मोदीनगर उत्तर प्रदेश मे 4
जून 2017 रविवार के दिन आदरणीय डॉ॰ विनायक पुलह जी की ज्योतिषीय
संस्था “भारतीय वेद ज्योतिष
विज्ञान संस्थान” द्वारा ज्योतिषीय
संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसका विषय था “प्राप्त अवसर के लाभ से वंचित
रहना” इस गोष्ठी मे
ज्योतिष जगत के कुछ चुने हुये विद्वानो को बुलाया गया था जिनमे प्रमुख श्री के॰ पी मुद्गल,श्री यश ठाकुर,श्री गौतम ऋषि पाराशर,श्री प्रवीण भाई,श्री
अखिलेश कौशिक,श्री पी॰पी॰एस राणा,श्री
सुरेंदर कुमार शर्मा,श्री अजय कुमार,श्री
प्रवीण भान,श्री कमल किशोर आदि को बुलाया गया था |
कार्यक्रम मे यूं तो सभी वक्ताओ
ने अपने अपने ज्ञान के अनुसार प्रस्तुत विषय पर अपने वक्तव्य दिये पर श्री मुद्गल
जी का वक्तव्य भले ही विषय से हटकर था पर बहुत ही सूक्ष्मता व गूढ ज्ञान से भरा था
जिसमे उन्होने कुंडली के 6,8,12 भावो की उत्पत्ति के बारे मे अच्छी
जानकारी देने का अच्छा प्रयास किया था |
पाराशर जी ने विषय से संबन्धित
बातें तो अवश्य बताई परंतु उन जैसे विद्वान से सिर्फ ऊपरी तौर पर जानकारी देना
अच्छा नहीं लगा उनसे हमें किसी गूढ जानकारी व अनुभव की उपेक्षा थी परंतु वो अपनी बात को हल्के मे कह गए |
श्री सुरेंदर शर्मा
जी विषय पर अच्छी जानकारी दी जिसके लिए उन्होने गुरु व चन्द्र की अवस्था को ज़्यादा जिम्मेदार
बताया की इन दोनों की अशुभ स्थिति जातक को प्राप्त अवसर का लाभ
लेने नहीं देती यह उनका अच्छा प्रयास था |
इसके श्री प्रवीण भाई
का ज़िक्र ज़रूरी हो जाता हैं जिन्होने ग्रहो के तत्वो के विषय मे शानदार तरीके
से बताने का प्रयास किया साथ ही साथ उन्होने विषय को भी इस तत्व से संबन्धित किया
की कोई भी भाव केवल अपने ही आधार पर फल प्रदान नहीं कर सकता इसके लिए उसके केंद्र
भावो को भी देखा जाना चाहिए |
श्री पी॰पी॰ राणा जी ने विषय के
संदर्भ मे बहुत ही सटीक विश्लेषण के साथ साथ प्रश्न ज्योतिष पर भी अपने उदाहरण प्रस्तुत
किए की किस किस अवस्था मे जातक लाभ से वंचित रह जाता हैं |
जहां तक हमारा सवाल
हैं हमने भी अपने कुछ अनुभव इस विषय पर रखे की ऐसे कौन से योग होते हैं की जातक
समय आने पर भी लाभ नहीं ले पाता हैं |
श्री कमल किशोर जी सिर्फ इतना कहकर
अपना पल्ला झाड लिया की वो तो ज्योतिष मे कुछ नहीं
जानते बल्कि हम जैसे विद्वानो से सीखने का प्रयास कर रहे हैं, सुनकर निहायत ही बुरा लगा
वो कम से कम अपने कुछ अनुभव तो बाँट ही सकते थे,उनसे
बात करने पर पता चला की उन्होने चिकित्सा ज्योतिष मे मंत्रो के द्वारा हर बीमारी
का इलाज ढूंढ रखा हैं संभवत: उन्होने अपना ज्ञान बांटना नहीं चाहा |
कार्यक्रम का संचालन
श्री अखिलेश कौशिक जी ने बखूबी किया विद्वानो के उचित
परिचय के साथ साथ बीच बीच मे माहौल को हल्का करते हुये वो कब कार्यक्रम को समापन
की तरफ ले गए पता ही नहीं चला |
कुल मिलकर कहा जा
सकता हैं यह एक बेहतरीन ज्योतिषीय आयोजन था जिसमे हम जैसे नए ज्योतिषियो को कुछ
सीखने को मिला वही यदि हमारे अनुभवी व बुजुर्ग ज्योतिषी यदि अपने अनुभवो को
सांझा करते तो बहुत की अच्छा होता विशेषकर हमें पाराशर जी व कमल किशोर जी बहुत
उम्मीदे थी की वो कुछ ऐसे सूत्र हमें देंगे जिनसे हम जैसे कुछ ज्योतिषियो को सीखने को मिलेगा | पाराशर जी से हमें यह शिकायत भी रही की
उन्हे अपने अलावा सभी ज्योतिषी पार्ट टाइम ज्योतिषी नज़र
आते हैं जो उनके अनुसार ज्योतिष मे कुछ ज्ञान नहीं रखते जबकि होना यह चाहिए की
वह अपने को औरों से बेहतर सिद्द करे तथा अपने ज्योतिषी अनुभवो को
अन्य ज्योतिषियो से सांझा करे ये ना करके सिर्फ इतना कह देना की मैं बेहतर हूँ उन
जैसे ज्ञानवान ज्योतिषी को किसी भी तरह से शोभा नहीं देता |
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