गुरुवार, 29 जून 2023

सूर्य का आर्द्र नक्षत्र मे प्रवेश

सूर्य  6 जुलाई 17:39 बजे तक आर्द्रा नक्षत्र (मिथुन राशि) में गोचर करेंगे ! सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करने पर जहां हमारे मौसम में कई प्रकार के बदलाव आते हैं वही विभिन्न नक्षत्र और नामाक्षर वाले जातकों पर भी अलग-अलग प्रकार से प्रभाव पड़ता है |

सूर्य के इस गोचर से विभिन्न नक्षत्र और नामाक्षर वाले लोगों पर क्या प्रभाव पड़ेगा और उस स्थिति में शुभ फल सुनिश्चित करने और अशुभ फलों से बचने के लिये उनको क्या उपाय करना चाहिए, हम यहाँ बता रहे हैं |

1 - जिन लोगों का जन्म आर्द्रा, पुनर्वसु या पुष्य नक्षत्र में हुआ हैं और जिनका नाम क, , , ह या ड अक्षर से शुरू होता है, उन लोगों को 6 जुलाई 2023 तक आग और बिजली से सम्बंधित उपकरणो के साथ संभलकर काम करना चाहिए | इनसे सम्बंधित चीज़ों जैसे गैस, चूल्हा, बिजली के तार आदि को सावधानीपूर्वक इस्तेमाल करना चाहिए | साथ ही यदि आप इस दौरान कोई नया मकान बनाने की सोच रहे हैं तब आपको 6 जुलाई तक के लिये अपना यह कार्यक्रम टाल देना चाहिए ! इसके अलावा अशुभ स्थिति से बचने के लिये और शुभ फल सुनिश्चित करने के लिये दिनांक 6 जुलाई 23 तक रोज़ सुबह स्नान करने के बाद सूर्यदेव को जल में सफेद तिल डालकर अर्पित करना चाहिए |

2 - जिनका जन्म आश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी या उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में हुआ हो और जिनके नाम का पहला अक्षर ड, , ट या प हो, दिनांक 6 जुलाई 23 तक उन लोगों के जीवन की गति कुछ थमी हुई सी महसूस होगी | उनके सारे काम कुछ समय के लिये ठहर से जायेंगे | अतः अपने कामों की गति से ठहराव की स्थिति को दूर करने के लिये वे रात को अपने सिरहाने 5 बादाम रखकर सोएं और अगले दिन सुबह उठकर उन बादाम को मन्दिर या किसी धर्मस्थल पर दान कर दें |

3 - जिन लोगों का जन्म हस्त, चित्रा, स्वाति या विशाखा नक्षत्र में हुआ है और जिनके नाम का पहला अक्षर प, , , र या त हो, उन लोगों को अब से 6 जुलाई तक अपने हर काम में स्थिरता का अनुभव होगा | उनके जीवन में भी स्थिरता बनी रहेगी | अतः इस स्थिरता को बनाये रखने के लिये 6 जुलाई तक घर में पीतल के बर्तनों को उपयोग में लाएं |

4 - जिन लोगों का जन्म अनुराधा, ज्येष्ठा या मूल नक्षत्र में हुआ हो और जिनका नाम य, न या भ अक्षर से शुरू होता हो, उन लोगों को दिनांक 6 जुलाई 2023 तक लक्ष्मी की आकस्मिक प्राप्ति होगी | इस स्थिति को यथावत बनाये रखने के लिये उन्हे काली गाय की सेवा करना चाहिए | साथ ही अपने बड़े भाई का भी सहयोग प्राप्त करना चाहिए |

5 - जिन लोगों का जन्म पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण या धनिष्ठा नक्षत्र में हुआ हो और जिनके नाम का पहला अक्षर भ, , , , ख या ग हो, उन लोगों के जीवन में दिनांक 6 जुलाई 23 तक अथाह लाभ की स्थिति बनेगी | इन लोगों को अपने हर काम में लाभ ही लाभ मिलेगा | अतः लाभ की स्थिति 6 जुलाई तक बनाये रखने के लिये इन लोगों को मन्दिर में गुड़ का दान करना चाहिए |

