गुरुवार, 6 जुलाई 2023

कुंडली से जानिए कब होगा विवाह

 

विवाह संस्कार, सोलह संस्कारों में से एक प्रमुख संस्कार है । जब विवाह की आयु के उपरांत भी विवाह संपन्न नहीं होता तो माता-पिता, सगे-संबन्धियों को चिंता होने लगती है कि विवाह क्यों नहीं हो रहा है कभी - कभी विवाह की आयु होने के बाद भी अथवा अनेक प्रयत्न करने के बाद भी विवाह का योग नहीं बनता ।

इसीलिए आज भी अनेक लोग कुंडली दिखाकर जानना चाहते हैं कि उनके लड़के या लड़की का विवाह कब होगा । अथवा किस आयु में होगा इसके लिए ज्योतिष शास्त्र में क्या बताया गया हैं आज हम आपको इस लेख मे ये बताने का प्रयास करेंगे  ।

जातक अथवा जातिका की जन्म कुंडली के माध्यम से यह ज्ञात किया जा सकता है कि विवाह कब, किस आयु में, किस दिशा में होगा,वर या वधु कैसा होगा आदि - आदि ?

किस जातक का विवाह किस आयु में होगा ?

जब जन्म कुंडली में लग्नेश सप्तम भाव में तथा सप्तमेश लग्न में और दोनों ग्रह अपनी-अपनी मित्र राशि में हों तो विवाबिना किसी बाधा के आराम से 18-19वें वर्ष में हो जाता है । .

जब जन्म कुंडली में सप्तम भाव व सप्तमेश बलवान् हो और लग्न व द्वितीय भाव या सप्तम भाव पर शुभ प्रभाव हो तो ऐसे जातक का विवाह 20-22वें वर्ष में होता है ।

इस प्रकार कन्या की जन्म कुंडली में सप्तमेश बलवान् हो तथा गुरु त्रिकोण अथवा लग्न में मित्र या उच्च राशि में विराजमान हो तो कन्या का विवाह 21-22वें वर्ष में संपन्न, धनी परिवार में होता है ।

जन्म कुंडली में चन्द्रमा सातवें स्थान में शुक्र स्वग्रही हो तो ऐसे लड़के का विवाह 20-21वें वर्ष में हो जाता है ।

कन्या की जन्म कुंडली में गुरु, चन्द्रमा से सातवें स्थान में हो तो कन्या का विवाह बिना किसी बाधा या परेशानी के 22-24वें वर्ष में सफलता पूर्वक हो जाता है ।

जब जन्म कुंडली के सप्तमेश मित्र राशि में, स्वराशि में अथवा अपनी उच्चराशि में हो तो बुध के साथ हो तो 18 से 21 की आयु में विवाह होता है ।

यदि सप्तमेश बुध के साथ न हो तो विवाह 21 से 23 की आयु में होता है । यह नियम मंगल, शनि पर लागू नहीं होता है ।

यदि जन्म कुंडली में सप्तमेश बलवान् हो तथा शुक्र केन्द्र अथवा त्रिकोण में मित्र राशि में विराजमान हो तो लड़के का विवाह 24-26वें वर्ष में होता है ।

लड़के या लड़की की कुंडली में सप्तमेश कमजोर हो तो विवाह 28 वर्ष के बाद होता हैं ।

जन्म कुंडली में जब मंगल प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम अथवा द्वादश भाव में हो तो मंगली दोष की उत्पत्ति होती है । ऐसी अवस्था में यदि सप्तमेश शत्रु राशि नीच राशि में हो तो कन्या अथवा लड़के का विवाह 30 से 35वें वर्ष में होता है तथा वैवाहिक जीवन कष्ट दायक, अभावात्मक रहता है । विवाह में देरी के साथ-साथ अनेक बाधाएं आती हैं ।

यदि जन्म कुंडली में लग्न भाव द्वितीय अथवा सप्तम भाव में नीच ग्रह अथवा शत्रु ग्रह विराजमान हो तो जातक के विवाह में अनेक बाधाएं, विरोध आते हैं विवाह 30-32वें वर्ष में होता है ।

किन ग्रहों की दशा में विवाह होता है ?

सप्तमेश के साथ कोई मित्र ग्रह हो तो उसकी दशा, अन्तर्दशा में विवाह हो जाता है ।

सप्तम भाव में विराजमान ग्रह जब मित्र राशि, स्वराशि अथवा उच्चराशि में हो तो उस ग्रह की अन्तर्दशा में विवाह अवश्य हो जाता है ।

दशमेश अथवा अष्टमेश शुभराशि में, मित्र राशि में हो उसकी दशा अथवा अंतर्दशा में विवाह संपन्न हो सकता हैं |

लड़के की जन्म कुंडली में शुक्र जिस राशि में स्थित है उस राशि का स्वामी ग्रह जन्म कुंडली में त्रिक भाव में न हो तो उस ग्रह की दशा अथवा अंतरदशा मे विवाह कार्य पूर्ण हो सकता हैं |

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