ज्योतिष मे आदिकाल से प्रश्न का बहुत
अधिक उपयोग होता था और यात्रा में व मुहूर्त में युद्ध पर जाने के समय या किसी भी
महत्त्वपूर्ण कार्य में मुहूर्त शास्त्र की मदद ली जाती थी । मुहूर्त लग्न
चूंकि कालखण्ड पर एक निर्णय है इसलिए अन्य महत्त्वपूर्ण घटनाओं की तरह मुहूर्त लग्न से उस घटना
का भविष्य जाना जा सकता है । प्राचीन काल में राजा लोग युद्ध पर निकलते समय अपने
साथ विद्वान ज्योतिषियों को भी यात्रा पर्यन्त साथ रखते थे । वे लोग मुहूर्त
की दशा, स्वप्र और शकुन की भी मदद इस कार्य में लिया
करते थे ।
मुहूर्त शास्त्र
और प्रश्न शास्त्र के तर्क तो समान है परन्तु फलाफल में थोड़ा बहुत अन्तर रहता है ।
प्रस्तुत लेख में प्रश्नशास्त्र को लेकर शास्त्रों में कही गई कुछ बातों पर विचार
किया गया है,निकट
भविष्य में होने वाली घटनाओं के लिए,यात्रा के लिए,चोरी
के प्रश्न,जय-विजय के प्रश्न,सफलता
- असफलता के प्रश्न,प्रश्रशास्त्र के माध्यम से सफल रहते
हैं । अगर प्रश्न शास्त्र पर किसी विद्वान की गहरी पकड़ हो तो आने वाली घटनाओं का
विश्लेषण बहुत अच्छे ढंग से किया जा सकता है ।
प्रश्न शास्त्र
के कुछ नियमों की चर्चा हम यहाँ कर रहे हैं।
यात्रा प्रश्न -
यदि कोई प्रश्न
लेकर आता है, तो उसके मन में जो चिन्ता चल रही है, उसे
जाना जा सकता है । यदि चर राशि में लग्न हो या उस लग्न का चर द्रेष्काण लग्न में
हो या नवांश लग्न भी चर राशि में हो तथा दशम में चर राशि स्थित ग्रह एकादश में चला
गया हो तो प्रश्न पूछने वाले को यात्रा की चिन्ता सताती है ।
यदि चन्द्रमा
तथा लग्न दोनों ही द्विस्वभाव राशि के हों तथा पाप ग्रह से दृष्ट हों तो यात्रा
निष्फल हो जाती है और बहुत कठिनाइयाँ झेलनी पड़ती हैं परन्तु द्विस्वभाव राशि
अर्थात मिथुन, कन्या, धनु और मीन राशि
में लग्न व चन्द्रमा हों तो तथा शुभ ग्रह से देखें जाएं तो यात्रा द्वारा धन प्राप्ति
होगी और सुख भी मिलेगा
।
यदि लग्न में
पाप ग्रह हों या लग्न के आगे-पीछे के भावों में पाप ग्रह हों तो यात्रा में कष्ट
मिलेगा ।
यदि द्विस्वभाव
लग्न में बृहस्पति स्थित हों तो किसी भी कारण से यात्रा बीच में छोडक़र वापस आना पड़ता है ।
स्थिर राशि में
प्रश्न लग्न हो तो परिस्थितियाँ बदल जाती हैं । प्रश्न लग्न में पाप ग्रह हों या
पाप ग्रहों के बीच में या शत्रु ग्रहों के बीच में स्थिर लग्न हो तो यात्रा शुरू
नहीं हो पाएगी और कोई न कोई विघ्र आ जाएगा । यदि शीर्षोदय राशि हो तो स्थिर लग्न
होते हुए भी जाना होगा ।
चन्द्रमा या
लग्न पृष्ठोदय राशि में हों तो यात्रा शुरू ही नहीं हो पाएगी । लग्नेश का तीसरे,लग्न या केन्द्र
