गुरुवार, 28 जुलाई 2016

दशानाथ का विशेष गोचरीय नियम

दशानाथ का विशेष गोचरीय नियम

किसी भी दशा के विषय मे फलित करते हुये हम यह मानते हैं की कुंडली मे दशानाथ जिस भाव व स्थिति मे हैं यदि वह उसकी ऊंच राशि,स्वराशि,मित्रराशि,उपचय भाव राशि अथवा अष्टकवर्ग मे अच्छे बिन्दु वाली राशी मे हैं तो वह शुभफल ही देगा परंतु क्या वास्तव मे ऐसा होता हैं हमने अपने अध्ययन मे ऐसा नहीं पाया कई कुंडलियों मे ग्रह अपनी ऊंचावस्था,शुभराशि व शुभावस्था मे होने के बावजूद अपनी दशा मे शुभ फल नहीं दे पाया,इसी को आधार बनाकर हमने कई कुंडलियों का अध्ययन कर पाया की दशानाथ ग्रह की गोचरीय स्थिति का उसके फल प्रदान करने की क्षमता मे बहत प्रभाव रहता हैं |

दशानाथ ग्रह जब गोचर मे शुभ अवस्था मे होता हैं तभी वह अपने वांछित परिणाम दे पाता हैं अन्यथा नहीं इसका एक ताजातरीन उदाहरण अमरीका के राष्ट्रपति ओबामा की कुंडली से पता चलता हैं राष्ट्रपति चुनाव के समय ओबामा की कुंडली मे शनि मे शनि मे शनि की प्रत्यंतर्दशा चल रही थी शनि मकर राशि का होकर उनकी पत्रिका मे गुरु संग लग्न मे ही स्थित हैं उस समय शनि गोचर मे तुला राशि अर्थात अपनी ऊंच राशि से ओबामा की कुंडली के दशम भाव से गोचर कर रहा था जिससे उन्हे कोई दोबारा से अमरीका का राष्ट्रपति बनने से रोक नहीं सकता था और ऐसा ही हुआ ओबामा दोबारा राष्ट्रपति चुने गए |

हमारी विशोन्तरी दशा प्रणाली मे ग्रहो के दशाकाल 6 वर्ष से 20 वर्ष तक रखे गए हैं वही उनका अंतर्दशाकाल न्यूनतम 3 माह 18 दिन से अधिकतम 3 वर्ष 4 माह अर्थात 40 माह तक होता हैं परंतु दशानाथ ग्रहो के प्रभाव इतने लंबे समय तक एक समान नहीं पाये जाते हैं कभी वह शुभ प्रभाव देते हैं तो कभी व अशुभ प्रभाव प्रदान करते हैं उदाहरण के लिए ऐसा हम कई बार पाते हैं की शुक्र महादशा मे शुक्र की अंतर्दशा जो की 3 वर्ष 4 माह की होती हैं उसमे जातक का विवाह,संतान व तलाक तीनों घटनाए हो जाती हैं जबकि कुंडली मे शुभ अथवा ऊंचावस्था मे स्थित था जो यह सोचने मे मजबूर कर देता हैं की कहीं हमारी दशा प्रणाली मे कोई त्रुटि तो नहीं हैं |    

गोचर प्रभाव के समय हम अधिकतर दीर्घकालीन ग्रहो शनि,गुरु,मंगल,राहू व केतू का अध्ययन ज़्यादा करते हैं जबकि अन्य ग्रहो के गोचर का प्रभाव भी जन्म नक्षत्र अनुसार ज़्यादा होता हैं अनुभव मे यह भी देखा गया हैं की सूर्य का गोचर तत्काल प्रभावी होता हैं गोचरीय प्रभावों मे यह भी देखा गया की दशा का ग्रह अपना प्रभाव कुंडली मे बैठे ग्रहो के द्वारा,भावो के द्वारा सूर्य के गोचर व दृस्टी गोचर द्वारा भी प्रदान करता हैं |

आइए अब कुछ गोचरीय नियम देखते हैं जिनके अंतर्गत ग्रह अपना फल प्रदान करते हैं |

1)अंतर्दशानाथ अपने शुभफल तब प्रदान करेगा जब वह गोचर मे दशानाथ से पंचम,नवम भाव मे हो,ऊंच का हो,स्वग्रही हो अथवा मित्रराशी मे हो |

