सोमवार, 29 फ़रवरी 2016

नक्षत्र,राशि तथा ग्रहो का आपसी संबंध

नक्षत्र,राशि तथा ग्रहो का आपसी संबंध

ताराओ का समुदाय अर्थात तारों का समूह नक्षत्र कहलाता हैं विभिन्न रूपो और आकारो मे जो तारा पुंज दिखाई देते हैं उन्हे नक्षत्रो की संज्ञा दी गयी हैं | सम्पूर्ण आकाश को 27 भागो मे बांटकर प्रत्येक भाग का एक नक्षत्र मान लिया गया हैं | पृथ्वी अपना घूर्णन करते समय जब एक नक्षत्र से दूसरे पर जाती हैं या होती हैं तो इससे यह पता चलता हैं की हमारी पृथ्वी कितना चल चुकी हैं अब चूंकि नक्षत्र  अपने नियत स्थान मे स्थिर रहते हैं धरती पर हम यह मानते हैं की नक्षत्र गुज़र रहे हैं |
गणितीय दृस्टी से कहे तो जिस मार्ग से पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती हैं उसी मार्ग के आसपास ही “नक्षत्र गोल”मे समस्त ग्रहो का भी मार्ग हैं,जो क्रांतिव्रत से अधिक से अधिक सात अंश का कोण बनाते हुये चक्कर लगाते हैं |इस विशिष्ट मार्ग का आकाशीय विस्तार “राशि” हैं जिसके 12 भाग हैं और प्रत्येक भाग 30 अंशो का हैं | यह 12 राशि भाग धरती से देखने पर जैसे नज़र आते हैं उसी आधार पर इनके नाम रखे गए हैं |इस प्रकार मेष से लेकर मीन तक राशिया मानी गयी हैं |

राशिपथ एक अंडाकार वृत की तरह हैं जिसके 360 अंश हैं | इन अंशो को 12 भागो मे बांटकर(प्रत्येक 30 अंश) राशि नाम दिया गया हैं | अब यदि 360 अंशो को 27 से भाग दिया जाये तो प्रत्येक भाग 13 अंश 20 मिनट का होता हैं जिसे गणितिय दृस्टी से एक “नक्षत्र” माना जाता हैं |प्रत्येक नक्षत्र को और सूक्ष्म रूप से जानने के लिए 4 भागो मे बांटा गया हैं (13 अंश 20 मिनट/4=3 अंश 20 मिनट) जिसे नक्षत्र के चार चरण कहाँ जाता हैं |

इस प्रकार सरल भाषा मे कहे तो पूरे ब्रह्मांड को 12 राशि व 27 नक्षत्रो मे बांटा गया हैं जिनमे हमारे 9 ग्रह भ्रमण करते रहते हैं | अब यदि इन 27 नक्षत्रो को 12 राशियो से भाग दिया जाये तो हमें एक राशि मे सवा दो नक्षत्र प्राप्त होते हैं अर्थात दो पूर्ण नक्षत्र तथा तीसरे नक्षत्र का एक चरण कुल 9 चरण, यानि ये कहाँ जा सकता हैं की एक राशि मे सवा दो नक्षत्र होते हैं या नक्षत्रो के 9 चरण होते हैं | हर राशि का एक स्वामी ग्रह होता हैं जिसे हम राशि स्वामी कहते हैं इस प्रकार कुल मिलाकर यह कहाँ जा सकता हैं की एक राशि जिसका  स्वामी कोई ग्रह हैं उसमे 9 नक्षत्र चरण अर्थात सवा दो नक्षत्र होते हैं |

किस राशि मे कौन से नक्षत्र व नक्षत्र चरण होते हैं और उनके स्वामी ग्रह कौन होते हैं इसको ज्ञात करने का एक सरल तरीका इस प्रकार से हैं |

सभी 27 नक्षत्रो को क्रमानुसार लिखकर उनके स्वामियो के आधार पर याद करले | अब नक्षत्र चरण के लिए निम्न सूत्र याद करे |

नक्षत्र चरण –राशिया

4 4 1-{ मेष,सिंह,धनु }

3 4 2 –{ वृष,कन्या,मकर }

2 4 3-{ मिथुन,तुला,कुम्भ }

1 4 4-{ कर्क,वृश्चिक,मीन }


आरंभ के 3 नक्षत्र केतू,शुक्र व सूर्य ग्रह के हैं ज़ो क्रमश; मेष,सिंह व धनु राशि मे ही आएंगे | इसके बाद तीसरा नक्षत्र (शेष 3 चरणो की वजह से ),चौथा व पांचवा नक्षत्र सूर्य,चन्द्र व मंगल के हैं जो क्रमश; वृष, कन्या व मकर राशि मे ही आएंगे |अब अगले(शेष)नक्षत्र मंगल,राहू व गुरु के हैं जो मिथुन,तुला व कुम्भ राशि मे ही आएंगे तथा अंत मे गुरु(शेष),शनि व बुध के नक्षत्र कर्क,वृश्चिक व मीन राशि मे ही आएंगे |

शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2016

प्रेम व अंतरजातीय विवाह(शोध)

प्रेम व अंतरजातीय विवाह(शोध)

भारतीय समाज मे विवाह एक संस्कार के रूप मे माना जाता हैं जिसमे शामिल होकर स्त्री पुरुष मर्यादापूर्ण तरीके से अपनी काम इच्छाओ की पूर्ति कर वंशवृद्दि या अपनी संतति को जन्म देते हैं समान्यत: विवाह का यह संस्कार परिवारजनों की सहमति या इच्छा से अपनी जाति,समाज या समूह मे ही किया जाता हैं पर फिर भी हमे ऐसे कई उदाहरण मिलते हैं जहां विवाह परिवार की सहमति से ना होकर स्वय की इच्छा से किया जाता हैं| पूर्व समय मे प्रेम संबंध या यौन आकर्षण विवाह संबंध के बाद ही होता था परंतु आज के इस भागते दौड़ते कलयुग मे विवाह के पूर्व स्त्री पुरुष के बीच प्रगाढ़ परिचय व आकर्षण हो जाने पर उनमे प्रेम संबंध हो जाते हैं जिनके विषय मे मनु महाराज की उक्ति बिलकुल सटीक बैठती हैं |

