सोमवार, 16 जनवरी 2023

हस्तरेखा शास्त्र द्वारा जन्म विवरण (तारीख, समय, स्थान) की जानकारी -

1) चंद्र राशि से जन्मदिन/तारीख, सूर्य चिह्न से जन्ममास (महीना) एवं गुरु व शनि से जन्म वर्ष का पता लगाया जा सकता है

2) पक्ष तथा समय (दिन, रात्रि) का निर्धारण - यदि जातक के एक अंगूठे में यव चिह्न हो तो कृष्णपक्ष व दोनों अंगूठों में यव चिह्न हो तो शुक्ल पक्ष का जन्म होता है । यदि दाएं हाथ के अंगूठे में यव चिह्न हो तो शुक्ल पक्ष व दिन का जन्म होता है । यदि बाएं हाथ के अंगूठे में यव चिह्न हो तो शुक्ल पक्ष व रात्रि का जन्म होता है । यदि दोनों हाथ के अंगूठों में यव हो तो कृष्ण पक्ष में दिन का जन्म होता है । जैन सामुद्रिक शास्त्रानुसार यदि दाएं अंगूठे में यव हो तो शुक्ल पक्ष व दिन का जन्म तथा बाएं हाथ के अंगूठे में यव हो तो कृष्ण पक्ष व रात का जन्म होता है

3) जन्म मास व राशि का निर्धारण - दोनों हाथों की तर्जनी अंगुलियों के दूसरे व तीसरे पोर में स्थित दोष रहित लम्बवत् रेखाओं के योग को 23 से गुणा करने पर जो संख्या आए इसमें 12 का भाग देने पर जो संख्या शेष बचे वही जन्ममास और राशि होती है

उदाहरण यदि शेष 1 बचे तो जातक का जन्म मेष राशि, वैशाख मास में माना जाता है । इसी प्रकार क्रमशः आगे भी इसके अलावा, अनामिका अंगुली (सूर्य की) के नीचे सूर्य क्षेत्र में जिस भी राशि का स्पष्ट चिह्न यदि हो तो, इससे भी जन्ममास ज्ञात कर सकते हैं

4) जन्मतिथि का निर्धारण - मध्यमा अंगुली के दूसरे व तीसरे पोर में स्थित लंबी रेखा का योग कर उसमें 32 जोड़कर 5 से गुणा कर फिर गुणनफल में 15 का भाग देने से जो शेष संख्या आए, वही जन्मतारीख (तिथि) होगी । अंगूठे के नीचे स्थित शुक्र क्षेत्र पर स्थित दोष रहित कुल लंबवत् रेखाओं को 6 से गुणा कर उसमें 15 का भाग देने पर जो शेष बचता है वह तिथि होगी । यदि शेष शून्य बचता है तो जन्म पूर्णिमा का होता है 15 के बाद 30 के अंदर का क्रम होने पर जन्म कृष्ण पक्ष का होता है

5) जन्म वार का निर्धारण अनामिका के दूसरे व तीसरे पर्व में स्थित दोषरहित कुल रेखाओं में 517 जोड़कर 5 से गुणा कर गुणनफल में 7 का भाग देने पर शेष बची संख्या उसका वार होगी । यदि शेष 1 तो रविवार, 2 सोमवार, 3 मंगलवार, 4 बुधवार, 5 गुरुवार, 6 शुक्रवार व 7 शेष आने पर शनिवार होगा

 

 

 

 

 

 

 

 

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