किसी व्यक्ति की जन्मकुण्डली का आठवां भाव आयु और मृत्यु का भाव होने के साथ साथ अचानक मिलने वाले दुख तकलीफ़ों का भी सूचक होता है ! मृत्यु का भाव होने के कारण जातक को जोखिम भरे मार्ग पर चलने की प्रवृत्ति आठवें भाव में स्थित ग्रह ही देते हैं ! अर्थात अष्टम भाव मे स्थित ग्रह जातक विशेष को मौत के रास्ते पर चलने, जोखिम उठाकर नियम कानून ताक पर रखकर मनमाने काम करने की प्रेरणा देते हैं ! इस अष्टम भाव में स्थित ग्रह न केवल शरीर को संकट दे सकता है बल्कि व्यक्ति के आयु पर संकट बनकर अचानक स्वास्थ्य पर काफी धन खर्च करा सकता है लेकिन कभीकभार ये भी देखा गया हैं की अष्टम भाव का ग्रह कष्ट नहीं देता बल्कि व्यक्ति के सुख साधन में बढ़ोतरी भी कर सकता है |
आठवें भाव में
स्थित ग्रह व्यक्ति को पैतृक संपदा प्राप्त करने में मदद करता है ! ऐसे में
व्यक्ति कभी कभी अपार संपदा एकत्र भी कर लेता है, लेकिन वह मुसीबत
में भी फंस सकता है !
अष्टम भाव में
स्थित ग्रह सामन्यत: शरीर
के शत्रु होते हैं लेकिन वह हमेशा कष्ट नहीं देते, कभी कभार अचानक
बड़ी पीड़ा दे सकते हैं ! अष्टम भाव का ग्रह द्वादश भाव में स्थित ग्रह को सहायता
करता है जिससे व्यक्ति के बाहर के लोगों से सम्बंध बहुत मधुर हो जाते हैं !
यदि अष्टम भाव के ग्रह से द्वादश भाव के ग्रह
की मित्रता हो जाये तब
ऐसा व्यक्ति बहुत नाम और ख्याति अर्जित करता है ! उसे विदेश तक जाने का अवसर
प्राप्त हो सकता है और इस रास्ते से वह अपने लिए सुख के साधन जमीन, मकान,
वाहन इत्यादि जुटा पाने में सफल हो सकता है !
अष्टम स्थान में
बैठे हुए ग्रह व्यक्ति को उदार बनाते हैं और ऐसे व्यक्ति के बाहरी जनमानस में बहुत
उत्तम सम्बंध बन जाता है ! वैसे तो व्यक्ति कुछ न कुछ विशिष्ट गुण, हुनर
और कला अपने पूर्वजों से प्राप्त करके जन्म लेता है जैसे आप अमिताभ बच्चन,ओशो आदि की कुण्डली देखकर समझ सकते हैं !
अष्टम भाव का ग्रह व्यक्ति को गुप्त
साधना, मंत्र साधना की ओर भी प्रेरित करता रहता है जिससे जातक विशेष को तंत्र मंत्र व
ज्योतिष के क्षेत्र एवं धर्म साधना में विशेष रूचि हो जाती है ! यही अष्टम भाव गुप्त साधना, मंत्र साधना के अतिरिक्त ज्योतिष ज्ञान, शल्य चिकित्सा, इंजीनियरिंग की
शिक्षा का भी भाव होता है
! यदि अष्टम भाव में कोई भी ग्रह स्थित हो और जातक साधना मंत्र अभ्यास में लग जाए तब
द्वादश भाव या चतुर्थ भाव में चाहे जैसा भी ग्रह स्थित हो, व्यक्ति के जीवन
की आर्थिक उन्नति विद्युत गति से हो सकती है !
कभी - कभी ऐसा
व्यक्ति अपने तंत्र मंत्र साधना से समाज में बहुत अधिक प्रसिद्धि भी प्राप्त कर
लेता है ! इसलिए आठवें भाव के ग्रह बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं, परन्तु
आठवें भाव के ग्रह तब कोई शुभ फल नहीं देते, जब आठवें
बारहवें भाव और चौथे भाव के ग्रह परस्पर शत्रु होकर स्थित हों ! तब ऐसे सुखों में
व्यक्ति को निश्चित ही कमी और निराशा ही हाथ लगती है ! उसके घर परिवार में इतनी
मुसीबत आ जाती हैं कि जीवन दुखों और कष्टों से भर जाता है ! डिप्रेशन में जीवन ऐसा
हो जाता है कि बार - बार यह भाव पैदा होता है कि ऐसे जीवन से मृत्यु भली और व्यक्ति
आत्महत्या तक का प्रयास करता है !
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