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माता-पिता की कुंडलियों द्वारा शोध की
सत्यता
प्रथम नियम - शनि की दृष्टि
1. पंचम भाव, अथवा पंचमेश, अथवा
2. नवम भाव, अथवा नवमेश पर
जन्म के नौं माह के भीतर या तो
1. मार्गी दृष्टि से अथवा
2. वक्री दृष्टि से जिस स्थिति में पिछले भाव से भी दृष्टि ली जाएगी ।
द्वितीय नियम - गुरु की दृष्टि
गुरु के द्वारा शनि की भांति, उर्पलिखित चार बिन्दुओं को जन्म के नौ
माह के भीतर वीक्षित किया गया हो।
तृतीय नियम – मंगल
मंगल के द्वारा उपर्लिखित चार बिन्दुओं
को दृष्टि दी गई हो परन्तु जन्म के 75 दिनों के भीतर।
चतुर्थ नियम चन्द्रमा
चन्द्र के द्वारा उपर्लिखित चार
बिन्दुओं को जन्म के 72 घंटो
के भीतर दृष्ट करना |
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