2016 एक अशुभ वर्ष
इस वर्ष केवल शनि को छोड़कर सभी बड़े ग्रहो
का राशि परिवर्तन होना हैं जिनमे राहू-केतू,गुरु व मंगल शामिल हैं यह सभी गृह (गुरु को छोड़कर) तामसिक प्रवृति के गृह
है जो अपने पाप प्रभावो के लिए ज़्यादा जाने जाते हैं इनका राशि परिवर्तन धरती पर
अपना प्रभाव अवश्य ही दिखाता हैं चूंकि इस वर्ष सभी पाप ग्रहो का संबंध एक दूसरे
से ज़्यादातर बना रहेगा यह
वर्ष हमारे विश्व मे अवश्य ही कुछ
ना कुछ अशुभ प्रभाव देकर जाएगा | अंक ज्योतिष से देखे तो यह वर्ष मंगल गृह से संबन्धित माना गया हैं और मंगल
इस वर्ष शनि के साथ वृश्चिक राशि मे लगभग 7 माह रहेंगे जिसमे से कुछ समय हेतु
वक्री भी होंगे जिससे स्पष्ट हैं की यह वर्ष पूरी दुनिया हेतु कुछ न कुछ अशुभता अवश्य
ही दर्शा रहा हैं |
पूरे 2016 मे
शनि वृश्चिक राशि मे रहेंगे परंतु जनवरी माह मे राहू के सिंह राशि मे प्रवेश करते ही शनि व राहू का दृस्टी संबंध
बन जाएगा इतिहास मे देखे तो यह संबंध बड़ा ही विध्वंशक माना जाता रहा हैं |
7/6/1945 को शनि राहू का संबंध मिथुन राशि मे बना था इसी वर्ष जापान के दो शहरो मे
परमाणु बम द्वारा विस्फोट कर अमरीका ने परमाणु युद्ध की शुरुआत कर दी थी |
1979 मे भी जब यह संबंध बना तब “ईरान” नामक इस्लामिक
देश का जन्म हुआ,तथा पाकिस्तान मे राष्ट्रपति भुट्टो का तख़्ता पलटने के बाद उन्हे फांसी दे दी गयी थी वही औस्ट्रेलिया मे अन्तरिक्ष प्रसारता से संबन्धित “स्काइलेब” नामक दुर्घटना हुई |
1990-1991 मे जब
यह संबंध बना तब ईरान मे एक बड़ा ज़बरदस्त भूकंप आया था जिसमे लाखों लोग मारे गए थे तथा सद्दाम हुसैन की तानाशाही के चलते इराक ने कुवैत पर कब्जा कर लिया था |
2016 के फरवरी माह मे मंगल का प्रवेश वृश्चिक राशि मे
होने से शनि व मंगल का साथ हो जाएगा जो की ज्योतिषीय दृस्टी से एक बहुत ही भयानक
संबंध माना जाता हैं जिसे “अग्नि मारुत” योग भी कहा
जाता हैं जिसका शाब्दिक अर्थ आग व वायु का मिलन होता हैं | मंगल शनि का यह संबंध वृश्चिक राशि मे 30 वर्षो मे एक बार ही बनता हैं 2016
से पहले यह संबंध 1986 मे बना था और अगला यह संबंध 2046 मे बनेगा | इस वर्ष यह संबंध लगभग 7 माह के लिए बना रहेगा मंगल इस बार 20 फरवरी 2016
से 18 सितंबर 2016 तक वृश्चिक राशि मे ही रहेगे इस दौरान यह 18 अप्रैल से वक्री
होकर 18 जून को तुला राशि मे प्रवेश कर 13 जुलाई को वापस फिर से वृश्चिक राशि मे आ जाएंगे | मंगल हर 2 साल मे वक्री होता हैं और अधिकतम 8 माह तक एक ही राशि मे रह
सकता हैं |
मंगल शनि का
वृश्चिक राशि मे यह संबंध पूरी
दुनिया के लिए अशुभता दर्शा रहा हैं वृश्चिक राशि जलीय व गुप्त राशि मानी जाती हैं
जिसके प्रभाव से जल संबंधी कोई गुप्त बीमारी जन्म ले सकती हैं मजदूर वर्ग अथवा ज़मीन के अंदर काम करने वाले लोगो मे असंतोष की भावना भड़कने से पूरी दुनिया मे संघर्ष जैसे हालात बन सकते हैं | गुप्त खोज व गुप्त षड्यंत्रकारी योजनाए जन्म लेंगी जिससे पूरी दुनिया को खतरा
हो सकता हैं,जल अथवा जल से
संबन्धित (सामुद्रिक) दुर्घटनाए बढ़ सकती हैं |
इतिहास मे देखे तो यह संबंध वायु व अग्नि संबंधी दुर्घटनाओ के लिए कुख्यात होने के साथ साथ विश्व के परिवेश को बदलने के लिए भी जाना जाता रहा हैं | पृथ्वी से बाहरी
