उत्तम
दक्षिण पश्चिम - मध्यम
उत्तर पश्चिम – सामान्य
अशुभ दिशाएं
दक्षिण - अत्यंत
अशुभ
पूर्व/उत्तर एवं
दक्षिण पूर्व – अशुभ
सौभाग्यशाली रंग
- सुनहरा चांदी की तरह सफेद एवं कास्य
कुआ नंबर 7 (शुभ
दिशाएं)
उत्तर पश्चिम – सर्वश्रेष्ठ
दक्षिण पश्चिम -उत्तम
उत्तर पूर्व -मध्यम
पश्चिम -सामान्य
अशुभ दिशाएं
पूर्व - अत्यंत
अशुभ
दक्षिण/दक्षिण
पूर्व/उत्तर – अशुभ
सौभाग्यशाली रंग
- सुनहरा चांदी सफेद एवं कास्य
कुआ नंबर 8 (शुभ
दिशाएं)
दक्षिण पश्चिम –
सर्वश्रेष्ठ
उत्तर पश्चिम - उत्तम
उत्तर पूर्व – सामान्य
अशुभ दिशाएं
दक्षिण पूर्व - अत्यंत
अशुभ
उत्तर/पूर्व/दक्षिण
– अशुभ
सौभाग्यशाली रंग - भूरा पीला एवं हल्का भूरा
कुआं अंक के अनुसार दिशाओं का शुभत्व एवं अशुभत्व अवरोही क्रम में समझा जाना चाहिए । जो शुभ दिशा सबसे पहले है वह उस व्यक्ति के लिए अतिश्रेष्ठ दिशा होगी तथा नीचे की अन्य दिशाओं का शुभत्व क्रमशः थोड़ा कम होता जाएगा । इसी प्रकार से अशुभ दिशाओं के मामले में विचार करना आवश्यक है । अब प्रश्न यह उठता है कि एक ही परिवार में अनेक लोग रहते हैं तो उनके कुआ अंक भी अलग-अलग होंगे । इस प्रकार उनके शुभ तथा अशुभ दिशाओं में भी भिन्नता होगी तो घर के हर चीज का संयोजन कैसे किया जाय । ऐसी स्थिति में घर के प्रधान व्यक्ति को जो आजीविका कमाता है उसे तरजीह दी जानी चाहिए तथा लिविंग एरिया, उसके बेडरूम आदि का संयोजन उस अनुसार किया जाना चाहिए । अन्य सदस्य अपने बेडरूम में अपने कुआ अंक के अनुरूप व्यवस्था कर सकते हैं । पति-पत्नी के कुआ अंक अलग होने पर दोनों के लिए जो उपयुक्त शुभ दिशा हो उसका चयन कर संयोजन करे |
1 टिप्पणी:
आप ने अच्छे से बताया है कुआ सखया के बारे मे
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