2)अंतर्दशानाथ यदि गोचर मे अस्त,नीच,शत्रुराशी अथवा महादशानाथ से 6,8,12 भावो मे होतो अशुभ परिणाम ही प्रदान करता हैं भले ही कुंडली मे वह किसी भी अवस्था का हो |

3)अंतर्दशानाथ ग्रह कुंडली मे अपने स्वामित्व भाव व स्थित भाव के अतिरिक्त गोचर मे स्थित भाव का फल भी ग्रह प्रदान करता हैं |

4)गोचरीय चन्द्र भी तभी शुभ फल प्रदान करेगा जब वह महादशानाथ की ऊंच,स्वग्रही,अथवा उससे 3,5,6,7,9,10,11 राशि से गुजर रहा हो परंतु इसका प्रभाव थोड़ा कम ही होता हैं |

5)सूर्य का गोचर अवश्य देखे जो अंशो के आधार पर सटीक परिणाम दर्शाता हैं |सूर्य का यह सिद्दांत कई कुंडलियों पर परखा गया हैं और सही पाया गया हैं |

6)लग्नेश व दशमेश के अंशो को देखे जब भी दशानाथ –अंतर्दशानाथ का इनसे संबंध बनेगा और सूर्य का इनसे गोचर होगा दशा के परिणाम प्राप्त होंगे |

उपरोक्त सभी नियम सत्याचार्य,ढुंढिराज़ व व्यंकटेश द्वारा दिये गए दशा के नियमो से ही प्रतिपादित किए गए हैं ज़रूरत हैं इन्हे समझकर आज के संदर्भ मे प्रयोग करने की जिससे सटीक परिणाम प्राप्त होते हैं |

आइए अब कुछ कुंडलियों का अध्ययन करते हुये अपने इन नियमो का प्रतिपादन करते हैं |

1)नेहरुजी की पत्रिका मे 2 घटनाओ की पुष्टि हमारे इन नियमो से होती हैं 28/2/1936 को उनकी पत्नी का स्वर्गवास हुआ था तब उनकी सूर्य मे शुक्र की दशा थी यह दोनों ग्रह आपस मे शत्रु हैं तथा कुंडली मे 2/12/ अक्ष पर हैं अंतर्दशानाथ शुक्र शनि द्वारा दृस्ट तथा पापकर्तरी मे हैं जिससे वह पत्नी हेतु कष्ट बता रहा हैं 15/2/1936 को जब सूर्य कुम्भ मे आया तब वह जन्मकालीन शनि की दृस्टी मे आ गया तथा कुछ दिनो बाद ही पत्नी की मृत्यु हो गयी यहाँ यह भी ध्यान दे की 28/2/1936 के दिन सूर्य शुक्र दोनों गोचर मे भी 2/12 अक्ष पर कुंडली के सप्तम अष्टम भाव मे थे
दूसरी घटना 20/10/1962 की हैं जिस दिन चीन ने भारत पर हमला किया दशा राहू मे बुध की थी राहू कुंडली मे द्वादश भाव मे मिथुन राशि का हैं व बुध तुला का चौथे भाव मे पापकर्तरी मे हैं सूर्य जैसे ही तुला राशि मे जन्मकालीन बुध के ऊपर आया तथा 20/10/1962 को चन्द्र राहू के ऊपर मिथुन राशि पर आया यह घटना हुयी जिससे नेहरुजी को काफी मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ा |

2)जॉन केनेडी की पत्रिका मे अमरीकी चुनाव के समय 8/11/1960 को गुरु मे गुरु अंतर्दशा चल रही थी उस समय गुरु धनु राशि मे ही गोचर कर रहा था तथा नवांश मे ऊंच का था कुंडली मे गुरु सप्तमेश होकर अपने भाव से दशम गोचर कर रहा था वही अन्य दावेदार निक्सन की पत्रिका मे शनि मे शुक्र दशा चल रही थी शुक्र शनि से द्वादश गोचर कर रहा था तथा शनि पर मंगल की दृस्टी भी थी स्पष्ट रूप से केनेडी की विजय निश्चित थी |

अंत मे यह कहना चाहूँगा की ज्योतिष बहुत विशाल क्षेत्र हैं परंतु फिर भी यदि हम थोड़ा सा श्रम व शोध करे तो इसके कई रहष्य ज्ञात किए जा सकते हैं |     