6 - जिन लोगों का जन्म शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद या उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में हुआ हो और जिनका नाम ग, , द या थ अक्षर से शुरू होता हो, उनके घर के मुखिया को दिनांक 6 जुलाई 23 तक कुछ परेशानी हो सकती है | घर के मुखिया को अपनी सेहत के प्रति सावधान रहना चाहिए,साथ ही अशुभ स्थिति से बचने के लिये और शुभ फल सुनिश्चित करने के लिये बन्दर को कुछ खाने को दे दें |

7 - जिन लोगों का जन्म रेवती, अश्विनी, भरणी या कृतिका नक्षत्र में हुआ हो और जिनके नाम का पहला अक्षर द, , , , , उ या ए, उन लोगों को दिनांक 6 जुलाई 23 तक आर्थिक मामलों में सावधानी रखनी चाहिए | उनको अपने पैसों को बेवजह खर्च नहीं करना चाहिए,क्योंकि इस दौरान इनको आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है | अतः सूर्यदेव के अशुभ फलों से बचने के लिये और शुभ फल सुनिश्चित करने के लिये 6 जुलाई तक धार्मिक कार्यों में अपना सहयोग देते रहें |

8 - जिन लोगों का जन्म रोहिणी या मृगशिरा नक्षत्र में हुआ हो और जिनके नाम का पहला अक्षर अ या व हो, उन लोगों को दिनांक 6 जुलाई 2023 तक अपनी सेहत के प्रति सतर्क रहना चाहिए,इन लोगों को कोई रोग, पीड़ा या भय हो सकता है | अशुभ फलों से बचने के लिये और शुभ फल सुनिश्चित करने के लिये इन लोगों को मन्दिर में नारियल का तेल दान करना चाहिए, इससे शुभ फलों की प्राप्ति होगी |

9 - सूर्यदेव के आर्दा नक्षत्र में पहुँचते ही बरसात का मौसम प्रारम्भ हो जाता है | यह मानसून के आने का संकेत भी होता है और बरसात प्रारम्भ हो जाती है,खरीफ की फसलों की बुआई भी शुरू हो जाती है, बरसात की वजह से गरमी से राहत मिलती है और मौसम सुहावना हो जाता है |

 

बुधवार, 28 जून 2023

ज्योतिष का होता पराभाव

आजकल देखने में आ रहा है कि बहुत से ज्योति सम्मेलन हो रहे हैं जोकि ज़्यादातर धन कमाने वाले ज्योतिषियो एवं टैरो कार्ड रीडर महिलाओं द्वारा आयोजित किए जा रहे हैं जिनमें कुछ पैसे लेकर ज्योतिष सेवा में लगे बड़े व उच्च विद्वानों को सम्मानित किया जा रहा है यह निहायत ही खेका विषय है कि कोई भी सड़क चलता आदमी एक दो महीने का ज्योतिषी कोर्स कर कुछ तथा कथित धन पिपासु ज्योतिषियो से मिलकर सम्मेलन करवा लेता है तथा वह उन ज्योतिषियों को सम्मानित करता है जो ज्योतिष में कुछ ज्यादा नहीं कर पाए | ये ज्योतिषी समाज को या अपने लाइंट्स को दिखाने के लिए तरह - तरह के प्रपंच रचकर किसी बड़े ज्योतिषी के साथ फोटो खींचने वाला ज्योतिष कर रहे हैं देखने में यह भी आया है कि कोई भी व्यक्ति जो ज्योतिष की सेवा कई वर्षों से कर रहा है वह अपने छोटे व झूठे आदर्श के चलते किसी के भी मंच पर जाकर केवल फोटो खींचा कर एवं पैसा देकर किसी भी ऐरे गैरे व्यक्ति जिसका ज्योतिष से कुछ लेना देना नहीं हैं से कोई मान सम्मान ग्रहण कर लेता है और अपने स्टेटस मे दर्शाता हैं की फलाना फलाना सम्मान मिला,सोचने वाली बात हैं की फिल्मी भांड़ो व सस्ती मॉडलो से ज्योतिषीय सम्मान लेना ज्योतिष जगत मे गंद फैलाने के अलावा क्या उल्लेखनीय कर रहा हैं समझ से परे हैं |

