गुरुवार, 9 मार्च 2017

हिन्दू नववर्ष 2017-2018



चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिन्दू नववर्ष श्री संवत 2074 का शुभारंभ इस बार 28 मार्च 2017 प्रात:8:27 मेष लग्न व वृश्चिक नवांश से हो रहा हैं जिसमे लग्न मे मंगल बुध,पंचम भाव मे राहू,छठे भाव मे वक्री गुरु,नवम भाव मे शनि,एकादश भाव मे केतू तथा द्वादश भाव मे सूर्य,चन्द्र व वक्री शुक्र स्थित हैं |

लग्नेश मंगल का लग्न मे होना देश के लिए बहुत शुभता दर्शा रहा हैं जो देशवासियो के साहस व पुरुषार्थ द्वारा देश को आगे ले जाने के लिए प्रेरित कर रहा हैं संभव हैं की इस वर्ष भारत सरकार देश की रक्षा से संबन्धित कई बड़े सौदे व फैसले कठोरता से लागू करे | इस मंगल की दृस्टी चतुर्थ भाव व सप्तम भाव पर पड़ रही हैं जो देश के सुख व विदेश व्यापार भाव बनते हैं चूंकि इन दोनों भावो के स्वामी चन्द्र व शुक्र द्वादश भाव मे हैं जो स्पष्ट रूप से देश को विदेशो से बहुत लाभ होना बता रहे हैं | शुक्र चन्द्र दोनों चूंकि,कला,ग्लेमर,संगीत   मनोरंजन के कारक भी होते हैं जो भारतीय फिल्मों व संगीत का पूरे विश्व मे इस वर्ष डंका बजना तय कर रहे हैं संभव हैं की भारतीय कला जगत के किसी व्यक्ति को कोई बड़ा पुरस्कार इस वर्ष विश्वस्तर पर मिल जाए जिससे भारत की कला व फिल्मजगत की ख्याति और बढे |

इस वर्ष का लग्न भारत की वृष लग्न की पत्रिका का द्वादश भाव भी हैं जो इस वर्ष अर्थात 2017-2018 मे भारत को विदेशो से अच्छे समाचार,व्यापार,संधिया,लाभ व धन की प्राप्ति बता रहा हैं द्वादश भाव का स्वामी गुरु अपने भाव द्वादश के अतिरिक्त दसम भाव व धन भाव को भी दृस्ट कर स्पष्ट संकेत दे रहा हैं की सरकार द्वारा इस वर्ष विदेश नीति मे कोई बड़ा बदलाव किया जाएगा जिससे विदेशो से बहुत सा लाभ किसी ना किसी रूप मे देश को मिलेगा जो बड़े पैमाने मे धन के निवेश के रूप मे हो सकता हैं ( विदेश व्यापार का स्वामी व धन भाव का स्वामी शुक्र ऊंच अवस्था मे द्वादश भाव मे हैं )

28/3/2017 को सूर्योदय के समय तिथि अमावस्या पड़ रही हैं और दिन मंगल वार पड़ रहा हैं क्यूंकी नववर्ष प्रात: 8:27 पर आरंभ होगा जिससे शुक्ल प्रतिपदा तिथि अगले दिन सूर्योदय के समय मानी जाएगी जो बुधवार का दिन बनेगा इस कारण इस वर्ष का राजा बुध बनेगा | बुध नव वर्ष कुंडली मे तीसरे व छठे भाव का स्वामी होकर लग्न मे लग्नेश मंगल संग ही स्थित हैं और सप्तम भाव को देख रहा हैं जिसका स्वामी द्वादश भाव मे ऊंच का होकर बैठा हैं तथा नवांश मे भी यह बुध छठे भाव से द्वादश भाव को देख रहा हैं जो विदेशो से लाभ,विदेशो से कर्ज़ के अतिरिक्त कर्जमाफ़ी के साथ साथ पड़ोसियो विशेषकर चीन व पाकिस्तान से विवाद,घुसपैठ,अनावश्यक तनाव अथवा युद्ध आदि की पुष्टि भी करा रहा हैं ऐसा विशेषकर 15 मई से 15 अक्तूबर के बीच होना संभव जान पड़ता हैं |

पंचमेश सूर्य का द्वादश भाव मे होना देश की जनता का रुझान विदेशो के प्रति बढ़ने की तरफ इशारा कर रहा हैं वही द्वादश तथा नवम भाव के स्वामी गुरु के छठे भाव मे वक्री अवस्था मे होना विदेशी पर्यटको से संबन्धित कोई बड़ा विवाद होने के साथ साथ विदेशो मे रह रहे भारतीयो से संबन्धित कोई ना कोई परेशानी भी बता रहा हैं |