इच्छायान्योन्य संयोग: कान्याश्च वरस्य |
गंधर्वस्य तू विषेय: मैथुन्य: कामसंभव ||

अर्थात स्त्री पुरुष रागाधिक्य के फलस्वरूप स्वेच्छा से परस्पर संभोग करते हैं जिसे (शास्त्रो मे) गंधर्व विवाह कहा जाता हैं | इस संबंध मे स्त्री पुरुष के अतिरिक्त किसी की भी स्वीकृति ज़रूरी नहीं समझी जाती हैं अब चूंकि भारतीय समाज इस तरह के जीवन को अनुमति नहीं देता हैं तो ऐसा जीवन जी रहे स्त्री पुरुष को समाज की स्वीकार्यता हेतु मजबूरी वश वैवाहिक संस्कारो के तहत इसे अपनाना पड़ता हैं जिसे वर्तमान मे प्रेम विवाह कहा जाता हैं |

प्रेम विवाह या गंधर्व विवाह के कई कारण हो सकते हैं परंतु यहाँ हम केवल ज्योतिषीय दृस्टी से यह जानने का प्रयास करेंगे की ऐसे कौन से ग्रह या भाव होते हैं जो किसी को भी प्रेम या गंधर्व विवाह करने पर मजबूर कर देते हैं | हमारे इस प्रयास मे हमने 501 जातको की कुंडलियों का अध्ययन किया जिन्होने प्रेम विवाह किया था हमने यह पाया की लगभग 85% प्रेमविवाह अपनी जाति या समाज से बाहर अर्थात अंतरजातीय होते हैं |

भाव –लग्न,द्वितीय,पंचम,सप्तम,नवम व द्वादश               

ग्रह –मंगल,गुरु व शुक्र  

लग्न भाव- यह भाव स्वयं या निज का प्रतिनिधित्व करता हैं जो व्यक्ति विशेष के शरीर व व्यक्तित्व के विषय मे सम्पूर्ण जानकारी देता हैं |

द्वितीय भाव-यह भाव कुटुंब,खानदान व अपने परिवार के विषय मे बताता हैं जिससे हम बाहरी सदस्य का अपने परिवार से जुड़ना भी देखते हैं |

पंचम भाव-यह भाव हमारी बुद्धि,सोच व पसंद को बताता हैं जिससे हम अपने लिए किसी वस्तु या व्यक्ति का चयन करते हैं |

सप्तम भाव –यह भाव हमारे विपरीत लिंगी साथी का होता हैं जिसे भारत मे हम पत्नी भाव भी कहते हैं इस भाव से स्त्री सुख देखा जाता हैं |

नवम भाव-यह भाव परंपरा व धार्मिकता से जुड़ा होने से धर्म के विरुद्ध किए जाने वाले कार्य को दर्शाता हैं |

द्वादश भाव- यह भाव शयन सुख का भाव हैं |

ग्रह –मंगल यह ग्रह पराक्रम,साहस,धैर्य व बल का होता हैं जिसके बिना प्रेम संबंध बनाना या प्रेम विवाह करना असंभव हैं क्यूंकी प्रेम की अभिव्यक्ति साहस बल व धैर्य से ही संभव हैं |

शुक्र –यह ग्रह आकर्षण,यौन आचरण,सुंदरता,प्रेम वासना,भोग,विलास,ऐश्वर्या का प्रतीक हैं जिनके बिना प्रेम संबंध हो ही नहीं सकते |

गुरु –यह ग्रह स्त्रीयों मे पति कारक होने के साथ साथ पंचम व नवम भाव का कारक भी होता हैं साथ ही इसे धर्म व परंपरा के लिए भी देखा जाता हैं |

प्रेम विवाह के सूत्र वैसे तो बहुत से बताए गए हैं परंतु हमने अपने इस शोध मे जो सूत्र उपयोगी पाये या प्राप्त किए वह इस प्रकार से हैं |

१)पंचम भाव /पंचमेश का मंगल/शुक्र से संबंध |

२)पंचम भाव /पंचमेश,सप्तम भाव/सप्तमेश का लग्न/लग्नेश या द्वादश भाव/द्वादशेश से संबंध |

३)लग्न,सूर्य,चन्द्र से दूसरे भाव या द्वितीयेश का मंगल से संबंध |

४)पंचम भाव/पंचमेश का नवम भाव/नवमेश से संबंध |

५)पंचम भाव /पंचमेश,सप्तम भाव/सप्तमेश,नवम भाव/नवमेश का संबंध |

६)एकादशेश का/एकादश भाव मे स्थित ग्रह का पंचम भाव/सप्तम भाव से संबंध और शुक्र ग्रह का 
लग्न या एकादश भाव मे होना |

७)पंचम-सप्तम का संबंध |

८)मंगल-शुक्र की युति या दृस्टी संबंध किसी भी भाव मे होना |

९)पंचमेश-नवमेश की युति किसी भी भाव मे होना |

अंतरजातीय विवाह मे इन सूत्रो के अलावा यह चार सूत्र भी सटीकता से उपयुक्त पाये गए |

1)लग्न, सप्तम व नवम भाव पर शनि का प्रभाव |

2)विवाह कारक शुक्र व गुरु पर शनि का प्रभाव |

3)लग्नेश/सप्तमेश का छठे भाव /षष्ठेश से संबंध-अंतरजातीय विवाह मे शत्रुता या विवाद का होना आवशयक होता हैं जिस कारण छठे भाव का संबंध लग्नेश या सप्तमेश से होना ज़रूरी हो जाता हैं |

