शुक्रवार, 30 जून 2017

सूर्य चन्द्र अन्य ग्रहो की भांति पंच महा पुरुष योग क्यू नहीं बनाते |


1)लग्न के अतिरिक्त सूर्य व चन्द्र लग्न भी देखा जाता हैं जिससे हम सुदर्शन चक्र विधि भी देखते हैं जिस कारण हम सूर्य को सुनफा,अनफा व दुरधारा योग मे तथा वेसि,वासी तथा उभयचरा योग मे चन्द्र को नहीं लेते हैं |

2)पंच महाभूत अथवा पंच तत्व जिनसे हमारा सारा ब्रह्मांड बना हैं जिनमे आकाश,वायु,अग्नि,जल तथा पृथ्वी हैं इनका प्रतिनिधित्व गुरु,शनि,मंगल,शुक्र तथा बुध करते हैं और यही वो पाँच ग्रह हैं जो पंच महा पुरुष योग बनाते हैं और इन्ही पाँच तत्वो मे से संबन्धित तत्व जातक मे अधिक रहता हैं कुछ विद्वान सूर्य को मंगल से अग्नि तत्व के लिए तथा चन्द्र को शुक्र से जल तत्व के लिए समान मान लेते हैं जो पूर्णतया ग़लत हैं |

3)पंचांग अर्थात योग,नक्षत्र,वार,तिथि व करण देखे तो ये पांचों क्रमश: गुरु,शनि,मंगल,शुक्र व बुध का ही प्रतिनिधित्व करते हैं जिसमे सूर्य चन्द्र का संबंध योग व तिथि बताता हैं तथा करण तिथि का आधा होता हैं जबकि नक्षत्र चन्द्र की ब्रह्मांड मे स्थिति होती हैं इस कारण यही पाँच ग्रह हैं जो पंच महापुरुष योग बनाते हैं |


4) सभी सातो ग्रहो का हमारे शरीर के सात चक्रो से संबंध होता हैं जिनमे विशुद्द चक्र गुरु,अनाहत चक्र शनि,मणिपुर चक्र मंगल,स्वाधीस्थान चक्र शुक्र,तथा मूलाधार चक्र बुध के द्वारा संचालित होते हैं सूर्य व चन्द्र क्रमश:सहस्रार चक्र व आज्ञा चक्र को दर्शाते हैं जो आत्मा व मन से संबन्धित होते हैं |

जयपुर ज्योतिष महाकुंभ



25-26 जून 2017 को ज्योतिष संस्था आईकास द्वारा दैनिक भास्कर समाचार पत्र के सहयोग से ज्योतिष के क्षेत्र मे एक ज्योतिष महाकुंभ गुलाबी नगरी जयपुर मे आयोजित किया गया इसमे आईकास से जुड़े लगभग 50  विश्वप्रसिद्द विद्वान ज्योतिषी जिनमे प्रमुख रूप से श्री ए॰बी॰शुक्ला,श्री एस॰एन॰कपूर,श्रीमती गायत्री देवी वासुदेव,श्रीमती पद्मा शर्मा,श्री के॰ रंगाचारी,श्री नवनीत कौशिक,श्री एम॰एन॰केदार,श्री प्रजापति,श्री दीपक जोशी तथा अन्य ज्योतिषियो ने अपने अपने ज्योतिषीय ज्ञान का परिचय देने के साथ साथ जयपुर की आम जनता की ज्योतिषीय समस्याओ का निराकरण भी किया | 

जयपुर चेप्टर के अध्यक्ष तथा ज्योतिष की मासिक पत्रिका ज्योतिष मंथन के प्रधान संपादक पंडित सतीश शर्मा जी की देख रेख मे यह महान आयोजन किया गया था जो हर तरीके से काबिले तारीफ रहा सभी प्रकार की सुविधा के अतिरिक्त बेहतरीन खान पान से सुसज्जित इस महान ज्योतिष आयोजन मे ज्योतिष के मूर्धन्य विद्वानो ने जहां अपने अपने अनुभव हम जैसे ज्योतिषियो के साथ बांटे वही हमे भी अपनी बात कहना अवसर प्रदान किया गया |

