कुंडली के आधार पर जातक के विवाह के संदर्भ में जानकारी हमारे प्राचीन ज्योतिषीय ग्रन्थों में दी गई है परन्तु आधुनिक परिपेक्ष में कई और दृष्टिकोण भी पाये गये हैं जो विवाह जैसी पवित्र संस्था व उससे सम्बंधित शुभाशुभ जानकारियां प्रदान करते है ऐसे ही कुछ जानकारियां एवं तथ्य निम्न है ।
(1) सप्तमेश का
लग्न में होना ।
(2) चंद्र लग्न
अथवा लग्न से सप्तमेश व पंचमेश का युत होना ।
(3) लग्न सप्तम का
राहु-केतु अक्ष में होना ।
(4) पंचमेश का
सप्तम भाव में होना ।
(5) पंचमेश या
सप्तमेश का राहु-केतु संग अथवा दृष्ट होना ।
(6) चंद्रमा, लग्नेश, सप्तमेश का लग्न
या सप्तम भाव में होना ।
(7) लग्न व
लग्नेश का स्थिर राशि में होना ।
(8) मंगल ग्रह
सप्तमेश संग लग्न अथवा सप्तम भाव में हो ।
(9) शुक्र लग्न
में लग्नेश संग अथवा सप्तमेश संग सप्तम मे हो |
(10) लग्नेश व
पंचमेश अथवा लग्नेश व भाग्येश की युति, दृष्टि व राशि परिवर्तन हो।
(11) पंचमेश
सप्तमेश का राशि परिवर्तन होना अथवा समसप्तक होना ।
(12) शुक्र का
मंगल संग होना अथवा पंचमेश,
सप्तमेश संग होना ।
(13) सप्तमेश
तथा शुक्र संग शनि
की युति होना।
(14) लग्नेश की
पूर्ण दृष्टि लग्न पर हो,
सप्तमेश बलवान होकर लग्न एवं लग्नेश को देखें तथा शुक्र शुभ प्रभाव मे हो |
(15) मंगल,
पंचम या नवम में हो तथा सप्तमेश, एकादशेश में
राशि परिवर्तन हो ।
(16) कुंडली
अथवा नवांश कुंडली में सप्तमेश नवमेश की युति हो
(17) चंद्र
कुंडली से शुक्र पंचम भाव में हो।
(18) शुक्र नवम
भाव में होकर पंचमेश से सम्बंध बना रहा हो।
(19) सप्तम भाव
में शनि-केतु का होना।
(20) द्वादशेश
तथा पंचमेश राशि परिवर्तन होना।
(21) पंचमेश व
नवमेश की सप्तम भाव में युति होना ।
(22) सप्तमेश
स्वग्रही हो तथा एकादश भाव पाप प्रभाव में ना हो।
(23) सप्तम भाव
में सप्तमेश व मंगल की युति हो ।
(24) लग्नेश की
चंद्र संग लग्न में युति हो अथवा सप्तमेश संग चंद्र सप्तम भाव में हो।
(25) सप्तमेश
तथा एकादशेश में परिवर्तन हो ।
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