आधुनिक ज्योतिष के कुछ विद्वान राहू
केतू को छाया ग्रह होने के कारण फलित मे ज्यादा महत्व नहीं देते हैं उनका यह
मानना होता हैं की राहू केतू गणितीय दृस्टी से माने हुये दो कटान बिन्दु हैं जिनका जातक विशेष के स्वभाव व प्रकृति पर कोई प्रभाव नहीं
होता हैं
जबकि हमारे प्राचीन
ज्योतिषीय विद्वानो ने इन राहू केतू को अवश्य ही महत्व प्रदान किया हैं ज्योतिष के
प्राचीन शास्त्रो विशेषकर यवन शास्त्रो मे राहू केतू को फलित मे बहुत महत्व दिया गया
हैं |
एक श्लोक मे लिखा गया हैं “राहूर बाहुबलम करोति
विपुलम केतू कुलस्योढतिम” अर्थात राहू जातक को बहुत
बल प्रदान करता हैं तथा केतू जातक को उसके कुल मे उन्नति प्रदान करता हैं |
अनुभव के आधार पर देखने मे आता हैं की शुभ राहु जातक को
बेहतरीन स्वास्थ्य व बीमारी से मुक्ति देता हैं |
भुवन दीपिका मे राहू को
मिथुन राशि मे ऊंचता,कन्या राशि मे स्वामित्वता तथा धनु राशि मे नीचता प्रदान की गयी हैं |
जबकि सिंह राशि में इसे बेहद अशुभ माना गया
हैं क्यूंकी यह सूर्य की राशि होती हैं जिसे राहू ग्रहण लगाता हैं |
राहू जन्म समय मे यदि
चन्द्र राशि मे हो अथवा वहाँ से 3,9,10 वे भावो मे होतो जातक राजकुमार की तरह जीता हैं
और बुढ़ापे मे धनी बन जाता हैं | चन्द्र से 6 अथवा 12 भाव मे
होने पर यह जातक को राजा समान,मंत्री,जमींदार
व धनी बनाता हैं परंतु यह जब चन्द्र से 4 या 10 मे होतो जातक को संतान
संबंधी चिंता अवश्य प्रदान करता हैं जिससे जातक के जीवन मे
बहुत सी बीमारी लगी ही रहती हैं | जब यह राहू चन्द्र से 2 या 11 भाव मे होतो जातक गरीब होने के साथ साथ बेशर्म प्रकृतिवाला भी होता हैं जो सपने मे
भी सुख का आनंद प्राप्त नहीं कर पाता हैं |
चन्द्र से पंचम भाव का राहू
जातक को अज्ञात भय प्रदान करता हैं जातक को उसके जीवन मे बहुत सी दुर्घटनाओ
से सामना करवाता हैं और जातक को जल से संबन्धित मृत्यु प्रदान करता हैं |
लग्न मे राहू जातक को स्वास्थ्य मे खराबी के अतिरिक्त,पारिवारिक
विवाद करने वाला,बातुनी,रोमांचकारी,बहस करने का आदि तथा अपनी औकात से कमतर
काम करने वाला बनाता हैं ऐसा जातक काफी हद तक स्वार्थी तथा अमर्यादित होता हैं |
दूसरे भाव का राहू जातक को
ग़लत तरीके से धन प्राप्त करने वाला,मांस आदि खाने का शौकीन,नशे करने की प्रवृति वाला,चिंतित व नीचो के संग वास करने वाला बनाता हैं |
तृतीय भाव का राहू जातक को
साहसी
तथा सहोदरो
के लिए हानी देने वाला बनाता हैं परंतु ऐसा जातक खुश रहने वाला होता हैं |
चतुर्थ भाव का राहू जातक को
अपने गाँव का मुखिया बनाता हैं परंतु नीच लोगो की संगत भी देता हैं जातक की पत्नी
बीमार रहती हैं वह अपने रिश्तेदारों से मित्रता नहीं रखता तथा उसकी कन्या संतान
होती हैं परंतु धनी ज़रूर होता हैं |
पंचम भाव का राहू नर
