1)लग्न के अतिरिक्त
सूर्य व चन्द्र लग्न भी देखा जाता हैं जिससे हम सुदर्शन चक्र विधि भी देखते हैं
जिस कारण हम सूर्य को सुनफा,अनफा व दुरधारा योग मे तथा वेसि,वासी तथा उभयचरा योग मे चन्द्र को नहीं लेते हैं |
2)पंच महाभूत अथवा
पंच तत्व जिनसे हमारा सारा ब्रह्मांड बना हैं जिनमे आकाश,वायु,अग्नि,जल तथा पृथ्वी हैं इनका प्रतिनिधित्व गुरु,शनि,मंगल,शुक्र तथा बुध करते हैं और यही वो पाँच ग्रह हैं जो पंच महा पुरुष योग बनाते
हैं और इन्ही पाँच तत्वो मे से संबन्धित तत्व जातक मे
अधिक रहता हैं कुछ विद्वान सूर्य को मंगल से अग्नि तत्व के लिए तथा चन्द्र को
शुक्र से जल तत्व के लिए समान मान लेते हैं जो पूर्णतया ग़लत हैं |
3)पंचांग अर्थात योग,नक्षत्र,वार,तिथि व करण देखे तो ये पांचों
क्रमश: गुरु,शनि,मंगल,शुक्र
व बुध का ही प्रतिनिधित्व करते हैं जिसमे सूर्य चन्द्र
का संबंध योग व तिथि बताता हैं तथा करण तिथि का आधा होता हैं जबकि नक्षत्र चन्द्र की ब्रह्मांड मे स्थिति होती हैं इस
कारण यही पाँच ग्रह हैं जो पंच महापुरुष योग बनाते
हैं |
4) सभी सातो ग्रहो का हमारे शरीर के सात
चक्रो से संबंध होता हैं जिनमे विशुद्द चक्र गुरु,अनाहत चक्र शनि,मणिपुर चक्र मंगल,स्वाधीस्थान चक्र शुक्र,तथा मूलाधार चक्र बुध के द्वारा संचालित
होते हैं सूर्य व चन्द्र क्रमश:सहस्रार चक्र व आज्ञा चक्र को दर्शाते हैं जो आत्मा
व मन से संबन्धित होते हैं |
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