कार्यक्रम के पहले दिन श्री सतीश शर्मा द्वारा सभी ज्योतिषियो का परिचय करवाया गया तथा शास्त्रीय विधि द्वारा कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया जिसमे सभी विद्वानो ने अपने अपने विचार रखे तथा कर्ज से मुक्ति संबन्धित जानकारी प्रदान करी इसमे विशेष रूप से श्री शुक्ल जी द्वारा दिया गया ज्योतिष व गीता संवाद बहुत ही शोधपूर्ण व ज्ञानवर्धक रहा |

इसी दिन शाम के समय पोद्दार स्कूल मे सभी ज्योतिषियो ने जयपुर की जनता की ज्योतिषीय समस्याओ का समाधान निशुल्क रूप से किया इसमे विशेष रूप से दैनिक भास्कर समाचार पत्र का योगदान सराहनीय रहा |

हमारे मित्र व प्रश्न ज्योतिष के विद्वान देहरादून निवासी श्री पी॰पी॰एस राणा के सहयोग से हमें भी इस ज्योतिष महाकुंभ मे जाने का अवसर प्राप्त हुआ हमने भी सभी विद्वान ज्योतिषियो से ना सिर्फ आशीर्वाद प्राप्त किया बल्कि उनके साथ 2 दिन का अमूल्य समय अपने ज्ञान को बढ़ाने मे व्यतीत किया |

दूसरे दिन कुछ ज्योतिषीय विद्वानो को मंच पर अपने विचार रखने का अवसर  प्रदान किया गया जिसमे श्री पी॰पी॰एस राणा ने अपने अनुभव गायन शैली मे रखकर विद्वानो का मन मोह लिया इसके बाद हमने भी अपने विचार सभी विद्वानो के सम्मुख रखे |

इसके बाद वास्तु की कार्यशाला का आयोजन किया गया तथा शाम को प्रत्येक ज्योतिषी को श्री सतीश शर्मा जी द्वारा सम्मानित कर विदा किया गया |


कुल मिलाकर कहा जा सकता हैं की यह एक विश्वस्तरीय ज्योतिषीय कार्यक्रम था जिसमे ज्योतिष जगत के महान व विद्वान ज्योतिषियो ने ज्योतिष के क्षेत्र  मे अपने अपने विचार व अनुभव आदान प्रदान कर ज्योतिष जगत को उपलब्धि प्रदान करी |

शुक्रवार, 16 जून 2017

राहू केतू



आधुनिक ज्योतिष के कुछ विद्वान राहू केतू को छाया ग्रह होने के कारण फलित मे ज्यादा महत्व नहीं देते हैं उनका यह मानना होता हैं की राहू केतू गणितीय दृस्टी से माने हुये दो कटान बिन्दु हैं जिनका जातक विशेष के स्वभाव व प्रकृति पर कोई प्रभाव नहीं होता हैं जबकि हमारे प्राचीन ज्योतिषीय विद्वानो ने इन राहू केतू को अवश्य ही महत्व प्रदान किया हैं ज्योतिष के प्राचीन शास्त्रो विशेषकर यवन शास्त्रो मे राहू केतू को फलित मे बहुत महत्व दिया गया हैं |

एक श्लोक मे लिखा गया हैं राहूर बाहुबलम करोति विपुलम केतू कुलस्योतिम अर्थात राहू जातक को बहुत बल प्रदान करता हैं तथा केतू जातक को उसके  कुल मे उन्नति प्रदान करता हैं |

अनुभव के आधार पर देखने मे आता हैं की शुभ राहु जातक को बेहतरीन स्वास्थ्य व बीमारी से मुक्ति देता हैं |

भुवन दीपिका मे राहू को मिथुन राशि मे ऊंचता,कन्या राशि मे स्वामित्वता  तथा धनु राशि मे नीचता प्रदान की गयी हैं | जबकि सिंह राशि में इसे बेहद अशुभ माना गया हैं क्यूंकी यह सूर्य की राशि होती हैं जिसे राहू ग्रहण लगाता हैं |

