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ज्योतिष में
प्रत्येक व्यक्ति यह जानता है कि शनि को तीन दृष्टियां प्रदान की गई है जिनमें से
दशवी दृष्टि के विषय
में प्रत्येक ज्योतिषी अथवा
विद्वान के अलग-अलग दृष्टि कोण है |
प्रस्तुत आज की
पोस्ट में हम जातक विशेष को शनि की दसवीं दृस्टी के फल व्यावहारिक रूप से बताने का
प्रयास कर रहे हैं | हमने
अपने अनुभवों में पाया है कि शनि की दसवीं दृष्टि मुख्य रूप से 4 तरह के फल प्रदान
करती है |
शनि को मुख्य
रूप से कर्म कारक माना गया है और कालपुरुष
की दसवी राशि
होने के स्वामी होने के कारण
शनि को 10वी दृष्टि
का प्रभाव भी दिया गया है |
हम सब जानते हैं
कि काल पुरुष के कुंडली
के अनुसार लग्न का मालिक मंगल बनता है तथा कर्म का मालिक शनि बनता है कर्म करने के लिए हमें अपने
शरीर को हिलाना अथवा दुख देना होता है जो शनि का ही स्वभाव है हम सभी जानते हैं कि
जब हम अपने सुखों का त्याग कर कर्म स्थान में दुख प्राप्ति हेतु जाते हैं तो शनि
अपने व्यावहारिक फल देता है परंतु शरीर को इससे हानि ही होती है अथवा शरीर की
ऊर्जा का नुकसान होता है जब हम ऐसा करते हैं तभी हमें शनि लाभ प्रदान करते हैं
परंतु शनि की दसवी दृष्टि
यह निरंतर कार्यशीलता की और हमें धकेलती
है और हमें लंबे समय तक काम करने के लिए बाध्य करती है | यदि कोई
व्यक्ति निरंतर अभ्यास करता है और कार्यक्षेत्र की और निरंतरता रखता है तो ऐसे जातक को बहुत अच्छा लाभ
शनिदेव प्रदान करते हैं |
शनि की दशवी
दृष्टि जिस भी भाव पर पड़ती है उसे भाव से संबंधित जातक को लगातार व निरंतर काम
करते रहना पड़ता हैं विशेष तौर से अगर हम देखें तो खिलाड़ी एवं फिल्म अभिनेताओं की
पत्रिका में शनि का लग्न अथवा दसवें भाव से संबंध देखा ही गया है |
मार्लिन मुनरो,राज कपूर,अमिताभ बच्चन,ऐश्वर्या राय,मडोना,रामकृष्ण डालमिया,नैना देवी,एम एस सुबुलक्ष्मी,अमृता प्रीतम स्वामी विवेकानंद,विराट कोहली,इन्दिरा गांधी,सोनिया गांधी शाम आदि की पत्रिका में देखे तो ऐसा स्पष्ट रूप से नजर आता है यह अपने व्यक्तित्व विकास के लिए निरंतर प्रयास रत रहते हैं तथा इन्हें शनि शारीरिक रूप से बहुत ही मेहनत करवाना पसंद करता है |
आप सभी अपनी पत्रिका पत्रिका में देखें कि शनि किस राशि अथवा किस भाव में बैठा है उससे दसवीं भाव में स्थित ग्रह एवं राशि से संबंधित आप लगातार कोई कार्य करेंगे तो आपको बहुत अच्छा लाभ प्राप्त होगा | यह इस शनि की दसवी दृस्टी का भेद हैं |
2)शनी की दसवीं दृष्टि जी भी भाव पर पड़ती है उसे भाव से संबंधित जीवित कारकों का सुख जातक विशेष को कम प्राप्त होता है अथवा उस भाव के जीवित कारकतत्व से जातक विशेष को दूर रहना पड़ता है |
ऐसा हमने कहीं
पत्रिकाओं में देखा उदाहरण के लिए कुछ पत्रिकाएं इस प्रकार से हैं |
26/8/1910
वृश्चिक लग्न में जन्मी मदर टेरेसा की पत्रिका में शनिछठे भाव में बैठकर तीसरे भाव
को देख रहा हैं हम सब जानते हैं की मदर टेरेसा अपने देश को छोड़कर भारत आ गयी थी
तथा उन्हे अपने भाई बहनो से दूर रहना पड़ा |
1/9/1896 को मकर
लग्न में जन्मे स्वामी प्रभुपद जिन्होंने इस्कॉन संस्था की स्थापना की थी उन्होंने
1950 में ग्रस्त जीवन त्याग कर सन्यासी लेने की प्रक्रिया आरंभ करेंगी उनकी
पत्रिका में शनि तुला राशि में दशम भाव में बैठकर दशमी दृष्टि से पत्नी स्थान को
देख रहा है|
2 अक्टूबर 1869
में जन्मे महात्मा गांधी जी की तुला लग्न की पत्रिका में शनि दूसरे भाव में
वृश्चिक राशि पर स्थित है जिसकी दशम दृष्टि 11वें भाव में है हम सब जानते ही हैं
गांधी जी को बचपन से ही अपने भाई बहनों से दूर रहना पड़ा था
28/5/1923 को
जन्मे श्री एंटी रामा राव की तुला लग्न की पत्रिका में शनि 12वे भाव में स्थित होकर 9वे भाव को दृष्टि दे रहा है सभी जानते हैं
कि एंटी रामा राव को पैदा होते ही उनके चाचा को दत्तक पुत्र के रूप में दे दिया
गया था तथा उन्हें अपने जैविक परिवार
से दूर ही रहना पड़ा था | इसी प्रकार का संबंध हम श्री नरसिंह
राव जी की पत्रिका में भी देख सकते हैं जिनको दत्तक संतान के रूप में रहना पड़ा था
|
ओशो आचार्य
रजनीश जिनका जन्म 11/12/1931 में वृषभ लग्न में हुआ है की पत्रिका में शनि अष्टम
भाव में स्थित है जिसकी पंचम भाव पर दृष्टि है हम सब जानते हैं कि आचार्य राजेश ने
विवाह नहीं किया तथा उनकी कोई संतान नहीं थी |
ऐसा ही हम लता
मंगेशकर जी की वृष लग्न की पत्रिका
में भी देख सकते हैं जिनकी पत्रिका में शनि अष्टम भाव में बैठे हैं तथा पंचम भाव
को दशम दृष्टि दे रहे हैं इन्होंने भी विवाह नहीं किया था जिस कारण इनकी कोई भी संतान नहीं थी |
18 जुलाई 1918
को धनु लग्न में जन्मे श्री नेल्सन मंडेला जी की पत्रिका में शनि अष्टम भाव से
पंचम भाव को देख रहा है हम सब जानते हैं कि इन्हें भी अपनी संतानों से बहुत दिन
दूर रहना पड़ा था तथा उनकी दो पुरुष संतानों की आकस्मिक मृत्यु भी हो गई थी |
1/6/1929 वृषभ
लग्न में जन्मी नरगिस
दत्त की पत्रिका में शनि अष्टम भाव में है उनकी खुद की आयु कम होने के कारण इन्हें
संतान का सुख प्राप्त कम हुआ पत्रिका में शनि अष्टम भाव से पंचम भाव को देख रहा है
|
3)शनि की दसवीं दृष्टि का tisra प्रभाव यह बताता है कि जब शनि की अपनी दशा अंतर्दशा आएगी तो उसे भाव से संबंधित जीवित करकत्वों को शनि कष्ट देंगे अथवा उसकी मृत्यु हो जाएगी |
1 दिसंबर 1971 5
बजे वृश्चिक लग्न में जन्मे जातक की पत्रिका में शनि की सप्तम भाव से दशवी दृष्टि चौथे भाव में है फरवरी 2018 में
जब गुरु में शनि की दशा थी जातक विशेष की मां की मृत्यु हुई |
इसी प्रकार एक
अन्य पत्रिका 3 जुलाई 1964 की कुंभ
लग्न की पत्रिका में देखें तो 1995 में जब सूर्य में शनि की दशा थी तो पिता की
मृत्यु हुई शनि लग्न में बैठकर दसवी
दृस्टी से दसवें घर को देख रहा था |
4)शनि की दशमी दृष्टि का तीसरा फल कुछ इस प्रकार से अनुभव में देखने में आया है |
पुराणों में कहा
गया है कि शनि की दसवीं दृष्टि से भगवान गणेश का सिर कट गया था जिसको अगर हम आज के
संदर्भ में देखे तो शनि जब भी आपकी पत्रिका में अथवा गोचर में जिस भाव से गुजरते
हैं उसे दसवें भाव में जातक विशेष के शरीर पर चोट कट अथवा शल्य चिकित्सा होने का
योग बना देते हैं |
जैसे यदि शनि
चतुर्थ भाव से गुजर रहे हो तो लग्न पर दृष्टि होने के कारण जातक विशेष के शरीर में
शल्य चिकित्सा होने का योग बन सकता है वहीं यदि शनि लग्न से गुजर रहे हो तो जातक
विशेष को घुटनों का ऑपरेशन करना पड़ सकता हैं |
महानायक अमिताभ
बच्चन 11/10/1942 की कुम्भ
लग्न की पत्रिका में 26/7/1982 में जब शनि उनके लग्न से अष्टम भाव से
कन्या राशि मे गुजर
रहा था तथा अपनी दसवीं दृष्टि पंचम भाव पर दे रहा था उनकी दुर्घटना हुई तथा पेट से
संबंधित सर्जरी करानी
पड़ी |
28/9/1946 को
मीन लग्न व तुला राशि में जन्मे जातक की पत्रिका में जब शनि का गोचर चतुर्थ भाव से
हो रहा था तो इनको ओपन हार्ट सर्जरी का सामना करना पड़ा जो कि नवंबर 2022 में हुई |
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