शनिवार, 23 जुलाई 2016

आपका मूलांक व स्वभाव

आपका मूलांक व स्वभाव

1)मूलांक 1 वाले सहनशील व गंभीर होते हैं,सकारात्मक सोच लेकर आगे बढने के शौकीन होते हैं इनमे नेत्रत्व की भावना अधिक होती हैं ऐसे जातक जो भी कार्य हाथ मे लेते हैं उसे भली भांति समाप्त करके ही अगला कार्य हाथ मे लेते हैं |

2)मूलांक 2 वाले जातक कल्पनाशील,भावुक,सरल,कोमल प्राण वाले व दोस्ताना फितरत वाले होते हैं नित्य नई नई कल्पनाओ मे रमे रहना इनका मुख्य कार्य होता हैं एक ही कार्य अथवा सोच को ज़्यादा समय तक कायम नहीं रख पाते हैं नए नए विचारो को कार्यान्वित करते रहना चाहते हैं |

3)मूलांक 3 वाले स्वाभिमानी,साहसी,अडीग व शक्ति व श्रमवान होते हैं आसानी से हार ना मानने वाले यह जातक संघर्ष करना ज़्यादा पसंद करते हैं | स्वतंत्र रहना चाहते हैं जिस कारण दूसरों से सहायता लेना पसंद नहीं करते अच्छे सलाहकार होते हैं सबका भला चाहते हैं इसी कारण जीवन मे ज़्यादा तरक्की नहीं कर पाते हैं |

4)इस मूलांक मे जन्मे व्यक्ति शांत होकर कभी नहीं बैठ पाते या तो जीवन मे काफी उचे होते हैं या काफी नीचे बीच मे नहीं हमेशा क्रियाशील रहते हैं | रटे-रटाए सिद्धांतों पर चलना पसंद नहीं करते लीक से हटकर कुछ करना चाहते हैं | गुरुर की अधिकता के कारण जीवन मे जितनी तेजी से चढ़ते हैं उतनी ही तेजी से गिरते भी हैं |

5)इस मूलांक मे जन्मे व्यक्ति सरल,व्यापारिक सोच मे अव्वल विचारो के धनी होते हैं इनके पास नित्य नए नए आइडियाज आते रहते हैं | जीवन मे बदलाव चाहते हैं जिस कारण घूमने के शौकीन होते हैं ये झुकने मे कम झुकाने मे ज़्यादा यकीन रखते हैं | कुछ ही क्षणो मे किसी से भी बातचीत कर उसे अपना बना लेते हैं |

6)इस मूलांक के जन्मे जातक जन्म से कलाकार हृदय व सौन्दर्य के पुजारी होते हैं अधिक से अधिक सुंदर बनने व दिखने की चाह इनमे कूट कूट कर भरी होती हैं जिस कारण अपने समाज मे प्रसिद्द होते हैं | जीवन के सभी सुख व आनंद प्राप्त निरंतर करते रहना चाहते हैं |

7)इस मूलांक के जातक सरल हृदय,सहनशील व सहयोग की भावना वाले यह जातक मौलिक विचार वाले होते हैं परंतु इनको समझ पाना मुश्किल होता हैं | अपने भीतर बहुत कुछ छुपा कर रखते हैं इनका व्यक्तित्व विशाल व स्वतंत्र विचार का होता हैं जो जीवन मे कबाड़ से भी जुगाड़ बनाना भली भांति जानते हैं | खर्च करना बिलकुल पसंद नहीं करते हैं |

8)मूलांक 8 के जातक जीवन मे खूब संघर्ष करते हैं चुपचाप तरीके से काम करते रहना इन्हे पसंद होता हैं ज़्यादा दिखावा पसंद नहीं करते हैं ख्त व केन्द्रित जीवन जीते हैं ये लोग सहयोगी स्वभाव के ऐसे विश्वासपात्र होते हैं जो दोस्ती व दुश्मनी दोनों को ही बड़े जी जान से रखने मे यकीन करते हैं जो ठान लेते हैं उसे समाप्त करके ही बाज आते हैं |

9)मूलांक 9 वाले ये जातक शारीरिक व मानसिक रूप से बहादुर,साहसी व गुस्सैल स्वभाव के कारण कभी कभी कुछ ऐसा कर जाते हैं जो साहस की सीमा से परे होता हैं ऊपर से प्रचंड,प्रखर,कठोर व विस्फोटक लगते हैं पर अंदर से नरम दिल होते हैं | सिद्धांतों से भरा जीवन जीते हुये अनुशासन मे रहना पसंद करते हैं |