राहू जन्म समय मे यदि चन्द्र राशि मे हो अथवा वहाँ से 3,9,10 वे भावो मे होतो जातक राजकुमार की तरह जीता हैं और बुढ़ापे मे धनी बन जाता हैं | चन्द्र से 6 अथवा 12 भाव मे होने पर यह जातक को राजा समान,मंत्री,जमींदार व धनी बनाता हैं परंतु यह जब चन्द्र से 4 या 10 मे होतो जातक को संतान संबंधी चिंता अवश्य प्रदान करता हैं जिससे जातक के जीवन मे बहुत सी बीमारी लगी ही रहती हैं | जब यह राहू चन्द्र से 2 या 11 भाव मे होतो जातक गरीब होने के साथ साथ बेशर्म प्रकृतिवाला भी होता हैं जो सपने मे भी सुख का आनंद प्राप्त नहीं कर पाता हैं |

चन्द्र से पंचम भाव का राहू जातक को अज्ञात भय प्रदान करता हैं जातक को उसके जीवन मे बहुत सी दुर्घटनाओ से सामना करवाता हैं और जातक को जल से संबन्धित मृत्यु प्रदान करता हैं |

लग्न मे राहू जातक को स्वास्थ्य मे खराबी के अतिरिक्त,पारिवारिक विवाद करने वाला,बातुनी,रोमांचकारी,बहस करने का आदि तथा अपनी औकात से कमतर काम करने वाला बनाता हैं ऐसा जातक काफी हद तक स्वार्थी तथा अमर्यादित होता हैं |

दूसरे भाव का राहू जातक को ग़लत तरीके से धन प्राप्त करने वाला,मांस आदि खाने का शौकीन,नशे करने की प्रवृति वाला,चिंतित व नीचो के संग वास करने वाला बनाता हैं |

तृतीय भाव का राहू जातक को साहसी तथा सहोदरो के लिए हानी देने वाला बनाता हैं परंतु ऐसा जातक खुश रहने वाला होता हैं |

चतुर्थ भाव का राहू जातक को अपने गाँव का मुखिया बनाता हैं परंतु नीच लोगो की संगत भी देता हैं जातक की पत्नी बीमार रहती हैं वह अपने रिश्तेदारों से मित्रता नहीं रखता तथा उसकी कन्या संतान होती हैं परंतु धनी ज़रूर होता हैं |

पंचम भाव का राहू नर संतान हेतु शुभ नहीं होता ऐसे जातक की 2 कन्या संतान होती हैं यदि चन्द्र राहू संग होतो जातक संतानहीन हो सकता हैं यदि संतान हो भी जाए तो वह छोटी उम्र मे मर जाती हैं | इस पंचम भाव मे राहू (कुम्भ राशि का छोड़कर) जातक को संकीर्ण मानसिकता,गरम दिमाग,तथा बहुधा एक ही संतान देता हैं |
छठे भाव मे राहू को अच्छा माना जाता हैं जो जातक को धन,शत्रु विजय,तथा जीवन के सभी सुख प्रदान करता हैं परंतु मकर लग्न वालो के लिए यह छठा राहू दुर्भाग्य व नैतिक पत्तन देता हैं |

सातवे भाव का राहू जातक की पत्नी को दुराचारी बनाता हैं जातक कई तरीको से धन कमाता व गँवाता हैं तथा अमर्यादित जीवन जीता हैं उसके विवाह मे कोई ना कोई अटपटापन ज़रूर होता हैं |

अष्टम भाव का राहू जातक को बीमार,संकीर्ण मानसिकता वाला,अस्थिर काम करने वाला तथा अनुभवहीन बनाता हैं |

नवम भाव का राहू जातक को स्वार्थी,धर्म विरोधी,गरीब व कुटुंब परिवार से लापता बनाता हैं |

दसवा राहू जातक को भटकाव भरा काम करने वाला तथा एक से अधिक कार्य करने वाला बनाता हैं परंतु राजनीति हेतु यह राहू बहुत शुभता प्रदान करता हैं |

एकादश भाव का राहू जातक को आसानी से धन कमाने वाला,विदेश घूमने वाला,कोई भी कार्य करने मे समर्थवान तथा बेशर्म प्रकृति का बनाता हैं |

