गुरुवार, 27 जुलाई 2023

के एन राव जी से साक्षात्कार ...2

 


प्रश्नः शनि के राशि बदलने से क्या प्रभाव होता है?

श्री रावः शनि के राशि परिवर्तन का प्रभाव मेदिनी ज्योतिष में देखा जाता है। मेदिनी ज्योतिष में शनि के राशि बदलने का प्रभाव बहुत प्रत्यक्ष और व्यापक है। शनि का किसी नक्षत्र विशेष में प्रवेश मेदिनी ज्योतिष का मुख्य आधार होता है। जैसे 'कन्या' राशि में 'हस्त' नक्षत्र में शनि का जब प्रवेश हुआ था, उसके आधार पर किसी विख्यात अभिनेता के लिए मुसीबत आने की भविष्यवाणी की गई थी। उस वक्त सदी के नायक अमिताभ बच्चन के साथ गंभीर दुर्घटना घटी थी। विशाखा नक्षत्र में शनि का प्रवेश होने से पूर्व मैंने भविष्यवाणी की थी कि वह वक्त श्रीमती इन्दिरा गांधी के लिए भारी होगा। जून 1984 में की गई उस भविष्यवाणी का भयावह रूप देश को अक्टूबर 1984 में देखने को मिला जब श्रीमती गांधी की हत्या कर दी गई ।

प्रश्न: 15 नवम्बर, 2011 को शनि के तुला राशि प्रवेश से सैंकड़ों लोगों की कुंडलियों में शनि की साढ़ेसाती शुरू हो चुकी है लोग चिन्तित हैं कि उनके जीवन में अगले साढ़े सात साल क्या होगा? क्या शनि के राशि परिवर्तन से हमेशा बुरा ही होता है?

श्री रावः ऐसा नहीं है कि शनि के राशि परिवर्तन से हमेशा बुरा ही होता है। यह धारणा गलत है। वैसे शनि के राशि परिवर्तन से लोगों के जीवन में कोई बड़ी उल्लेखनीय घटना या घटनाएं जरूर घटती हैं लेकिन वह अच्छी होंगी या बुरी इसकी भविष्यवाणी दशा-अंतर्दशा देख कर ही की जा सकती है। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जब दूसरी साढ़ेसाती शुरू हुई तो वह प्रधानमंत्री बने। श्री मोरारजी देसाई अपने जीवन में जब पहली बार सरकार में आए तब उनकी पहली साढ़ेसाती शुरू हुई थी। उस समय अंग्रेजों का जमाना था। जब उनकी दूसरी साढ़ेसाती शुरू हुई तो वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। तीसरी साढ़ेसाती में वह देश के प्रधानमंत्री बने । चौधरी चरण सिंह भी शनि की साढ़े साती में ही देश के प्रधानमंत्री बने थे। श्रीमती सोनिया गांधी की कुंडली में लग्न पर विवाद है लेकिन उनकी चन्द्र राशि " मिथुन " के बारे में कोई संदेह नहीं है। जब शनि ने 'मिथुन' राशि में प्रवेश किया था तो वह यूपीए की अध्यक्ष बनी थीं और विश्व की लौह महिलाओं की सूची में उनका नाम दर्ज हुआ था। परन्तु श्रीमती इन्दिरा गांधी की साढ़ेसाती का अनुभव अलग है। उनकी जब पहली साढ़ेसाती आई तो उनकी मां की मृत्यु हो गई। वह खुद तपेदिक से पीड़ित हो गईं। दूसरी साढ़ेसाती में भी दशा खराब थी इसलिए 1960 में उनके पति का स्वर्गवास हो गया और बाद में 1964 में उनके पिता की मृत्यु हो गई। जब दशा सुधरी तो वह श्री लाल बहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में शामिल हुईं और साढ़ेसाती समाप्त होने से पहले ही देश की प्रधानमंत्री बन गई।

प्रश्न: क्या शनि ग्रह केवल परेशानी पैदा करता है?

श्री रावः 1984 में नटवर सिंह मेरे पास आए थे। उनकी जन्मपत्री का अध्ययन करने पर पता चला कि उनके कर्म स्थान पर शनि का प्रभाव है। मैंने उनसे कहा कि वह चुनाव लड़ें। वह जीतेंगे और मंत्री भी बनेंगे। मैं खुद शनि की साढ़ेसाती में अखिल क्षेत्र में विख्यात हुआ। यह कहना उचित नहीं है कि शनि की साढ़े भारतीय प्रतियोगिता में सफल हुआ। दूसरी साढ़ेसाती में ज्योतिष के साती केवल परेशानी और समस्याएं लाती है। नेहरू और मोरारजी देसाई जैसे कई राजनीतिज्ञों के उदाहरण मिल जाएंगे जो शनि की साढ़ेसाती में शीर्ष पद पर पहुंचे। वास्तव में कोई ग्रह अच्छा या बुरा नहीं होता। ग्रहों का असर तो वही होता है जैसे मनुष्य के कर्म होते हैं। मनुष्य के कर्मों से ही उसे अच्छे-बुरे फल मिलते हैं इन ग्रहों के बारे में जो पौराणिक कथाएं हैं, उन्हें केवल कथा मानकर उनकी अवहेलना नहीं करनी चाहिए। यदि ऐसा करेंगे तो हम ज्योतिष के भविष्यवाणी करने के सिद्धान्त को नजरअंदाज कर देगे। शनि के असर से व्यक्ति एक से नाता तोड़ कर दूसरे से जोड़ सकता हैं | आध्यात्मिक जीवन में संसार के मोह का विनाश केवल शनि ही कर सकता है। शनि की मदद के बगैर बैरागी नहीं बना जा सकता | वैराग्य का कारक शनि होता है।

आज हम प्रजातंत्र की बात करते हैं। प्रजातंत्र का सबसे मुख्य ग्रह शनि है। शनि जनता का प्रतिनिधित्त्व करता है। शनि का प्रभाव क्या होगा, या किसी अन्य ग्रह का विशेष परिस्थितियों में क्या प्रभाव होगा यह बात दशा-अन्तर्दशा देख कर बताई जानी चाहिए। शनि जन्मकालीन चन्द्रमा से चतुर्थ में जाए तो 'कंटक शनि' होता है जिससे उत्तर भारत के लोगों में भय पैदा होता है, लेकिन यह कंटक शनि बेहतरीन कैरियर भी दे सकता है।

प्रश्नः लोग शनि, राहु-केतु आदि से बहुत भयभीत क्यों रहते हैं ?

श्री रावः शनि, राहु-केतु आदि ग्रहों के बारे में भी ज्योतिषियों ने ही भ्रान्तियां फैलाई हैं जिससे लोग उनकी जेबें भर सकें। असल में शनि को 'काल' कहते हैं और ज्योतिषी लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए 'काल' का अर्थ 'मृत्यु' बताकर उसका सही अर्थ छुपा जाते हैं। वास्तव में 'काल' का अर्थ "समय" से भी है। लोगों को ज्योतिषी बताते हैं कि गोचर का शनि लग्न से सप्तम हो जाए शादी मत करो। मैं इसे नहीं मानता। इसी प्रकार गोचर के शनि का पंचम अथवा पंचमेश से संबंध हो जाए तो संतान का समय हो जाता हैं ऐसे ही शनि का दशम अथवा दशमेश से संबंध हो तो वह समय कार्यक्षेत्र में किसी विशेष घटना के घटने का होता है। लेकिन वह घटना अच्छी होगी अथवा खराब, इसकी भविष्यवाणी दशा-अन्तर्दशा देखने के बाद ही की जा सकती है।

कोई टिप्पणी नहीं: