बुधवार, 14 अक्टूबर 2009

लक्ष्मी पूजन( हिन्दी में)

दीपावाली का पर्व आने वाला हैं |हिंदू धर्म को मानने वाले इस पर्व को बड़े धूमधाम से मनाते हैं और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना भी करते हैं ताकि माता का आर्शीवाद सदा उन पर बना रहे |आज आधुनिकता के चलते तथा धर्म व संस्कारों के पता ना होने के कारण बहुत से लोग "लक्ष्मी पूजन" करते समय संस्कृत के श्लोक नही बोल पाते |ऐसे व्यक्तियो के लिए प्रस्तुत लेख में हिन्दी में दोहो के रूप में माँ लक्ष्मी का पूजन विधान दिया जा रहां हैं|आशा हैं पाठक गण इससे लाभान्वित होंगे और पूर्ण श्रधा से पूजन कर पाएंगे |

सर्वप्रथम पूजन सामग्री को एकत्रित करले |पूजा का कलश स्थापित कर ले |एक थाली में स्वस्तिक बनाकर,पुष्प का आसन लगाकर गणेश जी विराजित करले|अब हाथ जोड़कर गणेश जी का ध्यान करे|
ध्यान -
रिद्दी सिद्दी के साथ में राजमान गणराज|
यहाँ पधारो,मूर्ति में,जाओ आप विराज ||
वरुण देव आओ यहाँ,सब तीर्थो के साथ|
पूजा के इस कलश में, आप विराजो नाथ||
शोभित षोडश मातृका जाओ यहाँ पधार|
गणपति सूत के साथ करके, कृपा अपार||
सूर्य आदि ग्रह भी करो,यहाँ आगमन आज |
लक्ष्मी पूजा पूर्ण हो ,जिससे सहित समाज ||

पहले वरुण पूजा फ़िर गणेश,षोडश मातृका,नवग्रह पूजन करके हाथ में अक्षत लेकर माँ लक्ष्मी का "आह्वान" करे |

आह्वान -
आदि शक्ति मातेश्वरी,जय कमले जगदम्ब |
यहाँ पधारो मूर्ति में,कृपा करो अविलम्ब ||
अक्षत अर्थात चावल लक्ष्मी के सम्मुख अर्पित कर दे|

आचमन -(तीन बार जल आचमनी में लेकर थाली में छोड़े)
पाद्य अर्ध्य वा आचमन का जल यह तैयार|
उसको भी माँ प्रेम से,करलो तुम स्वीकार||

स्नान -
दूध,दही,घी,शहद,शक्कर इन सभी से बारी बारी से लक्ष्मी को स्नान करवाए|अंत में सभी को एकत्रित कर पंचामृत बनाले,फ़िर पंचामृत से स्नान करवाए|
दूध दही घी शहद तथा शक्कर से कर स्नान|
निर्मल जल से कीजियो,पीछे शुद्ध स्नान||
अब पुनः शुद्ध जल से स्नान करवा,साफ़ वस्त्र से प्रतिमा को पोछकर विराजित करे|

वस्त्र -(माँ महालक्ष्मी को श्रृंगार सामग्री सहित पूर्ण वस्त्र अर्पित करे)
साडी चोली रूप में,वस्त्र द्वय ये अम्ब|
भेंट करू सो लीजियो,मुझको तब अवलंब||

तिलक-( कुमकुम का तिलक करे)
कुमकुम केसर का तिलक और मांग सिंदूर|
लेकर सब सुख दीजियो,करदो माँ दुःख दूर||

अंजन चूड़ी -(श्रृंगार सामग्री अर्पित करे)
नयन सुभग, कज्जल सुभग, लो नेत्रों से डार|
करो चुडियो से जननी, हाथो का श्रृंगार||

पुष्प- धुप- दीप -
(पुष्पों का हार अर्पित करे|हाथ से धुप दीप लक्ष्मी जी की और दिखाए)
गंध, अक्षत के बाद में,यह फूलो का हार|
धुप सुगन्धित,शुद्ध घी का दीपक तैयार||

भोग-
दूध आदि का बना हुआ भोग लक्ष्मी जी के आगे रखकर अपने हाथो से लक्ष्मीजी के मुख तक तीन बार ले जाए|अब जल की तीन बार परिक्रमा कर छोड़े|
भोग लगाता भक्ति से,जीमो रूचि से धाप|
करो चुलू, ऋतुफल सुभग,आरोगो अब आप||

ताम्बुल -
लक्ष्मीजी को पान,लौंग,इलायची आदि का बीडा अर्पित करे|
एला पुंगी लौंगयुक्त,माँ खालो ताम्बुल|
क्षमा करो मुझसे हुई,जो पूजा में भूल||

दक्षिणा -(श्रधा अनुसार दक्षिणा अर्पित करे)
क्या दे सकता दक्षिणा,आती मुझको लाज|
किंतु जान पुजांग यह तुच्छ भेंट हैं आज||

