स्कंध्पुरण में उल्लेख हैं की भगवान महादेव के ग्यारहवे रुद्र ही भगवान विष्णु की सहायता हेतु महाकपि हनुमान बनकर अवतरित हुए |इसलिए हनुमान जी को रुद्रावतार भी कहा गया हैं |इस घटना की पुष्टि रामचरित मानस,वायु पुराण ,विनय पत्रिका में भी की गई हैं|
हनुमान जी जन्म को लेकर भी अलग अलग मत हैं |किंतु हनुमान जी अवतार की तीन तिथिया सर्वमान्य हैं
एक तिथि चैत्र पूर्णिमा, दूसरी तिथि चैत्र शुक्ला एकादशी व तीसरी तिथि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी हैं |
अवतार की भांति हनुमान जी जन्म की भी विभिन्न कथाये प्रचलित हैं जिनमे मुख्य दो कथाये निम्न हैं|
एक कथा के अनुसार हनुमान जी माता अंजनी व केसरी नंदन के पुत्र हैं जिन्हें माता अंजनी ने कठोर तपकर वायुदेव से प्राप्त किया था|
दूसरी कथा अनुसार रावण का अंत करने हेतु जब भगवान विष्णु ने राम के अवतार लिया था तब भगवान शंकर ने हनुमान के रूप में आकर राम की रावण वध में सहायता की क्यूंकि रावण ने अपने दस सिरों से भगवान शंकर के दस रुद्रो को पहले ही प्रशन्न कर रखा था इसलिए भगवान शंकर को अपने ग्यारहवे रुद्र के रूप में हनुमान बनकर आना पड़ा |
प्रस्तुत संपूर्ण कथा व विवरण फ्यूचर समाचार नामक पत्रिका के सितम्बर २००९ के अंक में प्रकाशित हुआ हैं
1 टिप्पणी:
हनुमान एब्सोल्यूट हनुमान ही हो सकते हैं किसी और का प्रतिरूप नहीं। किसी और का प्रतिरूप होते तो उन्हें पैदा होना और मरना पड़ता। लेकिन जहां तक मुझे जानकारी है हनुमान अमर हैं। वे मर नहीं सकते। वे आज भी हैं और लोगों के बीच हैं। ऐसे में अगर हनुमान अगर शिव का ही रूप होते तो हनुमान औरा शिव में से एक समय में केवल एक ही होता न कि दो।
वैसे लॉजिक आस्था से पीछे ही रहता है :)
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