4)द्वितीय भाव मे पाप ग्रह |

आइए इन सूत्रो को कुंडलियों मे देखते हैं | यहाँ पहले हम अपनी ही जाति (सजातीय) प्रेम विवाह की कुण्डलिया प्रेषित कर रहे हैं |

१)१५/११/१९८६ को १२:०० बजे हैदराबाद मे जन्मी इस मकर लग्न की जातिका ने अपनी ही जाति के एक जातक से प्रेम विवाह किया इसकी पत्रिका मे सूत्र संख्या १,,,,,व ७ लगते हैं यह पत्रिका मशहूर खिलाड़ी सानिया मिर्ज़ा की हैं जिन्होने पाकिस्तानी खिलाड़ी सोएब मालिक से प्रेम विवाह किया हैं |

२)कुम्भ लग्न मे जन्मे इस जातक (३/५/१९६२ ३:०० रायपुर )ने अपनी ही जाति की स्त्री से प्रेम विवाह किया इसकी पत्रिका मे सूत्र संख्या १,,,५ लगते हैं |

३)३०/८/१९७५ ६:३० फ़ैज़ाबाद मे जन्मे सिंह लग्न के इस जातक ने अपनी ही बिरादरी की स्त्री से प्रेम विवाह किया हैं इस की पत्रिका मे सूत्र संख्या १,,,,,८ लगते हैं |

४)२६/८/१९७८ ५:३२ को दिल्ली मे जन्मे इस सिंह लग्न के जातक ने ४/८/१९८३ १३:२१ को बंगलौर मे जन्मी वृश्चिक लग्न की इस जातिका से सजातीय प्रेम विवाह किया इन दोनों की पत्रिका मे सूत्र संख्या १,,,,८ और २,,५ लगते हैं |

५)६/३/१९८१ १०:४५ को यमुनानगर मे जन्मी इस वृषभ लग्न की जातिका ने अपनी ही जाति के ५/१/१९७८ १५:०८ को दिल्ली मे वृषभ लग्न मे ही जन्मे इस जातक से प्रेम विवाह किया इन दोनों की पत्रिका मे सूत्र संख्या १,,,,८ व २,,७ लगते हैं |

६)५/६/१९७० ११:०२ को मथुरा मे जन्मे सिंह लग्न के इस पुरुष जातक ने सजातीय स्त्री से प्रेम विवाह किया इसकी पत्रिका मे १,,,,,,व ८ सूत्र लगते हैं |

७)१८/१०/१९५७ को २:१२ पर अजमेर मे जन्मे इस सिंह लग्न के जातक ने सजातीय स्त्री से प्रेम विवाह किया था इनकी पत्रिका मे सूत्र संख्या १,,,व ४ लगते हैं |

८)११/१/१९४८ को ३:५५ पर विदिशा मे वृश्चिक लग्न मे जन्मे इस जातक ने २५/२/१९४९ को ४:२५ पर गोंडा मे जन्मी मकर लग्न की इस स्त्री प्रेम विवाह किया इन दोनों की पत्रिका मे सूत्र संख्या १,,,५ व १,,,८ लगते हैं |

९)८/७/१९७२ को ८:२६ पर कलकत्ता मे सिंह लग्न मे जन्मे प्रसिद्द क्रिकेट खिलाड़ी सौरव गांगुली ने अपनी ही जाति की स्त्री से प्रेम विवाह किया हैं इनकी पत्रिका मे सूत्र संख्या २,,,,,लगते हैं |

१०)२२/६/१९६६ को ९:०० पर दिल्ली मे जन्मी इस जातिका ने सजातीय प्रेमविवाह किया हैं इसकी पत्रिका मे सूत्र संख्या १,,,,८ लगते हैं |

इनके अतिरिक्त निम्न कुंडलियों मे भी सजातीय प्रेमविवाह के योग पाये गए हैं |

१)१/१२/१९७० १२:३२ दिल्ली कुम्भ लग्न मे जन्मी जातिका |

२)२६/१२/१९८१ १:३० एटा कन्या लग्न मे जन्मा जातक |

अब कुछ अंतरजातीय प्रेम विवाह की कुण्डलिया देखते हैं | ऐसे विवाहो का ज़िक्र हो ओर भारत के प्रमुख दो परिवारों का ज़िक्र इसमे ना हो ऐसा हो नहीं सकता हैं यह परिवार हैं गांधी परिवार व बच्चन परिवार इन दोनो परिवारों के लगभग सभी सदस्यो ने प्रेम व अंतरजातीय विवाह किए हैं |

१)इन्दिरा गांधी-१९/११/१९१७ को २३:११ पर इलाहाबाद मे कर्क लग्न मे जन्मी इन्दिरा गांधी ने पारसी समुदाय के फ़ीरोज गांधी से अंतरजातीय प्रेम विवाह किया था | इनकी पत्रिका मे सूत्र संख्या १,,,,५ व अंतरजातीय विवाह के सूत्र संख्या १,,,लगते हैं |

२)राजीव गांधी-२०/८/१९४४ को ८:०० बजे मुंबई मे सिंह लग्न मे जन्मे राजीव गांधी ने भी अंतरजातीय प्रेम विवाह किया था इनकी पत्रिका मे सूत्र संख्या १,,,,,,व १,,,४ लगते हैं |

३)प्रियंका गांधी -१२/१/१९७२को दिल्ली मे मिथुन लग्न मे जन्मी प्रियंका ने अपने सहपाठी रोबर्ट बढेरा से अंतरजातीय प्रेम विवाह किया हैं इनकी पत्रिका मे सूत्र संख्या १,,,५ व १,,४ लगते हैं |

४)अमिताभ बच्चन-११/१०/१९४२ को १६:०० इलाहाबाद मे कुम्भ लग्न मे जन्मे श्री बच्चन ने जया भादुडी से अंतरजातीय प्रेम विवाह किया था इनकी पत्रिका मे सूत्र संख्या १,,,,,८ व १,,,४ लगते हैं |

५)अभिषेक बच्चन-५/२/१९७६ को १२:२६ पर मुंबई मे मेष लग्न मे जन्मे अभिषेक ने अपनी पसंद से ऐश्वर्या राय से अंतरजातीय प्रेमविवाह किया हैं इनकी पत्रिका मे सूत्र संख्या १,,,,व १,,४ लगते हैं |

६)ऐश्वर्या राय -१/११/१९७३ को १२:१० पर मंगलोर मे धनु लग्न मे जन्मी ऐश्वर्या ने अभिषेक बच्चन से अंतरजातीय प्रेम विवाह किया इनकी पत्रिका मे सूत्र संख्या १,,,,,७ व १,,,लगते हैं |

७)१८/१२/१९६४ को २३:१० पर दुर्ग मे सिंह लग्न मे जन्मी इस बंगाली जातिका ने पुंजाबी युवक से अंतरजातीय प्रेम विवाह किया इसकी पत्रिका मे सूत्र संख्या १,,,,,८ व १,,, लगते हैं |

८)८/११/१९७७ को ९:३० चेन्नई मे जन्मी इस तमिल जातिका ने मुस्लिम युवक से अंतरजातीय प्रेमविवाह किया इसकी पत्रिका मे सूत्र संख्या १,,,,,,, व १,,,४ लगते हैं

इनके अतिरिक्त और भी ऐसे कई प्रसिद्द उदाहरण हैं जिनमे प्रेम विवाह व अंतरजातीय विवाह के सूत्र पूर्णतया लागू हो रहे हैं इन मे कुछ निम्न हैं |

१)महेंद्र सिंह धोनी ७/७/१९८१ कन्या लग्न,२)स्मिता पाटिल १७/१०/१९५५ मेष लग्न,३)डिंपल कपाड़िया ८/६/१९५७ कन्या लग्न,४)वैजयंती माला १३/८/१९३६ तुला लग्न,५)राजेश खन्ना २९/१२/१९४२ मिथुन लग्न,६)शाहरुख खान २/११/१९६५ सिंह लग्न,७)विधा बालन १/१/१९७८ धनु लग्न,९)अखिलेश यादव २४/१०/१९७२ तुला लग्न,१०)चन्द्र मोहन १३/९/१९६५ मकर लग्न,११)चाँद फिजा २५/७/१९७१ धनु लग्न,१२)आमिर खान १४/३/१९६५ मेष लग्न,१३)सचिन तेंदुलकर २१/४/१९७३ कन्या लग्न,१४)इमरान खान(क्रिकेटर)५/१०/१९५२ वृश्चिक लग्न,१५)श्री मोहनलाल सुखाडिया ३१/७/१९१६ धनु लग्न,१६)२५/५/१९७७ मिथुन लग्न,१७)२९/३/१९७९ सिंह लग्न की महिला जातिका,१८)२९/८/१९५९ तुला लग्न,१९)२३/९/१९८४ कुम्भ लग्न महिला जातिका,२०)२४/८/१९६५ कन्या लग्न,२१)५/३/१९७२ वृश्चिक लग्न,२२)१२/११/१९८० वृश्चिक लग्न,२३)९/३/१९७८ सिंह लग्न महिला जातिका,२४)३०/७/१९७१वृषभ लग्न,२५)३०/८/१९५६ कर्क लग्न,२६)७/५/१९६८ कन्या लग्न,२७)२६/७/१९७३ वृषभ लग्न,२८)१३/१२/१९५० धनु लग्न,२९)२४/६/१९५२ मिथुन लग्न,३०)९/३/१९७८ सिंह लग्न महिला जातिका |

निष्कर्ष –अपने शोध मे हमने पाया की जब भी पत्रिका मे उपरोक्त सूत्र लगते हैं व्यक्ति विशेष प्रेम विवाह करते हैं और यदि इन्ही सूत्रो के अतिरिक्त उपरोक्त अन्य चार सूत्रो मे से कम से कम दो सूत्र लगते हैं तो व्यक्ति विशेष अंतरजातीय प्रेमविवाह करता हैं |

डॉ॰ किशोर घिल्डियाल
फोन-९८१८५६४६८५,९५४०७१५९६९  

मंगलवार, 23 फ़रवरी 2016

द्वादशांस का विचित्र नियम ( शोध ).....2

1)भारत 15/8/1947 00:00 दिल्ली वृष लग्न की इस पत्रिका मे लग्नेश शुक्र 22-33अंश का हैं जो दशम द्वादशांस मे आता हैं शुक्र की दशा भारत वर्ष मे 1989 से 2009 तक रही और इस दौरान भारत ने पूरे विश्व मे अपनी पहचान संचार माध्यम,फिल्म व खेल जगत तथा सुंदरता के क्षेत्र मे बनाई जिससे पूरे विश्व मे भारत का डंका बजने लगा | पत्रिका मे शुक्र तीसरे भाव मे अस्त अवस्था मे हैं |

2)नरेंदर मोदी 17/9/1950 12:21 वड्नगर गुजरात मे वृश्चिक लग्न मे जन्मे श्री मोदी जी की पत्रिका मे चन्द्र 9-36 अंश का हैं जो चौथे द्वादशांस मे पड़ता हैं इनकी चन्द्र दशा 2011 से 2021 के मध्य हैं और हम सभी जानते हैं की इसी दौरान ये अभी तक अपने राज्य के मुख्यमंत्री से देश के प्रधानमंत्री तथा विश्व के शक्तिशाली राजनीतिज्ञ के रूप मे स्थापित हो गए हैं जबकि इनकी अभी लगभग पूरी चन्द्र दशा शेष हैं यहाँ ध्यान रखे की पत्रिका मे चन्द्र भाग्येश नीच राशि का होकर मंगल लग्नेश संग लग्न मे स्थित हैं |

