आपकी
राशि और मकर सक्रांति
मेष
राशि-पदोन्नति के अवसर मिलेंगे,राज्य
अधिकारियों व सम्मानित व्यक्तियों से मित्रता बढ़ेगी,प्रत्येक
कार्य मे सफलता तथा मान व गौरव बढ़ेगा |
वृष
राशि-बड़ो से,मित्रो
से तथा भाइयो से विरोध होता हैं,अपमान
होने का भय रहता हैं बिना कारण धन की हानी,आय
की कमी,रोग व अशांति होती हैं |
मिथुन
राशि-शत्रुओ से झगड़ा,शरीर मे
पीड़ा,बवासीर आदि रोग होने की
संभावना होती हैं स्त्री को कष्ट एवं खर्च मे अधिकता होती हैं |
कर्क
राशि-दाम्पत्य जीवन मे तनाव उत्पन्न होता हैं,व्यवसाय
बाधा होती हैं कष्टकारी यात्रा होती हैं उदर व सिर पीड़ा कारण व्यक्ति विशेष के मन
मे क्लेश रहता हैं |
सिंह
राशि-कार्य सिद्दी व सुख प्राप्ति,शत्रुओ
पर विजय प्राप्त होती हैं,रोग का
नाश होने से स्वयं के पराक्रम मे वृद्दि होती हैं शोक का अंत होने से शरीर प्रसन्न
व स्वस्थ रहता हैं |
कन्या
राशि-शारीरिक व मानसिक शक्ति की कमी होती हैं मति भ्रम होता हैं संतान को रोग
स्वयं को धन हानी होती हैं वाद विवाद कारण अपनी छवि को नुकसान मिलता हैं |
तुला
राशि-घरेलू झगड़ो के कारण सुखो मे कमी होती हैं ज़मीन जायदाद की परेशानिया उत्पन्न
होती हैं यात्रा मे असुविधा होती हैं मान हानी की संभावना बनती हैं |
वृश्चिक
राशि-रोगो से मुक्ति, सुख चैन
व शुभफलों की प्राप्ति होती हैं,पुत्रो
व मित्रो से लाभ होता हैं किसी बड़े पद की प्राप्ति भी हो सकती हैं |
धनु
राशि-दूष्ट व बुरा कर्म करने वालों से मुलाकात होती हैं सिर व आँखों मे तकलीफ हो
सकती हैं धन संपत्ती की हानी,मित्र
व रिश्तेदारों से झगड़े होते हैं |
मकर
राशि-धन का नाश व मान सम्मान मे कमी,हृदय
व उदर रोग उत्पन्न हो सकते हैं प्रत्येक कार्य मे देरी तथा समय पर भोजन नहीं मिलता,परिवार
से अलग रहना भी पड सकता हैं |
कुम्भ
राशि-दूर देश का भ्रमण हो सकता हैं कार्य व पद की हानी हो सकती हैं राज्य की और से
अपमान व विरोध हो सकता हैं खर्चो की अधिकता के कारण मन मे संताप रहता हैं |
मीन राशि-सभी
प्रकार से लाभ,पद
प्राप्ति,शुभ
समाचार, उत्तम भोजन,व
बड़ो की तथा राज्य की कृपा प्राप्त होती हैं,घर
मे आध्यात्मिक एवं मांगलिक कार्य होते हैं |
सूर्य
के शुभ फलो की प्राप्ति व शनि के अशुभ फलो को कम करने के लिए मकर सक्रांति के दिन
प्रात;स्नान आदि कर सूर्य को
नमस्कार कर तांबे के लोटे मे कुमकुम व लाल पुष्प डालकर सूर्य भगवान को अर्घ्य
अर्पित करे, जल
अर्पित करते समय अपने दोनों हाथों को ऊपर उठाकर ताम्र पात्र से धीरे धीरे जल गिराए
सूर्य की ओर देखते हुए “ॐ घृणि सूर्याय नमः”मंत्र का जाप करते रहे तथा अंत मे
सूर्य भगवान से निम्न प्रार्थना करे :हे सूर्य देव आप सिंदूर वर्णीय,तेजस्वी
मुख मण्डल,कमल
नेत्र स्वरूप वाले ब्रह्मा विष्णु तथा रुद्र सहित सृष्टि के मूल कारक हैं आपको इस
साधक का प्रणाम |आप मेरे
द्वारा अर्पित कुमकुम पुष्प सिंदूर एवं रक्त चन्दन युक्त जल को स्वीकार करे |
यदि संभव
हो तो मकर सक्रांति के दिन निम्न 6 कार्य अवश्य करने चाहिए |
1) तिल
के तेल की शरीर पर मालिश
2) तिल
का उपटन
3)
तिलयुक्त जल से स्नान
4) तिल
युक्त भोजन
5) तिल
का हवन
6)
तिल मिश्रित जल का पान
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