रविवार, 2 जुलाई 2023

बच्चे के जन्म सम्बन्धी प्रश्न


यदि किसी ने बच्चे के जन्म संबंधी प्रश्न पूछा है, तो ज्योतिषी को चाहिए कि तुरन्त ही प्रश्न लग्न बना लेवें और लग्न के कितने नवांश बीत गए हैं इसका ज्ञान कर लें । कम्प्यूटर, लेपटॉप या मोबाइल से आजकल यह काम बहुत आसान हो गया है । जितने नवांश बीत गए हैं, उतने ही गर्भ के मास बीत चुके हैं और जितने नवांश भोगने शेष हैं, प्रसव में उतने ही महीने बकाया हैं ।

शुक्र की भी गणना करे लें, यदि बलवान शुक्र प्रश्न लग्न से पाँचवें भाव में बैठे हों तो यह मानना चाहिए कि गर्भ को पाँच मास बीत चुके हैं।

एक अन्य विधि में द्रेष्काण कुण्डली बना लें और द्रेष्काण लग्न के स्वामी का वार जान लें बच्चे का जन्म उसी दिन होगा ।

लग्न में यदि दिवाबली राशि हो तो बालक का जन्म दिन में होता है और यदि रात्रि बली राशि हो तो रात्रि में जन्म होता है । यदि रात्रि बली ग्रह और दिन बली ग्रह संख्या में लगभग बराबर हो तो जन्म संधिकाल में होता है ।

यदि बारहवें भाव का स्वामी शुभ ग्रह से युत या दृष्ट होकर केन्द्र स्थान में हो, तो गर्भपात नहीं होगा और यदि पाप ग्रह पंचम भाव में हो या प्रश्न लग्रेश अशुभ हो तो गर्भपात की सम्भावना होती है ।

पंचम भाव का पापकर्तरी में होना, शनि या मंगल से दृष्ट होना शुभ नहीं माना जाता और गर्भपात की संभावना रहती है ।

पाप ग्रह के साथ चन्द्रमा इत्थशाल योग हो तो गर्भपात की संभावना होती है ।

यदि लग्नेश भी पापग्रह के साथ या वक्री ग्रह के साथ इत्थशाल करें तो भी अशुभ परिणाम आते हैं परन्तु चन्द्रमा या लग्न शुभ ग्रह के साथ योग करें तो शुभ परिणाम आता है और गर्भ की रक्षा हो जाती है ।

यदि प्रश्न बालक के जन्म से सम्बन्धित हो तो लगभग उन्हीं भावों का समावेश परिणाम देने वाला होता है ।

यदि द्वादशेश शुभ ग्रहों से युत हो, केन्द्र या पंचम में हो या चन्द्रमा केन्द्र स्थान में हों तो जन्म लेने वाला बालक सुरक्षित होता है परन्तु पंचमेश या बृहस्पति पापग्रहों से युत हो, या आपोक्लिम में स्थित हो तो जन्म लेने वाले बच्चे के जीवन में संशय होगा ।

लग्रेश और पंचमेश यदि शुभ ग्रहों के साथ होंतो अपने वैध पिता से जन्म लेने वाला बालक होता है, परन्तु लग्नेश या पंचमेश कम से कम दो अशुभ ग्रहों के साथ स्थित हो तो गर्भ किसी और पुरुष से हो सकता है ।

चर राशि में अधिक पाप ग्रह हों तो भी अन्य पुरुष से गर्भ धारण हो सकता हैं स्थिर राशि में स्थित ग्रह शुभ माने गए हैं । यह विषय अत्यन्त नाजुक है और ज्योतिषियों को यदि पर्याप्त अनुभव न हो तो मुँह से बात नहीं निकालनी चाहिए ।

एक अन्य तरीका भी है। यदि प्रश्न लग्न द्विस्वभाव राशि की हो और प्रथम होरा हो तो जन्म लेने वाला बालक अपने असली पिता का होता है परन्तु दूसरी होरा हो तो मामला संदेहप्रद होता है ।

पंचम भाव पर सूर्य-शनि की दृष्टि हो और अन्य कोई शुभ प्रभाव ना हो तो भी ऐसा देखने को मिलता है ।

 

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