3)आरनौल्ड स्वार्ज्नेगर 30/7/1947 4:10 ग्राज(आस्ट्रिया) मे मिथुन लग्न मे जन्मे आरनौल्ड की पत्रिका मे चंन्द्र 8-40 अंश का हैं जो चतुर्थ द्वादशांस मे आता हैं इनकी चन्द्र दशा 1976 से 1986 तक रही इस दशा मे इन्होने अपनी पहली फिल्म “कौनन द बारबेरियन” करी,1984 मे इनकी “टर्मिनेटर” सीरीज की पहली फिल्म से ये पूर्ण रूप से विश्व सिनेमा पटल पर छा गए इसी चन्द्र दशा मे इन्होने 1986 मे विवाह किया जो कामयाब रहा हैं इनकी पत्रिका मे चन्द्र दूसरे भाव का स्वामी होकर सप्तम भाव मे हैं |

4)रजनीश 11/12/1931 17:13 कुचवाड़ा वृष लग्न मे जन्मे श्री रजनीश उर्फ ओशो की पत्रिका मे राहू 9-04 अंश का हैं जो चतुर्थ द्वादशांस मे आता हैं इन्हे राहू दशा 1961 से 1978 तक रही जिस  दौरान इन्होने अपने दर्शन शास्त्र के चलते अपने केंद्र की स्थापना की तथा विश्व भर मे इनके अनुयाई बनते चलते गए 1969 मे इनके दर्शन ने एक आंदोलन का रूप ले लिया तथा विश्व की जानी मानी हश्तियाँ इनके संपर्क मे आने लगी जिससे ये विख्यात होने लगे | इनकी पत्रिका मे राहू एकादश भाव मे गुरु की राशि मे हैं |

5)हिटलर 20/4/1889 18:30 औस्ट्रिया मे तुला लग्न मे जन्मे हिटलर की पत्रिका मे राहू 22-47 अंश का हैं जो दशम द्वादशांस मे आता हैं राहू की दशा इन्हे 1933 से 1951 के मध्य रही और हम सभी जानते हैं की यह समय हिटलर का स्वर्णिम काल था इसी दौरान उसने पूरे विश्व मे अपनी क्रूरता का परचम लहराया था | इनकी पत्रिका मे राहू नवम भाव मिथुन राशि मे हैं |

6)अब्राहम लिंकन 12/2/1809 7:32 अमरीका मे कुम्भ लग्न मे जन्मे श्री लिंकन की पत्रिका मे गुरु 2-16 अंश का हैं जो प्रथम द्वादशांस मे आता हैं ये अपनी गुरु दशा मे ही अमरीका के राष्ट्रपति बने थे इनकी पत्रिका मे गुरु दूसरे भाव मे हैं |

7)बिल क्लिंटन 19/8/1946 8:30 हॉप अमरीका मे कन्या लग्न मे जन्मे क्लिंटन की पत्रिका मे गुरु 1-35 अंश का होकर प्रथम द्वादशांस मे हैं ये भी अपनी गुरु की दशा मे ही अमरीका के राष्ट्रपति बने थे इनकी पत्रिका मे गुरु दूसरे भाव मे हैं |

8)शाहरुख खान 2/11/1965 2:30 दिल्ली सिंह लग्न की इस पत्रिका मे शनि 17-13 अंश का हैं जो सातवे द्वादशांस मे आता हैं इनकी शनि दशा 2004 से 2023 की हैं और हम सब जानते हैं की 2004 से अब तक इनकी सभी फिल्मे एक से एक बड़ी हिट होती जा रही हैं तथा इसी दौरान इनकी क्रिकेट टीम “कलकत्ता नाइट राइडर “ने भी खिताब जीता हैं ये नित्य नयी बुलंदी छूते जा रहे हैं | इनकी पत्रिका मे शनि सप्तम भाव मे हैं |

9)कपिल देव 6/1/1959 4:50 चंडीगढ़ धनु लग्न की इनकी पत्रिका मे बुध 1-35 अंश का हैं जो प्रथम द्वादशांस मे आता हैं इनकी बुध दशा मे ही यह भारत की क्रिकेट टीम के सदस्य बन फिर कप्तान बने तथा इनकी ही कप्तानी मे भारत ने क्रिकेट का तीसरा विश्व कप जीता था इनकी पत्रिका मे बुध लग्न भाव मे हैं |

10)धीरुभाई अंबानी 28/12/1932 6:37 यमन धनु लग्न मे जन्मे धीरुभाई अंबानी की पत्रिका मे राहू 16-54 अंश का हैं जो सातवा द्वादशांस पड़ता हैं हम सभी जानते हैं की इन्होने अपना व्यावसायिक साम्राज्य इसी  राहू दशा मे ही बनाया था जो बाद मे भारत वर्ष के सबसे बड़े व्यावसायिक घरानो मे से एक बना हैं इनकी पत्रिका मे राहू तीसरे भाव मे हैं |

11) पुतिन 7/10/1952 10:11 मास्को रूस मे वृश्चिक लग्न मे जन्मे श्री पुतिन की पत्रिका मे शनि 24-14 अंश का हैं जो दशम द्वादशांस मे आता हैं इनकी शनि दशा 2001 से 2020 तक की हैं और इसी दौरान ये अपने देश के राष्ट्रपति बने हैं तथा विश्व के राजनीतिक पटल मे इनको काफी शक्तिशाली माना जाता हैं | इनकी पत्रिका मे राहू एकादश भाव मे हैं |

