शुक्रवार, 14 जुलाई 2023

आप के नाम में छुपा है राम का नाम

 

"श्री.तुलसीदासजी से एक भक्त ने पूछा कि महाराज आप श्रीराम के इतने गुणगान करते हैं , क्या कभी खुद श्रीराम ने आपको दर्शन दिए हैं ?

तुलसीदास बोले :- " हां "

भक्त :- महाराज क्या आप मुझे भी दर्शन करा देंगे ?

तुलसीदास :- " हां अवश्य "

तुलसीदास जी ने ऐसा मार्ग दिखाया कि एक गणित का विद्वान भी चकित हो जाए !

तुलसीदास जी ने कहा,"अरे भाई यह बहुत ही आसान है" तुम श्रीराम के दर्शन स्वयं अपने अंदर ही प्राप्त कर सकते हो |

हर नाम के अंत में राम का ही नाम है।

इसे समझने के लिए तुम्हे एक "सूत्रश्लोक " बताता हूँ।

यह सूत्र किसी के भी नाम में लागू होता है !

भक्त :-" कौनसा सूत्र महाराज ?"

तुलसीदास :- यह सूत्र है |

"नाम चतुर्गुण पंचतत्व मिलन तासां द्विगुण प्रमाण ||  

तुलसी अष्ट सोभाग्ये अंत मे शेष राम ही राम" ||

इस सूत्र के अनुसार

अब हम किसी का भी नाम ले और उसके अक्षरों की गिनती करें..

1)उस गिनती को (चतुर्गुण) 4 से गुणाकार करें

2) उसमें (पंचतत्व मिलन) 5 मिला लें

3) फिर उसे (द्विगुण प्रमाण) दुगना करें

4)आई हुई संख्या को (अष्ट सो भागे) 8 से विभाजित करें ।

संख्या पूर्ण विभाजित नहीं होगी और हमेशा २ शेष रहेगा |

यह 2 ही "राम" है। यह 2 अंक ही " राम " अक्षर हैं।

विश्वास नहीं हों रहा है ना ?

चलिए हम एक उदाहरण लेते हैं |

आप एक नाम लिखें, अक्षर कितने भी हों !

उदाहरण 

निरंजन - 4 अक्षर

1) 4 से गुणा करिए 4x4=16

2)5 जोड़िए 16+5=21

3) दुगने करिए 21×2=42

4)8 से विभाजन करने पर 42÷8= 5 पूर्ण अंक, शेष

शेष हमेशा दो ही बचेंगे,यह बचे 2 अर्थात् - "राम" !

विशेष यह है कि सूत्रश्लोक की संख्याओं को तुलसीदासजी ने विशेष महत्व दिया है !

1) चतुर्गुण अर्थात् 4 पुरुषार्थ :- धर्म, अर्थ, काम,मोक्ष !

2) पंचतत्व अर्थात् 5 पंचमहाभौतिक :- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश 

3) द्विगुण प्रमाण अर्थात् 2 माया व ब्रह्म 

4) अष्ट सो भागे अर्थात् 8 आठ प्रकार की लक्ष्मी (आग्घ, विद्या, सौभाग्य, अमृत, काम, सत्य, भोग आणि योग लक्ष्मी ) अथवा तो अष्ठधा प्रकृति।

अब यदि हम सभी अपने नाम की जांच इस सूत्र के अनुसार करें तो आश्चर्यचकित रह जाएंगे कि हमेशा शेष 2 ही प्राप्त होगा |

इसी से हमें श्री तुलसीदास जी की बुद्धिमानी और अनंत रामभक्ति का ज्ञान होता है !


 

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