सोमवार, 14 अगस्त 2023

रक्षा बंधन का त्योहार 2023


इस वर्ष रक्षा बंधन का त्योहार 30 अगस्त 2023 दिन सोमवार को श्रावण पूर्णिमा पर मनाया जायेगा !

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि हिन्दू महीनो का नामकरण नक्षत्रो के नाम के आधार पर किया गया है ! किसी माह की पूर्णिमा तिथि जिस नक्षत्र में पड़ती है उसी को इसके लिए मापदण्ड माना गया है कभी कभार यह नक्षत्र थोड़ा आगे पीछे भी खिसक जाते हैं ! इस प्रकार श्रावण मास का नामकरण श्रवण नक्षत्र के अनुसार रखा गया है ! यह नक्षत्र मकर राशि में पड़ता है अर्थात हर वर्ष श्रावण पूर्णिमा श्रवण नक्षत्र मकर राशि में ही पड़ती है !

अब हम स्पष्ट करना चाहेंगे कि पूर्णिमा तिथि पर हर मास भद्रा पड़ती है परन्तु श्रावण मास श्रवण नक्षत्र मकर राशि में चन्द्रमा के स्थित होने पर पड़ता है लेकिन इस वर्ष मलमास के कारण श्रावण माह की पूर्णिमा कुम्भ राशि में शतभिषा नक्षत्र में पड़ रही है ! अतः भद्रा पृथ्वी लोक व्यापिनी होगी फिर भी यदि यह भद्रा वर्जित न रहती तब यह श्लोक विशेष बल देकर श्रावणी व फाल्गुनी, भद्रा में वर्जित क्यों कही जाती ? अर्थात शास्त्रकारों को यह भली भाँति ज्ञात था कि श्रावणी मकर राशि में चन्द्रमा के श्रवण नक्षत्र में रहते ही पड़ती है ! क्योंकि महीनो का नामकरण ही नक्षत्रों के नाम पर ही किया गया है ! जैसे चित्रा से चैत्र, विशाखा से बैशाख, ज्येष्ठा से जेठ, उसी तरह से श्रवण से श्रावण मास का नामकरण हुआ है अर्थात उस माह की पूर्णिमा जिस नक्षत्र में पड़ती है वही नाम उस मास का होता है ! मलमास के कारण यह आगे पीछे भी हो जाता है !

रक्षा बंधन का पवित्र पर्व भद्रा रहित काल अर्थात जब भद्रा ना हो में ही मनाना चाहिए ऐसा शास्त्रो मे कहा गया  है – 

"भद्रायां द्वे न कर्त्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी वा

श्रावणी नृपं हन्ति ग्रामो दहति फाल्गुनी !!"

इस श्लोक से स्पष्ट होता है कि अन्य कार्य भले ही वर्जित न हों परन्तु दो कार्य श्रावणी व फाल्गुनी किसी भी दशा में भद्रा में आयोजित करना या मनाना वर्जित ही रहेगा ! फिर भी यदि इसका उलंघन कर कोई राखी बाँधता है, या श्रावणी मनाता है, तब ऐसा करने पर राजा के समान भाई या जिसे राखी बाँधी जायेगी या श्रावणी मनाने वाले की मृत्यु या मृत्यु सदृश्य प्राणघातक घटना घटित हो सकती है, और फाल्गुनी (होलिका दहन) करने पर पूरे ग्राम या नगरवासी को आग से क्षति होने का खतरा हो सकता है !

अतः इस वर्ष सनातन हिन्दू शास्त्र के अनुसार यह त्यौहार 30/31 अगस्त 2023 को भद्रा रहित काल में ही मनाया जाना उचित होगा क्योकि यदि सावधानी बरती जाय तो शुभ मुहूर्त का पर्याप्त समय उपलब्ध है ! अतः भद्राकाल व राहुकाल का विचार करते हुए ही रक्षाबंधन का कार्यक्रम करना शास्त्र सम्मत होगा !

संस्कृत ग्रन्थ पीयूष धारा में कहा गया है :

स्वर्गे भद्रा शुभं कुर्यात पाताले च धनागम 

मृत्युलोक स्थिता भद्रा सर्व कार्य विनाशनी !!

