बुधवार, 12 अगस्त 2009

दीपावली एवं मुहूर्त

किसी कार्य को उस उपयुक्त काल में करना जिससे निश्चित सफलता मिले तथा समय और श्रम दोनों ही व्यर्थ ना लगाना पड़े मुहूर्त कहलाता हैं| मुहूर्त ज्योतिष का एक महत्त्वपूर्ण अंग हैं जिसका प्रत्येक हिंदू परिवार हमेशा से उपयोग करता रहा हैं कोई भी शुभ व धार्मिक कार्य बिना मुहूर्त नही किया जाता हैं वर्तमान समय में नई पीढी भले ही मुहूर्त की उपयोगिता ना समझे परन्तु इसे मानती अवश्य हैं|

इस कलयुगी जीवन में हर व्यक्ति कम श्रम व समय लगाकर ज्यादा से ज्यादा धन कमाना चाहता हैं और इसके लिए कुछ भी करने को तत्पर रहता हैं धन वैभव प्राप्ति हेतु उचित देवताओं का उचित समय आहवाहन करने से वंचित परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं|

ज्योतिषीय दृष्टी से दीपावली की रात जब" सिंह "लग्न अर्धरात्री के समय लगता हैं तब यदि लक्ष्मी का आहवान पूजन किया जाए तो लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती हैं ज्योतिषीय दृष्टी से सूर्य जब तुला राशिः पर प्रवेश करता हैं तब कार्तिक माह माना जाता हैं इस महीने की अमावस्या तिथि महा निशा की रात्रि दीपावली पर्व के नाम से जानी जाती हैं |तुला राशिः स्वामी शुक्र समस्त भोगो को देने वाला ग्रह हैं तथा कालपुरुष की कुंडली में धन व सप्तम भावः का स्वामी हैं अतः जब इस तुला राशिः में सूर्य चंद्र का मिलन होता हैं तब नैसर्गिक कुंडली के अनुसार चतुर्थेश चन्द्र व पंचमेश सूर्य का मिलन होने से लक्ष्मी योग जन्म लेता हैं यह संयोग अमावस्या के दिन (दीपावली) को पड़ता हैं इसलिए यह दिन अति लक्ष्मिदायक माना गया हैं इस दिन जब सिंह लग्न पड़ता हैं तब तृतीय स्थान में सूर्य चन्द्र युति बनती हैं जो के साथ साथ समस्त बाधा निवारण सूर्य द्वारा अपनी उच्च राशिः को देखने से भाग्य वृद्धि भी करती हैं अतः सिंह लग्न की महत्ता और भी बढ़ जाती हैं आधी रात में पड़ने से यह लग्न और भी खास हो जाता हैं क्यूंकि अर्धरात्रि में ही लक्ष्मी का आगमन भी माना जाता हैं |

"अर्धरात्रे भ्वेत्येव लक्ष्मी राष्यिन्तु गृहान "

अर्धरात्रि पूजन को ब्रह्मपुराण में भी श्रेष्ठ कहा गया हैं| इस सिंह लग्न के अतिरिक्त वृष लग्न को भी अच्छा माना जाता हैं |

दीपावली इस वर्ष -इस वर्ष कार्तिक अमावस्या दोपहर १२-३६ बजे से आरम्भ होगी तथा सूर्य तुला राशिः पर ११-२० पर भ्रमण के प्रवेश करेगा अतः तुला संक्रांति होने से यह पुरा दिन तथा रात्रि अति शुभ मानी जायेगी विशेष

बात यह होगी की चन्द्र कन्या राशिः पर ही स्थित रहेगे |

दिन के लग्न मुहूर्त -दिन के समय धनु,मकर,कुम्भ व मीन लग्न रहेंगे जिसमे धनु में अभिजित मुहूर्त ११-४६ से १२-२८ तक रहेगा परन्तु अमावस्या नही रहेगी, मकर लग्न में नीच गुरु राहू संग होगा जो की ठीक नही ,कुम्भ लग्न में लग्नेश शनि अष्टम पड़ेगा अतः मीन लग्न ही पूजन हेतु उपयुक्त,उसके बाद मेष,वृष,व मिथुन लग्न पूजन हेतु ठीक माने जा सकते हैं क्यूंकि इन तीनो लग्नो में लग्नेशो को स्थिति अच्छी रहेगी कहा भी गया हैं

"सर्वेदोषा विनश्यन्ति लग्न ॐ यारदा भवेत्"

अर्थात लग्न शुद्धि होने पर कोई दोष नही होता |

वैसे भी प्रदोष काल में पूजन करना अति लाभकारी हैं |कर्क लग्न में नीच मंगल केतु होने से अनुपयुक्त तथा उसके बाद सिंह लग्न हर दृष्टी से उपयुक्त व श्रेष्ठ लग्न हैं

जहा तक पूजन का प्रश्न हैं व्यसाए अनुसार ही लग्न चुनना चाहिए |सामान्य व्यक्ति ,प्रसाधन सामग्री के व्यापारी ,वस्त्र ,अनाज व भवन निर्माण सामग्री वालो को वृष लग्न में तथा कारखानों के मालिक ,मशीनरी व मेडिकल व्यसाए वालो को सिंह लग्न में पूजन करना चाहिए |
Om




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