सोमवार, 24 अप्रैल 2023

अंर्तरजातीय विवाह के योग

 

1) लग्न मे राहू अथवा शनि का होना |

(2) सप्तम भाव व सप्तमेश पर शनि, राहु, केतु का प्रभाव होना ।

(3) शुक्र का राहु-केतु अक्ष में होना ।

(4) अष्टम भाव का पीड़ित होना तथा सप्तमेश या सप्तम भाव पर राहु का प्रभाव होना ।

(5) पंचम, नवम भावों पर तथा गुरू पर पापी ग्रहों का प्रभाव होना ।

(6) गुरू एवं नवम भाव पर पाप ग्रहों का प्रभाव होना ।

(7) लग्नेश, तृतीयेश,दशमेश,लाभेश का 5वें, 7वें, 8वें या 9वें भाव से सम्बंध हो तथा इन स्थानों पर पाप प्रभाव हो ।

(8) गुरू एवं नवम स्थान पर शनि, राहु-केतु का प्रभाव हो ।

(9) लग्न में केतु तथा सप्तम भाव में शुरा की युति होना ।

(10) सप्तम भाव पर शनि का प्रभाव तथा गुरू या शुक्र का पाप प्रभाव अथवा राहु-केतु अक्ष पर होना ।

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