  

गुरुवार, 21 जुलाई 2016

मंगल चन्द्र केतू .....आत्महत्या .3

मंगल चन्द्र केतू .....आत्महत्या .3

1)28/2/2016 को ठाणे मे एक मुस्लिम युवक ने अपने पूरे परिवार को गला रेतकर मौत के घाट उतारने के बाद स्वयं आत्महत्या कर ली थी | इस दिन चन्द्र राहू नक्षत्र मे हैं जो केतू के सामने हैं वही मंगल की केतू पर दृस्टी हैं |

2)2/3/2016 को दक्षिणी दिल्ली मे एक व्यक्ति ने अवसाद के चलते फांसी लगा कर आत्महत्या करी वही 14/3/2016 को विदर्भ मे 5 किसानो ने कर्ज़ व फसल की बरबादी के चलते आत्महत्या कर ली इन दोनों दिन मंगल चन्द्र व केतू का सीधा संबंध बना हुआ हैं |

3)29/4/2016 को दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट परिसर मे महिला ने जहर खाकर आत्महत्या करी वही 30/4/2016 को दिल्ली के गीता कालोनी मे एक युवक ने महिला की हत्या कर स्वयं को भी गोली माआत्महत्या कर ली,इन दोनों दिन चन्द्र शनि की राशि मे हैं शनि मंगल संग हैं और मंगल की केतू पर दृस्टी हैं |

4)6/5/2016 को मंगलौर मे एक औरत ने जहर खाकर आत्महत्या करी इस दिन चन्द्र केतू के नक्षत्र मंगल की मेष राशि मे हैं तथा मंगल की केतू पर दृस्टी हैं |

5)8/5/2016 को गाज़ियाबाद मे एक बाप बेटी ने गरीबी के कारण जहर खाकर आत्महत्या कर ली तथा इलाहाबाद मे एक बैंक मैनेजर ने स्वयं को फांसी लगाकर आत्महत्या करी वही 9/5/2016 को दिल्ली नंदनगरी मे नवी कक्षा की छात्रा ने पंखे से लटककर अपनी जान दे दी तथा पंजाब के नवाशहर मे एक किसान ने कर्ज़ के कारण आत्महत्या कर ली | इन दोनों दिन मंगल की चन्द्र व केतू दोनों पर दृस्टी थी |

6)12/5/2016 को दिल्ली मे मध्य प्रदेश से आए एक व्यापारी ने अपने ऊपर करोड़ो रुपये की उधारी के कारण फांसी लगाकर आत्महत्या करी वही दिल्ली की एक लड़की ने परीक्षा मे असफल होने पर पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली,इस दिन चन्द्र शनि के नक्षत्र मे हैं शनि मंगल संग हैं और मंगल की केतू पर दृस्टी हैं |

7)20/5/2016 को हरिद्वार मे एक युवती ने जहर खाकर आत्महत्या करी | इस दिन चन्द्र राहू नक्षत्र मे हैं जो केतू के सामने हैं वही मंगल की केतू पर दृस्टी हैं |

8)27/5/2016 को बाजपुर उत्तर प्रदेश मे एक युवक ने गृहक्लेश के चलते फांसी लगाई वही 28/5/2016 को लक्सर मे एक व्यक्ति ने फांसी लगाकर आत्महत्या करी इन दोनों दिन चन्द्र-चन्द्र व मंगल के नक्षत्र मे हैं तथा मंगल की केतू पर दृस्टी हैं |



रविवार, 3 जुलाई 2016

त्याज्य चन्द्र

त्याज्य चन्द्र

1)अपने जन्म का चन्द्र होने पर बाल कटाना,विवाह करना,गृह प्रवेश करना,यात्रा पर जाना,युद्ध अथवा कोर्ट केस करना वर्जित हैं |

2)चन्द्र का प्रत्येक राशि मे दिशा अनुसार वास होता हैं 1,5,9,राशि मे पूर्व,2,6,10 राशि मे दक्षिण,3,7,11 राशि मे पश्चिम तथा 4,8,12 मे उत्तर दिशा मे चन्द्र का वास होता हैं | कार्यारंभ करते समय चन्द्र सामने होतो धन लाभ,पीछे होतो हानी,दाहिने होतो सुख समृद्दि तथा बाए होतो मृत्यु अथवा मृत्यु-तुल्य कष्ट प्राप्त होते हैं |