मुहूर्त मार्तण्ड में भी कहा गया है :

स्थिताभूर्लोख़्या भद्रा सदात्याज्या भवेति  

स्वर्गपातालगा  भद्रा  सर्वथा  शुभं भवेति !!

रक्षाबंधन का मुहूर्त कब हैं - 

इस वर्ष 2023 मे राखी बांधने का शुभ मुहूर्त भद्रा के कारण 30 अगस्त को सुबह 10:58 बजे प्रातः से रात्री 21:01 बजे रात तक नहीं रहेगा  ! इसके बाद से 30 अगस्त की रात्री 21:01 मिनट से 31 अगस्त प्रातः 07:05 बजे तक राखी बाँधी जा सकेगी !

चूँकि यह भद्रा कुम्भ राशि में चन्द्रमा के स्थित होने के कारण पृथ्वी लोक में रहेगी जो हर प्रकार से हानि करने वाली अशुभ भद्रा मानी जाती है अतः भद्राकाल के समाप्त होने पर ही बहनो या पुरोहितों को राखी बाँधनी चाहिए ! अतः भद्राकाल के अशुभ काल को छोड़कर शेष समय में बहनो को अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधकर रक्षा बंन्धन का पर्व मनाना चाहिए !

रक्षाबंधन कितने बजे मनाई जाएगी - इसके लिए पूर्णिमा को देखा जाता हैं |  

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ व समाप्ती

30 अगस्त 2023 दिन सोमवार को 10 बजकर 58 मिनट से पूर्णिमा प्रारम्भ होगी तथा 31 अगस्त 2023 दिन मंगलवार को 07 बजकर 5 मिनट पर श्रावण शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि समाप्त होगी |

2023 को राखी का समय क्या हैं 

इस प्रकार इस वर्ष रक्षाबंधन के पर्व पर दिनांक 30.08.2023 को रात्री 21.01 बजे से दिनांक 31.08.2023 को 07.05 बजे तक बहने अपने भाइयों की कलाई पर राखी बाँध सकती हैं !

हम सभी जानते हैं की इस पर्व के दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है और भाई उन्हे उपहार देते हैं !

रक्षाबंधन पूजा विधि

रक्षा बंधन के दिन सुबह स्नान करने के पश्चात पूजा की थाल सजाएं, थाल में राखी के साथ रोली, चंदन, अक्षत, मिष्ठान और पुष्प रखें, घी का दीपक जलाएं, पूजा स्थान पर इस थाल को रखकर सभी देवी देवताओं का स्मरण करते हुए पूजा करें धूप जलाएं, भगवान का आर्शीवाद प्राप्त करें इसके बाद अपने भाई की कलाई पर राखी बांधे  !

राखी बांधते समय बहनों को यह रक्षा सूत्र मंत्र पढ़ना चाहिए, ऐसा करना शुभ माना गया है इस रक्षा सूत्र का वर्णन महाभारत में भी आता है !

रक्षा सूत्र मंत्र :

"ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:!

तेन त्वामपि बध्नामि रक्षति मा चल माचलः !!

ग्रहण के सूतक में राखी बांधना चाहिए या नहीं इसके सम्बन्ध में "निर्णय सिंधु" के परिच्छेद 2 पेज नम्बर 180 में साफ लिखा हुआ है कि

"इदं रक्षाबंधनं नियतकालत्वात भद्रावर्ज्य ग्रहणदिनेपि कार्यं होलिकावत् |

ग्रहणसंक्रांत्यादौ रक्षानिषेधाभावात् !!

"निर्णय सिंधु के पेज सं० 180 पंक्ति नं 11 को पढ़े जिसमे लिखा हुआ है कि रक्षाबंधन नियत काल मे होने की वजह से भद्राकाल को छोड़ कर ग्रहण के दिन भी होलिका पर्व के समान ही पर्व मनाना चाहिए |

आगे पढ़ें उसमें लिखा हुआ है कि ग्रहण का सूतक अनियतकाल के कर्मो में लगता है जबकि राखी श्रावण पूर्णिमा को ही मनाया जाता है ! रक्षा बंधन को ना पहले दिन ना दूसरे दिन मनाया जा सकता है,पूर्णिमा के दिन ही मनाया जाता है ! इसलिए नियत कर्म होने के कारण इस पर ग्रहण का दोष प्रभावी नहीं होता है परन्तु भद्रा काल में मनाना वर्जित है |

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