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शनि की तीसरी
दृष्टि को किसी भी शास्त्र में सही तरह से परिभाषित नहीं किया गया है बहुत से
ज्योतिष विद्वान अपनी-अपनी शोध एवं अनुभव के आधार पर शनि की दृष्टि को वैराग्य
प्रदान करने वाली,संघर्ष
करने वाली तथा बहुत ज्यादा मेहनत करने वाली बताते हैं परंतु हमने अपनी शोध में
पाया है कि शनि जब तीसरे भाव को दृष्टि देते हैं तो एक अजीब सा दृष्टिकोण बना देते
हैं |
शनि जब भी किसी
विशेष पुरुषार्थ की राशि में बैठकर दृस्टी डालते हैं तो वह दृष्टि उससे संबंधित
अन्य दूसरे पुरुषार्थ वाले भाव को भी प्रभाव में ले लेती है जैसे यदि धर्म राशि
में शनि स्थित हो तो वह दो काम भाव वाली राशियो पर तथा एक अर्थ भाव वाली राशि पर
दृष्टि देती है | इसी
प्रकार यदि शनि अर्थ भाव की राशि में हो तो वह दो मोक्ष राशि वह एक काम भाव वाली
राशि पर दृष्टि डालते है ऐसे ही यदि शनि काम भाव की राशियों में हो तो वह दो धर्म
राशि एवं एक मोक्ष राशि पर दृष्टि डालते है तथा जब शनि मोक्ष राशि में होते हैं तब
वह दो अर्थ भाव वाली राशि व एक धर्मभाव की राशि पर दृष्टि डालते हैं |इस प्रकार हम
स्पष्ट रूप से देख सकते हैं की शनि हर प्रकार से दृष्टि बनाते हुए प्रत्येक
पुरुषार्थ की एक राशि को ही रिक्त छोड़ते हैं जैसे यदि हम देखें जब शनि धर्म राशि
में स्थित होते हैं तो वह अर्थ वह काम को तो प्रभावित करते हैं परंतु मोक्ष राशि
को प्रभावित नहीं करते हैं |
शनि की तीनों
दृष्टियों को शास्त्र बुरा तो बताते हैं परंतु उसकी वजह बता पाने में शास्त्र अब
तक सही प्रकार से साबित नहीं हुए हैं कहानी-कहानी शनि की दृष्टि के नकारात्मक
प्रभाव अवश्य बताए गए हैं परंतु किस दृष्टि से क्या प्रभाव पड़ेगा यह नहीं बताया
गया है|
प्रस्तुत आज की
पोस्ट में मैं अपने अनुभव के आधार पर आपको प्रैक्टिकल अथवा व्यावहारिक रूप से यह
बताने की कोशिश करूंगा कि शनि की तीसरी दृष्टि किस प्रकार से काम करती है और वह
क्या प्रभाव जातक विशेष को देती है | यहां मैं आपको रटी रटाई एवं किताबी बातें नहीं
बताऊंगा बल्कि अपने अनुभव के आधार पर तथा कुछ कुंडलियों के अध्ययन के आधार पर शनि
की तीसरी दृष्टि के फल बताऊंगा जिससे आप ज्योतिष को सही प्रकार से समझ पाएंगे | ध्यान रखिएगा कि
यह मेरा अपना व्यावहारिक अनुभव है जरूरी नहीं कि ऐसा सभी पत्रिकाओं में हो परंतु
अनुभव में ऐसा देखने में आता जरूर है |
तो दोस्तों
ज्यादा समय न लेते हुए बताते हैं आपकी शनि की तीसरी दृष्टि के तीन ऐसे फल जो आपको
एक अच्छा ज्योतिष सीखने में मदद करेंगे |
पहले फल है
दोस्तों शनि 20 से 22 वर्ष के दौरान जहां होता है उस भाव से संबंधित अथवा जहां
तीसरी दृष्टि दे रहा होता है उससे संबंधित फल अवश्य प्रदान करता है |
20 से 22 वे वर्ष में अपना
प्रभाव दर्शाती है ऐसा कहीं कुंडलियों के उदाहरण में देखा गया है |
कुछ उदाहरण
देखने का प्रयास करते हैं |
27/12/1965 को
मेष लग्न मे जन्मे सलमान खान ने 1985 में अपने 20 वे वर्ष मे टेलेविजन जगत में
अपना पहला विज्ञापन किया जहां से उनको एक नई पहचान मिली | पत्रिका में शनि
दशवे और 11वे
घर का स्वामी है तथा 11वें
भाव में ही स्थित होकर लाभ होना बता रहा है
18/12/1946 18:16
मिथुन लग्न में जन्मे इस जातक की पत्रिका में शनि दूसरे भाव में बैठकर अपनी तीसरी
दृष्टि चौथे भाव को दे रहा है जातक के माता-पिता का तलाक उसके 20वे वर्ष में हुआ |
3/5/1978 10:08
मिथुन लग्न में जन्मी इस
जातिका की पत्रिका में शनि तीसरे भाव में बैठकर पंचम भाव को अपनी तीसरी दृष्टि दे
रहा है जातिका को 20 वर्ष की आयु मे तंत्र करने के कारण जेल में रखा गया |
11/5/1973 9:46
मिथुन लग्न में जन्मे इस जातक की पत्रिका में शनि 12वें भाव से दूसरे भाव को देख
रहा है जातक विशेष ने 20 वर्ष में अपना कॉलेज बदल लिया तथा शिक्षा क्षेत्र में
