आधुनिक युग में जितना महत्व मंगल व शुक्र इन दोनों ग्रहों के योग को दिया जाता है उतना शायद अन्य किसी भी ग्रह के योग को नही दिया जाता है ! जैसा कि आपको ज्ञात है कि वर्तमान समय में भक्ति भावना व नैतिकता के स्थान पर कामेच्छा, भोग विलास, एवं ऐशो-आराम की भावना अधिक हावी होती जा रही है ! ऐसे में लगभग हर व्यक्ति अच्छे भोग विलास, ऐशो आराम का आनन्द लेना चाहता है, तो इन दोनों ग्रहों का योग जातक के अंदर अधिक काम भावना पैदा कर देता है ! शुक्र जातक को हर प्रकार का भौतिक सुख सुविधा देता है और मुख्य रूप से काम सुख का कारक होता है ! लेकिन जब तक शरीर में मंगल की उतेजना न हो उस सुख का पूर्ण आनन्द जातक के द्वारा नही लिया जा सकता! शुक्र पुरुष की कुण्डली में पत्नी का कारक होता है तो मंगल स्त्री की कुण्डली उसके पुरुष मित्र का कारक होता है ! इसी कारण से यदि पुरुष की कुण्डली में यह योग मौजूद हो और शुभ स्थिति में हो तो उसे स्त्री वर्ग से विशेष सुख दिलाता है ! जबकि स्त्री की कुण्डली में उसके पुरुष मित्रों से सुख दिलवाता है ! लेकिन स्त्री की कुण्डली में यह योग, पति पत्नी के विचारों को आपस में नहीं मिलने देता है जिससे दोनों में आपसी तनाव पैदा कर देता है ! क्योंकि मंगल अंहकार का कारक ग्रह भी होता है ऐसे में महिला जातक में अंहकार की भावना सामान्य से अधिक होती है !
मंगल हमारे शरीर
में खून का कारक ग्रह है और शुक्र वीर्य का कारक है ! जब तक शरीर में खून की उचित
मात्रा नही होगी वीर्य की कमी का सामना जातक को करना पड़ता है !
यदि शुक्र घी है
तो वहीं मंगल शहद होता है और जैसे इन्हे अलग अलग बीमारियों में दोनों के अनुपान
में अंतर से प्रयोग किया जाता है लेकिन जब इन दोनों को समान मात्रा में मिला दिया
जाता है तब वह जहर बन जाता है ! इसी प्रकार एक तरफ जैसे इन दोनों का योग लाभ देता
है तो इन दोनों का योग हानिकारक भी बन जाता है और जब इनका योग दुष्परिणाम दे रहा
हो तब जातक चरित्र हीन हो जाता है ! यदि इन दोनों ग्रहों की युति लग्न में हो और
त्रिसांस कुण्डली में भी इनका सम्बन्ध बन रहा हो तब महिला या पुरुष जातक का पराये
मर्द या परायी स्त्री से सम्बन्ध बनने के चांस बहुत अधिक बढ़ जाते हैं ! शुक्र शरीर
में वीर्य है तो वीर्य बढाने वाली बहुत सी दवाइयां शहद {मंगल
} के साथ ली जाती हैं ! शरीर में उतेजना जोश मंगल ही देता है !
यदि इन दोनों
ग्रहों का योग हो और उसे बृहस्पति देखें तब बहुत ही उत्तम लक्ष्मी का योग होगा,
जो सभी के काम आएगी इसी प्रकार यदि इन दोनों के योग पर चन्द्रमा की
दृष्टि हो तब भी उत्तम फल मिलेगा ! लेकिन इन दोनों के साथ ही चन्द्र भी युति में आ
जाए तो जातक को अत्यंत चंचल प्रवृत्ति का बना देता है और जातक परस्त्री या परपुरुष
की तरफ बहुत शीघ्र आकर्षित हो जाता है !