संतान हेतु शुभ नहीं होता ऐसे जातक की 2 कन्या संतान होती हैं यदि चन्द्र राहू संग
होतो जातक संतानहीन हो सकता हैं यदि संतान हो भी जाए तो वह छोटी उम्र मे मर
जाती हैं | इस पंचम भाव मे राहू (कुम्भ राशि का छोड़कर) जातक को संकीर्ण मानसिकता,गरम
दिमाग,तथा बहुधा एक ही संतान देता हैं |
छठे भाव मे राहू को
अच्छा माना जाता हैं जो जातक को धन,शत्रु विजय,तथा जीवन के सभी सुख प्रदान करता हैं परंतु मकर लग्न वालो के
लिए यह छठा राहू दुर्भाग्य व नैतिक पत्तन देता हैं |
सातवे भाव का राहू जातक की
पत्नी को दुराचारी बनाता हैं जातक कई तरीको से धन कमाता व गँवाता हैं तथा
अमर्यादित जीवन जीता हैं उसके विवाह मे कोई ना कोई
अटपटापन ज़रूर होता हैं |
अष्टम भाव का राहू जातक को
बीमार,संकीर्ण मानसिकता वाला,अस्थिर काम करने वाला तथा अनुभवहीन बनाता
हैं |
नवम भाव का राहू जातक को
स्वार्थी,धर्म विरोधी,गरीब व कुटुंब परिवार से लापता बनाता
हैं |
दसवा राहू जातक को भटकाव भरा काम
करने वाला तथा एक से अधिक कार्य करने वाला बनाता हैं परंतु राजनीति हेतु यह
राहू बहुत शुभता प्रदान करता हैं |
एकादश भाव का राहू जातक को
आसानी से धन कमाने वाला,विदेश घूमने वाला,कोई भी कार्य
करने मे समर्थवान तथा बेशर्म प्रकृति का बनाता हैं |
द्वादश भाव का राहू जातक को
बड़ी बीमारी वाला,पत्नी से वियोग सहने वाला,घर
परिवार से दूर अलग प्रवृति का बनाता हैं ऐसा जातक बातें बहुत बड़ी बड़ी
करता हैं परंतु करता कुछ खास नहीं हैं |
राहू पत्रिका मे
बालारिष्ट भी बताता हैं जिससे जातक की आयु जानी जा सकती हैं |
1)जब शनि मंगल 2रे भाव मे हो और राहु 3रे
भाव मे होतो जातक 1 वर्ष से ज़्यादा जी नहीं पाता हैं |
2)राहू 4थे भाव मे हो और चन्द्र निर्बल
होकर 6,8वे भाव मे होतो जातक कुछ दिन ही जीता हैं |
3)सूर्य राहू अथवा शनि राहू 4थे भाव मे हो
और निर्बल चन्द्र 8वे भाव मे होतो जातक एक वर्ष तक जीता हैं |
4)4थे भाव मे राहू हो और लग्न,7वे,अथवा 2रे व 12वे भाव मे पाप ग्रह होतो जातक 7 दिन तक ही जीता हैं |
5)8वे भाव राहू सूर्य अथवा शनि से दृस्ट
होतो जातक 8 वर्ष तक ही जीता हैं परंतु यह राहू यदि शुभ ग्रहो से दृस्ट
होतो जातक 12 वर्ष तक जीता हैं |
6)सिंह का राहू लग्न से 7वे अथवा 9वे होतो
जातक 16 वर्ष तक जीता हैं |
7) राहू 12वे भाव मे हो और बुध,गुरु,शनि लग्न या पंचम भाव मे होतो जातक कुछ ही घंटे जी पाता हैं |
8)राहू लग्न मे हो,शनि सप्तम भाव मे हो और गुरु 12वे भाव मे
होतो जातक को एक साल तक खतरा रहता हैं |
9)धनु अथवा मकर लग्न मे दूसरे भाव मे
राहू सूर्य शुक्र व बुध हो तथा शुक्र बुध अस्त होतो जातक पिता के बाद जन्म लेता
हैं अथवा नाजायज होता हैं जिसकी अल्पायु होती हैं |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें