सोमवार, 25 मई 2020

शनि का प्लूटो से संबंध



प्रत्येक 12 वर्षों में प्लूटो और गुरु संग आते हैं,गुरु और शनि 20 वर्ष में संग आते हैं |
प्लूटो एक राशि में 20 वर्ष रहता है जो अब मकर राशि में है |
प्लूटो व शनि एक ही राशि में 735 वर्ष में आते हैं इसमें शनि के 25 गोचर होते हैं तथा प्लूटो के तीन गोचर होते हैं |
वर्तमान में शनि 20 वर्षों के लिए प्लूटो का स्वामी बनेगा तथा शनि गुरु के लिए 2 साल के स्वामी बनेंगे |
जिस कारण मकर राशि और उसके स्वामी शनि को बहुत ज़्यादा प्रभाव मिलेंगे |

वराहमिहिर के अनुसार भारत की मकर राशि है,जिस कारण मकर राशि पर किसी भी प्रकार का गोचरीय प्रभाव भारतवर्ष पर सीधा प्रभाव डालता है | प्लूटो का मकर राशि में गोचर भारतवर्ष की बदलाव का प्रतीक बन रहा है तथा साथ में इन दो ग्रहों शनि प्लूटो का मकर राशि मे गुरु संग आना भी भारत हेतु कुछ ना कुछ बदलाव कराएगा |
भारतवर्ष की कुंडली 15/8/1947 00:00 दिल्ली के अनुसार देखे तो मकर राशि भारत के नवे भाव में पती है जो भारत वर्ष का भाग्य और भविष्य बताती है |

शनि प्लूटो का पिछला संबंध 735 वर्ष पूर्व सन 1285 वर्ष में बना था सन 1200 के बाद हमारे देश में मुगल फ्रांसीसी पुर्तगाली तथा अंत में अंग्रेज आए थे जिन्होंने हमारे देश की आर्थिक व्यवस्था को जड़ से खराब कर दिया था | इन सब बुरे समयो से भारतवर्ष निकल कर आया है |

प्लूटो ग्रह बदलाव का प्रतीक होता है तथा शनि उसे मदद करता है जब यह दोनों ग्रह एक साथ आते हैं तो काफी बदलाव करते हैं | पिछली बार सन 1285 में विध्वंसक बदलाव के कारण भारतीयों ने अपनी सारी शक्ति खो दी थी अब 2020 में यह माना जा रहा है कि सत्ता सही व्यक्तियों के हाथ में आएगी,लोगों में जागरूकता बढ़ेगी और उन्हें अपनी शक्ति का पता चलेगा,शनि हमें मेहनत से सबक सीखाकफल प्राप्त करवाते हैं |

अब जब इन तीनों ग्रहो का मकर राशि में मिलना होगा तो कुछ अच्छे व्यापक बदलाव देखने को मिलेंगे |
प्लूटो 26 फरवरी 2020 को शनि से मकर राशि में मिलेगा यह दोनों प्रत्येक 34 से 38 वर्ष में मिलते हैं |

आइए देखते हैं की पिछली बार इन दोनों के मिलने पर क्या हुआ था |
1947 अगस्त में कर्क राशि में यह दो मिले थे तब भारत अंग्रेज़ो से आजाद हुआ था |
1982 अक्तूबर में तुला राशि में दोनों ग्रह मिले थे जब तुला राशि से गुरु भी गुजर रहा था जो भारत की कुंडली का छठा भाव है तब हमने क्रिकेट विश्व कप जीता था तथा प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या होने के बाद हजारों सिख मारे गए थे |
प्लूटो,शनि गुरु से बाहर का ग्रह है सूर्य से सबसे दूर का ग्रह है धीमी गति से घूमने वाला ग्रह है प्लूटो को मंगल समान माना गया है तथा इसे वृश्चिक राशि का स्वामी बताया गया है |