ज्योतिष सम्मेलनों मे अब कोई भी ज्योतिषी ना तो ज्योतिष संबंधी कोई जानकारी बांटता हैं और ना ही कोई ज्योतिषीय सूत्र अथवा शोध ही बताता है,बहुत बार ऐसा भी देखा जा रहा है कि बिना किसी जांच-पड़ताल के किसी को भी ज्योतिष महर्षि अथवा ज्योतिगुरु की उपाधि दे दी जाती है | हमने स्वयं एक जगह देखा की एक नामी ज्योतिषी जो अपने बहुत से चेलो के साथ सम्मेलन मे अतिथी के तौर पर आए थे उन्होने अपने साथ आए एक जानकार व्यक्ति को ज्योतिष गुरु की उपाधि दिलवा दी,बाद मे पता चला की वो उनका ड्राईवर था |     

आजकल ऐसे ज्योतिषीय सम्मेलन भी देखे जा रहे हैं जहां गिने-चुने कुछ लोग जिन्हें हम मंच हैकर के नाम से जानते हैं मंच पर आकर बैठ जाते हैं तथा यही अन्य सभी ज्योतिषी लोगों को सम्मान देते रहते हैं ऐसे में ज्योतिष एवं ज्योतिष का क्या भला होगा भगवान ही जाने |

वैसे भी ग्रह गोचर अनुसार वर्तमान की बात करें तो ज्योतिष सम्मेलन होने का कोई औचित्य बनता ही नहीं है क्योंकि इस समय गुरु राहु के साथ युति कर कर बैठ गए हैं जो दर्शा रहे हैं की ज्योतिष जगत से जुड़े हुए लोगों को राहु का प्रभाव किस तरह से अपने आगोश में ले रहा है यह बहुत ही शर्म का विषय है |

ज्योतिष जगत के बड़े विद्वानों को अथवा ज्योतिष जगत से जुड़े हुए लोगों को इस पर अवश्य ही चिंतन मनन करना चाहिए अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब कोई भी एरा गैरा नत्थू खैरा अपराधी प्रवृत्ति का व्यक्ति चंद पैसे देकर ज्योतिष अथवा ज्योतिषी की उपाधि ग्रहण कर लेगा और समाज में ज्योतिष को ग़लत दिशा की और ले जाएगा अभी भी देखने मे आता हैं कि किसी ठग ज्योतिषी ने किसी जातक को बेवकूफ़ को बनाकर लूट लिया | जब ज्योतिष को बदनाम करने वाले ऐसे तुच्छ ज्योतिषी इस प्रकार के कर्म करेंगे तो किस प्रकार समाज का भला होगा भगवान ही जाने |

ज्योतिष सम्मेलनों मे यह भी देखा जाना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति जो ज्योतिष कर रहा है वो सच मे ज्योतिष कर भी रहा हैं या नहीं,इसके लिए ज्योतिष से जुड़ी कुछ ना कुछ जानकारी उससे अवश्य मांगी जानी चाहिए क्यूंकी नकली ज्योतिषी ना सिर्फ ज्योतिष का नुकसान कर रहे हैं बल्कि सच्चे ज्योतिषी जो अपनी ज्योतिष साधना मे लगे हुये हैं उनका भी अपमान कर रहे हैं |

सम्मेलनों मे जब 1 दिन में 50 से अधिक ज्योतिषियों को सम्मानित किया जाएगा तो ज्योतिष कभी भी हो नहीं पाएगा क्योंकि 1 दिन में इतने लोगों का केवल मान सम्मान का ही समय बच पाता है जिसने ज्योतिष की कोई भी बात नहीं हो पाती है और जो मंच पर बैठे हुए सम्मानित ज्योतिष अतिथि होते हैं वह ज्योतिष पर कोई भी गूढ जानकारी नहीं देते क्यूंकी केवल मान सम्मान अथवा पैसे के लालच मे बुलाये गए होते हैं | इन महान तथाकथित ज्योतिषियो से सामान्य ज्योतिष व हंसी मजाक के अतिरिक्त कोई भी ज्योतिषीय ज्ञान की बातें नहीं बताई जाती हैं |

इस प्रकार देखें तो ज्योतिष का क्षेत्र अब बदनामी का अड्डा बन चुका है ज्योतिष जगत से जुड़े सच्चे लोग भली भांति जानते हैं कि अब किस प्रकार का ज्योतिष किया जा रहा है |

रविवार, 25 जून 2023

हर घर मे तुलसी का पौधा होना चाहिए

 


