शुक्रवार, 28 मार्च 2025

मीन राशि शनि के धनु राशि पर प्रभाव

 धनु राशि

ये, यो, भा, भी, भु, धा, , , भे

धनु राशि वालों के लिए शनि का मीन राशि में गोचर उनकी जन्मराशि से चतुर्थ भाव में रहेगा, जिसे 'चतुर्थ ढय्या' के नाम से जाना जाता हैं जो सामान्यतः शुभ नहीं कही जाती । इस गोचर के दौरान आर्थिक, पारिवारिक और स्वास्थ्य सम्बन्धी कई चुनौतियाँ सामने आ सकती हैं । इस अवधि में आपको सतर्क रहने की जरूरत होगी ।

चतुर्थ भाव में गोचर के दौरान शनि अपनी तीसरी दृष्टि से षष्ठ भाव को देखेंगे, जिसके फलस्वरूप शत्रु एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं में वृद्धि देखने को मिल सकती हैं । पुलिस एवं कचहरी के चक्कर लग सकते हैं, तो वहीं पहले से चल रहे मुकदमों में भी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं । इस अवधि में स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है । पहले से चले आ रहे रोगों में भी तीव्रता देखने को मिल सकती है | ननिहाल पक्ष से अपेक्षित सहयोग की प्राप्ति नहीं होने से भी निराशा हो सकती है । ननिहाल पक्ष से सम्बन्धित कोई चिन्ता भी परेशान कर सकती है । वित्तीय स्थिति प्रभावित हो सकती है, जिसके चलते ऋणादि लेने की परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं |

चतुर्थ भाव में गोचररत शनि की सप्तम दृष्टि दशम भाव पर रहेगी, जिसके चलते आजीविका से सम्बन्धित समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं । उच्चाधिकारियों एवं सहयोगियों के साथ तालमेल की भी समस्या रह सकती है। माता-पिता के स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए ।

चतुर्थ भाव में गोचररत शनि की दशम दृष्टि लग्न पर रहेगी, जिसके चलते स्वास्थ्य प्रभावित हो सकते है साथ ही, स्वभाव में क्रोध और झुंझलाहट की अधिकता रह सकती है । आत्मविश्वास में कमी के अतिरिक्त आलस्य एवं कार्यों को टालने की प्रवृत्ति में भी वृद्धि देखने को मिल सकती है |

स्वास्थ्य पर प्रभाव शनि का मीन राशि में गोचर स्वास्थ्य के लिहाज से अनुकूल नहीं माना जाता है विशेष रूप से हृदय और छाती से सम्बन्धित बीमारियाँ परेशानी का कारण बन सक हैं । यदि आप पहले से ही किसी दीर्घकालिक रोग से ग्रस्त हैं, तो इस अवधि में आपको और अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता होगी इस अवधि में अपनी सेहत का ध्यान रखना आवश्यक है । नियमित स्वास्थ्य जाँच कराना, खानपान में सावधानी बरतना, और शारीरिक सक्रियता बनाए रखना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है । किसी भी स्वास्थ्य समस्या के होने पर विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लें और इलाज में किसी प्रकार की चूक से बचें ।

पारिवारिक जीवन पर प्रभाव शनि का मीन राशि में गोचर पारिवारिक जीवन के लिए कुछ चुनौतियाँ ला सकता है घर में सुख-शान्ति प्रभावित हो सकती है । विवाह योग्य युवक-युवतियों को भी इस समय कुछ इंतजार करना पड़ सकता है । पारिवारिक मामलों में विवाद और तनाव से बचने के लिए आपको संयम बनाए रखने की आवश्यकता होगी |

आर्थिक स्थिति पर प्रभाव : शनि का मीन राशि गोचर आपके आर्थिक जीवन में भी उतार-चढ़ाव ला सकता है । इस दौरान आपके आय के नियमित स्रोतों से धन आने में बाधाएँ उत्पन्न हो सकती हैं । इसके अलावा खर्चों में भी वृद्धि हो सकती है, जिससे आपकी आर्थिक स्थिति प्रभावित हो सकती है | सम्पत्ति सम्बन्धी विवाद उत्पन्न हो सकते हैं,जोखिमपूर्ण निवेश करने से बचना चाहिए ।

