हमारी पृथ्वी से देखने पर सूर्य हर माह राशि परिवर्तन करते हैं जिसे सामान्य रूप से सूर्य संक्रांति कहा जाता हैं जब सूर्य मकर राशि मे प्रवेश करते हैं तो उसे मकर संक्रांति कहा जाता हैं इस मकर का भारत में बहुत अधिक महत्व है |
इस वर्ष
ज्योतिषविदों एवं पंचांग के अनुसार 15 जनवरी 2024 दिन सोमवार को जब चन्द्रमा चित्रा
नक्षत्र कुम्भ राशि में पौष शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि पर होंगे सूर्य 02.54 बजे रात
धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे तब प्रातःकाल 15 जनवरी को उदया तिथि में
मकर संक्रांति मनायी जायेगी | शुभ मुहूर्त सुबह 06:51 बजे से शाम 19:12 बजे
तक रहेगा !
मकर संक्रांति
पर सूर्य मकर राशि में पहुँचते हैं जिससे पृथ्वी से देखने पर उनकी दिशा बदल जाती
है और सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण
हो जाते हैं ! भारतीय परिपेक्ष मे इस मकर संक्रांति का धार्मिक के साथ साथ भौगोलिक
महत्व भी होता है !
मकर संक्रांति
का उत्सव भगवान सूर्य की पूजा के लिए समर्पित है. इस दिन भगवान सूर्य की पूजा कर
आशीर्वाद मांगते हैं, इस दिन से वसंत ऋतु की शुरुआत और नई
फसलों की कटाई शुरू होती है |
आमतौर पर सूर्य के उत्तरायण होने के साथ
ही मांगलिक कार्य आरम्भ हो जाता है ! इस माह में ही पंजाबी पर्व लोहड़ी भी बड़े उत्साह के साथ मनाने की
परम्परा है ! इस माह
में किये गये पुण्य कार्य का विशेष महत्व होता है, और इस पुनीत
कार्य का अच्छा फल भी प्राप्त होता है ! सूर्य को प्रसन्न करने के लिए उन्हें
सूर्योदय के समय अर्ध्य देने के साथ "आदित्य हृदय स्त्रोत" का पाठ करने
पर आरोग्य की प्राप्ति होती है !
शास्त्रों के अनुसार उत्तरायण
की अवधि को देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात के तौर पर माना जाता है
! सूर्य के उत्तरायण होने से सूर्य अधिक बलवान हो जाते हैं जिससे मनुष्यों की
कार्य क्षमता में भी वृद्धि हो जाती है !
मकर संक्रांति
से ही ऋतु में परिवर्तन होने लगता है ! शरद ऋतु का प्रभाव कम होने लगता है और इसके
बाद बसंत मौसम का आगमन आरम्भ हो जाता है इसके फलस्वरूप दिन लंबे और रात छोटी होने लगती है | धार्मिक मान्यताओं के अनुसार
मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव अपने पुत्र शनिदेव के घर जाते हैं ऐसे में पिता
और पुत्र के बीच प्रेम बढ़ता है ! ऐसे में भगवान सूर्य और शनि की अराधना शुभ फल
देने वाली होती है !
मकर संक्रान्ति
पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायणी भी कहते हैं, यह भ्रान्ति है
कि उत्तरायण भी इसी दिन होता है |
धार्मिक मान्यताओं
के अनुसार सूर्य का उत्तरायण होना बहुत ही शुभ माना जाता है ! इस दिन गंगा नदी या
किसी भी पवित्र जलस्रोत में स्नान करने पर पुण्य फल मिलता है ! साथ ही इस दिन
गरीबों को गर्म कपड़े, भोजन व अन्न का दान करना शुभ माना गया
है ! संक्रांति के दिन तिल से निर्मित सामग्री ग्रहण करना शुभ होता है ! पौराणिक
मान्यताओं के अनुसार असुरों पर भगवान विष्णु की विजय के रूप में भी मकर संक्रांति
का पर्व मनाया जाता है !
हिंदू पंचांग के
अनुसार हर माह का अपना महत्व होता है ! यह माह हिंदू पंचांग के अनुसार 11वां
महीना होता है ! ज्योतिष के अनुसार पौष मास की पूर्णिमा पर चंद्रमा पुष्य नक्षत्र
में रहता है जिसके कारण ठण्ड अधिक बढऩे के साथ इस मास को पौष अर्थात पूस माह भी
कहा जाता है !
यह माह भगवान
सूर्य और विष्णु की उपासना के लिए श्रेयष्कर होता है ! ज्योतिष के अनुसार इस माघ माह में भगवान सूर्य की उपासना
करने से आयु व ओज में वृद्धि होने के साथ स्वास्थ्य भी ठीक रहता है ! इस समय सूर्य
की उपासना का महत्व कई गुना बढ़ जाता है !
गर्म वस्त्रों व तिल के दान का महत्व
इस मकर
संक्रांति के दिन खिचड़ी और दही-चूड़ा खाने का एक खास वैज्ञानिक महत्व है।
दही-चूड़ा पाचन तंत्र के लिए अच्छा भोजन होता है। इससे पाचन सही होता है। इसलिए
इसे भी मकर संक्रांति के दिन खाया जाता हैं इस दिन तिल का दान करने का अत्यधिक
महत्व है |
गरीब और असहाय
लोगों को गर्म कपड़े एवं खिचड़ी (उड़द की दाल व चावल) का दान करने से पुण्य की
प्राप्ति होती है !
इस माह में लाल
और पीले रंग के वस्त्र धारण करने से भाग्य में वृद्धि होती है !
इस माह के रविवार वाले दिन तांबे के
बर्तन में जल भर कर उसमें गुड़, लाल चंदन से सूर्य को अर्ध्य देने से
पद सम्मान में वृद्धि होने के साथ साथ शरीर में सकारात्मक शक्तियों का विकास भी
होता है |
मकर संक्रांति का पौराणिक महत्व
मकर संक्रांति
के दिन भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार करने हेतु उनके सिरों को
काटकर मंदरा पर्वत पर फेंक दिया था ! भगवान की उसी जीत को मकर संक्रांति के रूप
में मनाया जाता है !
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