आइए देखते हैं कि शनि से प्लूटो का संबंध धनु राशि में कब कब बना |
5 नवंबर 2019 से 24 जनवरी 2020 शनि गुरु प्लूटो धनु राशि में थे |
30 मार्च 2020 से 29 जून 2020 जहां माह मध्य मे यह वक्री होंगे |
20 नवंबर 2020 से 5 अप्रैल 2021 तथा अंत में 15 सितंबर 2021 से 21 नवंबर 2021 अर्थात पूरे 2020 में यह दोनों एक ही राशि पर रहेंगे जोकि धीमी आंदोलनकारी गतिविधि बता रहे हैं |
इन तीनों ग्रहों का संबंध दुनिया में बहुत सारी वस्तुओं को बदल कर रख देगा क्योंकि प्लूटो शनि से भी धीमे चलते हैं तथा ब्रह्मांड का 248 वर्ष में चक्कर लगाते हैं अर्थात 1 साल में केवल 2 अंश चलते हैं तथा 165 दिन प्रतिवर्ष वक्री रहते हैं जिस कारण इनका प्रभाव भी धीमा रहता हैं | यह मकर में 2020 से 2039 तक रहेंगे इस दौरान हम आने वाले सालों में बहुत कुछ बदलता हुआ देखेंगे |

शनि सीमाये,दे तथा डर बताता है,प्लूटो अंत तक जाना,तेजी से बदलना और बदलाव बताता है जबकि गुरु कुछ बड़ा व विस्तारता होने का प्रतीक है |

जब यह तीनों मिलेंगे तो अवश्य ही कोई ना कोई बहुत बड़ा बदलाव होगा बहुत से पुराने नियम बंधन कायदे और कानून टूटेंगे तथा नये बनेंगे,धरती पर बहुत बड़े आंदोलन होंगे तथा जनता उसमें शामिल होगी क्योंकि शनि न्याय अथवा आम जनता का प्रतीक है इसमें समय तो लगेगा लेकिन याद रखें 2020 दुनिया के लिए बहुत कुछ बदलने की क्षमता रखता हुआ वर्ष नजर आ रहा है |

प्लूटो लड़ाई एवं द्वंद बताता है जिसमे महा शक्तियों सी ताकत,आतंक हत्याएं ताकत होती हैं जिसे शक्ति द्वारा ही नियंत्रित किया जा सकता हैं जिस कारण शक्ति का प्रदर्शन बड़े पैमाने पर होगा | शनि और प्लूटो दोनों ही पाप ग्रह की श्रेणी में है जो कुछ ताकतवर परिणाम देने मे सक्षम हैं परंतु यहां पर गुरु की उर्जा भी शामिल होगी जो इन के नकारात्मक प्रभाव को काफी हद तक रोकेगी परंतु फिर भी शनि प्लूटो और गुरु युति के एक ही भाव में होने से धरती पर बहुत सारी चीजें ऐसी होंगी जो कभी हुई नहीं है |



भारत की वर्तमान दशा के फल


2020 में भारत वर्ष
10/2/2019 से 10/7/2021 तक भारत में चंद्र में शनि दशा चल रही है,चंद्रमा तृतीयेश होकर तीसरे भाव में ही है शनि भी नवमेश दशमेश होकर तीसरे भाव में ही है जो वृषभ लग्न होने के कारण योगकारक बना है जिससे भारत खनन,समुद्री,टेक्सटाइल,अन्तरिक्ष,रोबोटिक्स,खनिज पदार्थों से संबन्धित क्षेत्रो में कामयाबी पाएगा,परंतु बुध और केतु की प्रत्यंतर दशा हानि भी देगी जो कि अप्रैल से जुलाई 2020 तक का समय होगा,इस दौरान सरकार की विदेशी प्रणाली बैंकों के कारण बुराई भी होगी | 
इस दौरान भारत मे निम्न प्रभाव भी मिलेंगे |
पाकिस्तान भारत को भड़काने का प्रयास करेगा |
औरतों से संबंधित ज्यादा कानून बनेंगे |
सेटेलाइट के क्षेत्र में भारत का डंका बजेगा |
वेद पुराण ज्योतिष लोकप्रिय होगा |

14 मई 2020 को मकर राशि में गुरु वक्री होगा तथा 30 जून 2020 को धनु राशि में वापस जाएगा | 13/9/2020 को मार्गी होकर 20/11/2020 को मकर में वापस आ जाएगा,यह अतिचारी भ्रमण कहलाता है जिसमें गुरु 33 अंश 193 दिन में चलेगा |