आरती -(कपूर आदि जलाकर आरती करे)
हैं कपूर सुंदर सुरभि:जोकर घी की बाती|
करू आरती आपकी,जो सब भाँती सुहाती||

पुष्पांजलि प्रदक्षिणा -
हाथो में पुष्प लेकर आरती की प्रदक्षिणा कर छोड़े|
पुष्पांजलि देता हुआ,परिक्रमा कर एक|
हाथ जोड़ विनती करू,रखना मेरी टेक||

प्रार्थना पुरूष के लिए -
राष्ट्र भक्ति दे, शक्ति दे, सुखद वृति सम्मान|
पत्नी,सूत-सुख दे मुझे,भिक्षुक अपना जान ||

प्रार्थना स्त्री के लिए -
सदा सुहागिन मैं रहू,पाती सौख्य अपार|
तब पूजा करती रहूँ,श्रधा मन में धार||

माँ महालक्ष्मी से विनती

चहु दिशा हर मोड़ ने मारा|दो लक्ष्मी माँ हमें सहारा ||
मैं मुर्ख बालक अज्ञानी,तुम हो अम्बे अन्तर्यामी |
पाप,क्रोध,अपराध क्षमा कर,उज्जवल कर दो भाग्य सितारा||

चहु दिशा हर मोड़ ने मारा|दो लक्ष्मी माँ हमें सहारा ||
दुःख दारिद्रय ने ह्रदय जलाये,निर्धनता ने मन बिलखाये|
पग पग ठोकर खाऊ अम्बे, नैन बहाए अश्रू धारा ||

चहु दिशा हर मोड़ ने मारा|दो लक्ष्मी माँ हमें सहारा ||
दया करो सुख सम्पति साजो,गणपति,शारदे,संग विराजो |
रिद्दी सिद्दी मेरे संग समाके, स्वयं से लगादो ह्रदय हमारा||


चहु दिशा हर मोड़ ने मारा|दो लक्ष्मी माँ हमें सहारा ||
मंद बुद्दी हूँ भाग्य विधाती,ज्ञान की कुंजी दे,सुखदाती|
राह न हमें माँ कोई दिखाए, मार्गदर्शक तुम बनो हमारा ||

चहु दिशा हर मोड़ ने मारा|दो लक्ष्मी माँ हमें सहारा ||
इतना करम इस दास पर कर दे,पुत्र मान धन-जन सुख भरदे|
जन्म जन्म का दास बनाले,बस यही मिले वरदान तुम्हारा ||


चहु दिशा हर मोड़ ने मारा|दो लक्ष्मी माँ हमें सहारा ||

अब जहाँ खड़े हैं,वहां खड़े खड़े ही परिक्रमा करले|हाथ जोड़कर पूजा में किसी भी प्रकार की भूल के लिए क्षमा याचना करे|

क्षमा प्रार्थना -
ब्रह्म विष्णु शिवरूपिणी परमब्रह्म की शक्ति |
मुझ सेवक को दीजिये श्रीचरणों की भक्ति ||
मैं अपराधी नित्य का पापो का भण्डार|
मुझ सेवक को कीजिये दुःख सागर से पार||
हो जाते हैं पुत तो, कई कपूत अज्ञान|
पर माता तो कर दया,रखती उनका ध्यान||
ऐसा मन में धार कर कृपा करो अविलम्ब |
बिना कृपा तेरी मुझे और ना हैं अवलंब ||
और प्रार्थना क्या करू तू करुणा की खान |
त्राहि त्राहि मातेश्वरी मैं मूरख अज्ञान||
धरती पर जब तक जिउ रटु आपका नाम |
तब दासो के सिद्द सब हो जाते हैं काम ||
इसके बाद लक्ष्मी चालीसा,कनकधारा श्रोत्र,अष्ट लक्ष्मी श्रोत्र,श्रीसूक्त का पाठ आदि कर प्रणाम कर जल हाथ में लेकर छोड़े तथा सब बडो को नमस्कार कर चरणामृत तथा प्रसाद वितरण करे |

इस प्रकार आप माँ लक्ष्मी का पूजन करे, पूजन समय घर के सदस्यों को,बच्चो को निरंतर पटाखे आदि छोड़ते रहने को कहे |माँ लक्ष्मी का स्वागत हर्ष व उल्लास से करे ..................................

1 टिप्पणी:

Ajay Tripathi ने कहा…

माता लक्ष्‍मी की कृपा के साथ आपको मां सरस्‍वती का आर्शीवाद प्राप्‍त लक्ष्‍मी जी के पूजा विधान को बड़े ही सरल शब्‍दों में सभी ब्‍लॉंगर तक पहुँचाया है मुझे विश्‍वास है कि आप पर हुई कृपा इस कार्य सभी पर वैसी ही कृपा होगी

दिपावली की मंगलकामनाओं के साथ दिप पर्व का प्रकाश आपको अलौकिक करे