12)महेंदर सिंह धोनी 7/7/1981 19:05 रांची धनु लग्न मे जन्मे धोनी की पत्रिका मे राहू 8-11 अंश का हैं जो चतुर्थ द्वादशांस मे आता हैं इनकी पत्रिका मे राहू की दशा 2001 से 2019 तक की हैं इसी राहू दशा मे इन्होने भारतीय क्रिकेट टीम मे अपनी जगह बनाई फिर यह भारत की क्रिकेट टीम के कप्तान बने तथा भारत को इन्होने 2-2 विश्वकप जिताए और इस समय इनका खेल व विज्ञापन जगत मे ज़बरदस्त डंका बज रहा हैं ये जहां भी हाथ डाल रहे हैं सफलता ही इनके हाथ लग रही हैं इनकी पत्रिका मे राहू अष्टम भाव मे हैं |

13) आमिर खान 14/3/1965 9:21 मुंबई मेष लग्न मे जन्मे आमिर खान की पत्रिका मे शुक्र 22-39 अंश का हैं जो दशम द्वादशांस मे आता हैं इनकी शुक्र दशा 1991 से 2011 तक रही जिस दौरान ये भारतीय फिल्मजगत मे सबसे कामयाब एक्टर,प्रोड्यूसर व डाइरेक्टर के रूप मे प्रसिद्द हुये तथा इनके नाम लगातार कामयाब फिल्मे देने का रिकॉर्ड बना हैं आज इनकी गिनती विश्व के प्रभावशाली व्यक्ति के रूप मे होती हैं | इनकी पत्रिका मे शुक्र एकादश भाव मे हैं |

14)श्री जवाहर लाल नेहरू (14/11/1889 23:03 इलाहाबाद) जी की कर्क लग्न की पत्रिका मे मंगल तीसरे भाव मे 9-58 अंश का होकर चतुर्थ द्वादशांस मे हैं हम सभी जानते हैं की इनकी मंगल दशा 1948 से 1955 के बीच रही और इसी दौरान इनका भारतीय राजनीति मे बहुत कद बढा और यह देश के प्रधानमंत्री बने |

इन सब कुंडलियों के अतिरिक्त अन्य कुंडलियों जैसे गुलज़ारी लाल नन्दा (4/7/1898 00:52 सियालकोट मेष लग्न ) की पत्रिका मे गुरु 9-52 अंश चतुर्थ द्वादशांस,इन्दिरा गांधी (19/11/1917 23:15 इलाहाबाद कर्क लग्न ) की पत्रिका मे गुरु 15-00 अंश सप्तम द्वादशांस,तथा मनमोहन सिंह (26/9/1932 14:00 झेलम धनु लग्न ) की पत्रिका मे राहू 24-08 अंश दशम द्वादशांस का हैं और ये सभी इन्ही ग्रहो की दशा मे देश के ऊंचे पद अर्थात प्रधानमंत्री पद पर सुशोभित हुये थे |


इस प्रकार यह स्पष्ट रूप से कहाँ जा सकता हैं की यदि किसी जातक का कोई भी ग्रह द्वादशांस मे केन्द्रीय भावो अर्थात 1,4,7,10 मे गया हो तो उस ग्रह की दशा मे जातक विशेष को बहुत सफलता प्राप्त होती हैं भले ही वह ग्रह कुंडली मे किसी भी अवस्था मे क्यूँ ना हो |  

सोमवार, 22 फ़रवरी 2016

द्वादशांस का विचित्र नियम ( शोध )...1

द्वादशांस का विचित्र नियम ( शोध )

ज्योतिष के सभी छात्र जानते हैं की वर्ग कुंडलियों मे द्वादशांस का प्रयोग माता-पिता की आयु,उनके सामाजिक एवं आर्थिक स्तर व उनसे प्राप्त होने वाले सुख आदि जानने के लिए किया जाता हैं महान ज्योतिषी श्री के॰एन राव इस द्वादशांस को जातक के ऊंच चेतना की प्रवृति जानने के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं |

द्वादशांस ज्ञात करने के लिए प्रत्येक राशि को 12 भागो मे बांटा जाता हैं जिसमे प्रत्येक भाग 2-30 अंश का हो जाता हैं इसी प्रकार ग्रहो को भी विभाजित कर जहां वह स्थित होते हैं वहाँ से उतने भाव आगे रख दिया जाता हैं जैसे यदि कोई ग्रह 8-02 अंश का होता हैं तो वह चतुर्थ द्वादशांस मे जाएगा अर्थात स्वयं के भाव से वह ग्रह चार आगे के भाव मे चला जाएगा |

द्वादशांस बनाने की विधि –

प्रथम द्वादशांस 0 से 2-30 अंश

दूसरा द्वादशांस 2-30 से 5-00 अंश

तीसरा द्वादशांस 5-00 से 7-30 अंश

चतुर्थ द्वादशांस 7-30 से 10-00’ अंश

इसी प्रकार पूरे 30-00 अंशो का 12 बराबर भागो मे बंटवारा कर 12 द्वादशांस प्राप्त किए जाते हैं |
इस द्वादशांस वर्ग का अध्ययन करते समय हमने पाया की ज्योतिष के प्राचीन ग्रंथों मे द्वादशांस के विषय मे एक सूत्र लिखा हुआ होता हैं |

“ केन्द्राशु शुभदा राजयोगफलप्रदा “

अर्थात स्वयं से केंद्र मे गया ग्रह ( द्वादशांस मे ) राजयोग प्रदान करता हैं |

हमने इसी सूत्र को आधार बनाकर यह जानने का प्रयास किया कि क्या वास्तव मे ऐसा होता हैं लगभग 300 कुंडलियों मे हमने यह सूत्र अपनी समझ के आधार पर लगाया और इस सूत्र को बिलकुल सही पाया इस सूत्र की सत्यता जानने के लिए हमें इसकी भूमिका को समझना पड़ेगा |