यदि इन दोनों के
साथ ही बुद्ध युति में हो या फिर किसी पापी ग्रह शनि, राहू
या केतु की दृष्टि हो तब इन दोनों ग्रहों का योग शुभ फल देने में सक्षम नही रह
जाता है ! ऐसे में जातक को अवैध सम्बन्ध के कारण कई बार बदनामी तक का सामना करना
पड़ जाता है !
.
यदि रिश्तों में
हम देखें तो यदि शुक्र पत्नी है तो वहीं मंगल भाई यानी की देवर भाभी का साथ हो गया
है, आपको पता ही है कि इन दोनों का रिश्ता समाज में
कैसा माना जाता है !
इसे हम इस
प्रकार समझे कि जैसे देवर भाभी एक साथ बैठे हुयेे हों और उनको माताजी चन्द्र या
दादाजी गुरु देख रहे हों तब उनको किसी भी प्रकार की परेशानी नही होगी और दोनों
अच्छी तरह से काम कर सकेंगे ! लेकिन यदि उन्हें कोई नीच प्रवृत्ति का इंसान राहु देख रहा हो तब वह उन दोनों के
बारे गलत धारणा बनाकर अफवाह उड़ा सकता है, तब उन दोनों के
मन में भी रहेगा की यह इंसान बदनामी करवा
सकता है ! इसी प्रकार यदि कुण्डली में मंगल वक्री हो तो भी इनके योग का शुभ फल नही
मिल सकता है ! जैसे कि भट्ठे की जली हुई मिटटी बेकार हो जाती है, किसी
काम में नही आती ! इन दोनों के योग को तंदूर की मिट्टी भी कारक होता है ! इसिलिय
जब कुण्डली में मंगल या इन दोनों का योग खराब फल दे रहा हो तो तंदूर पर बनी हुई
मीठी रोटी कुतों को खिलाने का उपाय बताया जाता है !
शरीर में इन
दोनों ग्रहों के योग का खराब फल मिलने पर खून का बहना जैसे की लेडीज़ को मासिक धर्म
में अधिक खून आना या किसी भी तरह से खून का अधिक बहना जैसे की नकसीर आदि की समस्या
हो जाती है ! पुरुष जातक को यह अत्याधिक कामुक स्वभाव का बना देता है जिससे जातक
समय से पहले अपनी ऊर्जा को खत्म कर शारीरिक रूप से कमजोरी का सामना करता है !
यदि हम कालपुरुष
की कुण्डली देखें तो मंगल लग्न का स्वामी होता है और शुक्र धन परिवार और पत्नी के
भाव का स्वामी होता है, इसिलिय इन दोनों के अधिकतर शुभ फल ही
माने जाते हैं, लेकिन हमे यह भी ध्यान रखना पड़ता है कि दूसरा
और सप्तम दोनों भाव मारक भाव भी होते है, तो मंगल साथ में
अष्टम भाव का भी मालिक होता है ऐसे में इनका योग जितना शुभ फल दे सकता है उतना ही
अशुभ फल भी ! यह फल कुण्डली में इस बात पर निर्भर करेगा की किस भाव में किस राशि
में यह योग बन रहा है और अन्य ग्रहों से इनका कैसा सम्बन्ध बन रहा है !
