शुक्रवार, 27 अगस्त 2010

वार्तालाप

सभी मित्रो को नमस्कार,
पिछले कुछ दिनों से आ़प सभी से वार्तालाप नहीं हो पा रहा था इसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ हमारी पिछली कुछ पोस्टो को आ़प सभी ने सराहा इसके लिए आ़प सभी का शुक्रिया,आ़प सभी ने हमसे यह भी शिकायत की हैं हम अपने इस चिट्ठे में बहुत ज्यादा ज्योतिषीय ज्ञान व शब्दों का प्रयोग करते हैं और ऐसा हो भी सकता हैं हम यह आ़प सभी को बतादे की ज़्यादातर चिट्ठे हमारे वो होते हैं जो हमने किसी न किसी ज्योतिषीय पत्रिका में छपने हेतु भेजे हुए होते हैं जिनमे इस तरह की भाषा व शब्दों का प्रयोग करने ही पड़ता हैं परन्तु आ़प सभी के इस सुझाव पर हम अवश्य गौर करेंगे |

हमारे एक सहयोगी ने हमे यह सुझाव भेजा हैं जिन लोगो के पास जन्मपत्रिका नहीं होती हैं उनके लिए क्या ज्योतिष किसी प्रकार से मददगार हो सकता हैं जैसे किसी व्यक्ति को कोई परेशानी हो और उसके पास जन्मपत्री आदि ना हो तो क्या ज्योतिष इसमें उसकी कुछ मदद कर सकता हैं इस सन्दर्भ में हम इतना ही कहेंगे की ज्योतिष अवश्य ही उसकी मदद कर सकता बसर्ते वह अपनी समस्या सही तरह से बता सकता हो तथा अन्य सही जानकारी भी पूछने पर बता सकता हो |

आज ऐसा ही एक सवाल हम से पुछा गया हैं की शांतनु नामक एक बच्चा हैं जो की आठवी कक्षा में हैं घर पर किसी तरह की कोई भी परेशानी नहीं हैं इसके बावजूद हर वक़्त डरा डरा सा रहता हैं जिससे उसकी पढाई भी ठीक से नहीं हो पा रही हैं | घर वाले ज्योतिष पर यकीन नहीं करते हैं क्या इस समस्या का कोई ज्योतिषीय हल बताया जा सकता हैं |
यह समस्या वैसे तो कई कारणों से हो सकती हैं परन्तु ज्योतिषीय आधार पर हम यह कह सकते हैं जन्म के समय जन्मकालीन चन्द्रमा पर शनि या राहू ग्रह की दृष्टी या युति होती हैं तो व्यक्ति विशेष पर एक अनजाना सा भय बना रहता हैं  ऐसा ही इस बच्चे के साथ भी हो सकता हैं इस या ऐसी समस्या होने पर यह उपाय किया जा सकता है |
१२) चन्द्रमा को बल प्रदान किया जाए (चंद्रकांत मणि ) रत्न धारण करने चाहिए |
२) ४३ दिनों तक नारियल,बादाम जल प्रवाह करे |
३) काले,नीले वस्त्र न पहने |
४) शिव चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं |



गुरुवार, 12 अगस्त 2010

चार ग्रहों की युति

कल दिनांक १३ अगस्त २०१० को शाम के वक़्त आकाश में चार ग्रहों की युति कन्या राशी में हो जाएगी, ज्योतिषीय व खगोलीय दृष्टी से यह युति बहुत ज्यादा महत्व रखती हैं | जब भी किसी राशी में दो से ज्यादा ग्रहों की युति होती हैं उस राशी में स्वाभाविक तौर से ज्यादा हलचल होने लगती हैं तथा धरती पर उससे सम्बंधित क्षेत्र में कोई न कोई दुर्घटना या प्राकृतिक आपदा अवश्य जन्म लेती हैं |

इस राशी में जन्मा जातक (क्यूंकि चन्द्रमा भी कन्या राशी में ही होगा ) कई मायनों में विलक्षण व विशेष होगा |
इस बार यह युति कन्या राशी में हो रही हैं तथा शनि,मंगल,शुक्र व चन्द्र ग्रहों का इस राशी में आना कई ज्योतिषीय योग को जन्म दे रहा हैं |नि चन्द्र युति विष योग,मंगल चन्द्र युति लक्ष्मी योग,शुक्र चन्द्र युति आकस्मिक धन प्राप्ति  योग     (लौटरी योग )बना रहा हैं इस दुर्लभ संयोग में जन्मे जातक के विषय में कहा जाए तो यह जातक प्रवज्या योग में जन्मा भी माना जाएगा जिसे संन्यास योग भी कहते हैं विष योग होने से वह विलक्षण सोच वाला,धनवान (लक्ष्मी व आकस्मिक धन प्राप्ति योग)खून की बीमारी से ग्रसित (मंगल शनि योग)प्रेम विवाह करने वाला तथा अत्यधिक भोगी प्रकृति का भी हो सकता हैं (मंगल शुक्र युति) यहाँ यह भी ध्यान रखना होगा इन सभी ग्रहों पर गुरु ग्रह की दृष्टी भी होगी जो की शुभ फलो में बढोतरी ही करेगी परन्तु जन्म लग्न का भी प्रभाव देखा जायेगा साथ ही साथ यह भी की यह युति किस भाव में बन रही हैं |