हम सभी जानते हैं की जन्मकुंडली का चतुर्थ व दशम भाव माता-पिता से संबन्धित होते हैं यदि इन दोनों भावो से घर अथवा सुख देखना होतो (चतुर्थ भाव) लग्न व सप्तम भाव पड़ेंगे और यदि इन्ही  भावो से कार्य अथवा कर्म देखना होतो (दशम भाव) क्रमश: सप्तम व लग्न ही पड़ेंगे यानि यह स्पष्ट रूप से कहाँ जा सकता हैं की माता-पिता के घर व कार्य के लिए हमें 4 व 10 के अतिरिक्त 1 व 7 भाव भी देखने चाहिए इन्ही चारो भावो (1,4,7,10) को ही हमारे प्राचीन विद्वानो ने केन्द्रीय भाव कहाँ हैं जिससे यह स्पष्ट होता हैं की इन चारो भावो मे गया ग्रह अवश्य ही शुभफल प्रदान करेगा अथवा करता होगा |

द्वादशांस के इन चारो ( केन्द्रीय  ) भावो को हमारे शास्त्र क्रमश: कुबेर,कीर्ति,मोहन व इंद्र कहते हैं जिनका  शाब्दिक अर्थ संभवत: धन,प्रसिद्दि,आकर्षण व सिंहासन होता हैं | द्वादशांस के विभिन्न भावो मे गए ग्रह इस प्रकार से अपने फल प्रदान करते हैं |

1,4,7,10 भावो मे शुभ,2,6,8,11 भावो मे मध्यम तथा 3,5,8,12 भावो मे निर्बल

अपने शोध मे हमने पाया की कुंडली मे यदि कोई भी ग्रह द्वादशांस मे अपने से इन चार केन्द्रीय भावो मे गया था तो उसने अपनी दशा मे जातक विशेष को बहुत ही सफलता,सम्मान कामयाबी व ऊंचाई प्रदान करी थी जबकि वह ग्रह उस जातक की कुंडली के लिए शुभ नहीं था तथा नैसिर्गिक रूप से अशुभ भी था हमने यह भी पाया की जैसे ही जातक को उस ग्रह की दशा लगी वह एकाएक सफलता की ऊंचाई छूने लगा द्वादशांश सूत्र होने के बावजूद उसकी इस सफलता मे उसके माता-पिता का योगदान अथवा सहयोग नहीं था अथवा नाम मात्र का ही था |


आइए अब कुछ कुंडलियाँ देखते हैं तथा इस सूत्र को जाँचते हैं |

गुरुवार, 11 फ़रवरी 2016

2016 एक अशुभ वर्ष

2016 एक अशुभ वर्ष

इस वर्ष केवल शनि को छोड़कर सभी बड़े ग्रहो का राशि परिवर्तन होना हैं जिनमे राहू-केतू,गुरु व मंगल शामिल हैं यह सभी गृह (गुरु को छोड़कर) तामसिक प्रवृति के गृह है जो अपने पाप प्रभावो के लिए ज़्यादा जाने जाते हैं इनका राशि परिवर्तन धरती पर अपना प्रभाव अवश्य ही दिखाता हैं चूंकि इस वर्ष सभी पाप ग्रहो का संबंध एक दूसरे से ज़्यादातर बना रहेगा यह वर्ष हमारे विश्व मे अवश्य ही कुछ ना कुछ अशुभ प्रभाव देकर जाएगा | अंक ज्योतिष से देखे तो यह वर्ष मंगल गृह से संबन्धित माना गया हैं और मंगल इस वर्ष शनि के साथ वृश्चिक राशि मे लगभग 7 माह रहेंगे जिसमे से कुछ समय हेतु वक्री भी होंगे जिससे स्पष्ट हैं की यह वर्ष पूरी दुनिया हेतु कुछ न कुछ अशुभता अवश्य ही दर्शा रहा हैं |

पूरे 2016 मे शनि वृश्चिक राशि मे रहेंगे परंतु जनवरी माह मे राहू के सिंह राशि  मे प्रवेश करते ही शनि व राहू का दृस्टी संबंध बन जाएगा इतिहास मे देखे तो यह संबंध बड़ा ही विध्वंशक माना जाता रहा हैं |

7/6/1945 को शनि राहू का संबंध मिथुन राशि मे बना था इसी वर्ष जापान के दो शहरो मे परमाणु बम द्वारा विस्फोट कर अमरीका ने परमाणु युद्ध की शुरुआत कर दी थी |

1979 मे भी जयह संबंध बना तब ईरान नामक इस्लामिक देश का जन्म हुआ,तथा पाकिस्तान मे राष्ट्रपति भुट्टो का तख़्ता पलटने के बाद उन्हे फांसी दे दी गयी थी वही औस्ट्रेलिया मे अन्तरिक्ष प्रसारता से संबन्धित स्काइलेब नामक दुर्घटना हुई |

1990-1991 मे जब यह संबंध बना तब ईरान मे एक बड़ा ज़बरदस्त भूकंप आया था जिसमे लाखों लोग मारे गए थे तथा सद्दाम हुसैन की तानाशाही के चलते इराक ने कुवैत पर कब्जा कर लिया था |

2016 के फरवरी माह मे मंगल का प्रवेश वृश्चिक राशि मे होने से शनि व मंगल का साथ हो जाएगा जो की ज्योतिषीय दृस्टी से एक बहुत ही भयानक संबंध माना जाता हैं जिसे अग्नि मारुत योग भी कहा जाता हैं जिसका शाब्दिक अर्थ आग व वायु का मिलन होता हैं | मंगल शनि का यह संबंध वृश्चिक राशि मे 30 वर्षो मे एक बार ही बनता हैं 2016 से पहले यह संबंध 1986 मे बना था और अगला यह संबंध 2046 मे बनेगा | इस वर्ष यह संबंध लगभग 7 माह के लिए बना रहेगा मंगल इस बार 20 फरवरी 2016 से 18 सितंबर 2016 तक वृश्चिक राशि मे ही रहेगे इस दौरान यह 18 अप्रैल से वक्री होकर 18 जून को तुला राशि मे प्रवेश कर 13 जुलाई को वापस फिर से वृश्चिक राशि मे आ जाएंगे | मंगल हर 2 साल मे वक्री होता हैं और अधिकतम 8 माह तक एक ही राशि मे रह सकता हैं |

