जीवन में तीन आवश्यकताएँ महत्त्वपूर्ण होती हैं रोटी,कपड़ा और मकान,आवासीय मकान में सबसे मुख्य घर होता है रसोईघर, इसी दिशा में अग्नि अर्थात ऊर्जा का वास होता है, इसी ऊर्जा के सहारे हम अपनी जीवन यात्रा मृत्युपर्यन्त तय करते है, अत: इस स्थान का महत्त्व कितना है आप समझ सकते है । वास्तु में कहा जाता है कि व्यक्ति के स्वास्थ्य एवं धन-सम्पदा दोनो को रसोईघर प्रभावित करता है, अतः वास्तु शास्त्र के अनुसार ही रसोईघर बनाना चाहिए ।
कई बार ऐसा देखा
गया है कि घर में रसोईघर गृहिणी के अनुरूप बना हुआ है फिर भी रसोईघर में खाना
बनाकर खुशी नही
होती है या खाना बनाने के बाद उसमें कोई बरकत नहीं होती,उसका
मुख्य कारण रसोईघर का वास्तु सम्मत नहीं होना अर्थात उसमे वास्तुदोष का होना,ऐसे
में कुछ उपाय कर आप उसके दोष दूर कर सकते हैं ।
रसोईघर आग्नेय अर्थात दक्षिण-पूर्व दिशा (SE)
में ही होना चाहिए, इस दिशा का स्वामी अग्नि है तथा इस
दिशा का स्वामी ग्रह शुक्र होता है, आग्नेय कोण में
अग्नि का वास होने से रसोईघर तथा सभी अग्नि कार्य के लिए इस दिशा को निर्धारित किया गया है, यदि
आपका किचन इस स्थान पर है तो सकारत्मक ऊर्जा का प्रवाह घर के सभी सदस्यों को मिलता
है ।
दिशा का विकल्प
:- वैसे तो इस दिशा का स्थान कोई अन्य दिशा नहीं ले सकता फिर भी यदि आप किसी कारण
से आग्नेय कोण / दिशा में रसोई नही बना सकते तो विकल्प के रूप में आप वायव्य दिशा
का चुनाव कर सकते हैं ।
उत्तर दिशा :- उत्तर
दिशा रसोई घर के लिए अशुभ है, इस स्थान का रसोईघर आर्थिक नुकसान देता
है इसका मुख्य कारण है कि उत्तर दिशा धन का स्वामी कुबेर का स्थान है यहाँ रसोईघर
होने से अग्नि धन को जलाने में समर्थ होती है इस कारण यहाँ रसोई घर नहीं बनवाना
चाहिए ।
वायव्य कोण :-
उत्तर पश्चिम N-W दिशा को विकल्प के रूप में रसोई बनाने के लिए उपयोग किया जा सकता है
परन्तु ऐसे मे अग्नि
भय बना रह सकता है, अत: सतर्क रहने की जरूरत है ।
पश्चिम दिशा :-
पश्चिम दिशा W में रसोईघर होने से आए दिन अकारण घर में क्लेश
होती रहती है, इसके साथ ही संतान पक्ष से भी परेशानी आती है ।
नैऋत्य कोण :- इस
दिशा में रसोईघर बहुत ही अशुभ फल देता है, नैऋत्य कोण में
रसोईघर बनवाने से आर्थिक हानि तथा घर में छोटी-छोटी समस्या बढ़ जाती है,यही
नहीं घर के कोई एक सदस्य या गृहिणी शारीरिक और मानसिक रोग के शिकार भी हो सकते है,
जिस कारण गृह
क्लेश और दुर्घटना की सम्भावना भी बढ़ जाती है ।
दक्षिण दिशा :-
दक्षिण दिशा South में रसोई घर बनाने से आर्थिक नुकसान हो
सकता है, मन में हमेशा बेचैनी बनी रहेगी, कोई
भी काम देर से होगा, मानसिक रूप से हमेशा
परेशान रह सकते है ।
आग्नेय कोण :-
दक्षिण-पूर्व दिशा यानी आग्नेय कोण SE में रसोई घर
बनाना सबसे अच्छा माना गया है, इस स्थान में रसोई होने से घर में
धन-धान्य की वृद्धि होती है, घर के सदस्य स्वस्थ जीवन व्यतीत करते
है ।
पूर्व दिशा
:-पूर्व दिशा East में किचन होना बहुत अच्छा नहीं है फिर
भी विकल्प के रूप में इस दिशा में रसोई घर बनाया जा सकता है, इस
दिशा में रसोई होने से पारिवारिक सदस्यों के मध्य स्वभाव में रूखापन आ जाता है,
वही एक दुसरे पर आरोप प्रत्यारोप भी बढ़ जाता है । वंश वृद्धि में भी
समस्या आती है ।
अग्नि कोण से
जुड़ी है संतान हीनता
घर के प्लाट का
अग्नि कोण बढ़ा हुआ है, खासकर दक्षिण साइड से तो वंश आगे नहीं
बढ़ेगा, खासकर लड़का पैदा नहीं होगा । अगर पहले से लड़का
है और आपने बाद में मकान ले लिया है तो वह कहने में नहीं होगा आदतें बिगड़ जाएगी ।
अगर आपके अग्नि कोण मैं दोष है तो यह पक्की बात है कि आपके रसोई घर में भी वास्तु
दोष जरूर होगा जो गृहणी के सेहत और शरीर पर सीधा असर करेगा ।
उपाय- प्लाट में
सीधी रेखा खींच कर एक कोने से दूसरे कोने तक, जो अग्नि कोण
में जगह बचती है उसे खाली छोड़ दे और जहां से सीधी रेखा बने, वहीं
से निर्माण कार्य शुरू करें |
बची खाली जगह पर
केले, आंवले, कटहल, अनार
का पेड़ या इस तरह के पौधे लगाएं, दोष कम हो जाएगा । अगर यह सब संभव नहीं
है तो इस कोने में शुक्र यंत्र लक्ष्मी यंत्र और मंगल यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा
करके यंत्र स्थापित करें, दोष प्रभावहीन
हो जाएगा । यह तीनों यंत्र अग्नि कोण के किसी भी दोष के लिए कारगर हैं, अग्नि
कोण में कोई भी दोष हो तो इन यंत्रों की स्थापना करें,असर तुरंत दिखेगा । इससे
कारोबार और धन का स्रोत अच्छा हो जाएगा ।
अग्नि कोण में
अगर बेडरूम हो तो ज्यादातर पति पत्नी के विचार नहीं मिलते । इसका उपाय एक ही यह है
कि अपने बेड को दक्षिण की दीवार पर लगाएं और जब सोए तो आपका सर दक्षिण की तरफ हो ।
ध्यान रखे कभी
भी अग्नि कोण में भूल कर भी पानी की टंकी जल का स्रोत तथा टोयलेट ना बनाए यह सदा दुखद फल देती है ।
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