3)चन्द्र का तीनों लोको मे भी वास माना गया हैं इसके लिए अभीष्ट तिथि को को तीन से गुना कर इस योग को 3 से भाग देना चाहिए 1 शेष रहने पर चन्द्र का स्वर्ग मे 2 शेष रहने पर पाताल मे तथा 0 रहने पर मृत्यु लोक मे वास माना जाता हैं इनमे से जब चन्द्र पाताल मे होतो कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |

4)विवाह कार्यो मे चंद्रमा नामराशि व विवाह लग्न से 4,8,12 मे नहीं प्रयोग करना चाहिए |

5)विवाह लग्न मे चन्द्र व क्रूर गृह अशुभ हैं शनि 12वे,मंगल 10वे,शुक्र 3रे,लग्नेश,चन्द्र व शुक्र 6ठे अशुभ होते हैं अत: इन्हे त्यागना चाहिए |


शुक्रवार, 1 जुलाई 2016

ज्योतिष मे समय निर्धारण (गोचर)

ज्योतिष मे समय निर्धारण (गोचर)

ज्योतिष से किसी भी घटना के विषय मे फलित करना कितना आसान होता हैं उतना ही मुश्किल यह बताना होता हैं की घटना कब होगी ज्योतिष मे यह हमेशा से जोखिमभरा कार्य समझा जाता हैं |इसके लिए ज्योतिषी का विद्वान होने के अतिरिक्त अनुभवी भी होना ज़रूरी होता हैं |

हिन्दू ज्योतिष मे किसी भी कार्य को होने के लिए दशा व गोचर को महत्व दिया गया हैं जिसमे गोचर का अर्थ आकाश मे ग्रहो के भ्रमण से रखा गया हैं जबकि दशा कुंडली मे चन्द्र की स्थिति के द्वारा निर्धारित होती हैं वैसे तो दशाए बहुत सी हैं परंतु कलयुग मे विशोन्तरी दशा को ज़्यादा प्रभाव शाली माना व देखा गया हैं |

हम देखते हैं गोचर का प्रभाव व्यक्ति विशेष के मानसिक स्तर पर ज़्यादा पड़ता हैं इसलिए हमारे विद्वानो ने गोचर प्रभाव को चन्द्र लग्न से देखने की उपयोगिता बताई हैं फलदीपिका के 26वे अध्याय मे स्पष्ट रूप से कहाँ गया हैं की सभी लग्नों मे गोचर प्रभाव हेतु चन्द्र लग्न श्रेष्ठ होता हैं |चन्द्र को लग्न मानकर ही अन्य ग्रहो की स्थिति अनुसार गोचर प्रभाव देखना चाहिए |

दीर्घकालीन कालीन ग्रह शनि व गुरु का प्रभाव विशेष रूप से देखा जाना चाहिए गुरु का गोचर विशेषकर अपनी दशा मे बहुत शुभता प्रदान करता हैं जन्मकालीन चन्द्र से गुरु का 5,7,9,11 भावो मे गोचर जातक को आशावादी दृस्टिकोन प्रदान करता हैं यदि गुरु गोचर मे सप्तमेश से त्रिकोण मे हो तो विवाह करवा सकता हैं तथा पंचमेश से त्रिकोण मे होतो संतान जन्म का करवा सकता हैं |

शनि की सादेसाती भी गोचर मे विशेष प्रभाव दर्शाती हैं जन्मचन्द्र से शनि का 12वे पहले व 2रे गोचर जो की साढ़ेसात वर्ष का होता हैं सादेसाती कहलाता हैं जातक को जीवन मे विशेष महत्व रखता हैं चन्द्र से 12वे गोचर होने पर शनि सगे सम्बन्धियो की हानी,चिड़चिड़ापन,लडाई इत्यादि,चन्द्र लग्न से शनि का गोचर होने पर शारीरिक कमजोरी,नौकरी छूटना तथा विदेश यात्रा तथा चन्द्र लग्न से 2रे भाव मे शनि का गोचर होने पर धनसंपत्ती की हानी,व्यर्थ भ्रमण जैसे फल प्रदान करता हैं ऐसे मे दशा शुभ होतो इन फलो मे कमी तथा दशा अशुभ होने पर इन फलो मे अधिकता भी देखि जाती हैं 2.7.10.11 लग्नों मे शनि अशुभता प्रदान नहीं करता कुल मिलकर साढ़ेसाती जातक का घमंड तोड़ उसे आध्यात्मिकता प्रदान करती हैं |