मंगल शनि की युति - 23/3/2020 को मकर राशि में 30 वर्ष बाद मंगल और शनि मिलेंगे ऐसा 1992 में हुआ था | यह दोनों मकर राशि से कर्क राशि को देखेंगे जो भारत वर्ष की राशि हैं |
इनके इस मिलन से भारत वर्ष पर निम्न प्रभाव भारत पर पड़ेंगे |
स्थिर व जल राशि में प्रभाव कारण भूकंप आएगा |
कुछ बड़े नेता त्यागपत्र देंगे |
ब्रिटिश राजनीति बदलेगी |
प्रदर्शन बम और विस्फोट होंगे |
मजदूर संगठनों से संबन्धित कुछ होगा |
स्टेडियम सिक्योरिटी में कुछ गड़बड़ी होगी |

गुरु और शनि का मिलन 30 मार्च 2020 को मकर राशि में होगा जो कि काफी समय तक रहेगा तथा 21/12/ 2020 को इनका अंशीय मिलन होगा जो कि 6 डिग्री 9 अंश का कुंभ नवांश में होगा जिसे इस्लामिक दुनिया मे  प्रभाव प्राप्त होंगे गुरु शनि को धार्मिकता साम्राज्यता राजपाट हेतु देखा जाता है |

3/11/2020 को अमरीकी राष्ट्रपति के चुनाव भी हैं जो दुनिया हेतु काफी गड़बड़ी बता रहे हैं |
डोनाल्ड ट्रंप ज्येष्ठा नक्षत्र में 14/6/1946 10:45 को जमैका में सिंह लग्न में जन्मे गुरु में गुरु दशा में राष्ट्रपति बने हैं ग्रहण के दिन पैदा हुए हैं इनकी पत्रिका में 6 भाव में ही ग्रह स्थित होने के कारण इन्हें अचानक ऊंचाइयां मिली है,2016 में साढ़ेसाती के दौरान यह राष्ट्रपति बने नवंबर 2020 में इनके दोबारा लड़ने के योग बन रहे हैं इनका मुकाबला मार्क पेन्स से होगा |

वक्री ग्रहों का प्रभाव
गुरु 15/5/2020 से 13/9/2020 तक तथा शनि 12/5/2020 से 29/9/2020 तक वक्री हो जाएंगे जिससे 29 जून 2020 तक दोनों ग्रह मकर राशि में वक्री रहेंगे परंतु गुरु का नीचभंग भी रहेगा |
इसके निम्न प्रभाव होंगे |
शेयर बाजार में हलचल रहेगी |
सोना पेट्रोल खनिज घटेंगे |
रुपए में सुधार होगा तथा बड़े उद्योगों में तेजी आएगी |

11/9/2020 से 13/9/2020 के बीच तीन ग्रह वक्री होंगे |
गुरु धनु,शनि मकर तथा मंगल कुंभ में वक्री होंगे,1-5 अग्नि राशि प्रभाव में रहेगी जिससे थोड़ी बहुत दिक्कत होगी 2020 में 6 ग्रह वक्री रहेंगे |
जून महीने में दो ग्रहण पड़ेंगे जिसमें से पहला ग्रहण 6 जून 2020 को चंद्र ग्रहण के रूप में होगा तथा ज्येष्ठा नक्षत्र के दूसरे चरण में वृश्चिक राशि के तीसरे द्रेष्कोण में पड़ेगा,इसी समय 3 ग्रह वक्री होंगे,जलीय राशि मे ग्रहण होने से इसके प्रभाव से समुद्री तूफान,तूफान से नुकसान,लोगों का डूबना तथा सुनामी आ सकती है |

21 जून 2020 को सौरग्रहण मृगशिरा नक्षत्र के चौथे चरण में मिथुन राशि के पहले द्रेष्कोण मे पड़ेगा यह ग्रहण वायु राशि मे होने तथा तीन ग्रह के वक्री होने से भूकंप,चोरी,धोखा,स्कैंडल,रेल दुर्घटना,हवाई दुर्घटना,विस्फोट,गैस लीक,ज्वालामुखी फटना,भू स्खलन तथा गोलीबारी जैसे हालात धरती पर दिखेंगे |