बुधवार, 26 अगस्त 2009

रोज़गार हेतु दिवाली में प्रयोग

यदि आप लायक होते हुए भी बेरोजगार हैं तो इस दिवाली इन उपायों को करके देखिये आपको अवश्य रोज़गार मिल जाएगा |
यदि सूर्य ग्रह के कारण रोज़गार बाधा हैं तो पीली व काली गाय को दिवाली के दिन से रोटी देना शुरू करे |
यदि चंद्र ग्रह के कारण रोज़गार बाधा हैं तो दिवाली के दिन से प्रतिदिन रात्रि में अपने पिता को स्वयं दूध ले जाकर पिलाये तथा स्वयं रात्रि को दूध ना पिए |
यदि मंगल ग्रह के कारण बाधा हो तो दिवाली के दिन चांदी की अंगूठी या कडा धारण करे |
यदि बुध ग्रह के कारण बाधा हो तो दिवाली की रात दूध की शीशी वीराने में ज़मीन में दबा दे |
यदि गुरु ग्रह कारण बाधा हो तो दिवाली के दिन पीली गाय को गुड चना खिलाये |
यदि शुक्र ग्रह कारण बाधा हो तो दिवाली के दिन से घर की बुजुर्ग महिलाओ के चरण स्पर्श करना शुरू कर दीजिये|
यदि शनि ग्रह कारण बाधा हो तो दिवाली के दिन एक पात्र में तिल्ली का तेल लेकर उसमे अपनी परछाई देखकर भिखारी को दान कर दे|
यदि राहू ग्रह कारण बाधा हो तो दिवाली के दिन सौफ ,लाल गुंजा,लाल वस्त्र में बांधकर अपने शयन कश में रखे |
यदि केतु ग्रह कारण रोज़गार बाधा हो तो दिवाली के दिन से तेल चुपडी रोटी कुत्ते को खिलाये |
इस प्रकार यह छोटे छोटे से प्रयोग कर के भी आप रोज़गार पा सकते हैं ................शेष फ़िर

रुद्र के अवतार हनुमान

स्कंध्पुरण में उल्लेख हैं की भगवान महादेव के ग्यारहवे रुद्र ही भगवान विष्णु की सहायता हेतु महाकपि हनुमान बनकर अवतरित हुए |इसलिए हनुमान जी को रुद्रावतार भी कहा गया हैं |इस घटना की पुष्टि रामचरित मानस,वायु पुराण ,विनय पत्रिका में भी की गई हैं|
हनुमान जी जन्म को लेकर भी अलग अलग मत हैं |किंतु हनुमान जी अवतार की तीन तिथिया सर्वमान्य हैं
एक तिथि चैत्र पूर्णिमा, दूसरी तिथि चैत्र शुक्ला एकादशी व तीसरी तिथि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी हैं |
अवतार की भांति हनुमान जी जन्म की भी विभिन्न कथाये प्रचलित हैं जिनमे मुख्य दो कथाये निम्न हैं|
एक कथा के अनुसार हनुमान जी माता अंजनी व केसरी नंदन के पुत्र हैं जिन्हें माता अंजनी ने कठोर तपकर वायुदेव से प्राप्त किया था|
दूसरी कथा अनुसार रावण का अंत करने हेतु जब भगवान विष्णु ने राम के अवतार लिया था तब भगवान शंकर ने हनुमान के रूप में आकर राम की रावण वध में सहायता की क्यूंकि रावण ने अपने दस सिरों से भगवान शंकर के दस रुद्रो को पहले ही प्रशन्न कर रखा था इसलिए भगवान शंकर को अपने ग्यारहवे रुद्र के रूप में हनुमान बनकर आना पड़ा |
प्रस्तुत संपूर्ण कथा व विवरण फ्यूचर समाचार नामक पत्रिका के सितम्बर २००९ के अंक में प्रकाशित हुआ हैं