द्वादश भाव का राहू जातक को बड़ी बीमारी वाला,पत्नी से वियोग सहने वाला,घर परिवार से दूर अलग प्रवृति का बनाता हैं ऐसा जातक बातें बहुत बड़ी बड़ी करता हैं परंतु करता कुछ खास नहीं हैं |

राहू पत्रिका मे बालारिष्ट भी बताता हैं जिससे जातक की आयु जानी जा सकती हैं |

1)जब शनि मंगल 2रे भाव मे हो और राहु 3रे भाव मे होतो जातक 1 वर्ष से ज़्यादा जी नहीं पाता हैं |

2)राहू 4थे भाव मे हो और चन्द्र निर्बल होकर 6,8वे भाव मे होतो जातक कुछ दिन ही जीता हैं |

3)सूर्य राहू अथवा शनि राहू 4थे भाव मे हो और निर्बल चन्द्र 8वे भाव मे होतो जातक एक वर्ष तक जीता हैं |

4)4थे भाव मे राहू हो और लग्न,7वे,अथवा 2रे व 12वे भाव मे पाप ग्रह होतो जातक 7 दिन तक ही जीता हैं |

5)8वे भाव राहू सूर्य अथवा शनि से दृस्ट होतो जातक 8 वर्ष तक ही जीता हैं परंतु यह राहू यदि शुभ ग्रहो से दृस्ट होतो जातक 12 वर्ष तक जीता हैं |

6)सिंह का राहू लग्न से 7वे अथवा 9वे होतो जातक 16 वर्ष तक जीता हैं |

7) राहू 12वे भाव मे हो और बुध,गुरु,शनि लग्न या पंचम भाव मे होतो जातक कुछ ही घंटे जी पाता हैं |

8)राहू लग्न मे हो,शनि सप्तम भाव मे हो और गुरु 12वे भाव मे होतो जातक को एक साल तक खतरा रहता हैं |

9)धनु अथवा मकलग्न मे दूसरे भाव मे राहू सूर्य शुक्र व बुध हो तथा शुक्र बुध अस्त होतो जातक पिता के बाद जन्म लेता हैं अथवा नाजायज होता हैं जिसकी अल्पायु होती हैं |


                

सोमवार, 12 जून 2017

कर्ज़



जब कोई व्यक्ति अपनी कमाई से ज़्यादा खर्च करता हैं या करना चाहता हैं तब उसे कर्ज़ लेना पड़ता हैं | कर्ज़ कब होगा व कितना होगा यह कुंडली से जाना जा सकता हैं |

दूसरा भाव जातक की मुद्रा,हाथ मे आए धन व चालित संपत्ति का होता हैं दुसवा भाव जातक का कमक्षेत्र अथवा नौकरी बताता हैं एकादश भाव जातक की बचत आदि बताता हैं | कोई भी जातक बाहुबल द्वारा,स्वयं की वस्तु द्वारा,भाई-बहनों,माता,संतान,दूसरों की सेवा,व्यापार,बीमा,विदेसियो व अपने कर्म द्वारा  अथवा यू कहें की 1 से 10 भावो के द्वारा धन अर्जित कर सकता हैं | द्वादश भाव खर्च का होता हैं जिस कारण 1 से 10 भावो का लाभ को जोड़कर इस द्वादश भाव के खर्च को घटाने पर बचा हुआ धन लाभ कहलाता हैं जिसे एकादश भाव से देखते हैं |

साधारणत:2,10,11 भावो को धन हेतु देखा जाता हैं छठा भाव क्यू कब और कितना धन कर्ज़ लिया जा सकता हैं इस हेतु देखते हैं अष्टम भाव हानी,दुर्घटना व आकस्मिक लाभ हेतु देखते हैं वही द्वादश भाव खर्च,खरीददारी व पैसे का कहीं पर लगाया जाना दर्शाता हैं इसलिए 6,8,12 भावो का सावधानी से अध्ययन किया जाना चाहिए |