गोचर में मंगल शुक्र युति :
गोचर मे भ्रमण
करते हुये जब कभी दो ग्रह एक ही राशि पर आ जाते हैं तब इसे ग्रह युति कहा जाता हैं
कभी कभी यह दो ग्रह एक जैसे स्वभाव व प्रकृति के होते हैं तब कभी कभी विपरीत
स्वभाव व विपरीत प्रकृति के होते हैं ! एक ही तरह के ग्रहो की युति जहां बहुत शुभफल
प्रदान करती हैं वही विपरीत स्वभाव वाले ग्रहो की युति अशुभफल देती हैं ! ऐसे ही
ग्रहो की युतियों मे बनने वाली कुछ ग्रहो की युतियों को ज्योतिष मे अशुभ कहा गया
है ! ज्योतिष मे यह देखा व माना जाता रहा है कि ग्रह युति का प्रभाव जातक विशेष के
व्यक्तित्व पर बहुत अधिक पड़ता है ! कुछ युतियाँ लगभग सभी कुण्डलियों मे समान्यत:
पायी जाती हैं जिनमे सूर्य-बुध, सूर्य-शुक्र, शुक्र-बुध
आदि मुख्य हैं परंतु जब कभी दो विपरीत स्वभाव वाले ग्रहो की युति बनती हैं तो
व्यक्ति विशेष पर क्या प्रभाव पड़ता हैं ! यहाँ हम यही जानने के लिए प्रस्तुत लेख
में ऐसे ही दो ग्रह मंगल व शुक्र की युति के फल को जानने का प्रयास कर रहे हैं !
इसके लिए हमने लगभग 800 कुण्डलियों को अपने अध्ययन का हिस्सा
बनाया है, जिससे कुछ इस प्रकार के तथ्य पाय गये हैं —
मंगल कालपुरुष
की पत्रिका मे प्रथम, अष्टम तथा शुक्र द्वितीय, सप्तम
भावो का प्रतिनिधित्व करते हैं मंगल जहां दैहिक शक्ति, ऊर्जा,
उत्साह, जोश, युवा, पौरुष,
रक्त, इच्छा, वासना, क्षत्रिय,
अग्नितत्व, लाल रंग, उत्तेजना,
हिंसा, उमंग, साहस इत्यादि का
कारक होता हैं !
वही शुक्र विवाह,
वस्त्र, स्त्री, संभोग अथवा
कामसुख, यौवन, जवानी का जोश,
सौन्दर्य, प्रेमालाप, सुख,
वैभव, सुंदरता, वीर्य, कामक्रीड़ा,
जलतत्व, स्त्री व ब्राह्मण जाति, शयनग्रह, कामुकता आदि का
कारक होता हैं !
स्पष्ट हैं की
इन दोनों (मंगल व शुक्र) की युति कहीं ना कहीं इन सभी कारको पर शुभाशुभ प्रभाव
अवश्य प्रदान करेगी ! यही नहीं कुण्डली में यदि मंगल तुला राशि में या शुक्र मेष
राशि में स्थित हों और उनपर किसी पापी ग्रह की दृष्टि हो तब भी जातक व्यभिचार में
लिप्त हो जाता है !
शास्त्रो मे इन
दोनों ग्रहो की युति का फल इस प्रकार से कहा गया हैं —
स्त्रियो का
शौकीन, विलासी, गर्विष्ट,
जुगाड प्रिय, अपने गुणो द्वारा समाज मे प्रधान,
ज्योतिष या गणित जानने वाला, जुआरी, मिथ्याभाषी,
दुष्ट, परस्त्रीगामी किन्तु समाज मे मान्य,
गायों का स्वामी, पहलवान, दूसरों की
स्त्रियो मे रत, जुआ खेलने वाला और चतुर होता हैं !
हमने अपने
अध्ययन मे कुछ इस तरह के तथ्य भी पाया है —
यह युति एक से
अधिक वैवाहिक सम्बंध अथवा काम सम्बंध प्रदान करती हैं !
1. दिनांक 25/8/1946 को
समय 02:09 बजे दिल्ली मे जन्मे इस मिथुन लग्न के जातक की
पत्रिका मे मंगल नीच शुक्र के संग चतुर्थ भाव मे शनि द्वारा दृष्ट भी हैं इस जातक
ने अपने जीवन मे 5 विवाह किए जिसमे से 3
विवाह विदेशों में हुये जातक अत्यंत धनी रहा हैं परंतु शुक्र मंगल की युति के कारण
स्त्री सम्बंधित भोग की प्रबल इच्छा की वजह से कई बार स्त्री सम्बन्धित धोखो का
शिकार भी हुआ जिसके परिणामस्वरूप कई स्त्रियो से विवाह भी करने पड़े !