दसम व एकादश भाव का स्वामी शनि नवम भाव मे होने से देश के राजा की विदेशी दौरो की पुष्टि कर रहा हैं स्पष्ट हैं की प्रधानमंत्री मोदी इस वर्ष भी कई बड़े देशो के अतिरिक्त पड़ोसी मुल्को की यात्रा भी करेंगे जिनसे देश को अवश्य ही बड़े पैमाने मे लाभ होगा |

सूर्य के मेष राशि मे प्रवेश वाले दिन के स्वामी को वर्ष का मंत्री माना जाता हैं इस वर्ष सूर्य 14/4/2017 को रात्रि 2:04 बजे मेष राशि मे प्रवेश करेगा क्यूंकी हिन्दू तिथि सूर्योदय से बदलती हैं इसलिए इस वर्ष का मंत्री गुरु बनेगा | गुरु नवमेश व द्वादशेश होकर वक्री अवस्था मे छठे भाव मे बैठा हैं जो दसम भाव व द्वादश भाव के अतिरिक्त दूसरे भाव को व उसके स्वामी शुक्र को भी देख रहा हैं जिससे सरकार द्वारा फाइनेंस व बैंकिंग सेक्टर मे किसी बड़े बदलाव का होना निश्चित होता दिख रहा हैं संभव हैं की वर्ष 2017-2018 मे सरकार टैक्स दरो मे बड़ी राहत प्रदान करने के साथ साथ कुछ नए बैंक भी खोले अथवा कुछ का राष्ट्रीयकरण करे जिससे बैंकिंग क्षेत्र मे उछाल आने से विस्तार होगा तथा नई नौकरिया पैदा होंगी जो बैंको को ब्याजदारों मे कमी करने पर मजबूर करेगा जिससे देश के आदमी को बहुत राहत प्राप्त होगी तथा निर्माण क्षेत्र मे भी विस्तार होगा |

गुरु मंत्री के रूप मे नवमेश व द्वादशेश होकर इस वर्ष सम भाव व द्वादश भाव को दृस्टी दे रहा हैं सम भाव जो की देश के राजा का होता हैं उसका स्वामी शनि नवम भाव से राजयोग निर्मित कर गुरु को दृस्टी देकर देश के राजा अर्थात प्रधानमंत्री मोदी को किसी बड़े अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार की प्राप्ति बता रहा हैं ऐसा जून-जुलाई अथवा सितंबर–अक्तूबर मे हो सकता हैं वही नवांश मे भी यह गुरु दम भाव मे ही स्थित हैं जो सरकार का न्याय व्यवस्था अथवा सर्वोच्च न्यायालय से धर्म अथवा तीर्थ आदि से संबन्धित किसी प्रकार का विरोध व तनाव करवाना निश्चित कर रहा हैं |

स्वतंत्र भारत की कुंडली से देखे तो इस पूरे वर्ष भारत चन्द्र मे राहू की अंतर्दशा मे रहेगा चन्द्र भारत की पत्रिका मे तीसरे भाव मे स्वराशी का होकर संचार व खेल जगत मे भारत के लिए सुखद भविष्य बता रहा हैं वही राहू लग्न मे स्थित होकर राजनीतिक व संचार जगत मे भारत का लोहा पूरे विश्व मे मनवाने की पुष्टि कर रहा हैं राहू क्यूंकी शुक्र की राशि मे हैं तथा शुक्र देश का लग्नेश होने के साथ साथ महिलाओ का प्रतिनिधित्व भी करता हैं स्पष्ट हैं की देश की आधी आबादी अर्थात महिलाओ के लिए यह वर्ष कुछ खास उपलब्धियों वाला रहेगा | चन्द्र व राहू मे 3/11 का संबंध हैं जो ज्योतिषीय दृस्टी शुभ संबंध कहा जाता हैं |

संक्षेप मे कहें तो क्यूंकी इस वर्ष के राजा बुध व मंत्री गुरु बन रहे हैं जो की ज्योतिषीय दृस्टी से शुभ ग्रह माने व समझे जाते हैं अत: यह वर्ष भारत के लिए अच्छी वर्षा व फसलों की भारी पैदावार होने से विशेषकर लाभदायक साबित होगा तथा देश इस वर्ष कई मामलो मे तेजी से तरक्की की और अग्रसर होगा |


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