स्थान में होना यात्रा के लिए शुभ लक्षण माना गया है यात्रा अवश्य ही होगी ।
दसवें भाव में
पाप ग्रह होने से नियोजक या पिता या अपने से वरिष्ठ व्यक्ति टोक देते हैं और
यात्रा होती ही नहीं । ऐसे में यदि प्रश्न लग्न में पाप ग्रह हो और जबरन यात्रा कर
ली जाए तो उसके अशुभ परिणाम आते हैं । जाने वाला यात्री या तो रास्ते
में बीमार होगा या कार्य निष्फल हो जाएगा ।
प्रश्न लग्न से
चौथे भाव में पाप ग्रह हो तो काम बनने से पहले ही लौटना पड़ता है । केन्द्र स्थान
में पाप ग्रहों को कार्य नष्ट करने वाला माना गया है । इसके विपरीत केन्द्र स्थान
में शुभ ग्रह होंतो शुभ माना गया है ।
प्रश्न लग्न से
दूसरे भाव में शुभ ग्रह धन लाभ कराता है । चौथे भाव में शुभ ग्रह शुभकारी होता है ।
हम जानते हैं कि
प्रश्न लग्न में शुभ ग्रह जिस भाव में होंगे, उसी भाव का सुख
बढ़ा देंगे, जैसे कि लग्न के शुभ ग्रह शारीरिक सुख प्रदान
करते हैं, दूसरे मे धन लाभ,तीसरे भाव के
शुभ ग्रह यात्रा लाभ, चौथे
भाव के शुभ ग्रह सुख साधन, प्रश्न लग्न से पाँचवे शुभ ग्रह अर्थ
लाभ कराते हैं और विजय होती है, छठा ग्रह तरह-तरह के कष्ट तथा सातवें
भाव में शुभ ग्रह अर्थ लाभ, वस्त्राभूषण की प्राप्ति इत्यादि देते
हैं।
सप्तम भाव के
स्वामी जिस दिन वक्री होंगे, उसी दिन यात्रा पर गए हुए व्यक्ति को
वापस आना होगा ।
प्रश्न लग्रेश
यदि पाप ग्रह या बुध के साथ हों तो बिना प्रयोजन के यात्रा होती है ।
चन्द्रमा और
लग्न यदि चर राशि में हों तो यात्रा में एक ही विश्राम होता है । यदि दोनों ही
स्थिर हों तो दो विश्राम होते हैं । यदि दोनों ही द्विस्वभाव राशि में हों तो तीन
विश्राम हो सकते हैं ।
यात्रा में कष्ट
होगा या नहीं इसका पता ग्रहों के मार्गी, वक्री या
अतिचारी होने से पता लगता है ।
प्रश्न लग्न की
नवांश कुण्डली में लग्न राशि की मित्र राशि यदि चौथे भाव, सातवें
भाव और नौवें भाव में हो तो यात्रा में विश्राम सुखमय होगा ।
यदि प्रश्न लग्न
के स्वामी वक्री हो तो वह शीघ्र ही यात्रा समाप्त करके चल देगा परन्तु यदि प्रश्न
लग्नेश मार्गी हो जाए तो रूकते ही पुन: चल देगा ।
कौन मिलेगा
रास्ते में - प्रश्न लग्न मेष हो तो यात्रा में मेंढा मिलेगा या बकरा मिलेगा । यदि
वृषभ लग्न हो तो बैल मिलेगा । यदि मिथुन लग्न हो तो शुभ स्त्री, कर्क
लग्न हो तो अग्नि हाथ में लेकर स्त्री मिलेगी । यदि सिंह लग्न होतो बिल्ली अथवा बिलाव मिलेगा ।
कन्या लग्न हो तो या तो वधु मिलेगी या दाँहिनी और उल्लू या कौवे का शब्द सुनने को
मिलेगा ।
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