जन्म कुण्डली में मुन्था सदैव लग्न में स्थित रहती है और प्रत्येक वर्ष मुंथा एक राशि आगे बढ़ जाती है |
मुंथा नव ग्रहों
के समान ही महत्व रखती है |
मुंथा विचार
द्वारा कुण्डली के अनेक प्रभावों का वर्णन किया जा सकता है |
वर्ष कुण्डली
में मुंथा का अत्यधिक उपयोग किया जाता है |
मुंथा को वर्ष कुण्डली में गणना कर जातक के जीवन
में उस वर्ष घटने
वाली घटनाओं को जाना जा
सकता है |
मुन्था और इसका फल
वर्षफल तभी शुभ
होगा जब मुंथेश उच्च राशि या
स्वराशि मे हो |
मुन्थेश शुभ
ग्रहों से युक्त या उनसे प्रभावित है तो अच्छे परिणाम प्राप्त हो सकते हैं |
2, 9, 10 व 11 भाव में मुंथा होने पर आर्थिक पक्ष
मजबूत होता है |
भाव 4,
6, 8, 12 और सप्तम भाव में मुन्था शुभ नहीं मानी जाती, इसी प्रकार मुन्था यदि षष्ठेश, अष्टमेश अथवा
द्वादशेश युक्त हो तो भी अशुभ
परिणाम प्रदान करने वाली होती है |
मुंथा शुभ
स्थिति तथा शुभ प्रभाव से युक्त होने पर जिस भाव में स्थित हो उसे बल प्रदान करने
वाली बनती है |
मुंथा सामान्यत:
कुण्डली के बारह भावों अलग-अलग प्रभाव उत्पन्न करने वाली होती है,परंतु इसके यह
प्रभाव ग्रहों के योग एवं प्रभाव से बदल भी सकते हैं |
बारह भावों में
मुंथा का प्रभाव
प्रथम भाव
(लग्न)
प्रथम भाव में
अर्थात लग्न में मुंथा स्थित होने पर शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है | उच्च पद प्राप्ति एवं व्यवसाय में
वृद्धि प्राप्त होती है,नौकरी
में उच्च अधिकारियों का सहयोग मिलता है, आर्थिक लाभ और
उत्तम स्वाथ्य की प्राप्ति होती है |
द्वितीय भाव
दूसरे भाव में
मुंथा होने पर आयु में वृद्धि होती है, आर्थिक संपन्नता
एवं खुशहाली के साथ साथ समृद्धि
भरा जीवन एवं
भोग विलास के सभी साधन
प्राप्त होते हैं |
तृतीय भाव
तीसरे भाव में
मुंथा हो तो विजय प्राप्त होती है, भाई बंधुओं द्वारा सहायता मिलती है और जीवन मे आनंद की अनुभूति
के साथ धार्मिक
यात्राएं करने के अवसर मिलते हैं |
चतुर्थ भाव
चौथे भाव में
मुंथा होने से रोग एवं अस्वस्थता मिलती है,शाररिक सुख में
कमी आती है,संबंधों
में तनाव एवं गलतफहमी उत्पन्न होने लगती है | कार्यों में
अनेक प्रकार की बाधाओं का सामना भी
करना पड़ता है |
पंचम भाव
पांचवें भाव में
मुंथा होने पर संतान सुख की प्राप्ति, धर्म कर्म के कार्यों को करने अवसर,सरकार से लाभ
एवं सम्मान की प्राप्ति के अतिरिक्त
विद्या एवं नए कार्यों से लाभ मिलता है |
षष्ठम भाव
छठे भाव में
मुंथा चोरी का भय एवं शाररिक कष्ट देती है,शत्रु,कर्ज़,दुर्घटना या कोर्ट कचहरी का भय प्रदान कर
मानसिक चिंताओं का कारण बनती है |
सप्तम भाव
सातवें भाव में
मुंथा शुभ नहीं होती,यह भार्या से गलतफहमी,बन्धुओं से
कलह-क्लेश उत्पन्न कराने वाली, साझेदारी में नुकसान प्रदान कर असफलता, रोग
तथा मानसिक चिंता दे सकती है |
अष्टम भाव
आठवें भाव में
मुंथा होने से दुर्घटनाओं का भय,निराशावादी सोच,वाद - विवाद,रोगो का भय और
मुकद्दमेंबाजी कारण अपव्यय
प्रदान करती है |
नवम भाव
नौवें भाव में
मुंथा शुभ फल प्रदान कर जातक के भाग्य में वृद्धि,आर्थिक लाभ,नौकरी में
उन्नति, व्यापार में लाभ और पारिवारिक सुख प्रदान करती
है |
दशम भाव
दसवें भाव में
मुंथा उच्च पद प्रदान करती है तथा जातक की मनोकामनाएं
पूर्ण कर नाम
एवं प्रतिष्ठा प्रदान करती है |
एकादश भाव
इस भाव में
मुंथा हो तो पारिवारिक सुख की प्राप्ति,मित्रों द्वारा सहायता व राजनीति में
सफलता मिलती है,जातक विशेष को सभी प्रकार की इच्छापूर्ति,
सुख एवं व्यापार कार्यो से लाभ प्राप्त होती है |
द्वादश भाव
बारहवें भाव में
मुंथा होने से रोग, दुर्घटना होने का डर,कारावास एवं
कानूनी कार्यवाही का भय बना रहता है, धन का बड़ा अपव्यय होता है |
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