कक्षा के दो ग्रहो का यह संबंध पृथ्वी पर बहुत सी प्राकृतिक आपदाए जैसे भूकंप,सुनामी व ज्वालामुखी विस्फोट भी लाता रहा हैं
| इस वर्ष भी ऐसा होने की प्रबल संभावना नज़र आती हैं | आइए इतिहास मे देखते हैं की यह संबंध अब तक क्या-क्या करता आया हैं |
1)13/4/1919
को भारत
के अमृतसर मे जालियावाला बाग कांड हुआ था जिससे भारत के स्वतंत्र संग्राम की
आग और भड़क उठी थी |
2)22/11/1933
को अमरीकी
राष्ट्रपति जॉन कैनेडी की हत्या हुई थी |
3)1/4/1939
विश्व युद्ध आरंभ हुआ था |
4)30/4/1945 हिटलर ने आत्महत्या करी थी |
5)18/10/1962
चीन ने भारत पर हमला किया था |
6)15/6/1973
को अमरीका व वियतनाम के बीच शांति समझौता रोक दिया गया |
7)5/6/1984
अमृतसर स्वर्ण मंदिर मे ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया गया जिसके परिणाम के रूप
मे इन्दिरा गांधी हत्याकांड हुआ |
8)2/5/2011
आतंकी
संगठन अल-कायदा का सरगना “ओसामा बिन-लादेन” अमरीकी फौज के द्वारा पाकिस्तान मे मार
डाला गया |
9)शनि-मंगल की इस गोचरीय युति ने बहुत सी वायु
दुर्घटनाए भी कारवाई हैं |
1)7/4/1922,2)25/12/1924,3)18/8/1926,4)2/10/1926,5)22/8/1927,6)13/7/1928,7)30/12/1933,8)9/5/1934,9)2/10/1934,10)14/1/1936,11)7/4/1936,12)5/8/1936,13)6/5/1937,14)16/11/1937,15)1/3/1938,16)25/10/1938,17)4/11/1938,18)28/12/1972,19)20/7/2010,20)2/4/2012,21)20/4/2012,22)12/9/2012,23)28/9/2012,24)16/5/2013,25)3/10/2013,26)8/2/2014 इन सभी तारीखो मे वायु दुर्घटनाए हुई हैं |
विश्व परिपेक्ष मे
देखे तो आगामी कुछ माह पूरी दुनिया हेतु भयंकर कष्टकारी व आफ़तवाले होने वाले हैं आतंकी
संगठन विशेषकर बोकोहरम व आइएस-आइएस बड़े पैमानो मे आतंकी हमले कर आतंकवाद फैला व भड़का सकते हैं ऐसा कुछ
भारत,अमरीका,ईरान,इटली व चीन आदि देशो मे हो सकता हैं | इन्ही
देशो मे कोई बड़ा भूकंप भी आ सकता हैं जिसमे ज़बरदस्त जान माल की हानी होना संभव जान
पड़ता हैं | समुद्री देशो अथवा
तटवर्ती इलाको मे सुनामी अथवा समुद्री तूफान भी नुकसान पहुंचा सकते हैं | किसी बड़े राजनयिक की
हत्या भी हो सकती हैं जिससे पूरा विश्व प्रभावित हो सकता हैं | कई
छोटे देशो मे तख्तापलट जैसे हालत भी बन सकते हैं |
भारत के परिपेक्ष मे
देखे तो शनि राहू व मंगल का यह प्रभाव इस वर्ष निम्न प्रभाव दे सकता हैं |
1)कोई बड़ा भूकंप भारतवर्ष मे विशेषकर दिल्ली
व दिल्ली के आस पास के इलाको मे आ सकता हैं |
2)देश मे बड़े पैमाने
मे सांप्रदायिक दंगे भड़क सकते हैं |
3)कुछ बड़े अग्निकांड
होने की प्रबल संभावना बन सकती हैं |
4)कोई बड़ी जल अथवा
समुद्री दुर्घटना विशेषकर पनडुब्बी संबंधी दुर्घटना हो सकती हैं
5)अस्पताल,न्यायालय व पुलिस से संबन्धित कोई बड़े आदेश सरकार ला सकती हैं अथवा इनसे संबन्धित कई बड़े घोटाले व
कांड जन्म ले सकते हैं |
6)भारत की सीमा मे
घुसपैठ अथवा कोई छद्म युद्ध चीन के द्वारा की जा सकता हैं |
1 टिप्पणी:
Ati-uttam likha hai. main ise sabhar share karna chahta hoon.
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