धरती पर स्थित प्रत्येक प्राणी को तुलसी के पौधे को घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर लगाना चाहिए । ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से बुराइयाँ घर से कोसों दूर रहती हैं, तुलसी को घर के आँगन में भी लगाया जा सकता है । यह ध्यान रहे कि तुलसी का पौधा अथवा गमला नीचे ना हो उसके लिए पर्याप्त ऊँचाई वाला स्थान ही उचित है ।

तुलसी के पौधे के आस पास कुछ भी गन्दगी नहीं रहनी चाहिए, इसके चारों ओर रोज उसी तरह से सफाई करें जिस तरह आप अपने घर की करते हैं

रविवार छोड़कर नित्य सुबह तुलसी में जल चढ़ाना चाहिए । इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा रहती है एवं घर के सदस्यों में प्रेम बना रहता है ।

तुलसी के पत्ते बिना उपयोग कभी नहीं तोड़ने चाहिए,ऐसा करने पर व्यक्ति पाप का भागी होता है । तुलसी को बिना नहाये, संध्या के समय और रविवार के दिन कतई नहीं तोड़ना चाहिए,रजस्वला स्त्री को भी तुलसी को छूना नहीं चाहिए ।

जिस घर में संध्या के समय तुलसी पर दीपक जलाया जाता है उस घर में कभी भी कोई भी संकट नहीं आता व  किसी भी चीज का अभाव नहीं रहता है ।

जिस घर में भगवान विष्णु को नित्य तुलसी चढ़ाई जाती है प्रत्येक एकादशी और गुरुवार का उनकी तुलसी दल से विशेष पूजा की जाती है, उस घर में कभी भी धन - धान्य की कमी नहीं रहती  है ।

एक गमले में एक पौधा तुलसी का तथा एक पौधा काले धतूरे का लगायें । इन दोनों पौधों पर  प्रतिदिन स्नान आदि से निवृत होकर शुद्ध जल में थोड़ा सा कच्चा दूध मिलाकर अर्पित करें । ऐसा करने से व्यक्ति को ब्रह्मा, विष्णु, महेश इन तीनों की संयुक्त पूजा का फल मिलता है । क्योंकि तुलसी विष्णु प्रिया है, काला धतूरा शिव रूप है एवं तुलसी की जड़ों में भगवान ब्रह्मा का निवास स्थान माना गया है ।

तुलसी के पत्ते बहुत ही पवित्र माने जाते हैं,यह हमारे जल एवं भोजन को शुद्ध और पवित्र करते हैं इसीलिए किसी भी सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय जल एवं भोजन में तुलसी के पत्ते डाले जाते हैं ।

हमारे धर्म शास्त्रों के अनुसार इंसान की मृत्यु के बाद शव के मुख में तुलसी के पत्ते डाले जाते हैं मान्यता है कि इससे मृतक को मोक्ष की प्राप्ति होती है ।




अगर आपको लगता है कि लाख प्रयास के बाद भी आपका व्यापार उन्नति नहीं कर पा रहा है तो आप किसी भी गुरुवार को श्यामा तुलसी के चारों ओर उग आई खरपतवार को उखाड़ र किसी पीले वस्त्र में बांधकर अपने व्यापार थल में किसी साफ जगह रख दें, व्यापार गति आ जाएगी ।

किसी भी शुभ मुहूर्त्त में तुलसी की जड़ लाएं,रविवार/गुरुवार को जब पुष्य नक्षत्र हो तो उस दिन उस जड़ को गंगा जल से धोकर, धूप दीप दिखाकर, तिलक लगाकर, पूजा करके, पीले कपड़े में लपेटकर अपने दाहिने हाथ में बांध लें इस आसान उपाय से व्यक्ति का तेज बढ़ता है, कार्यों में सफलता की सम्भावना बढ़ जाती है, अधिकारी वर्ग प्रसन्न रहता है ।

अगर किसी व्यक्ति की संतान बहुत ज्यादा जिद्दी हो, बड़ों का कहना ना मानती हो तो उसे पूर्व दिशा में रखे तुलसी के पौधे के तीन पत्ते रविवार को छोड़कर किसी भी तरह अवश्य ही खिला दें, सन्तान का व्यवहार सुधरने लगेगा ।

ऐसी भी मान्यता है कि यदि पूर्व दिशा में खिड़की के पास तुलसी का पौधा रखा जाए तो भी संतान आज्ञाकारी होती है ।

