गुरुवार, 27 मार्च 2025

शनि मीन राशि गोचर का वृश्चिक राशि पर प्रभाव

 वृश्चिक राशि

तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू

शनि का मीन राशि में गोचर वृश्चिक राशि वालों लिए शुभ फलदायक नहीं कहा जा सकता हालाँकि इस राशि परिवर्तन से एक ओर आपको चतुर्थ ढैया से मुक्ति मिल रही है, वहीं दूसरी ओर कण्टक शनि का आगमन भी हो रहा है, जो इस गोचरावधि में कई समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है । यह गोचर स्वास्थ्य, पारिवारिक सुख, आर्थिक स्थिति, कॅरिअर और व्यवसाय के क्षेत्रों में कठिनाइयाँ ला सकता है |

जन्मराशि से पंचम भाव में गोचर कर रहे शनि की तीसरी दृष्टि सप्तम भाव पर होगी, जो कि वैवाहिक एवं पारिवारिक सुख की दृष्टि से शुभ नहीं कही जा सकती , इस अवधि में जीवनसाथी से सम्बन्धित कुछ समस्याएँ परेशान कर सकती हैं,उनके स्वास्थ्य का भी ध्यान रखने की आवश्यकता होगी । व्यवसाय में भी कुछ सांगठनिक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं । बिजनेस पार्टनर के साथ सम्बन्धों में भी तनाव देखने को मिल सकता है,परस्पर अविश्वास की परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं| स्वास्थ्य के क्षेत्र में उदर और मूत्र उत्सर्जन तन्त्र से सम्बन्धित कुछ नवीन समस्याएँ देखने को मिल सकती हैं |

पंचम भाव में गोचररत शनि की एकादश भाव पर दृष्टि रहेगी, जिसके चलते आय में वृद्धि की दर धीमी होगी और आय में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं । मित्रों, बड़े भाई और बहिन तथा चाचा-ताऊ आदि से सम्बन्धित रिश्तों को लेकर भी कुछ समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं । परिश्रम एवं प्रयासों के अनुरूप प्रतिफलों की प्राप्ति नहीं होने से भी कुछ निराशा हो सकती है

शनि दशम दृष्टि द्वितीय भाव पर होगी। इससे वित्तीय स्थिति प्रभावित हो सकती है । सेविंग्स में कमी देखने को मिल सकती है, तो वहीं पुस्तैनी सम्पत्ति को लेकर भी विवाद हो सकते हैं । इन दिनों सर्वाइकल पेन, दाँतों में दर्द, मुँह में छाले एवं नेत्र सम्बन्धी समस्याएँ हो सकती हैं

स्वस्थ्य पर प्रभाव : स्वस्थ्य की दृस्टी से गोचर के परिणाम अच्छे नहीं दिख रहे हैं । वृश्चिक राशि वाले जातकों के लिए इस समयावधि में स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं ,विशेष रूप से यदि आप पहले से किसी दीर्घकालिक रोग से पीड़ित हैं, तो आपको इस अवधि में अतिरिक्त सतर्कता की आवश्यकता होगी । आपके स्वभाव में झुंझलाहट और चिड़चिड़ापन भी आ सकता है |

पारिवारिक सुख में कमी : पारिवारिक जीवन में भी इस गोचर के प्रभाव से चुनौतियाँ आ सकत हैं घर में क्लेश, जीवनसाथी से अनबन, बच्चों को लेकर चिन्ता और अन्य पारिवारिक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं । कण्टक शनि की स्थिति के कारण जीवनसाथी के साथ रिश्तों में कटुता आ सकती है, जो आगे चलकर विवाद और कानूनी समस्याएँ भी उत्पन्न कर सकती हैं । यदि आप किसी रिश्ते में हैं, तो विचारों में भिन्नता या आपसी विश्वास की कमी के कारण सम्बन्धों में तनाव उत्पन्न हो सकता है । सामाजिक मान-सम्मान के मामलों में भी कठिनाइयाँ आ सकती हैं, इसलिए अपनी वाणी पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी है

आर्थिक स्थिति पर असर : आर्थिक दृष्टि से भी शनि का यह गोचर शुभ नहीं है इस समयावधि में खर्चों में वृद्धि सम्भव है, जिससे आपकी जमा पूँजी में कमी आएगी । यहाँ तक कि ऋण के जाल में फँसने की आशंका है, जो आपके लिए और भी कठिनाइयाँ पैदा कर सकता है । आय के स्रोतों में कमी आ सकती है, जिससे आर्थिक संकट उत्पन्न होगा । जोखिमपूर्ण निवेश से बचें, क्योंकि इसमें हानि का सामना करना पड़ सकता है

