त्याज्य चन्द्र
1)अपने जन्म का चन्द्र होने पर बाल कटाना,विवाह करना,गृह प्रवेश करना,यात्रा पर जाना,युद्ध अथवा कोर्ट केस करना वर्जित
हैं |
2)चन्द्र का प्रत्येक राशि मे दिशा अनुसार वास होता हैं 1,5,9,राशि मे पूर्व,2,6,10 राशि मे
दक्षिण,3,7,11 राशि मे पश्चिम तथा 4,8,12 मे उत्तर दिशा मे चन्द्र का वास होता हैं |
कार्यारंभ करते समय चन्द्र सामने होतो धन लाभ,पीछे होतो हानी,दाहिने होतो सुख समृद्दि तथा बाए होतो मृत्यु अथवा मृत्यु-तुल्य कष्ट प्राप्त होते हैं |
3)चन्द्र का तीनों लोको मे भी वास माना गया हैं इसके लिए अभीष्ट तिथि को
को तीन से गुना कर इस योग को 3 से भाग देना चाहिए 1 शेष रहने पर चन्द्र का स्वर्ग
मे 2 शेष रहने पर पाताल मे तथा 0 रहने पर मृत्यु लोक मे वास माना जाता हैं इनमे से
जब चन्द्र पाताल मे होतो कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |
4)विवाह कार्यो मे चंद्रमा नामराशि व विवाह लग्न से 4,8,12 मे नहीं प्रयोग करना चाहिए |
5)विवाह लग्न मे चन्द्र व क्रूर गृह अशुभ हैं शनि 12वे,मंगल 10वे,शुक्र 3रे,लग्नेश,चन्द्र व शुक्र 6ठे अशुभ होते हैं अत: इन्हे
त्यागना चाहिए |
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