बदलाव किया |
30/8/1943 5:10
कर्क लग्न में जन्मे इस जातक ने 20 वर्ष में अपने स्कीईंग के कोच के पास प्रवेश
लिया इसकी पत्रिका में शनि 12वे भाव से दूसरे भाव को देख रहा है |
19 नवंबर 1917
को इलाहाबाद में कर्क लग्न में जन्मी इंदिरा गांधी अपने बीस वे वर्ष में समरवैली स्कूल में
आधुनिक इतिहास पढ़ने गई तथा एक वर्ष बाद वापस आ गई|
9/2/1956 19:56
सिंह लग्न में जन्मी इस जातिका की इसके 20वे वर्ष में इसके बड़े भाई ने जायदाद के
कारण हत्या कर दी थी इसकी पत्रिका में शनि चौथे भाव में बैठकर छठे भाव को दृष्टि
दे रहा है |
2/11/1965 को
सिंह लग्न मे जन्मे शाहरुख खान ने 1985 में अपने बीसवे वर्ष में बैरी जॉन थिएटर
नामक संस्था में एक्टिंग कोर्स में हिस्सा लिया जहां से उनके अभिनय जीवन की नींव
पड़ी |
7/8/1876 13:00
बजे तुला लग्न में जन्मी इस जातिका का 20वे वर्ष में अपने से बहुत बड़े व्यक्ति से
विवाह कर दिया गया पत्रिका में शनि पांचवे भाव में बैठकर अपनी तीसरी दृष्टि से
सातवें भाव को देख रहा है |
महात्मा गांधी 2
अक्टूबर 1869 मे तुला लग्न मे जन्मे श्री गांधी 1889 मे लंदन मे अङ्ग्रेज़ी साहित्य
पढ़ने गए | पत्रिका मे शनि चतुर्थेश व
पंचमेश होकर दूसरे भाव मे स्थित हैं |
27/2/1932 2:15
वृश्चिक लग्न में जन्मी जातिका का शनि तीसरे भाव से पंचम भाव को दृष्टि दे रहा है
जातिका ने 20 वर्ष की आयु में एक तलाकशुदा व्यक्ति से प्रेम विवाह किया |
12/1/1863 को
धनु लग्न मे जन्मे विवेकानंद जी ने 20वे वर्ष मे हिमालय भ्रमण शुरू किया जहां से
उनकी आध्यात्मिक यात्रा आरंभ हुई |
11/10/1942 को
कुम्भ लग्न मे जन्मे अमिताभ बच्चन ने 1962 में अपने बीच में वर्ष में बीएससी की
पढ़ाई पूरी करी तथा अपने जीवन का पहला काम जो कि कोयले की खदानों में कोलकाता में
किया |
12/7/1937 00:30
मीन लग्न में जन्मे इस जातक की पत्रिका में शनि लग्न में बैठकर तीसरे भाव को देख
रहा है जातक विशेष ने 20 वर्ष की आयु में जल सेना में प्रवेश लिया और इसी दौरान उसकी
कलाकारी भी आरंभ हो गई
विराट कोहली ने 2008 मे अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय मैच खेला था
जब वह 20 वर्ष के थे |
दूसरा फल जो शनि
की तीसरी दृष्टि का देखने में आता है वह इस प्रकार से है कि जब शनि जहां स्थित
होता है वहां से तीसरे भाव में देखता है तो शरीर के उस अंग में जरूर ही कोई ना कोई
परेशानी खड़ी करता है अथवा शरीर के उस अंग में कोई ना कोई दिक्कत देता ही है ऐसा
हमने सैकड़ो कुंडली में पाया है |
उदाहरण के लिए
यदि महानायक अमिताभ बच्चन की पत्रिका को देखें तो उनकी पत्रिका में शनि चतुर्थ भाव
से बैठकर छठे भाव को दृष्टि दे रहा है हम सभी जानते हैं कि 1982 मे उनका में पेट से संबंधित भयंकर
दिक्कतों का सामना करना पड़ा था और वह मौत के मुंह से वापस आए थे|
इसी प्रकार यदि
सलमान खान की पत्रिका में देखें तो सलमान खान की पत्रिका में शनि तीसरी दृस्टी
लग्न पर डाल रहे हैं और हम सभी जानते हैं कि उन्हें एक समय 2017 मे चेहरे से संबंधित बहुत सी दिक्कतो का
सामना करना पड़ा था |
शाहरुख खान को
2003 में तथा 2017 में अपनी कमर से संबंधित सर्जरी करानी पड़ी थी शाहरुख खान की
पत्रिका में देखें तो शनि सप्तम भाव से तीसरी दृष्टि 9वे भाव अर्थात कमर के हिस्से
को दे रहा है |
विराट कोहली को
2017 में कंधे में चोट के कारण परेशानी का सामना करना पड़ा था उनकी धनु लग्न की
पत्रिका में शनि लग्न से बैठकर किसी दृष्टि से कंधे के हिस्से को देख रहा है |
तीसरा फल जो शनि
की तीसरी दृष्टि से देखने में आया है कि जो भाव शनि की दृष्टि के बीच में आ जाता
है वह भाव कमजोर हो जाता है और उसमे बैठा हुआ ग्रह भी अपने फल सही प्रकार से नहीं
दे पाता है |
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