शनिश्चरि
कुंडलियाँ
ज्योतिष
शास्त्र का अध्ययन करते हुये ऐसी बहुत सी कुंडलियाँ प्राप्त होती हैं जो अपने आप
मे कुछ खास व अलग विशेषता रखती हैं जैसे एक ही भाव पर कई ग्रहो का होना,सभी
ग्रहो का चुनिन्दा भावो मे होना,ग्रहो
का लगातार भावो मे होना,तथा
ग्रहो का परस्पर एक दूसरे की राशि मे होना इत्यादि |
प्रस्तुत लेख मे हम कुछ ऐसी ही कुंडलियों के विषय मे जानकारी देने का प्रयास कर
रहे हैं जो शनि ग्रह के पूर्णत;
प्रभाव वाली कुंडलियाँ हैं |
आइए देखते हैं की शनि प्रभावित इन कुंडलियो मे क्या क्या विशेषता व प्रभाव दिखाई
पड रहे हैं |
1)8/2/1925
11:35 इलाहाबाद,मेष
लग्न की इस कुंडली मे शनि अपनी ऊंच राशि मे सप्तम भाव पर स्थित होकर गुरु,मंगल,गुरु,राहू
सब पर दृस्टी डाल रहे हैं तथा अन्य सभी ग्रह शनि की मकर राशि मे ही हैं अर्थात
पूर्ण कुंडली पर शनि का प्रभुत्व हैं |
जातक अपनी छोटी अवस्था से ही संत व वैरागी प्रवृति
कारण किसी से भी कोई लगाव,मोह
नहीं रखता था,युवावस्था
मे जातक ऊञ्च कोटी का लेखक बना परंतु धनाभाव के चलते तथा अपनी दार्शनिक सोच के
कारण मात्र 28 वर्ष की आयु मे नागा सन्यासी बनने के लिए घर से निकल गया तथा इनका भावी
जीवन कैसा रहा आज तक कोई नहीं जानता,पत्रिका
मे शनि ने अपना पूर्ण प्रभाव दर्शाकर जातक को संत बनने मे पूर्णतया उसकी मदद की
हैं |
2)30/1/1896
20:00 बनारस,सिंह
लग्न की इस पत्रिका मे केतू को छोड़कर सभी ग्रहो पर शनि का प्रभाव हैं यह जातक
विवाह के कुछ वर्ष बाद पत्नी के गुजर जाने के पश्चात अपने मरणकाल तक ब्रह्मचारी
अवस्था मे रहा तथा धार्मिक व आध्यात्मिक जीवन जीता रहा यह पत्रिका स्वामी
पूर्णानन्द जी की हैं धर्म व आध्यात्म से जुड़े लोग इनके विषय मे भली भांति जानते
हैं |
3)14/3/1945
23:10 हाथरस,वृश्चिक
लग्न की इस पत्रिका मे शुक्र को छोड़ सभी ग्रहो पर शनि का प्रभाव हैं यह जातिका ऊंच
दर्जे की पढ़ी लिखी विद्वान व कई विषयो की ज्ञाता रही हैं इन्होने प्रेम विवाह किया
था जो 22 वर्ष बाद असफल हो गया उसके बाद इनके किसी अन्य व्यक्ति से संबंध बने
जिसके साथ यह कुछ वर्षो तक लिव इन रिलेशन मे रही (मंगल शुक्र संबंध) परंतु शनि के
प्रभाव कारण इन्हे क़ैसर रोग हुआ जिससे इन्हे ईश्वर भक्ति की प्रेरणा मिली आजकल यह
इस्कॉन समुदाय मे लोगो को कृष्ण भक्ति की प्रेरणा देती हैं तथा आध्यात्मिक जीवन
बीता रही हैं |
4)18/8/1944
21:35 कानपुर,मेष
लग्न मे जन्मे इस जातक की पत्रिका मे शनि की लगभग सभी ग्रहो पर दृस्टी हैं जातक
उत्तर भारत के बहुत बड़े बिल्डर हैं जिन्होने ईसाई मिशनरी के लिए बहुत से विद्यालयो
का निर्माण किया हैं शनि के प्रभाव के कारण जातक ने विवाह नही किया |
यह स्वयं ऊंच दर्जे के आध्यात्मिक व धार्मिक विद्वान हैं तथा ज्योतिष जानने के साथ
साथ ज्योतिष पर पूर्ण श्रद्धा व विश्वास भी रखते हैं |
5)11/12/1931
17:13 कुचवाड़ा,वृष
लग्न की इस पत्रिका मे 6 ग्रहो पर शनि का प्रभाव हैं |
जातक ने अपनी शिक्षा घर से दूर रहकर प्राप्त करी दर्शन शास्त्र मे मास्टर डिग्री
लेकर शिक्षण को अपना व्यवसाय बनाया 4 वर्ष तक शिक्षण करने के बाद अपने दर्शन व अलग
सोच के चलते इन्होने उपदेश देना प्रारम्भ किया जो की एक विवादित धर्मशास्त्र के रूप
मे जाना जाने लगा इनके अनुयाई पूरे विश्व मे बनते चले गए इन्होने रूढ़िवादी
धार्मिकता को छोड़ स्वछन्द जीवन जीने की प्रेरणा पूरे विश्व को दी |
यह पत्रिका चंद्रमोहन जैन अर्थात रजनीश ओशो की हैं |
शनि के प्रभाव ने इन्हे जहां विवादित संत बनाया वही इनसे एक अलग दर्शन का आरंभ भी
करवाकर इन्हे विश्वभर मे प्रसिद्दता भी प्रदान करी |
इन
सभी कुंडलियों के अतिरिक्त शनि से प्रभावित कुछ अन्य कुण्डलिया इस प्रकार से हैं
गौतम बुद्द,एडगर
केसी व पुततापरथी साईबाबा (सभी अध्यात्म),चंगेज़
खान व हिटलर (तानाशाह),अमृता
प्रीतम (लेखिका),अल्बर्ट
आइंस्टीन (वैज्ञानिक) इन सभी पत्रिकाओ के अध्ययन से यह स्पष्ट होता हैं की शनि से
जब भी कुंडली प्रभावित होती हैं जातक जातिका को वैवाहिक व सांसरिक सुखो मे कमी तो
मिलती हैं परंतु धर्म,अध्यात्म
व शोध संबंधी गूढ़ता भी प्राप्त होती हैं जिनसे जातक एक अलग सोच का प्रतीक
बनता हैं तथा अपना एक नया विचार विश्व को
देता हैं संभवत;
ऐसा शनि ग्रह की दिव्यता व गूढ़ता के कारण ही संभव हो पाता हैं |
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