लग्न भाव जातक के विषय मे बताता हैं जो कर्ज़ लेता हैं सप्तम भाव का स्वामी कर्ज़ देने वाला होता हैं छठा भाव कर्ज़ बताता हैं |कर्ज़ वास्तव मे जातक की आय के समान होता हैं जो लेने पर उसकी सम्पदा को बढ़ाता हैं परंतु देने वाले के लिए छठा भाव सप्तम से द्वादश होता हैं जो उसकी हानी बताता हैं इस प्रकार कर्ज़ किसी के लिए लाभ व किसी के लिए हानी बनता हैं अब ऐसे मे जब कर्ज़ चुकाया जाता हैं तब लेने वाले का द्वादश भाव (खर्च)तथा देने वाले का 12 भाव (छठा)उसे प्राप्ति दर्शाता हैं इसी प्रकार अष्टम भाव सप्तम से दूसरा होता हैं अर्थात देने वाले का धन भाव जबकि सप्तम भाव कर्ज़ देने वाले के विषय मे बताता हैं अब यदि अष्टम भाव मे पाप गृह हुआ तो यह देने वाले के दूसरे भाव मे होने से उसके द्वारा दिये पैसे का डूब जाना अथवा परेशानी मे आना बताता हैं और यदि अष्टम भाव मे शुभ गृह हुआ तो इसके विपरीत धन का वापस आ जाना दर्शाता हैं |

इस दुनिया मे हर कोई अपनी इज्जत बनाना व बचाना चाहता हैं जिस कारण कर्ज़ को अपने सिर से हर कोई जल्द से जल्द चुका देना चाहता हैं | दशम भाव कर्म बताता हैं जो की सप्तम से चतुर्थ भाव होता हैं जो धन वापसी की संभावना बताता हैं एकादश भाव लाभ बताता हैं परंतु यदि किसी ने कर्ज़ लेकर लाभ लिया हैं तो यह भाव सप्तम से पंचम होने के कारण उधर का चूकना भी बताता हैं | 
अत: यह स्पष्ट हैं की उधार का मिलना 2,6,10,11 तथा चुकाना 4,5,8,12 भावो से देखना चाहिए यदि 2,6,10,11 भावो मे शुभ ग्रह हुये तो जातक इन ग्रहो की दशा मे धन कमाएगा और यदि 4,5,8,12 भावो मे शुभ ग्रह होंगे तो कर्ज़ चुका भी देगा वही 2,6,10,11 भावो मे यदि पाप ग्रह हुये तो जातक को कमाने मे भी दिक्कत आएगी तथा 4,5,8,12 भावो मे पाप ग्रह हुये तो उसे कर्ज़ चुकाने मे दिक्कत भी आएगी |


चलिये अब देखते हैं की कोई कर्ज़ कब और क्यू लेता हैं जब लग्न व लग्नेश 6,8,12 भावो से संबन्धित होतो जातक अपनी सेहत व अपने साथी हेतु, अपने घाटे को पूरा करने हेतु तथा खर्चे को पूरा करने हेतु कर्ज़ लेता हैं |

शनिवार, 10 जून 2017

श्री राम का जन्म व उनकी कुंडली




बाल्मीकी रामायण मे श्री राम के जन्म के विषय मे बालकांड के 18वे सर्ग व श्लोक 7 से 10 मे कहा गया हैं |

तथाश्च द्वादशे मासे चैत्र नवमी के तिथों नक्षत्रे धिति दैवतये स्वोच्च समस्थेसु पंचासु ग्रहेसु कर्कटे लग्ने वाक्पथा विंदुना सह: प्रोध्यामने जगन्नाथम सर्वलोका नमस्कुरुतम कौशल्या जनाएद्रमम सर्वलक्षणा संयुतम

जो चैत्र मास की नवमी तिथि के दिन पुनर्वसु नक्षत्र व कर्क लग्न होने की पुष्टि करता हैं परंतु वार के विषय मे कुछ नहीं बताता इसमे यह भी कहा गया हैं की श्री राम के जन्म के समय 5 ग्रह अपनी ऊंच अवस्था मे थे |

विचित्र रामायण मे लिखा हैं की नरनाथग्रणी चैत्रशुक्ल नवमी सप्तसवूदून (सूर्य),कव्युदून (शुक्र),धर्नाणीनदनुदून (मंगल),सुपरवागुडु (गुरु) ऊंचास्थलईअर्थात राम जन्म के समय सूर्य,शुक्र,मंगल व गुरु ग्रह ऊंच के थे |