गुरु शनि के अतिरिक्त अन्य ग्रहो का गोचरीय प्रभाव इतना महत्व नहीं रखता परंतु फिर भी कुछ अन्य ग्रह जैसे सूर्य,मंगल,का प्रभाव भी आकस्मिक रूप से देखा जाना चाहिए जैसे यदि षष्ट भाव प्रभावित हो दशा अंतर्दशा भी उससे संबन्धित चल रही होतो जिसे ही मंगल का गोचर षष्ट भाव से होगा स्वास्थ्य की हानी अवश्य होगी | इसी प्रकार यदि दशा सही हो और पद प्राप्ति का समय चल रहा हो तो जैसे ही सूर्य का गोचर जन्मकालीन चन्द्र से 3,6,11 भाव से होगा तब पद प्राप्ति होगी ऐसा समझना चाहिए |

राहू केतू का गोचर ध्यान से देखा जाना चाहिए राहू घमंड अथवा अकड़ को तोड़ता हैं वही केतू हमारी सोच पर प्रभाव डालता हैं राहू जब जन्म कालीन सूर्य पर से गोचर करे तब राजनीतिक गिरावट का सामना घमंड के कारण करना पड़ता हैं जबकि केतू का सूर्य से गोचर साथियो द्वारा आप पर भरोसा ना किए जाने के कारण आपको हटाया जाना होता हैं जिस कारण जातक मानसिक रूप से भयभीत रहने लगता हैं इसी प्रकार राहू का संवेदनशील भावो से गोचर जातक को विदेशी प्रभाव का अंधा लगाव तथा केतू का गोचर अपने ही सामाजिक दायरे मे लगाव प्रदर्शित करता हैं |

कई मायने मे ग्रहो का गोचर जातक विशेष पर अपना शुभाशुभ प्रभाव डालता हैं यहाँ गोचर से भी ज़्यादा जातक की सोच ही किसी भी कार्य को संपादित करती-कराती हैं |

फलदीपिका के अनुसार ग्रहो का गोचर प्रभाव-

1)ग्रह जो अशुभ प्रभाव दे रहा हो यदि शुभ ग्रह से देखा जा रहा हो अथवा ग्रह जो शुभ प्रभाव दे रहा हो यदि अशुभ ग्रह से देखा जा रहा हो अपना प्रभाव दे पाने मे असमर्थ हो जाता हैं |

2)अशुभ भाव का स्वामी यदि गोचर मे ऊंच,स्वग्रही होतो बुरा प्रभाव नहीं देता शुभ राशि व शुभ भाव मे ग्रह अपना शुभफल देता हैं |

3)ग्रह अपने शुभ भाव से गुजरते हुये यदि नीच,शत्रु राशि या ग्रहण मे होतो अपना फल नहीं दे पाता परंतु अशुभ भाव मे होतो अशुभ फल ज़रूर देता हैं |

4)गोचर प्रभाव दशा अंतर्दशा के ग्रहो के संबंध मे देखना चाहिए दशनाथ के 6,8,12 भावो से  पाप ग्रहो का गोचर अशुभ प्रभाव तथा गुरु का दशा नाथ से संबंध शुभफल देता हैं |

5)दशा अंतर्दशा मे ग्रह अपने स्थित भावो से संबन्धित ही फल प्रदान करता हैं जैसे दशम भाव मे स्थित ग्रह अपने गोचर से पद प्राप्ति,नौकरी अथवा सम्मान दिलवा सकता हैं |

6)ग्रहो के प्राकृतिक कारकत्वों का फल भी दशा अंतर्दशा मे मिल सकता हैं जैसे शुक्र सप्तमेश होने पर अपनी दशा अंतर्दशा मे मे विवाह करवा सकता हैं चाहे वह सप्तम भाव से सीधा संबन्धित हो या ना हो |

7)ग्रह अपने नक्षत्र स्वामी के द्वारा भी अपने फल प्रदान कर सकते हैं विशेषकर राहू केतू ऐसा ही करते हैं |