2. दिनांक 19/8/1946 को
समय 08:06 बजे होप में, कन्या लग्न मे
जन्मे पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति “बिल क्लिंटन” की
पत्रिका मे लग्न मे ही मंगल व शुक्र की युति हैं हम सभी जानते हैं की इनके अपनी
सहयोगी मोनिका लेविन्सकी के साथ विवाहेत्तर सम्बंध रहे थे !
3. दिनांक 06/02/1917 को
समय 20:08 बजे बुडापेस्ट में, कन्या
लग्न में जन्मी अभिनेत्री “जा जा ग्रोबर” की
पत्रिका मे सप्तम भाव स्थित शुक्र मंगल की युति ने इन्हे अपने पूरे जीवन मे 9
विवाह करवाए परन्तु फिर भी इन्हे वैवाहिक सुख प्राप्त नहीं हो सका !
4. दिनांक 25/04/1945 को
कन्या लग्न मे जन्मा यह इंजीनियर जातक 45 वर्षो से विदेश
मे रह रहा हैं और इसके कई स्त्रीयों से सम्बंध रहे हैं !
5. दिनांक 29/07/1959 को
समय 14:45 बजे शिमला में वृश्चिक लग्न में जन्मे अभिनेता
“संजय दत्त” के दशम भाव मे शुक्र मंगल की युति ने
ना सिर्फ इनके 2 विवाह करवाए, बल्कि इनके अपनी
समकालीन अभिनेत्रियों के संग सम्बंध बनवाकर चर्चित भी करवाया !
इन सबके
अतिरिक्त निम्न कुण्डलियों में भी ऐसा पाया गया है —
1. दिनांक 20/02/1985 को
समय 02:25 बजे दिल्ली में, वृश्चिक लग्न
में जन्मे इस जातक का पत्नी से तलाक़ हो गया है, परन्तु अन्य
स्त्रियों से सम्बंध हैं !
2. दिनांक 08/08/1987 को
समय 08:30 बजे दिल्ली में, सिंह लग्न में
जन्मा यह जातक पेशे से ड्राइवर हैं और इसके कई स्त्रीयों से सम्बंध हैं !
3. दिनांक 20/07/1977 को
समय 19:00 बजे दिल्ली मे जन्मे इस धनु लग्न के जातक के
कई स्त्रीयों से सम्बंध हैं !
4. दिनांक 03/12/1972 को
समय 21:00 बजे दिल्ली मे मिथुन लग्न मे जन्मी इस जातिका
ने मंगल शुक्र की युति के कारण ही 2 विवाह करने पर बाध्य हुई !
5. दिनांक 29/10/1946 को
तुला लग्न मे जन्मी इस जातिका के अपने पड़ोसी से अवैध सम्बंध हो गये इसी कारण इसके
एक पुत्र ने आत्महत्या भी कर ली !
कुछ अन्य उदाहरण
—
1. सलमान खान
दिनांक 27/12/1965 को समय 14:27
बजे इंदौर में, मेष लग्न !
2. मीना कुमारी
दिनांक 01/08/1932 समय 08:08
बजे मुंबई में सिंह लग्न में !
3. चार्ली चैपलीन
दिनांक 10/04/1889 को समय 20:00
बजे लंदन में !
4. दिनांक 14/08/1955 को
समय 12:00 बजे दिल्ली में तुला लग्न में जन्मी स्त्री !
5. दिनांक 09/10/1985 को
समय 10:00 बजे दिल्ली में वृश्चिक लग्न में जन्मी यह
स्त्री !
6. दिनांक 15/11/1951 को
समय 16:50 बजे दिल्ली में मेष लग्न में जन्मी यह स्त्री
!
7. दिनांक 24/12/1972 को
समय 05:25 बजे दिल्ली में वृश्चिक लग्न में जन्म लेने
वाला यह जातक !
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