मंगलवार, 18 मार्च 2025

कैसा रहेगा मीन का शनि मेष राशि के लिए

शनि ऐसा ग्रह है, जो गोचर के दौरान सबसे अधिक असर डालता है । बाकी ग्रहों की तुलना में इसका प्रभाव कहीं ज्यादा गहरा होता है । यदि शनि अशुभ स्थिति में हो, तो यह जीवन में कई तरह की परेशानियाँ ला सकता है, जबकि शुभ स्थिति में वह व्यक्ति को अभूतपूर्व सफलता दिला सकता है । इसलिए जब - जब शनि का गोचर बदलता है, तब - तब व्यक्ति के जीवन में बड़े बदलाव देखने को मिलते हैं । 29 मार्च, 2025 को रात 09:44 बजे शनि मीन राशि में प्रवेश करेंगे ।

आइए जानते हैं कि शनि का यह गोचर विभिन्न राशियों के लिए कैसा रहेगा और ज्योतिषीय दृष्टि से इसके क्या प्रभाव पड़ सकते हैं ?.

मेष राशि (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)

मेष राशि के जातकों के लिए शनि के मीन राशि में गोचर से साढ़ेसाती की शुरूआत हो रही है । लोहे के पाये में आरम्भ हो रही इस साढ़ेसाती के दौरान व्यापार में हानि, मुकदमेबाजी, उच्चाधिकारियों से मतभेद, मानसिक तनाव, अनावश्यक यात्राएँ विवेकहीनता, अधिक कर्ज और सामाजिक बदनामी जैसी चुनौतियाँ आ सकती हैं ।

इस राशि के द्वादश भाव में गोचर कर रहे शनि की तीसरी दृष्टि धन भाव पर पड़ेगी, जिसके परिणामस्वरूप आकस्मिक एवं बड़े खर्चों के चलते संचित धन में कमी की परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं । द्वितीय भाव कुटुम्ब भाव भी है, अतः जातक को अपने कुटम्बियों एवं परिजनों के साथ भी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है । रिश्तों में तनाव देखने को मिल सकता है ।

इस द्वादश भावस्थ शनि की सप्तम दृष्टि षष्ठ भाव पर रहेगी, जिसके चलते शत्रु सम्बन्धी समस्याओं में वृद्धि देखने को मिल सकती है । इसके अतिरिक्त खर्चों में वृद्धि के कारण कर्जे की परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं । पहले से चल रहे कर्जे को चुकाने में भी कठिनाई का अनुभव हो सकता है और उसके लिए कोई नया कर्जा लेने की परिस्थितियाँ भी बन सकती हैं । मुकदमे एवं सरकार में चल रहे मामलों में भी सावधानी बरतने की आवश्यकता रहेगी अन्यथा विपरीत निर्णय भी हो सकता है ।

द्वादश भाव में गोचर कर रहे शनि की दशम पूर्ण दृष्टि भाग्य भाव पर रहती है, जिसके चलते एक ओर जहाँ भाग्य में कमी का अनुभव होगा, तो वहीं दूसरी ओर पिता के साथ रिश्तों में तनाव देखने को मिल सकता है । पिता के लिए कुछ समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं । उनके स्वास्थ्य का भी ध्यान रखने की आवश्यकता रहेगी । शनि की साढ़ेसाती शुरू होते ही इसका प्रभाव तुरन्त दिखने लगता है, जिससे जीवन में उथल-पुथल की स्थिति बन सकती है, अतः इस दौरान विशेष सतर्कता और संयम बनाए रखना जरूरी है और जोखिम भरे कार्यों से बचना चाहिए ।

स्वास्थ्य : इस गोचरावधि में स्वास्थ्य को लेकर भी विशेष सावधानी रखने की आवश्यकता है । पुराने रोग बढ़ सकते हैं या नए रोग उभर सकते हैं, जिससे अस्पताल जाने की नौबत आ सकती है । मानसिक तनाव भी बना रह सकता है अधिक कार्यभार के कारण शारीरिक थकान और मानसिक दबाव महसूस होगा । डॉक्टर की सलाह से ही उपचार कराएँ और खानपान में संतुलन बनाए रखें । दुर्घटनाओं की संभावना, खासकर पैरों में चोट लगने की आशंका  रहेगी,इसलिए वाहन सावधानी से चलाएँ |

पारिवारिक जीवन: पारिवारिक सुख की दृष्टि से यह समयावधि अनुकूल नहीं रहेगी । क्रोध और कटु शब्दों के कारण घर में विवाद की स्थिति बन सकती है । पारिवारिक सदस्यों के बीच मतभेद हो सकते हैं और किसी प्रियजन से बिछुड़ने की सम्भावना भी बनी हुई है । किसी पारिवारिक सदस्य के स्वास्थ्य को लेकर चिन्ता उत्पन्न हो सकती है । विवाह योग्य युवक-युवतियों को शुरूआती कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन उत्तरार्ध में स्थितियाँ कुछ अनुकूल हो सकती हैं । घर से दूर रहने की सम्भावनाएँ बन सकती हैं |

आर्थिक स्थिति - आर्थिक रूप से यह समय चुनौतीपूर्ण रहेगा,आकस्मिक खर्च और अनावश्यक व्यय के कारण धन की कमी महसूस हो सकती है । आय के स्रोतों में बाधाएँ आ सकती हैं और ऋण लेने की स्थिति भी बन सकती है । लेन - देन में सतर्कता जरूरी है, क्योंकि धोखाधड़ी की सम्भावना बनी हुई है ।

नौकरी और कॅरिअर - नौकरीपेशा लोगों के लिए यह समय अनिश्चितताओं से भरा रहेगा । नौकरी छूटने, स्थानान्तरण या अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है | कार्यस्थल पर समस्याएँ बनी रहेंगी, जिससे असंतोष की भावना उत्पन्न हो सकती है सरकारी मामलों में भी दण्ड की सम्भावना बनी हुई है, अतः इस अवधि में सतर्कता बरतना जरूरी होगा |

मेष राशि वाले जातकों का व्यवसाय?