सितम्बर का विश्लेष्ण

सितम्बर माह का ग्रह गोचर:- इस माह सूर्य १६ तारीख को कन्या राशिः में प्रवेश , मंगल पुरे माह मिथुन राशिः में,बुध ७ तारीख को वक्री ,१४ को अस्त, २४ को सिंह राशिः में , २७ को उदय तथा २९ को मार्गी होगा .गुरु मकर में,शुक्र १५ से सिंह राशिः में ,शनि ९ से कन्या राशिः में तथा राहू केतु क्रमश मकर व कर्क में भ्रमण करेंगे |
इस माह ५ मंगलवार आयेंगे जिससे विघटनकारी व उपद्रवी घटनाएं होगी युद्घ के आसार बनेंगे तथा महंगाई बढेगी
शनि का सिंह राशिः में अस्त होना व कन्या राशिः में प्रवेस करने से राहू व गुरु के चंडाल योग से नवपंचम पड़ना आंधी तूफ़ान, चक्रवात भूकंप जैसी प्राकतिक आपदाओं को जन्म देगा जिससे ज़बरदस्त हानि होने की सम्भावना हैं व दुर्घटनाए भी हो सकती हैं |
१६ तारीख से शुक्र व सूर्य के राशिः परिवर्तन से सोना चांदी महंगे होंगे तथा वक्री बुध चीनी दूध दही चाय आदि में तेजी लेगा जिससे एक साथ कई वस्तुए महंगी हो जायेगी,सिंह राशिः का शुक्र अनाज व पीली वस्तुओ में तेजी लायेगा|
यह माह मेष,कर्क,सिंह,वृश्चिक,धनु,मकर व मीन राशियों के लिए लाभकारी तथा अन्य राशियो के लिए सामान्य रहेगा|

इस माह की भविष्य वाणी- किसी अति विशिष्ठ व्यक्ति की हानि भारत को हो सकती हैं |

शुक्रवार, 21 अगस्त 2009

आपके पत्रों के जवाब

आप सभी को नमस्कार ,आपके बहुत से पत्र मिले जिसमे आपने मेरे इन लेखो की काफ़ी सराहना की हैं |इस ब्लॉग को जारी करने का उद्देश्य सिर्फ़ अपने ज्ञान को बाटना या बताना नही था बल्कि इसके माध्यम से आप सभी से सीधे सीधे जुड़ना था |
हमारे बहुत से मित्र हमारे इस प्रयास से बहुत खुश हैं कारण अब वह हमारे विचार व लेख इस माध्यम से भी जान सकेंगे, हमारे एक मित्र ने हमसे यह शिकायत की हैं की किसी घटना के होने के बाद उसपर विश्लेष्ण करना सिर्फ़ अपनी विदयुता दिखाना हैं ना की ज्योतिष ,इस पर मैं सिर्फ़ इतना कहना चाहूँगा की कोई भी घटना जब तक होगी नही तब तक आप उसका विश्लेषण कैसे कर सकते हैं ,जब जन्म नही होगा तो भविष्य कैसे पता लगाया जा सकता हैं |
बहुत से पाठको का कहना हैं की जो लेख ब्लॉग में हैं उनमे नया क्या हैं ,हम कुछ नया कर भी नही रहे जो ज्योतिष पहले से हैं हम उसमे अपने विचार मिला कर उसे जनसाधारण के लिए उपयोगी बनाने का प्रयास मात्र कर रहे हैं इसमे बहुत कुछ किया जाना हैं जिससे यह आम आदमी तक पहुँच सके ज्योतिष एक विशाल सागर हैं जिसमे मानव जीवन के अनंत राज छिपे हैं जिनसे भविष्य कैसे सुखी व अच्छा बनाया जा सकता यह बताये जाने की जरुरत हैं| ज्योतिष भविष्य को सवारने हेतु हैं ना की छोटी बड़ी परेशानियों को हल करवाने हेतु , यह भी एक तरह का विज्ञानं हैं जो सराहे जाने योग्य हैं ना की शक की नज़र से देखे जाने योग्य, इसमे बहुत से सूत्र हैं जो हमें हमारे भावी जीवन में आने वाले पलो को खुशहाल बना सकते हैं |
मेरे इस प्रयास में मैं कितना सफल हुआ हूँ यह तो आप सभी के पत्रों से ही पता चल पायेगा जिसका जवाब भविष्य की गर्त में छुपा हैं फ़िर भी मैं आप सभी विशेषकर पार्थो व विस्वनाथजी का सदा आभारी रहूँगा .......शेष फ़िर