प्राचीन ग्रंथ लघु जातक के अनुसार जो कुंडली दी गयी हैं उसमे भी 5 ग्रह सूर्य,शुक्र,गुरु,मंगल व शनि ऊंच के बताए गए हैं परंतु उसमे भी वार नहीं लिखा हैं |

एक अन्य ग्रंथ होरानुभव दर्पण जिसमे श्री राम के अतिरिक्त श्री कृष्ण,अर्जुन,टीपू सुल्तान आदि की पत्रिकाए भी दी गयी हैं उसमे श्री राम के जन्म के समय 3 ग्रह गुरु,शनि व मंगल ऊंच के बताए गए हैं तथा जन्म शनिवार का बताया गया हैं |

सृष्टियादी महायुगम वैवस्वत मन्वंतरम त्रेता द्वापर संधि पश्चगतम सृष्टियादी समहरगनम शनिवारम मध्याहम स्वभानु वर्ष चैत्र शुक्ल नवमी पुनर्वसु नक्षत्र कर्क लग्न

तेलुगू कवि भास्कर ने 14 शताब्दी मे भास्कर रामायण मे तथा एक अन्य तेलुगु कवि बुद्दा रेड्डी ने 13 शताब्दी मे द्विपद रामायण मे श्री राम का जन्म का वार बुधवार को बताया हैं वही भरत का जन्म गुरुवार को तथा लक्ष्मण व शत्रुघ्न का जन्म शुक्रवार को बताया गया हैं |  

लघुजातक व होरानुभाव दर्पण मे दी गयी कुंडलियों मे जहां 5 व 3 ग्रह ऊंच के बताए गए वही एक अन्य कुंडली जो विभिन्न पत्रिका मे छपती रही हैं उसमे 4 ग्रह गुरु,शुक्र,मंगल व शनि ऊंच के बताए गए हैं सूर्य को यहाँ मीन राशि मे दिखाया गया हैं |

इस प्रकार देखे तो प्रस्तुत सभी तीनों कुंडलियों मे दोष नज़र आता हैं जिससे ज्योतिष के प्रति संशय उत्पन्न होता हैं |

वर्तमान समय के ज्योतिष के महा विद्वान व ज्योतिष पुरोधा श्री के॰ एन॰ राव के अनुसार श्री राम के जन्म के समय मे थोड़ा सा विरोधाभास हैं उनके अनुसार राम जन्म यदि नवमी के दिन हुआ हैं तो चन्द्र से सूर्य 96 से 108 अंश की दूरी मे होगा जो मीन राशि मे पड़ेगा ना की मेष राशि मे और जिससे राम जन्म के समय चार ग्रह ऊंच के होंगे पाँच नहीं | वास्तव मे देखने पर भी चार ग्रह ऊंच तथा एक ग्रह स्वग्रही ज़्यादा सही प्रतीत होता हैं | वही यदि कर्क लग्न मे चन्द्र पुनर्वसु नक्षत्र का होगा तो वह 3*20 अंशो का होगा अष्टमी तिथि जो 9 से 108 अंशो के मध्य होती हैं ज्ञात करने पर सूर्य से चन्द्र 93*20 अंश तक जाती हैं जिससे 3*से 2*40 अंश तक बाकी बच जाते हैं जिससे सूर्य मीन मे आ जाएगा मेष मे नहीं मेष मे होने से तिथि अष्टमी बन जाएगी नवमी नहीं |
वही यदि सूर्य को मीन मे रखने पर गुरु की दृस्टी उस पर आ जाती हैं जो श्री राम के राजा बनने की स्थिति स्पष्ट कर देती हैं वही शुक्र का चतुर्थेश होकर सूर्य संग नवम भाव मे ऊंच के नवमेश से दृस्ट होना उनके पिता को भी राजा होना अथवा पिता का राज भवन होना दर्शाता हैं | यदि सूर्य को दशम भाव मे ऊंच का माने तो यह द्वितीयेश होकर स्थित होगा जिससे मंगल की दृस्टी इस सूर्य पर तथा दूसरे भाव पर भी होगी जो श्री राम को हिंसात्मक रूप से मृत्यु प्रदान करेगी जबकि हम सब भली भांति जानते हैं की श्री राम ने जल समाधि ली थी जिसके कई कारण हो सकते हैं जिनमे से एक कारण कुंडली मे जलीय राशियो पर पाप ग्रहो का प्रभाव भी रहा होगा |

