बुधवार, 17 जनवरी 2024

कैसे कैसे शाप

शाप शब्द संस्कृत भाषा का है जिसका अर्थ किसी को बद्दुआ देना भी कहा जाता है । किसी के अनिष्ट की कामना से कहा हुआ शब्द या वाक्य बुरा या अनिष्टकारी वाक्य अभिशाप अथवा बददुआ कहलाती है । इंसान अपने कर्मों से अपनी तकदीर लिखता है लेकिन इस प्रक्रिया में जाने-अनजाने कुछ ऐसे दुष्कर्म हो जाते हैं, जिनके चलते इंसान किसी न किसी श्राप का भागी बन जाता है |

इस संसार में कई तरह के श्राप होते हैं और ये कई अलग-अलग कारणों से पैदा हो जाते हैं. जब व्यक्ति को दुष्कर्मों के फल का कारण और निवारण पता न हो तो यह श्राप कहा जाता है श्राप को एक निश्चित अवधि तक भोगना पड़ता है और कभी-कभी यह इतना कठोर होता है कि कई जन्मों तक पीछा नहीं छोड़ता |

संसार के हर देश व सभ्यताओं मे शाप व वरदानों के प्रभाव की मान्यता है संसार मे शापों से संबधित लाखों घटनायें घटी हैं । इंसानों के शापित होने से लेकर शापित स्थानों जमीनों मकानों महलों, पोशाक, मुकट हीरों मूर्ति, चित्रों, गीतों, कारों, कुर्सी, बसों, कटार, जलयानों, वायुयानों, पिरामिडों, घड़ी, नाटकों, फिल्म, खजानों के शापित होने के किस्से सब देशों मे पाये जाते है ।

विश्वप्रसिद्ध पत्रकार फिलिप वैडनवर्ग ने कर्स ऑफ फराओज नामक अपनी मशहूर पुस्तक मे ऐसी अनेकों घटनाओं का वर्णन किया है । उनके अनुसार पिरामिडों मे कुछ स्थान इतने अभिशप्त है जिनमे पहुँचते पहुँचते लोग काल का ग्रास बन जाते है । उनमे से तूतनखानम का मकबरा भी है ।

26 नवम्बर 1922 को अचानक तूतनखानम के मकबरे की खुदाई करवाते वक्त मजदूरों सहित लार्ड कार्नवाल और हावर्ड कार्टर भय से कांप उठे इस भय का कारण था मकबरे के दरवाजे पर लगा एक शिलालेख उस पर एक शापनुमा चेतावनी प्राचीन मिस्त्री लिपि मे खुदी हुयी थी ‘‘जो भी फराओं की नींद मे खलल डालेगा स्वँय अपनी मौत को बुलावा देगा’’ लार्ड कार्नवाल और हावर्ड कार्टर दो महीनो के भीतर ही मर गये,1930 तक खुदाई से जुड़े 22 लोग बिना किसी कारण के मर गये |

शापित जलयानों मे विश्व प्रसिद्ध टाईटैनिक और ग्रेट ईस्टर्न मशहूर है । टाईटैनिक को डूबे आज 110 साल से अधिक वक्त गुजर चुका है। टाईटैनिक के शापित होने के चर्चे आज भी ठंडे नही हुये है। टाईटेनिक को किसका शाप लगा था यह तो कहना मुशकिल है। लेकिन इसका जवाब ब्रिटिश म्यूजियम और उस दौर के विश्व विख्यात पॉमिस्ट काउंट लुई हेमन कीरो से जुड़ा हो सकता है। टाईटैनिक के साथ सफर पर रवाना होने वालो मे ब्रिटिश म्यूजियम से न्यूयार्क म्यूजियम को भेजी जा रही मिस्त्र की राजकुमारी आमेन ओटू की ममी भी भी थी इसे अमरीका मे बिक्री हेतु भेजा जा रहा था जानकारों के अनुसार काहिरा के पास उत्खनित इस ममी के मकबरे की दीवारों पर एक शाप लिखा था कि राजकुमारी के अंतिम आराम मे में खलल डालने वाले को मौत का शाप मिलेगा |

लंदन के विश्वविख्यात पॉमिस्ट कीरो ने अपनी पुस्तक ट्र घोस्ट स्टेारीज मे 1914 मे उनके ऑफिस मे आये एक क्लाईट डगलस का उल्लेख किया है। जिनका एक हाथ कटा था उसके हाथ कटने की भविष्यवाणी कीरो दो साल पहले ही कर चुके थे डगलस ने मिस्त्र यात्रा के दौरान एक व्यापारी से ताबूत मे बंद एक ममी खरीदी थी ताबूत पर सोने और एनामेल से किसी स्त्री की मूर्ति बनी थी मिस्त्री भाषा मे खुदे अक्षरों मे उसी स्त्री का परिचय दिया था उसका नाम आमनेरा था और वह किसी किसी मंदिर की मुख्य पुजारिन थी यात्रा के दौरान डगलस के दोनो मित्र मर गये उसका दुर्घटना मे एक हाथ कट गया उसकी एक महिला मित्र जो ममी मांग कर ले गई थी उसने आत्महत्या कर ली एक पुराविद ने वह ममी लंदन म्यूजियम को भेंट कर दी वह पुराविद भी मर गया ममी का स्केच बनाने का प्रयास करने वाला चित्रकार भी मारा गया अंत मे ब्रिटिश म्यूजियम ने ममी को न्यूयार्क म्यूजियम को भेंट मे दे दिया ममी को मशहूर जहाज टाईटैनिक से रवाना कर दिया गया जो अपनी पहली यात्रा मे ही ममी समेत डूब गया ममी लाईफबोट पर बचा ली गई उसे न्यूयार्क म्यूजियम मे ले जाया गया वहा पर ममी ने कोई उत्पात नही किया |

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