यह भी माना जाता है कि यदि आपकी कन्या का विवाह नहीं हो रहा हो तो कन्या तुलसी के पौधे को घर के दक्षिण - पूर्व में रखकर उसे नियमित रूप से जल अर्पण करें, इससे भी शीघ्र ही योग्य वर की प्राप्ति होती है ।

तुलसी का पौधा किचन के पास रखने से घर के सदस्यों में आपसी प्रेम, सामंजस्य बना रहता है ।

नवीन गृह में तुलसी का पौधा, देवता का चित्र, गौमुत्र, गंगाजल और पानी का कलश लेकर घर के अंदर प्रवेश करना चाहिए । इससे घर में सदैव सुख शांति, प्रसन्नता का वातावरण बना रहता है, घर में धन की कभी भी कमी नहीं रहती है ।

घर से निकलने से पूर्व तुलसी के दर्शन करना बहुत ही शुभ एवं सफलता की निशानी माना जाता है ।

प्रतिदिन दही के साथ चीनी और तुलसी के पत्तों का सेवन करना बहुत ही शुभ माना गया है ।

 तुलसी के पत्तों का चूर्ण प्रतिदिन सेवन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती हैं | 

मंगलवार, 20 जून 2023

स्त्रियों के तिलादि एवं हस्त रेखा का विचार


भारतीय सामुद्रिक शास्त्र के विद्वानों ने स्त्री शरीर पर पाये जाने वाले तिलों के सम्बन्ध में अनेक तथ्यों का विश्लेषण किया है । आइए आज इस लेख मे इनमें से कुछ मुख्य बातों का उल्लेख करते हैं |

यदि किसी स्त्री के भौंहों के मध्य भाग में तिल चिह्न हो तो उसे राज्य प्राप्ति का लक्षण समझना चाहिए ।

यदि स्त्री के बायें कपोल पर लाल रंग का तिल हो तो वह मिष्ठान्न भोजन प्राप्त करने वाली होती है ।

यदि किसी स्त्री के हृदय स्थान पर तिल हो तो उसे सौभाग्य सूचक समझना चाहिये । यदि दायें स्तन पर लाल रंग का तिल हो तो ऐसी स्त्री तीन कन्या तथा दो पुत्रा का जन्म देती है । यदि बायें स्तन पर लाल रंग का तिल हो तो स्त्री पहले बच्चे को जन्म देने के बाद विधवा हो जाती है ।

यदि किसी स्त्री की नाभि के निचले भाग में तिल का चिह्न हो तो उसे शुभ समझना चाहिये । यदि गुप्त स्थान में तिल हो तो वह दारिद्रय कारक होता है ।

हाथ,कान,गाल, कंठ अथवा बाई और किसी अंग मे तिल होतो ऐसी स्त्री अपने प्रथम गर्भ से पुत्र को जन्म देती है ।

जिस स्त्री के बायें गाल पर लाल रंग का तिल हो तो, सदैव समधुर श्रेष्ठ भोजन प्राप्त करती है ।

जिस स्त्री के ललाट पर काले रंग का चमकीला तिल हो तो वह पांच पुत्रों की माता तथा सौभाग्यवती होती है । ऐसी स्त्री स्वभाव से धार्मिक तथा दयालु प्रकृति की होती है ।

मस्सा विचार

जिस स्त्री के कण्ठ, होंठ, दायें हाथ अथवा बायें कान पर मस्सा हो तो उसके पुत्र उच्च पद प्राप्त करते हैं ।

जिस स्त्री के बायें गाल पर लाल रंग का मस्सा हो, तो वह सदैव विभिन्न प्रकार के भोजन प्राप्त करती है ।

जिस स्त्री की दोनों भौहों के मध्य भाग में मस्सा हो तो वह स्वयं सर्विस के ऊंचे पद को प्राप्त करती है ।

नख विचार

बन्धूक पुष्प के समान लाल रंग के तथा ऊंचे उठे हुए नखों वाली स्त्री, ऐश्वर्य शालिनी होती है ।

टेढ़े, खुरदरे विवर्ण, श्वेत तथा चमकतेदार नाखून होने से स्त्री दरिद्रा होती है ।

जिन स्त्रियों के नखों पर स्वेत रंग के बिन्दु होते हैं, वे प्राय: व्यभिचारिणी होती हैं ।

चिकने सुन्दर रंग के अरुणाभायुक्त, बैडूर्य अथवा मोती के समान चमकदार तथा श्वेत बिन्दु युक्त चिह्न सुख देने वाले होते हैं ।

चपटी, मोटी, रूखी तथा जिनके पुष्टभाग पर रोम हों, ऐसी अंगुलियां अशुभ होती हैं ।

अत्यन्त छोटी, पतली, गहरे लाल रंग की तथा विरल अंगुलियां रोग देने वाली होती हैं ।

यदि अंगुलियों में तीन से अधिक पर्व हों तो उस स्त्री को दुःख प्राप्त होता है ।

यदि अंगुलियां गोलाई लिए हुए हों, उनके पर्व बराबर हों वे आगे से पतली कोमल त्वचा युक्त तथा गांठ रहित हों तो ऐसी स्त्री सुख भोगने वाली होती है ।

यदि अंगुलियां बहुत छोटी हों तथा दोनों हाथों से अंजुलि बनाने पर उनके बीच में छेद रहें तो ऐसी स्त्री अपने पति के घर को खाली कर देती है अर्थात् वह धन का संचय करने वाली नहीं होती, खर्चीली होती है ।

स्त्रियों के हाथ में गोल, सीधा तथा गोल नाखून वाला कोमल अंगूठा शुभ होता है ।

जिस स्त्री के अंगूठे अथवा अंगुलियों में यव का चिह्न हो तथा उस यव (जौ) चिह्न के ऊपर तथा नीचे की रेखा बराबर हो तो ऐसी स्त्री धन-धान्य से अत्यधिक सम्पन्न तथा सुख भोगने वाली होती है ।

यदि किसी स्त्री के हाथ का अंगूठा चौड़ा फैला हुआ हो तो वह विधवा होती है ।

यदि किसी स्त्री के हाथ का अंगूठा लंबा हो तो वह भाग्य हीन होती है।

स्त्री के हाथ और पाँव की उंगलियां यदि टेढ़ी-बांकी हों तो वैधव्य अथवा हीनता का लक्षण समझना चाहिए ।

स्त्रियों की हस्त रेखा विचार

यदि किसी स्त्री के हाथ में बुध क्षेत्र पर छोटी-छोटी कई खड़ी रेखायें हों तो वह बहुत बातूनी होती है ।

किसी स्त्री के हाथ में बुध का पर्वत सूर्य की ओर झुका हुआ तो उसे वैधव्य का कष्ट भोगना पड़ता है । उसका पति दुराचारी तथा व्यसनी होता है ।

यदि किसी स्त्री के दायें हाथ में भाग्य रेखा के दाईं और अथवा बायें हाथ में भाग्य रेखा के बाईं ओर चतुष्कोण में नक्षत्र चिह्न हो तथा हृदय रेखा टूटी हुई हो तो उसका किसी पुरुष अथवा अपने पति से अत्यधिक प्रेम होता है ।

यदि किसी स्त्री के हाथ की तर्जनी उंगली के द्वितीय पर्व पर नक्षत्र चिह्न हो तथा उसके दोनों ओर एक-एक खड़ी रेखा भी हो तो ऐसी स्त्री पतिव्रता होती है ।

यदि किसी स्त्री के हाथ में भाग्य रेखा का उदय चन्द्र पर्वत से हुआ हो वह स्पष्ट रूप से आगे बढ़ती हुई शनि के पर्वत पर चली गई हो तो ऐसी स्त्री विवाह के बाद अपने पति के अधीन रहती है । यदि स्त्री के दायें हाथ में भी ऐसी ही रेखा हो तो उसको उन्नति तथा भाग्योदय में सहायता प्राप्त होती है ।

यदि स्त्री के हाथ में भाग्य रेखा चन्द्र पर्वत से उत्पन्न होकर गुरु पर्वत पर गई हो तो वह धनी पुरुष की पत्नी होती है तथा उसे सुख, यश एवं विदेश गमन आदि से लाभ प्राप्त होते रहते हैं ।

यदि विवाह रेखा में से एक शाखा हृदय-रेखा की ओर लटकी हुई हो परन्तु हृदय रेखा से मिली न हो तो ऐसी स्त्री का पति शराबी होता है और उसके नशे में अपनी पत्नी को दुःख देता है ।

हृदय-रेखा श्रृंखलाकार होकर बीच में शनि क्षेत्र की ओर छुकी हुई हो तो ऐसी रेखा वाली स्त्रियों को पुरुषों की परवाह नहीं रहती ।