नौकरी और कॅरिअर : नौकरीपेशा वर्ग के लिए यह समय विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है । कार्यस्थल पर कार्य की अधिकता से परेशान हो सकते हैं । । कार्यालय राजनीति और सहकर्मियों का सहयोग न मिलने के कारण उच्चाधिकारियों और सहकर्मियों से व्यवहार में तनाव हो सकता है | इसलिए इस समय अपनी मेहनत और समर्पण पर आप मानसिक तनाव का सामना कर सकते हैं । स्थानान्तरण या नौकरी परिवर्तन की परिस्थितियाँ भी बन सकती हैं । इस समय, आपको अपने कर्तव्यों को निष्ठा से निभाने की आवश्यकता है

वृश्चिक राशि जातको का व्ययसाय

वृश्चिक राशि वाले व्यवसायियों के लिए मीन राशि में शनि का गोचर उनके जन्मराशि से पंचम भाव में होने जा रहा है,जो कि सामान्यतः शुभ फलदायक नहीं माना जा सकता है । यह गोचरावधि सावधानी और सतर्कता की माँग करती है । इस अवधि में व्यापार विस्तार या किसी प्रकार के जोखिमपूर्ण निवेश से बचना चाहिए

पंचम भाव में शनि के गोचर को कण्टकसंज्ञक माना जाता है । यह न केवल पंचम भाव को प्रभावित करता है, वरन् सप्तम, एकादश और द्वितीय भाव को भी अपनी दृष्टि से प्रभावित करता है । पंचम भाव का सम्बन्ध निर्णय लेने की क्षमता और बौद्धिकता से होता है और इसमें शनि होता है, तो यह व्यवसाय में वित्तीय संकट और निर्णयों में गलतियाँ करने का कारण बन सकता है । इस गोचरावधि में वित्तीय योजनाएँ और व्यापार विस्तार की योजनाएँ सफल नहीं हो पातीं, क्योंकि शनि की दृष्टि आर्थिक संकट उत्पन्न कर सकती है । गलत निर्णयों का परिणाम आर्थिक नुकसान के रूप में सामने आ सकता है |

शनि की तीसरी दृष्टि सप्तम भाव पर पड़ती है, जिससे साझेदारों, सप्लायरों और ग्राहकों के साथ रिश्तों में तनाव उत्पन्न हो सकता है । यह स्थिति व्यापार में किसी भी प्रकार के विवाद की सम्भावना बढ़ा सकती है । इस दौरान लेनदेन में सतर्कता बरतने की जरूरत है |

एकादश भाव पर शनि की दृष्टि आय प्राप्ति में कठिनाई उत्पन्न कर सकती है कभी-कभी भुगतान में देरी, उधारी वसूली में रुकावटें या अन्य वित्तीय समस्याएँ पैदा हो सकती हैं । इसलिए इस अवधि में अधिक उधार देने से बचना चाहिए और भुगतान सम्बन्धी कार्यों में अतिरिक्त सतर्कता रखनी चाहिए । कार्यों में अपेक्षित सफलता नहीं मिलने से मानसिक दबाव भी बढ़ सकता है, जिससे मन में अशांति और मानसिक तनाव हो सकता है

द्वितीय भाव पर शनि की दृष्टि आपके संचित धन में कमी और परिवार के सदस्यों से अपेक्षित सहयोग न मिलने की ओर इशारा करती है | इस दौरान कुटुम्बी सम्पत्ति में विवाद हो सकता है और व्यक्तिगत या पारिवारिक मुद्दों में भी परेशानी आ सकती है । इसलिए परिवार के मामलों में ध्यान रखने की आवश्यकता है और यदि कोई विवाद हो, तो उसका समाधान शांतिपूर्वक किया जाना चाहिए । इसके अलावा, कार्यों की सफलता में रुकावटों के कारण भी मन में तनाव उत्पन्न हो सकता है |

राहतकारी उपाय : शनि के इस गोचर के अशुभ प्रभावों को शान्त करने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं.

सातमुखी रुद्राक्ष माला सोमवार अथवा किसी शुभ मुहूर्त में गले में धारण करना चाहिए

दशरथकृत शनि स्तोत्र का नियमित रूप से पाठ करने से भी कण्टक शनि के प्रभावों में अशुभ कमी की जा सकती है

शनिदेव के मन्त्र ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः का प्रतिदिन जप करना चाहिए

मंगलवार और शनिवार को तुलसीकृत सुंदरकाण्ड का पाठ करें

त्रिलोह का कड़ा दाहिने हाथ में धारण करें |

पुराणों और अन्य धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन करने से शनि के प्रभाव को कम किया जा सकता है |

 

 

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