नौकरी और कॅरिअर पर प्रभाव: इस गोचर अवधि में रोजगार के क्षेत्र में भी बहुत अधिक अनुकूल परिणाम की उम्मीद नहीं की जा सकती । नौकरीपेशा लोगों के लिए कार्यस्थल पर तनाव रह सकता है । कार्य की अधिकता और बदलते माहौल के कारण आपको मानसिक दबाव का सामना करना पड़ सकता है । उच्चाधिकारियों से सम्बन्धों में तनाव हो सकता है और सहकर्मियों से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल सकता है । स्थानान्तरण या नौकरी परिवर्तन की संभावना बन सकती है और प्राइवेट नौकरी में तो आकस्मिक छंटनी भी हो सकती है । अगर आप नौकरी बदलने का विचार कर रहे हैं, तो इस समय सावधानी से निर्णय लें |

कैसा रहेगा धनु राशि वाले जातकों का व्यवसाय?

धनु राशि के व्यवसायियों के लिए मीन राशि शनि का गोचर, जो उनकी जन्म राशि से चतुर्थ भाव में रहेगा, जो एक अशुभ और चुनौतीपूर्ण अवधि की शुरुआत कर सकता है । यह गोचर विशेष रूप से व्यवसाय की दृष्टि से चिंता का कारण बन सकता है, क्योंकि चतुर्थ भाव से शनि का गोचर उनके व्यापार में अस्थिरता और कठिनाइयाँ ला सकता है । इस समयावधि में व्यापार में रुकावटें और परेशानियाँ उत्पन्न हो सकती हैं, जिससे आपकी योजनाओं में बाधाएँ आ सकती हैं । नए क्षेत्रों में व्यापार विस्तार की जो योजनाएँ थीं, वे भी प्रगति नहीं कर पाएँगी, और व्यवसायी को कुछ हद तक निराशा का सामना करना पड़ सकता है ।

शनि का गोचर चतुर्थ भाव में होने के कारण, व्यवसायियों को कई तरह की आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है । आय में कमी और खर्चों में वृद्धि जैसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं, जो उनकी वित्तीय स्थिति को प्रभावित कर सकती हैं । अगर व्यवसाय परिवार के साथ मिलकर चलाया जा रहा है, तो इस अवधि में परिवार के सदस्यों के साथ मतभेद उत्पन्न हो सकते हैं, जो व्यापार के लिए और भी चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं ।

षष्ठ भाव पर शनि की दृष्टि के कारण ऋणों का भार भी बढ़ सकता है नए ऋण लेने की परिस्थितियाँ बन सकती हैं । इसके अलावा वाद- विवाद और मुकदमेबाजी में वृद्धि हो सकती है, जिससे व्यवसायी को कानूनी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है । इस गोचरावधि में सरकारी नियमों और कानूनों का पालन करना चाहिए ।

दशम भाव पर शनि की दृष्टि के प्रभाव से व्यवसाय में शारीरिक परिश्रम की अधिकता हो सकती है । इसके अलावा, श्रम आधारित व्यवसायों की ओर झुकाव बढ़ सकता है । इस अवधि में व्यवसायी को कार्यों में अधिक मेहनत करनी पड़ सकती है, लेकिन उसके परिणामस्वरूप उतना लाभ नहीं मिल सकता है, जितना कि वे उम्मीद करते हैं |

लग्न पर शनि की दृष्टि के परिणामस्वरूप आलस्य और कार्यों को टालने की प्रवृत्ति बढ़ सकती है । यह मानसिक स्थिति व्यवसायी के लिए समस्या का कारण बन सकती है, क्योंकि नकारात्मक विचारों और मानसिक दबाव के कारण वे अपनी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू नहीं कर पाते हैं । इस अवधि में आत्मविश्वास में कमी और मानसिक असंतुलन भी महसूस हो सकता है ।

राहतकारी उपाय : शनि के मीन राशि में गोचर से उत्पन्न अशुभ प्रभावों से राहत पाने के लिए कुछ उपायों का पालन करना चाहिए |

सातमुखी रुद्राक्ष माला सोमवार या किसी शुभ मुहूर्त में धारण करें ।

ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः' का जप करें |

भगवान शिव और माता पार्वती की नित्य पूजा करें ।

मंगलवार तथा शनिवार को सुंदरकाण्ड का पाठ करें ।

पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएँ और वहाँ तेल का दीपक जलाएँ।

मुख्यद्वार पर काले घोड़े की नाल ‘U’ आकार में लगाएँ और नाल का छल्ला मध्यमा अंगुली में पहनें ।

 

कोई टिप्पणी नहीं: