भारतीय सामुद्रिक शास्त्र के विद्वानों ने स्त्री शरीर पर पाये जाने वाले तिलों के सम्बन्ध में अनेक तथ्यों का विश्लेषण किया है । आइए आज इस लेख मे इनमें से कुछ मुख्य बातों का उल्लेख करते हैं |
यदि किसी स्त्री
के भौंहों के मध्य भाग में तिल चिह्न हो तो उसे राज्य प्राप्ति का लक्षण समझना
चाहिए ।
यदि स्त्री के
बायें कपोल पर लाल रंग का तिल हो तो वह मिष्ठान्न भोजन प्राप्त करने वाली होती है ।
यदि किसी स्त्री
के हृदय स्थान पर तिल हो तो उसे सौभाग्य सूचक समझना चाहिये । यदि दायें स्तन पर
लाल रंग का तिल हो तो ऐसी स्त्री तीन कन्या तथा दो पुत्रा का जन्म देती है । यदि
बायें स्तन पर लाल रंग का तिल हो तो स्त्री पहले बच्चे को जन्म देने के बाद विधवा
हो जाती है ।
यदि किसी स्त्री
की नाभि के निचले भाग में तिल का चिह्न हो तो उसे शुभ समझना चाहिये । यदि गुप्त स्थान
में तिल हो तो वह दारिद्रय कारक होता है ।
हाथ,कान,गाल, कंठ अथवा बाई और किसी अंग मे तिल होतो ऐसी स्त्री अपने
प्रथम गर्भ से पुत्र को जन्म देती है ।
जिस स्त्री के
बायें गाल पर लाल रंग का तिल हो तो, सदैव समधुर
श्रेष्ठ भोजन प्राप्त करती है ।
जिस स्त्री के
ललाट पर काले रंग का चमकीला तिल हो तो वह पांच पुत्रों की माता तथा सौभाग्यवती
होती है । ऐसी स्त्री स्वभाव से धार्मिक तथा दयालु प्रकृति की होती है ।
मस्सा विचार
जिस स्त्री के
कण्ठ, होंठ, दायें हाथ अथवा
बायें कान पर मस्सा हो तो उसके पुत्र उच्च पद प्राप्त करते हैं ।
जिस स्त्री के
बायें गाल पर लाल रंग का मस्सा हो, तो वह सदैव विभिन्न प्रकार के भोजन
प्राप्त करती है ।
जिस स्त्री की
दोनों भौहों के मध्य भाग में मस्सा हो तो वह स्वयं सर्विस के ऊंचे पद को प्राप्त
करती है ।
नख विचार
बन्धूक पुष्प के
समान लाल रंग के तथा ऊंचे उठे हुए नखों वाली स्त्री, ऐश्वर्य शालिनी
होती है ।
टेढ़े, खुरदरे
विवर्ण, श्वेत तथा चमकतेदार नाखून होने से स्त्री
दरिद्रा होती है ।
जिन स्त्रियों
के नखों पर स्वेत रंग के बिन्दु होते हैं, वे प्राय:
व्यभिचारिणी होती हैं ।
चिकने सुन्दर
रंग के अरुणाभायुक्त, बैडूर्य अथवा मोती के समान चमकदार तथा
श्वेत बिन्दु युक्त चिह्न सुख देने वाले होते हैं ।
चपटी, मोटी,
रूखी तथा जिनके पुष्टभाग पर रोम हों, ऐसी अंगुलियां
अशुभ होती हैं ।
अत्यन्त छोटी,
पतली, गहरे लाल रंग की तथा विरल अंगुलियां
रोग देने वाली होती हैं ।
यदि अंगुलियों
में तीन से अधिक पर्व हों तो उस स्त्री को दुःख प्राप्त होता है ।
यदि अंगुलियां
गोलाई लिए हुए हों, उनके पर्व बराबर हों वे आगे से पतली
कोमल त्वचा युक्त तथा गांठ रहित हों तो ऐसी स्त्री सुख भोगने वाली होती है ।
यदि अंगुलियां
बहुत छोटी हों तथा दोनों हाथों से अंजुलि बनाने पर उनके बीच में छेद रहें तो ऐसी
स्त्री अपने पति के घर को खाली कर देती है अर्थात् वह धन का संचय करने वाली नहीं
होती, खर्चीली होती है ।
स्त्रियों के
हाथ में गोल, सीधा तथा गोल नाखून वाला कोमल अंगूठा शुभ होता
है ।
जिस स्त्री के
अंगूठे अथवा अंगुलियों में यव का चिह्न हो तथा उस यव (जौ) चिह्न के ऊपर तथा नीचे
की रेखा बराबर हो तो ऐसी स्त्री धन-धान्य से अत्यधिक सम्पन्न तथा सुख भोगने वाली
होती है ।
यदि किसी स्त्री
के हाथ का अंगूठा चौड़ा फैला हुआ हो तो वह विधवा होती है ।
यदि किसी स्त्री
के हाथ का अंगूठा लंबा हो तो वह भाग्य हीन होती है।
स्त्री के हाथ
और पाँव की उंगलियां यदि टेढ़ी-बांकी हों तो वैधव्य अथवा हीनता का लक्षण समझना
चाहिए ।
स्त्रियों की
हस्त रेखा विचार
यदि किसी स्त्री
के हाथ में बुध क्षेत्र पर छोटी-छोटी कई खड़ी रेखायें हों तो वह बहुत बातूनी होती
है ।
किसी स्त्री के
हाथ में बुध का पर्वत सूर्य की ओर झुका हुआ तो उसे वैधव्य का कष्ट भोगना पड़ता है ।
उसका पति दुराचारी तथा व्यसनी होता है ।
यदि किसी स्त्री
के दायें हाथ में भाग्य रेखा के दाईं और अथवा बायें हाथ में भाग्य रेखा के बाईं ओर
चतुष्कोण में नक्षत्र चिह्न हो तथा हृदय रेखा टूटी हुई हो तो उसका किसी पुरुष अथवा
अपने पति से अत्यधिक प्रेम होता है ।
यदि किसी स्त्री
के हाथ की तर्जनी उंगली के द्वितीय पर्व पर नक्षत्र चिह्न हो तथा उसके दोनों ओर
एक-एक खड़ी रेखा भी हो तो ऐसी स्त्री पतिव्रता होती है ।
यदि किसी स्त्री
के हाथ में भाग्य रेखा का उदय चन्द्र पर्वत से हुआ हो वह स्पष्ट रूप से आगे बढ़ती
हुई शनि के पर्वत पर चली गई हो तो ऐसी स्त्री विवाह के बाद अपने पति के अधीन रहती
है । यदि स्त्री के दायें हाथ में भी ऐसी ही रेखा हो तो उसको उन्नति तथा भाग्योदय
में सहायता प्राप्त होती है ।
यदि स्त्री के
हाथ में भाग्य रेखा चन्द्र पर्वत से उत्पन्न होकर गुरु पर्वत पर गई हो तो वह धनी
पुरुष की पत्नी होती है तथा उसे सुख, यश एवं विदेश
गमन आदि से लाभ प्राप्त होते रहते हैं ।
यदि विवाह रेखा
में से एक शाखा हृदय-रेखा की ओर लटकी हुई हो परन्तु हृदय रेखा से मिली न हो तो ऐसी
स्त्री का पति शराबी होता है और उसके नशे में अपनी पत्नी को दुःख देता है ।
हृदय-रेखा
श्रृंखलाकार होकर बीच में शनि क्षेत्र की ओर छुकी हुई हो तो ऐसी रेखा वाली
स्त्रियों को पुरुषों की परवाह नहीं रहती ।
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