मंगल शनि का वृश्चिक राशि मे यह संबंध पूरी दुनिया के लिए अशुभता दर्शा रहा हैं वृश्चिक राशि जलीय व गुप्त राशि मानी जाती हैं जिसके प्रभाव से जल संबंधी कोई गुप्त बीमारी जन्म ले सकती हैं मजदूर वर्ग अथवा ज़मीन के अंदर काम करने वाले लोगो मे असंतोष की भावना भड़कने से पूरी दुनिया मे संघर्ष जैसे हालात बन सकते हैं | गुप्त खोज व गुप्त षड्यंत्रकारी योजनाए जन्म लेंगी जिससे पूरी दुनिया को खतरा हो सकता हैं,जल अथवा जल से संबन्धित (सामुद्रिक) दुर्घटनाए बढ़ सकती हैं |

इतिहास मे देखे तो यह संबंध वायु व अग्नि संबंधी दुर्घटनाओ के लिए कुख्यात होने के साथ साथ विश्व के परिवेश को बदलने के लिए भी जाना जाता रहा हैं | पृथ्वी से बाहरी कक्षा के दो ग्रहो का यह संबंध पृथ्वी पर बहुत सी प्राकृतिक आपदाए जैसे भूकंप,सुनामी व ज्वालामुखी विस्फोट भी लाता रहा हैं | इस वर्ष भी ऐसा होने की प्रबल संभावना नज़र आती हैं | आइए इतिहास मे देखते हैं की यह संबंध अब तक क्या-क्या करता आया हैं |

1)13/4/1919 को भारत के अमृतसर मे जालियावाला बाग कांड हुआ था जिससे भारत के स्वतंत्र संग्राम की आग और भड़क उठी थी |

2)22/11/1933 को अमरीकी राष्ट्रपति जॉन कैनेडी की हत्या हुई थी |

3)1/4/1939 विश्व युद्ध आरंभ हुआ था |

4)30/4/1945 हिटलर ने आत्महत्या करी थी |

5)18/10/1962 चीन ने भारत पर हमला किया था  |

6)15/6/1973 को अमरीका व वियतनाम के बीच शांति समझौता रोक दिया गया |

7)5/6/1984 अमृतसर स्वर्ण मंदिर मे ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया गया जिसके परिणाम के रूप मे इन्दिरा गांधी हत्याकांड हुआ |

8)2/5/2011 आतंकी संगठन अल-कायदा का सरगना ओसामा बिन-लादेन अमरीकी फौज के द्वारा पाकिस्तान मे मार डाला गया |

9)शनि-मंगल की इस गोचरीय युति ने बहुत सी वायु दुर्घटनाए भी कारवाई हैं |

1)7/4/1922,2)25/12/1924,3)18/8/1926,4)2/10/1926,5)22/8/1927,6)13/7/1928,7)30/12/1933,8)9/5/1934,9)2/10/1934,10)14/1/1936,11)7/4/1936,12)5/8/1936,13)6/5/1937,14)16/11/1937,15)1/3/1938,16)25/10/1938,17)4/11/1938,18)28/12/1972,19)20/7/2010,20)2/4/2012,21)20/4/2012,22)12/9/2012,23)28/9/2012,24)16/5/2013,25)3/10/2013,26)8/2/2014  इन सभी तारीखो मे वायु दुर्घटनाए हुई हैं | 

विश्व परिपेक्ष मे देखे तो आगामी कुछ माह पूरी दुनिया हेतु भयंकर कष्टकारी व आफ़तवाले होने वाले हैं आतंकी संगठन विशेषकर बोकोहरम आइएस-इएस बड़े पैमानो मे आतंकी हमले कर आतंकवाद फैला व भड़का सकते हैं ऐसा कुछ भारत,अमरीका,ईरान,इटली व चीन आदि देशो मे हो सकता हैं इन्ही देशो मे कोई बड़ा भूकंप भी आ सकता हैं जिसमे ज़बरदस्त जान माल की हानी होना संभव जान पड़ता हैं | समुद्री देशो अथवा तटवर्ती इलाको मे सुनामी अथवा समुद्री तूफान भी नुकसान पहुंचा सकते हैं | किसी बड़े राजनयिक की हत्या भी हो सकती हैं जिससे पूरा विश्व प्रभावित हो सकता हैं | कई छोटे देशो मे तख्तापलट जैसे हालत भी बन सकते हैं |

भारत के परिपेक्ष मे देखे तो शनि राहू व मंगल का यह प्रभाव इस वर्ष निम्न  प्रभाव दे सकता हैं |

1)कोई बड़ा भूकंप भारतवर्ष मे विशेषकर दिल्ली व दिल्ली के आस पास के इलाको मे आ सकता हैं |

2)देश मे बड़े पैमाने मे सांप्रदायिक दंगे भड़क सकते हैं |

3)कुछ बड़े अग्निकांड होने की प्रबल संभावना बन सकती हैं |

4)कोई बड़ी जल अथवा समुद्री दुर्घटना विशेषकर पनडुब्बी संबंधी दुर्घटना हो सकती हैं   
5)अस्पताल,न्यायालय व पुलिस से संबन्धित कोई बड़े आदेश सरकार ला सकती हैं अथवा इनसे संबन्धित कई बड़े घोटाले व कांड जन्म ले सकते हैं |

6)भारत की सीमा मे घुसपैठ अथवा कोई छद्म युद्ध चीन के द्वारा की जा  सकता हैं |