मेष राशि के व्यवसायियों के लिए शनि का मीन राशि में गोचर एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना है, क्योंकि यह उनकी जन्म राशि से द्वादश भाव में स्थित रहेगा । इस गोचर के परिणामस्वरूप शनि की साढ़ेसाती प्रारम्भ होती है । यह समय व्यावसायिक क्षेत्र में काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है । खासकर व्यवसायियों के लिए इस समय में उनके कामकाजी जीवन में कई प्रकार की स्कावटें आर्थिक समस्याएँ और मानसिक तनाव हो सकते हैं ।

शनि का द्वादश भाव में गोचर विशेष रूप से व्यापारियों के लिए लाभकारी नहीं होता । द्वादश भाव को ज्योतिष शास्त्र में तनाव, हानि और व्यय का भाव माना गया है । जब शनि इस भाव में गोचर करते हैं, तो यह समय व्यापारियों के लिए एक कठिन चुनौती पेश कर सकता है । इस गोचर के परिणामस्वरूप व्यवसाय में अप्रत्याशित बाधाएँ उत्पन्न हो सकती हैं और लाभ में कमी आ सकती है । इसके साथ ही, व्यापार में मन्दी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जिसके कारण व्यापारियों को नए कदम उठाने का मन कर सकता है अथवा वे अपने व्यवसाय को बदलने की सोच सकते हैं |

द्वादश भाव में शनि के प्रभाव के कारण व्यवसाय में कई प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं । इस समय व्यापार का टर्नओवर घट सकता है जिससे व्यावसायिक लाभ में कमी हो सकती है । चोरी, दुर्घटनाएँ, कर्मचारियों का असंतोष, शत्रुता और स रकारी निर्णयों के कारण भी व्यापार पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है । कभी-कभी तो आर्थिक दण्ड, बीमारी या अन्य आकस्मिक कारणों से भी व्यवसाय प्रभावित हो सकता है । इस दौरान व्यवसाय स्थल में परिवर्तन की स्थितियाँ भी बन सकती हैं |

शनि जब द्वादश भाव में गोचर करते हैं, तो उनका प्रभाव कुण्डली के द्वितीय भाव पर भी पड़ता है । द्वितीय भाव को धन और परिवार के साथ जोड़ा जाता है । इस अवधि में व्यापारियों को अपने कार्यों में सफलता प्राप्त करने में कठिनाई हो सकती है और संसाधनों की कमी हो सकती है । इसके साथ ही संचित धन का खर्चा भी बढ़ सकता है, जिससे आर्थिक स्थिति पर विपरीत असर पड़ता है । परिवार से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पाता और यह तनाव और चिन्ता का कारण बन सकता है |

द्वादश भाव में स्थित शनि चन्द्रकुण्डली के षष्ठ भाव को भी प्रभावित करते हैं । षष्ठ भाव शत्रुओं, कर्ज और शारीरिक समस्याओं का प्रतीक है इस कारण से शत्रुओं की संख्या बढ़ सकती है, मुकदमेबाजी और कानूनी विवाद हो सकते हैं, जो व्यवसायी को मानसिक तनाव में डाल सकते हैं । इसके अतिरिक्त वित्तीय संकट आ सकता है और कर्ज की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है दी गई उधारी अटक सकती है और देनदारियाँ बढ़ सकती हैं, जिससे और अधिक वित्तीय दबाव उत्पन्न हो सकता है ।

द्वादश भाव से शनि की दशम दृष्टि नवम भाव पर रहती है, जो भाग्य, पिता से रिश्ते आदि को प्रभावित करता है। इस स्थिति में भाग्य का साथ कम मिलता है, जिससे व्यवसाय में अपेक्षित उन्नति नहीं हो पाती । यदि व्यवसाय किसी पारिवारिक वा पैतृक सम्बन्धी कार्यक्षेत्र में है, तो इस अवधि में इसमें प्रगति की संभावनाएं कम हो सकती हैं और व्यापार से दूर होने की स्थितियाँ भी बन सकती हैं ।

शनि के प्रभाव को कम करने के उपाय : साढ़ेसाती के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं :

शनि के शुभ प्रभाव के लिए सातमुखी रुद्राक्ष की माला धारण करनी चाहिए । यह माला शनि के प्रभाव को सन्तुलित करने में मदद कर सकती है ।

ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः 'मन्त्र का नियमित जप करे |

पीपल के पेड़ पर प्रतिदिन जल चढ़ाएँ और शनिवार को तेल का दीपक जलाएँ |

लोहे के पात्र में 250 ग्राम तिल का तेल लेकर उसमें अपनी परछाई देखकर दान करें |

कौवों को बासी रोटी खिलाएँ |

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