शुक्रवार, 14 अगस्त 2009

ऐसे भी पा सकते हैं लक्ष्मी

अक्सर यह देखने सुनने में आता हैं की लोग भौतिक समृद्धि के कारक श्रीयंत्र,शंख,पारदलक्ष्मीगणेश आदि घर पर स्थापित करना नही चाहते या नही कर पाते अथवा उनमे इतनी सामर्थ नही होती की वह इन वस्तुओ को घर ला सके ऐसी स्थिति में दिए गए निम्न उपायों को अपनाकर भी आप लक्ष्मी पा सकते हैं व अपना जीवन संवार सकते हैं|
१) जब भी बाहर से घर आए कुछ ना कुछ लेकर ही आए खाली हाथ कभी घर ना आए चाहे अखबार ही लाये|
२) भोजन के लिए बनी पहली रोटी गाय को खिलाये|
३) हर तीन माह में चींटियों हेतु सूखे नारियल में खांड आदि भरकर किसी वृक्ष के नीचे आधा दबाकर आये|
४) प्रात : काल नाश्ते से पूर्व झाडू अवश्य लगाये व रात को झूठे बर्तन रसोई में ना रखे|
५) संध्या से पूर्व घर पर पूजा प्रतिदिन नियत समय पर करे|
६) खाली पेट कभी भी घर से ना निकले|
७)धन सम्बन्धी कार्य सोमवार व बुधवार को करे, बैंक जाते समय लक्ष्मी का कोई भी मंत्र जपा करे|
८) घर के कुलदेवता की नित्य पूजा करे व उन्हें प्रसाद (भोग) अवश्य अर्पण करे|
९)किसी भी देवी देवता की एक से ज्यादा तस्वीर,मूर्ति पूजा घर पर ना रखे|
१०)यथासक्ति गरीबो,असहाय, व्यक्तियों की मदद करे उन्हें दान इत्यादि दिया करे|
११) सभी रिश्तेदारों का सम्मान करे ,संबंध बनाकर रखे बिगाडे नही बेशक लड़ाई होती हो|
१२) शनिवार को ही घर की साफ़ सफाई का नियम बनाए |
१३) सफ़ेद वस्तुए हर माह दान किया करे |
१४) काली हल्दी शुभ मुहूर्त में अपने गल्ले में रखे |
१५) प्रतिदिन सप्तश्लोकी दुर्गा का पाठ अवस्य पढ़े |
१६) रुपया पैसा कभी भी थूक लगाकर ना गिने |
१७) साबुत फिटकरी घर या दूकान के बाहर टाँगे |
१८) अपने जन्मदिन के दिन १० अंधे व्यक्तियों को भोजन कराया करे|
१९) प्रातः उठते ही हस्तदर्शन किया करे फ़िर दोनों हथेलियों को चूमकर मुख्मार्जन किया करे|
२०) किसी भी समारोह जो शुक्रवार को हो उसमे शामिल ना हो तथा काले रंग की वस्तुए ,लोहा आदि शनिवार को ना ले|
२१) घर में प्रतिदिन पानी में नमक डालकर पौंछा लगाया करे और पानी में गंगाजल मिला कर स्नान किया करे|
२२) शनिवार को नाखून व मंगलवार को बाल ना कटाया करे|
२३) सोने के आभूषण पीले कपड़े में लपेटकर रखा करे|
२४) घर की महिला सदस्यों का अपमान कभी ना करे|
२५) तीर्थ इत्यादि की यात्रा करते रहे|

गुरुवार, 13 अगस्त 2009

विभिन्न गायत्री मंत्र

सूर्य गायत्री-"ॐ आदित्याय च विधमहे प्रभाकराय धीमहि, तन्नो सूर्य :प्रचोदयात "|



चन्द्र गायत्री-ॐ अमृतंग अन्गाये विधमहे कलारुपाय धीमहि,तन्नो सोम प्रचोदयात"|



मंगल गायत्री -"ॐ अंगारकाय विधमहे शक्तिहस्ताय धीमहि, तन्नो भोम :प्रचोदयात"|



बुध गायत्री-"ॐ सौम्यरुपाय विधमहे वानेशाय च धीमहि, तन्नो सौम्य प्रचोदयात"|



गुरु गायत्री-"ॐ अन्गिर्साय विधमहे दिव्यदेहाय धीमहि, जीव: प्रचोदयात "|



शुक्र गायत्री -"ॐ भ्र्गुजाय विधमहे दिव्यदेहाय, तन्नो शुक्र:प्रचोदयात"|



शनि गायत्री-"ॐ भग्भवाय विधमहे मृत्युरुपाय धीमहि, तन्नो सौरी:प्रचोदयात "|



राहू गायत्री-"ॐ शिरोरुपाय विधमहे अमृतेशाय धीमहि, तन्नो राहू:प्रचोदयात"|



केतु गायत्री-"ॐ पद्म्पुत्राय विधमहे अम्रितेसाय धीमहि तन्नो केतु: प्रचोदयात"|



ब्रम्हा गायत्री -"ॐ वेदात्मने च विधमहे हिरंगार्भाय तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात "|



विष्णु गायत्री-"ॐ नारायण विधमहे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु प्रचोदयात"|



शिव गायत्री-ॐ महादेवाय विधमहे, रुद्रमुर्तय धीमहि तन्नो शिव: प्रचोदयात "|



कृष्ण गायत्री-ॐ देव्किनन्दनाय विधमहे, वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण:प्रचोदयात "|



राधा गायत्री - वृष भानु: जायै विधमहे, क्रिश्न्प्रियाय धीमहि तन्नो राधा :प्रचोदयात "|



लक्ष्मी गायत्री- ॐमहालाक्ष्मये विधमहे, विष्णु प्रियाय धीमहि तन्नो लक्ष्मी:प्रचोदयात|



तुलसी गायत्री-ॐ श्री तुल्स्ये विधमहे, विश्नुप्रियाय धीमहि तन्नो वृंदा:प्रचोदयात "|



इन्द्र गायत्री-ॐ सहस्त्र नेत्राए विधमहे वज्रहस्ताय धीमहि तन्नो इन्द्र:प्रचोदयात "|



सरस्वती गायत्री-ॐ वाग देव्यै विधमहे काम राज्या धीमहि तन्नो सरस्वती :प्रचोदयात "|



दुर्गा गायत्री-ॐ गिरिजाये विधमहे, शिवप्रियाय धीमहि तन्नो दुर्गा :प्रचोदयात "|



हनुमान गायत्री-ॐ अन्जनिसुताय विधमहे वायु पुत्राय धीमहि, तन्नो मारुती :प्रचोदयात "|



पृथ्वी गायत्री-ॐ पृथ्वी देव्यै विधमहे सहस्र मूरतयै धीमहि तन्नो पृथ्वी :प्रचोदयात "|



राम गायत्री-ॐ दशारथाय विधमहे सीता वल्लभाय धीमहि तन्नो राम :प्रचोदयात "|



सीता गायत्री-ॐ जनक नंदिन्ये विधमहे भुमिजाय धीमहि तन्नो सीता :प्रचोदयात "|



यम् गायत्री-ॐ सुर्यपुत्राय विधमहे, महाकालाय धीमहि तन्नो यम् :प्रचोदयात "|



वरुण गायत्री-ॐ जल बिम्बाय विधमहे नील पुरु शाय धीमहि तन्नो वरुण :प्रचोदयात "|



नारायण गायत्री- ॐनारायण विधमहे, वासुदेवाय धीमहि तन्नो नारायण :प्रचोदयात "|



हयग्रीव गायत्री-ॐ वाणीश्वराय विधमहे, हयग्रीवाय धीमहि तन्नो हयग्रीव :प्रचोदयात "|



हंसा गायत्री-ॐ परम्ह्न्साय विधमहे, महा हंसाय धीमहि तन्नो हंस: प्रचोदयात "|










बुधवार, 12 अगस्त 2009

दीपावली एवं मुहूर्त

किसी कार्य को उस उपयुक्त काल में करना जिससे निश्चित सफलता मिले तथा समय और श्रम दोनों ही व्यर्थ ना लगाना पड़े मुहूर्त कहलाता हैं| मुहूर्त ज्योतिष का एक महत्त्वपूर्ण अंग हैं जिसका प्रत्येक हिंदू परिवार हमेशा से उपयोग करता रहा हैं कोई भी शुभ व धार्मिक कार्य बिना मुहूर्त नही किया जाता हैं वर्तमान समय में नई पीढी भले ही मुहूर्त की उपयोगिता ना समझे परन्तु इसे मानती अवश्य हैं|

इस कलयुगी जीवन में हर व्यक्ति कम श्रम व समय लगाकर ज्यादा से ज्यादा धन कमाना चाहता हैं और इसके लिए कुछ भी करने को तत्पर रहता हैं धन वैभव प्राप्ति हेतु उचित देवताओं का उचित समय आहवाहन करने से वंचित परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं|