 इन चार ग्रहों की युति के बनने से धरती पर विशेषकर कन्या राशी क्षेत्र व नाम वाले देशो व इलाको में भूकंप,बाढ़, भू -स्खलन तथा अन्य प्राकृतिक आपदाए आ सकती हैं जिन देशो में ज्यादा गड़बड़ी हो सकती हैं उनमे प व ट अक्षर हो सकते हैं जैसे पाकिस्तान,तुर्की,ताईवान,पनामा आदि |

भारत में देखे तो यह युति भारत की लग्न कुंडली के पांचवे भाव में बन रही हैं जो की छाती व पेट के कुछ हिस्से दर्शाती हैं जिससे मध्य भारत व उड़ीसा का इलाका प्रभावित हो सकता हैं वैसे नाम के आधार पर हम पंजाब प्रान्त में भी उठा पटक देख  सकते हैं| 

यह सारा विश्लेषण मेरे तुच्छ ज्योतिषीय ज्ञान पर आधारित हैं जिसमे त्रुटिया हो सकती हैं जिसके लिए मैं आ़प सभी से क्षमा प्राथी रहूँगा |   

सोमवार, 9 अगस्त 2010

"लाल किताब"

"लाल किताब' 'भृगुसंहिता' के समान ही उर्दू भाषा में लिखी गई एक ज्योतिषीय रचना है। इसका मूल लेखक कौन हैं? यह भी आज विवाद का विषय है, फिर भी कहा जाता है कि फरवाला गांव (पंजाब) के निवासी पंडित रूपचंद जोशी' इसके मूल लेखक हैं।

सर्वप्रथम १९३९ में लाल किताब के सिद्धांतों को उन्होंने एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया, जिसमें लेखक एवं प्रकाशक के स्थान पर पं. गिरधारी लाल शर्मा का नाम छपा था। पं. रूपचंद्र जोशी सेना में काम करते थे, इसलिए उर्दू में किताब लिखने से उन्हें अंग्रेज सरकार से उत्पीड़न की आशंका थी। उन्होंने अपने किसी रिश्तेदार के नाम से इस पुस्तक का प्रकाशन कराया। पं. रूपचंद्र जोशी ने लाल किताब कैसे लिखी? इस बारे में कहा जाता है कि सेना में नौकरी के दौरान जब वे हिमाचल प्रदेश में तैनात थे, तो उनकी मुलाकात एक ऐसे सैनिक से हुई जिसके खानदान में पीढ़ी दर पीढ़ी ज्योतिष का कार्य होता था। उसने एक अंग्रेजी अफसर को अपने पुश्तैनी ग्रंथ के आधार पर कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं बतायीं। इनसे प्रभावित होकर अंग्रेज अफसर ने उस जवान से उसके द्वारा बताई गई बातों के सिद्धांतों वाली पुस्तक लाने को कहा तथा उस जवान से उस पुस्तक के सिद्धांतों को नोट करवा लिया। जब यह रजिस्टर अंग्रेज अफसर को मिला तो रूपचंद्रजी को उसे पढ़ने के लिए बुलवाया गया। उन्होंने उन सिद्धांतों को पढ़कर पृथक-पृथक रजिस्टरों में नकल कर लिया। बाद में रूपचंद्र जोशी ने इस पुस्तक के सिद्धांत एवं रहस्य को पूर्ण रूप से समझकर प्रथम बार १९३९ ई. में एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया। अमृतसर' के कलकत्ता फोटो हाउस द्वारा प्रकाशित लाल किताब के प्रकाशक के स्थान पर शर्मा गिरधारी लाल लिखा था, यही नाम लेखक के लिये प्रयुक्त किया गया था।
लाल किताब के संबंध में कितनी ही किंवदन्तियां हैं। लंकापति रावण ने सूर्य देवता के सारथी एवं गरुड़ के छोटे भाई 'अरुण' (अपने ललाट पर अर्ध चंद्राकार कमल धारण किये हुए) से अत्यंत श्रद्धा-भक्ति के साथ यह लाल किताब का ज्ञान प्राप्त किया था। रावण की तिलिस्मी दुनिया का अंत होने के पश्चात् यह ग्रंथ किसी प्रकार अरब देश में 'AAD' नामक स्थान पर पहुंच गया जहां इसका उर्दू या अरबी भाषा में अनुवाद हुआ।

दूसरी किंवदंती के अनुसार सदियों पहले भारत से अरब देश गए, एक महान ज्योतिर्विद ने वहां की संस्कृति और परिवेश के अनुरूप इसकी रचना की थी जबकि सच्चाई के लिये विविध मत् प्रचलित है। फिर भी 'लाल किताब' में गुह्य व गहन-टोटका -ज्योतिष एवं उपचार विधि-विधान की अतिन्द्रिय शक्ति छिपी हुई है, जो जातक या मानव मन की गहराई में झांककर विभिन्न गोपनीय रहस्यों को भविष्य कथन के रूप में प्रकट करती है। अतः भविष्य के गर्भ में छिपे रहस्यों को इस विधा द्वारा सहजता से जाना जा सकता है।