ज्योतिष पुरोधा श्री राव के अनुसार उनको यह श्री राम की पत्रिका उनके गुरु श्री योगी भास्करानंद जी ने उन्हे दिखाई थी ( जिसका उल्लेख श्री राव ने सप्तऋषि पब्लिकेन वालो से अपने एक साक्षात्कार मे भी किया हैं जो उन्होने 9 जून 2015 को दिया था ) जिसके अनुसार श्री राम जी की पत्रिका मे कर्क लग्न मे ऊंच गुरु संग स्वग्रही चन्द्र हैं,चतुर्थ भाव मे ऊंच शनि,छठे भाव मे राहू,सप्तम मे ऊंच मंगल,नवम भाव मे ऊंच सूर्य संग शुक्र,दशम मे बुध तथा द्वादश भाव मे केतू हैं | इस प्रकार इस पत्रिका मे 4 ग्रह ऊंच तथा एक ग्रह स्वग्रही होता हैं | कुछ विद्वान बुध को नवम भाव मे सूर्य संग मानते हैं ऐसा होने पर श्री राम चन्द्र के भाइयो का उत्थान होना संभव नहीं दिखता क्यूंकी बुध तृतीयेश व द्वादशेश हैं वही बुध ऐसे मे नीच का भी हो जाएगा जो की भगवान की कुंडली होने के कारण संभव ही नहीं हैं | श्री राम अपनी पत्नी सीता सहित वन मे गए थे ऐसे मे यदि बुध को दशम भाव मे रखा जाए तो यह स्पष्ट रूप से दिखाई देता हैं दशम से बुध की दृस्टी चतुर्थ भाव पर आती हैं जहां सप्तमेश शनि स्थित हैं जो पत्नी के घर से दुर वन अथवा विदेश जाने का संकेत देती हैं तथा द्वादशेश बुध की सप्तमेश पर दृस्टी पत्नी के अपहरण को भी बताती हैं वही तीसरे भाव के स्वामी का दशम मे होना श्री राम के बाद जन्मे भाइयो का जीवन मे ऊंचा उठना भी बताते हैं और सच मे ऐसा ही हुआ भी था |

पंचमेश का ऊंच का होकर नवमेश को देखना पूर्व पुण्य द्वारा ऊंच आध्यात्मिकता बताता हैं वही ग्रह के रूप मे गुरु व मंगल का ऊंच का होकर एक दूसरे को देखना ऊंच दर्जे की नैतिकता बताता हैं | पंचमेष मंगल का ऊंच का होकर स्वग्रही लग्नेश तथा षष्ठेश गुरु को दृस्टी देना उनके बच्चो का उनसे युद्ध होना तथा उन्हे युद्ध मे हराया जाना सिद्द कर देता हैं सभी जानते हैं की लव कुश ने श्री राम को युद्ध मे हरा दिया था |

सूर्य व नवमेश गुरु का मंगल व शनि से देखा जाना पिता की आयु हेतु शुभ नहीं दिखता तथा चन्द्र शनि व मंगल संबंध सन्यास हेतु उत्तम होता हैं जो यहा स्पष्ट हैं | राहू का धनु राशि मे होना जो जैमिनी ज्योतिष के अनुसार कोदंड राशि हैं राम के पास धनुष बाण होना स्पष्ट करती हैं | केतू का द्वादश होना शास्त्र अनुसार आध्यात्मिकता हेतु बहुत ही शुभ होता हैं वही मरणोपरांत जातक की चीर प्रसिद्दि भी बताता हैं |

इन सब कारणो से देखे तो श्री राम जी की पत्रिका मे 4 ग्रह ऊंच व एक ग्रह चन्द्र का स्वग्रही होना ज़्यादा सही प्रतीत होता हैं वही श्री राव द्वारा किया गया उनका फलित बहुत सही व सटीक दिखता हैं |