ज्योतिषीय दृष्टी से दीपावली की रात जब" सिंह "लग्न अर्धरात्री के समय लगता हैं तब यदि लक्ष्मी का आहवान पूजन किया जाए तो लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती हैं ज्योतिषीय दृष्टी से सूर्य जब तुला राशिः पर प्रवेश करता हैं तब कार्तिक माह माना जाता हैं इस महीने की अमावस्या तिथि महा निशा की रात्रि दीपावली पर्व के नाम से जानी जाती हैं |तुला राशिः स्वामी शुक्र समस्त भोगो को देने वाला ग्रह हैं तथा कालपुरुष की कुंडली में धन व सप्तम भावः का स्वामी हैं अतः जब इस तुला राशिः में सूर्य चंद्र का मिलन होता हैं तब नैसर्गिक कुंडली के अनुसार चतुर्थेश चन्द्र व पंचमेश सूर्य का मिलन होने से लक्ष्मी योग जन्म लेता हैं यह संयोग अमावस्या के दिन (दीपावली) को पड़ता हैं इसलिए यह दिन अति लक्ष्मिदायक माना गया हैं इस दिन जब सिंह लग्न पड़ता हैं तब तृतीय स्थान में सूर्य चन्द्र युति बनती हैं जो के साथ साथ समस्त बाधा निवारण सूर्य द्वारा अपनी उच्च राशिः को देखने से भाग्य वृद्धि भी करती हैं अतः सिंह लग्न की महत्ता और भी बढ़ जाती हैं आधी रात में पड़ने से यह लग्न और भी खास हो जाता हैं क्यूंकि अर्धरात्रि में ही लक्ष्मी का आगमन भी माना जाता हैं |

"अर्धरात्रे भ्वेत्येव लक्ष्मी राष्यिन्तु गृहान "

अर्धरात्रि पूजन को ब्रह्मपुराण में भी श्रेष्ठ कहा गया हैं| इस सिंह लग्न के अतिरिक्त वृष लग्न को भी अच्छा माना जाता हैं |

दीपावली इस वर्ष -इस वर्ष कार्तिक अमावस्या दोपहर १२-३६ बजे से आरम्भ होगी तथा सूर्य तुला राशिः पर ११-२० पर भ्रमण के प्रवेश करेगा अतः तुला संक्रांति होने से यह पुरा दिन तथा रात्रि अति शुभ मानी जायेगी विशेष

बात यह होगी की चन्द्र कन्या राशिः पर ही स्थित रहेगे |

दिन के लग्न मुहूर्त -दिन के समय धनु,मकर,कुम्भ व मीन लग्न रहेंगे जिसमे धनु में अभिजित मुहूर्त ११-४६ से १२-२८ तक रहेगा परन्तु अमावस्या नही रहेगी, मकर लग्न में नीच गुरु राहू संग होगा जो की ठीक नही ,कुम्भ लग्न में लग्नेश शनि अष्टम पड़ेगा अतः मीन लग्न ही पूजन हेतु उपयुक्त,उसके बाद मेष,वृष,व मिथुन लग्न पूजन हेतु ठीक माने जा सकते हैं क्यूंकि इन तीनो लग्नो में लग्नेशो को स्थिति अच्छी रहेगी कहा भी गया हैं

"सर्वेदोषा विनश्यन्ति लग्न ॐ यारदा भवेत्"

अर्थात लग्न शुद्धि होने पर कोई दोष नही होता |

वैसे भी प्रदोष काल में पूजन करना अति लाभकारी हैं |कर्क लग्न में नीच मंगल केतु होने से अनुपयुक्त तथा उसके बाद सिंह लग्न हर दृष्टी से उपयुक्त व श्रेष्ठ लग्न हैं

जहा तक पूजन का प्रश्न हैं व्यसाए अनुसार ही लग्न चुनना चाहिए |सामान्य व्यक्ति ,प्रसाधन सामग्री के व्यापारी ,वस्त्र ,अनाज व भवन निर्माण सामग्री वालो को वृष लग्न में तथा कारखानों के मालिक ,मशीनरी व मेडिकल व्यसाए वालो को सिंह लग्न में पूजन करना चाहिए |
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शुक्रवार, 7 अगस्त 2009

विचित्र संयोग

आज दिनांक ७ अगस्त २००९ को जैसे ही १२ बजकर ३४ मिनट ५६ सेकंड होंगे एक विचित्र संयोग जन्म लेंगा चूँकि यह महिना आठवा ,तारीख सातवी तथा वर्ष नौ हैं वक्त कुछ इस तरह से होगा १२:३४:५६;७(तारीख)८(महिना)९(वर्ष) अथवा १२३४५६७८९ हैं न एक दिलचस्प विचित्र संयोग, दोबारा ऐसा अब कभी नही होगा

ज्योतिष की एक विधा अंकशास्त्र का ज्ञाता होने की वजह से इस तारीख का बेसब्री से इंतज़ार था कल जैसे ही एक दोस्त ने मुझे याद दिलायामैंने इसे ब्लॉग में जारी करने सोची

ऐसा ही संयोग कुछ साल पहले २००७ में भी आया था जब ७ जुलाई को सभी लोग विवाह करवाने चल पढ़े थे कारण सात अंक की अधिकता उस दिन बहुत थी और हम भारतीय विवाह को सात फेरों में बंधने पर ही उसकी सार्थकता को समझते हैं